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जगह रोक आदेश

जगह रोक आदेश
मद्रास हाई कोर्ट ने धर्मांतरण के बाद जाति के लाभ को खारिज किया (फाइल फोटो, साभार: इंडियन एक्सप्रेस)

बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाने की मांग पर हाईकोर्ट ने लगाया स्टे, हादसे के बाद बरती जा रही सख्ती

मथुरा के वृंदावन में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में दशर्न का समय बढ़ाए जाने के मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। बता दें कि प्रशासन और पुलिस द्वारा किए जा रहे नए-नए प्रयोगों से श्रद्धालु, व्यापारी और मंदिर के पुजारियों को भी दिक्कतें हो रही थीं।

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में दशर्न का समय बढ़ाए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है। बता दें कि बीते 14 नवंबर को सिविल जज जूनियर डिवीजन ने बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय 8 घंटे से बढ़ा कर 11 घंटे कर दिया था। जिसके बाद 1 दिसंबर को मंदिर प्रबंधन ने मंदिर के समय में परिवर्तन करने का नोटिस बोर्ड पर लगा दिया था। वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि न्यायिक पक्ष में लंबित मामले में कानून के लिए अज्ञात प्रक्रिया का पालन किया गया है।

कोर्ट ने DM व SSP के पत्र लिखने पर जताई नाराजगी
अदालत ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत अपनी शक्तियों का उपयोग करने और 14 नवंबर के आदेश के संचालन पर रोक लगाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। बता दें कि डीएम पुलकित खरे और तत्कालीन SSP अभिषेक यादव ने 10 नवंबर को मंदिर में दर्शनों का समय बढ़ाने को लेकर मथुरा कोर्ट के लिए अनुरोध पत्र लिखा। वहीं हाईकोर्ट ने अनुरोध पत्र को लेकर जताते हुए आदेश में लिखा कि मथुरा द्वारा न्यायिक पक्ष में लंबित एक मामले पर डीएम और SSP द्वारा जिला न्यायाधीश को पत्र लिखने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया की कड़ी निंदा करते हैं। कोर्ट ने कहा कि बिना किसी पूर्व आदेश के जिला न्यायाधीश को पत्र लिखने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया की कड़ी निंदा करते हैं।

हादसे के बाद से बरती जा रही सख्ती
कोर्ट की ओर से जारी निर्देश में कहा गया कि कोर्ट उम्मीद करता है कि कुछ अवसरों या अन्य दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने पर गोस्वामी और स्थानीय प्रशासन सहयोग करेंगे। इस तरह का प्रबंधन किया जाए कि जिससे कि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। वहीं कोर्ट द्वारा स्टे लगने के बाद मंदिर के गोस्वामी और भगवान बांके बिहारी के भक्तों में खुशी थी। बता दें कि कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर मंगला आरती के दौरान बांके बिहारी मंदिर में भीड़ के अधिक दबाव के कारण हादसा हो गया था। इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 8 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हो गए थे। जिसके बाद से पुलिस और जिला प्रशासन की ओर से सख्ती बढ़ा दी गई थी। आएदिन नए प्रयोग किए जा रहे थे। इस कारण से व्यवस्थाएं बनने की जगह और बिगड़ती जा रही थीं। वहीं प्रशासन और पुलिस द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं के चलते मंदिर के गोस्वामी, व्यापारी, भक्त और स्थानीय लोगों को दिक्कतें हो रही थीं।

मुंबई में 2 जनवरी तक पुलिस ने लगाया धारा 144, जारी किया ये आदेश

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पुलिस ने धारा 144 लागू कर दी है। इसके तहत पूरी मुंबई में कई तरह के प्रतिबंध भी लागू कर दिए गए हैं। बता दें पांच या इससे अधिक लोगों के एक जगह पर इकट्ठे होने जगह रोक आदेश पर मनाही है। फिलहाल इस प्रतिबंध के पीछे की वजह ये बताई जा रही है कि नए साल और 25 दिसंबर को लेकर फैसला लिया गया है। बता दें अपने आदेश में मुंबई पुलिस ने बताया कि सार्वजनिक सभा के प्रदर्शन पर भी रोक रहेगी। मुंबई पुलिस की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, पूरे राज्य में धारा 144 चार दिसंबर से दो जनवरी तक लागू रहेगी। इसके साथ ही हथियारों के प्रदर्शन और पटाखें फोड़ने पर भी रोक लगेगी।

क्या होंगे प्रतिबंध

-धारा 144 लागू होते ही विवाह समारोह, अंतिम संस्कार सभाओं, जुलूस, कंपनियों और क्लबों की बड़े पैमानों पर होने वाली बैठकों पर भी रोक लगा दी गई है।

-शैक्षणिक गतिविधियों के लिए स्कूल, कॉलेज व अन्य संस्थानों में होने वाली बैठकों पर भी प्रतिबंध लागू किया गया है। कारखानों, दुकानों व अन्य प्रतिष्ठानों की सामान्य बैठकों के अलावा जुलूस के प्रदर्शन पर भी यह प्रतिबंध लागू रहेगा।

धर्म बदलकर बन गया अकबर, जाति का लाभ देने से हाई कोर्ट का इनकार: जातीय रैली पर भी नोटिस, पूछा- क्यों न लगे रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जातीय रैलियों को लेकर भाजपा, कॉन्ग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा को नोटिस जारी किया है। पूछा है कि जातियों के नाम पर होने वाली रैलियों पर हमेशा के लिए रोक क्यों न लगा दी जाए?

