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अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश

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सर्राफा बाजार पर वैश्विक दबाव, सोने-चांदी में गिरावट

नई दिल्ली (New Delhi), . शादी का सीजन होने के बावजूद घरेलू सर्राफा बाजार आज सप्ताह के पहले दिन ही गिरावट का शिकार हो गया. देश में शादी के सीजन के लिए हो रही खरीदारी के सपोर्ट की वजह से नवंबर के पहले पखवाड़े में भारतीय सर्राफा बाजार में लगातार तेजी का रुख बना हुआ था लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार के दबाव ने सीजनल सपोर्ट के बावजूद भारतीय सर्राफा बाजार को दबाव में ला दिया है.

महीने के दूसरे पखवाड़े में सोना (Gold) और चांदी (Silver) दोनों दबाव में कारोबार कर रहे हैं. आज सोना (Gold) और चांदी (Silver) दोनों ही चमकीली धातुओं में गिरावट का रुख नजर आया. आज की गिरावट के कारण सोने की कीमत में अलग अलग श्रेणियों में 395 रुपये प्रति 10 ग्राम से लेकर 232 रुपये प्रति 10 ग्राम तक की कमजोरी दर्ज की गई. सोने की तरह ही चांदी (Silver) की कीमत में भी आज 720 रुपये प्रति किलोग्राम की कमजोरी दर्ज की गई.

इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक घरेलू सर्राफा बाजार में आज कारोबारी यानी 24 कैरेट (999) सोने की औसत कीमत 395 रुपये की कमजोरी के साथ लुढ़क कर 52,558 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई. इसी तरह 23 कैरेट (995) सोने की कीमत भी 393 रुपये की गिरावट के साथ 52,348 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई. जबकि जेवराती यानी 22 कैरेट (916) सोने की कीमत में आज 362 रुपये प्रति 10 ग्राम की नरमी दर्ज की गई. इसके साथ ही 22 कैरेट सोना (Gold) 48,143 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया. इसके अलावा 18 कैरेट (750) सोने की कीमत आज प्रति 10 ग्राम 296 रुपये गिर कर 39,419 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई. जबकि 14 कैरेट (585) सोना (Gold) आज 232 रुपये कमजोर होकर 30,746 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया.

सर्राफा बाजार में सोने की तरह ही चांदी (Silver) की कीमत में भी तेज गिरावट दर्ज की गई. आज के कारोबार में चांदी (Silver) (999) की कीमत 720 रुपये प्रति किलोग्राम टूट गई. इस गिरावट के कारण ये चमकीली धातु आज 61 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर से नीचे लुढ़क कर 60,600 रुपये प्रति किलोग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई.

उल्लेखनीय है कि शादी के सीजन के कारण भारतीय सर्राफा बाजार को नवंबर के महीने में काफी सहारा मिला है. आज की गिरावट के बावजूद इस महीने सोने की कीमत में प्रति 10 ग्राम करीब 2300 रुपये की तेजी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश चल रही है. इसी तरह चांदी (Silver) की कीमत में भी प्रति किलोग्राम करीब 2,500 रुपये का उछाल आ चुका है. हालांकि मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि घरेलू सर्राफा बाजार में अभी निवेश के अनुकूल माहौल नहीं है. अभी बाजार में जो भी खरीदारी हो रही है, वो सिर्फ शादी के सीजन के लिए की जाने वाली व्यक्तिगत खरीदारी ही है. बड़े निवेशक नकारात्मक वैश्विक माहौल की वजह से अभी भी बाजार से दूरी बनाए हुए हैं. इसलिए छोटे निवेशकों को अपनी निवेश योजना काफी सोच समझकर बनानी चाहिए.

ULTRAVIOLETTE को मिला नया निवेश

बेंगलुरु स्थित इलेक्ट्रिक वाहन स्टार्ट-अप, अल्ट्रावियोलेट ऑटोमोटिव को क्वालकॉम वेंचर्स और लिंगोटो से नया निवेश मिला है। कंपनी का कहना है कि अघोषित राशि का उपयोग भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार करने और उसकी तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए किया जाएगा। Ultraviolette 24 नवंबर, 2022 को भारत में अपना पहला इलेक्ट्रिक वाहन, F77 मोटरसाइकिल लॉन्च करने वाली है।

सोना खरीदना हुआ सस्ता, कीमतों में आई बड़ी गिरावट, चेक करें 10 ग्राम के नए भाव

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नई दिल्ली। सोना और चांदी में निवेश करने वालों अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश के लिए अच्छी खबर है. विदेशी बाजारों में कीमती धातुओं के भाव में गिरावट के बीच सोमवार (21 नवंबर 2022) को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना ( Gold Price) 408 रुपए प्रति 10 ग्राम टूट गया. सोने की तरह चांदी ( Silver Price) की भी कीमत 594 रुपए प्रति किलोग्राम गिर गई.