मद्रास हाई कोर्ट ने धर्मांतरण के बाद जाति के लाभ को खारिज किया (फाइल फोटो, साभार: इंडियन एक्सप्रेस)

धर्मांतरण के बाद भी जाति का लाभ लेने को लेकर मद्रास हाई कोर्ट का एक अहम फैसला आया है। अदालत ने कहा है कि जब तक राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट अनुमति न हो, कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण के बाद अपनी जाति का लाभ नहीं ले सकता है। दूसरी ओर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने जाति के नाम पर होने वाली रैलियों को लेकर नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों नहीं इस पर स्थायी रोक लगा देनी चाहिए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश की 4 प्रमुख राजनैतिक पार्टियों को नोटिस जारी किया है। इन दलों के नाम हैं- भाजपा, कॉन्ग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा हैं। नोटिस में पूछा गया है कि जातियों के नाम पर होने वाली रैलियों पर हमेशा के लिए रोक क्यों न लगा दी जाए? साथ ही यह भी पूछा गया है कि इस नियम को तोड़ने वालों पर चुनाव आयोग क्यों न कार्रवाई करे?

मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता एडवोकेट मोतीलाल यादव ने जाति आधारित रैलियों को अलोकतांत्रिक बताते हुए रोक की माँग की है। 11 जुलाई 2013 के एक जगह रोक आदेश आदेश में हाई कोर्ट ने ऐसी रैलियों पर अंतरिम रोक लगाई थी। लेकिन इतने साल बीतने के बावजूद उस समय जारी नोटिस पर न तो किसी राजनीतिक दल ने और न ही चुनाव आयोग ने कोई प्रतिक्रिया दी है।

धर्मांतरण के बाद जाति का लाभ नहीं

वहीं मद्रास हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है कि धर्म परिवर्तन कर चुका व्यक्ति अपनी पुरानी जाति के आधार पर लाभ का दावा नहीं कर सकता। यह आदेश उस व्यक्ति की याचिका पर आया है जिसने 2008 में इस्लाम कबूल कर लिया। धर्मांतरण से पहले वह अति पिछड़ी जाति से संबद्ध था। तमिलनाडु लोक सेवा आयोग ने उसे उसकी पिछली जाति का लाभ देने से इनकार कर दिया था। इसके खिलाफ उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

लाइव लॉ के मुताबिक तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के फैसले को यू अकबर अली ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के निर्णय को सही ठहराया। उन्होंने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित याचिका का जिक्र भी किया। साथ ही तमिलनाडु सरकार के उन आदेशों का भी हवाला दिया, जिनके जगह रोक आदेश मुताबिक धर्मांतरण कर इस्लाम कबूलने वाले व्यक्ति को ‘अन्य श्रेणी’ में माना जाएगा।

अपने ही 36 साल पुराने आदेश को ताक पर रख थमाये आयकर नोटिस !

अपने ही 36 साल पुराने आदेश को ताक पर रख थमाये आयकर नोटिस !

गोहाना की अनाज मंडी के आढ़तियों समेत देशभर के आढ़तियों को आयकर विभाग ने बड़ी संख्या में नोटिस थमा दिए हैं। आढ़तियों की आई.टी.आर. निरस्त कर दी गई हैं तथा उनके रिफंड रोक दिए गए हैं। गोहाना टैक्स बार एसोसिएशन ने शनिवार को विभाग की जगह रोक आदेश इस कार्रवाई को अपने ही 36 साल पुराने आदेश की अवज्ञा करार दिया है। टैक्स बार एसोसिएशन की बैठक की अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष और सीनियर सी.ए. कर्मबीर लठवाल ने की।

लठवाल ने एतराज किया कि आढ़तियों को भौतिक रूप से कोई नोटिस सर्व नहीं किए गए हैं तथा नोटिस की सूचना को आयकर विभाग ने केवल अपने पोर्टल तक सीमित रखा है। लठवाल ने बताया कि 17 मार्च 1986 को स्वयं आयकर विभाग ने सर्कुलर नंबर 452 जारी किया था। इस सर्कुलर में कहा गया था कि चूंकि कच्चे आढ़ती कमीशन के आधार पर काम करते हैं, इसके लिए आयकर विभाग उनकी बिक्री को बिक्री नहीं मानता। तबसे आढ़ती अपनी रिटर्न में कमीशन का ही लेखा-जोखा देते रहे हैं। कर्मबीर लठवाल ने कहा कि आयकर विभाग के नोटिस पूरी तरह से अवैध हैं तथा अपने ही सर्कुलर की धज्जियां उड़ाने वाले हैं। उन्होंने नोटिस रद्द करने और रिफंड जारी करने की मांग की। बैठक में टैक्स बार के सदस्य नरेंद्र गुप्ता, शीशपाल गोयल, नवीन गर्ग, नितिन गोयल, हिमांशु रंग आदि उपस्थित रहे।

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