सोने-चांदी की नई कीमतें

सोमवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में 10 ग्राम सोने का भाव 408 रुपए गिरकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश 52 , 847 रुपए पर आ गया. इससे पिछले कारोबारी सत्र में सोना 53 , 255 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. सोने की तरह चांदी भी 594 रुपए के नुकसान से 61 , 075 रुपए प्रति किलोग्राम पर आ गई।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में Gold नुकसान के साथ 1,745.5 डॉलर प्रति औंस पर था. चांदी भी नुकसान के साथ 20.83 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी.

क्यों आई सोने-चांदी में गिरावट ?

एचडीएफसी सिक्योरिटीज ( HDFC Securities) के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार ने कहा , डॉलर इंडेक्स में बढ़त से कॉमेक्स (कमोडिटी बाजार) में सोना नुकसान में था. बाजार भागीदारों को फेडरल रिजर्व ( Federal Reserve) के मौद्रिक नीति रुख पर कुछ नए संकेतकों का इंतजार है.

वायदा बाजार में Gold-Silver का भाव

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ( MCX) पर सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट आई है. एमसीएक्स पर दिसंबर वायदा Gold का रेट 562 रुपए या 1.12% गिरकर 49,438 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया. वहीं , दिसंबर वायदा चांदी की कीमत 590 रुपए या 0.97% लुढ़ककर 60,285 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई.

चीन में कोविड प्रतिबंध से सहमा शेयर बाजार

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stock market: 21 नवंबर (वार्ता) चीन में कोविड की रोकथाम के लिए एक बार से नये प्रतिबंध लगाए जाने से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को लेकर बढ़ी चिंता के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट से हताश निवेशकों की स्थानीय स्तर पर आईटी, यूटिलिटीज, पावर, रियल्टी और टेक समेत 17 समूहों में हुई बिकवाली से आज शेयर बाजार 0.8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट लेकर बंद हुआ।

बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 518.64 अंक यानी 0.84 प्रतिशत लुढ़ककर 61144.अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश 84 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 147.70 अंक का गोता लगाकर 18159.95 अंक पर रहा। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली कंपनियों में बिकवाली हुई लेकिन छोटी कंपनियों के प्रति निवेशकों की निवेश धारण सकारात्मक रही। इससे मिडकैप 0.15 प्रतिशत उतरकर 25,096.85 अंक जबकि स्मॉलकैप 0.01 प्रतिशत बढ़कर 28,752.59 अंक पर पहुंच गया।

इस दौरान बीएसई में कुल 3772 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2083 में गिरावट जबकि 1510 में तेजी रही वहीं 179 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह एनएसई में 36 कंपनियों में बिकवाली जबकि शेष 14 में लिवाली हुई। विश्लेषकों के अनुसार, चीन में कारोना वायरस के संक्रमण का प्रसार बढ़ने से वहां की सरकार ने रोकथाम के लिए एक बार फिर से नये प्रतिबंधों की घोषणा की है। इससे वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को लेकर निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।

इसका दबाव अंतर्राष्ट्रीय बाजार एवं कच्चे तेल की कीमत पर नकारात्मक पड़ा है। इससे ब्रिटेन का एफटीएसई 0.06, जर्मनी का डैक्स 0.43, हांगकांग का हैंगसेंग 1.87 और चीन का शंघाई कंपोजिट 0.39 प्रतिशत गिर गया जबकि जापान के निक्केई में 0.16 प्रतिशत की बढ़त रही। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नकारात्मक रुझान का असर घरेलू शेयर बाजार पर भी पड़ा। इससे बीएसई में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और दूरसंचार समूह की 0.71 प्रतिशत तक की तेजी को छोड़कर शेष 17 समूहों में गिरावट दर्ज की गई।

कमोडिटीज 0.61, ऊर्जा 0.81, आईटी 1.46, यूटिलिटीज 1.41, ऑटो 0.46, धातु 0.89, तेल एवं गैस 0.74, पावर 1.42, रियल्टी 1.38 और टेक समूह के शेयर 1.04 प्रतिशत लुढ़क गए।

मसाला बॉन्ड – विशेषताएं, लाभ, सीमाएं और प्रमुख तथ्य

मसाला बॉन्ड - विशेषताएं, लाभ, सीमाएं और प्रमुख तथ्य

मसाला बांड रुपये-मूल्यवर्ग बांड हैं। यह एक भारतीय इकाई द्वारा विदेशी बाजारों में डॉलर या स्थानीय संप्रदाय के बजाय भारतीय मुद्रा में धन जुटाने के लिए जारी किया गया एक ऋण साधन है। 2019 में, केरल रुपये का मसाला बॉन्ड लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर 2,150 करोड़ का जारी करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया। राज्य के स्वामित्व वाले केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB) ने विदेशी बाजार में धन जुटाने के लिए बांड जारी किए थे।

इस लेख में, हम मसाला बॉन्ड की विभिन्न विशिष्ट विशेषताओं के साथ-साथ इसके लाभों और नुकसानों पर चर्चा करेंगे। आगामी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों को इस लेख में उल्लेखित विवरणों को ध्यान से पढ़ना चाहिए।

मसाला बांड क्या है?

  • ये भारतीय संस्था द्वारा भारतीय मुद्रा में भारत के बाहर जारी किए गए बांड हैं
  • मसाला बॉन्ड के प्रमुख उद्देश्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त पोषित करना, आंतरिक विकास को प्रज्वलित करना (उधार के माध्यम से) और भारतीय रुपये का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना है।
  • किसी भी जोखिम के मामले में, निवेशक को नुकसान उठाना पड़ता है, न कि उधारकर्ता को
  • भारत में एक बुनियादी ढांचा परियोजना को वित्तपोषित करने के लिए 2014 में विश्व बैंक द्वारा पहला मसाला बांड जारी किया गया था
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC), विश्व बैंक की निवेश शाखा ने नवंबर 2014 में भारत में विदेशी निवेश बढ़ाने और देश में बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजार को जुटाने के लिए 10 साल, 10 मिलियन भारतीय रुपये का बांड जारी किया।
  • मसाला बांड के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित कुछ नियम और विनियम हैं:
  • कोई भी कॉरपोरेट और भारतीय बैंक विदेशों में रुपये में मूल्यवर्गित बांड जारी करने के लिए पात्र है
  • इन बांडों के माध्यम से जुटाई गई धनराशि को रियल एस्टेट गतिविधियों में निवेश नहीं किया जा सकता है। हालांकि, उनका उपयोग एकीकृत टाउनशिप या किफायती आवास परियोजनाओं के विकास के लिए किया जा सकता है
  • साथ ही, मसाला बॉन्ड के माध्यम से जुटाई गई धनराशि को पूंजी बाजार में निवेश नहीं किया जा सकता है
  • भारत में विभिन्न प्रकार के बॉन्ड के बारे में जानने के लिए, उम्मीदवार लिंक किए गए लेख पर जा सकते हैं।

मसाला बांड की विशेषताएं

नीचे चर्चा की गई मसाला बॉन्ड की प्रमुख विशेषताएं हैं:

  • निवेशकों (Investors)
  • ये बॉन्ड केवल ऐसे देश के निवासी को जारी किए जा सकते हैं जो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) का सदस्य हो।
  • साथ ही, देश का सुरक्षा बाजार नियामक प्रतिभूति आयोग के अंतर्राष्ट्रीय संगठन का सदस्य होना चाहिए।
  • इन बांडों को क्षेत्रीय और बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों द्वारा भी सब्सक्राइब किया जा सकता है जहां भारत एक सदस्य देश है।
  • परिपक्वता अवधि (Maturity Period)
    • प्रति वित्तीय वर्ष INR में समतुल्य 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक के बॉन्ड के लिए न्यूनतम मूल परिपक्वता अवधि 3 वर्ष होनी चाहिए।
    • प्रति वित्तीय वर्ष INR में समतुल्य 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ऊपर के बॉन्ड के लिए न्यूनतम मूल परिपक्वता अवधि 5 वर्ष होनी चाहिए।
    • भारत के बाहर के निवेशक जो भारतीय संपत्ति में निवेश करने के इच्छुक हैं, वे मसाला बांड में निवेश करने के पात्र हैं।
    • HDFC, NTPC, Indiabulls Housing Finance, कुछ भारतीय संस्थाएं हैं जिन्होंने मसाला अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश बॉन्ड का उपयोग करके धन जुटाया है।

    मसाला बांड के लाभ

    • मसाला बांड ने वैश्विक निवेशकों के लिए एक निवेश मार्ग खोल दिया है, जिनकी विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) या विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) मार्ग के माध्यम से घरेलू बाजार तक पहुंच नहीं है।
    • प्रलेखन कार्य भी कम है क्योंकि भारत में FPI के रूप में पंजीकरण नहीं कराना पड़ता है
    • उधारकर्ताओं के लिए, यह फायदेमंद है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश धन की लागत सस्ती है और 7% ब्याज दर से नीचे जारी की जाती है
    • इन बॉन्ड को जारी करने वाली कंपनियों को रुपये की गिरावट की चिंता करने की जरूरत नहीं है
    • चूंकि, अमेरिकी डॉलर, पाउंड स्टर्लिंग, यूरो और येन में ब्याज दरें बहुत कम स्तर पर हैं, इससे भारतीय कंपनियों को मसाला बॉन्ड जारी करके धन जुटाने में मदद मिलती है।
    • भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों से परिचित कराकर इसका अंतरराष्ट्रीयकरण करने का यह एक आसान माध्यम है
    • यह विदेशी बाजार के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण घरेलू बॉन्ड बाजारों के विकास को भी बढ़ावा देगा

    मसाला बॉन्ड की सीमाएं

    • भारतीय रिजर्व बैंक मसाला बांडों में समय-समय पर दरों में कटौती करता रहा है जिससे यह निवेशकों के लिए थोड़ा कम आकर्षक बन गया है
    • इन बॉन्ड्स से जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल हर जगह नहीं किया जा सकता है। निश्चित क्षेत्र हैं जहां पैसे का निवेश किया जा सकता है
    • मूडीज के अनुसार, मसाला बॉन्ड के माध्यम से वित्त पोषण की स्थिरता एक चुनौती है क्योंकि निवेशकों से उभरते बाजारों से मुद्रा जोखिम लेने में सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है।

    मसाला बांड – मुख्य तथ्य: मसाला बॉन्ड के बारे में कुछ प्रमुख तथ्य नीचे दिए गए हैं:

    • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) द्वारा “मसाला बॉन्ड्स” नाम दिया गया था। चूंकि ‘मसाला’ मसालों के लिए एक हिंदी शब्द है, इसलिए यह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहित करेगा
    • भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए IFC द्वारा 2014 में पहला मसाला बांड अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश जारी किया गया था
    • फरवरी 2020 में एशियाई विकास बैंक द्वारा 850 करोड़ रुपये के 10 साल के मसाला बॉन्ड को इंडिया आईएनएक्स के वैश्विक ऋण सूची मंच पर सूचीबद्ध किया गया था। यह भारत में स्थानीय मुद्रा और निवेश का समर्थन करने के लिए किया गया था
    • रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक 5.5 अरब डॉलर के समतुल्य मसाला बांड पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
    • दो अन्य विदेशी-मुद्रा-संप्रदाय बांड हैं जो मसाला बांड के समान हैं: डिम सम बांड (चीन), समुराई बांड (जापान)

    मसाला बांड से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)?

    प्रश्न: मसाला बांड का उपयोग करने वाली भारत की पहली इकाई कौन सी थी?

    उत्तर: अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश राज्य के स्वामित्व वाले केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB) ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज में ₹ 2,150 करोड़ के ‘मसाला बॉन्ड’ जारी किए। यह अपतटीय रुपया अंतरराष्ट्रीय बांड बाजार का दोहन करने वाली भारत की पहली उप-संप्रभु इकाई है।

    प्रश्न: मसाला बांड से प्राप्त राशि का उपयोग कहां किया जा सकता है?

    उत्तर: मसाला बांड की आय का उपयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:

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