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निवेश की निगरानी और समीक्षा

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ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर नियमों और विनियमों की समीक्षा के लिए केंद्र सरकार द्वारा किस समिति का गठन किया गया था?

Key Points

  • केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियमों (FDI) सहित ई-कॉमर्स व्यवसायों के लिए नीति व्यवस्था की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है।
  • समिति की अध्यक्षता NITI (नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने की थी।
  • समिति के अन्य सदस्य:
    • केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय और उद्योग के अधिकारी।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी विभाग के अधिकारी।
    • महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित चार राज्यों के प्रतिनिधि।
    • ई-कॉमर्स क्षेत्र में विभिन्न चुनौतियों का परीक्षण करें और नीति उदारीकरण के लिए प्रस्ताव बनाएं।
    • देश के तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स व्यवसाय से संबंधित एफडीआई नियमों सहित सभी चिंताओं की जांच करें।

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    • चंद्रबाबू नायडू समिति:
      • 2016 में, भारत में डिजिटल भुगतान प्रणाली और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए एक समिति का गठन किया गया था।
      • इस समिति की अध्यक्षता चंद्रबाबू नायडू ने की थी।
      • केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्रियों की 13 सदस्यीय समिति की स्थापना की।
      • इस समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट माननीय प्रधान मंत्री को प्रस्तुत की।
      • समिति द्वारा की गई सिफारिशें:
        • लक्ष्य और निगरानी तंत्र की स्थापना।
        • डिजिटल भुगतान के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे का विस्तार।
        • स्वीकृति बुनियादी ढांचे की आपूर्ति बढ़ाना।
        • डिजिटल भुगतान को अपनाने को आसान बनाने के लिए आवश्यक संस्थागत, नीति और नियामक परिवर्तन।
        • डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देंना।
        • डिजिटल भुगतान में सुरक्षा को मजबूत करना।
        • त्वरित परिणामों के लिए विशिष्ट खंडों को लक्षित करना।

        Important Points

        • वर्तमान में, परमेश्वरन अय्यर जून 2022 में नियुक्त नीति आयोग के CEO हैं।

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        Last updated on Nov 30, 2022

        Maharashtra Police Constable 2022 Application Dates Extended till 15th December 2022. The Maharashtra Police department released the detailed notification for the Police Constable post on 9th November 2022. The Maharashtra Police Constable selection process will begin with a Physical Test, followed by a written examination. The candidates must निवेश की निगरानी और समीक्षा have a 10+2 certificate in order to be eligible for the job. The age limit for Maharashtra Police is set from 19 to 28. The candidates must go through the Maharashtra Police Constable Previous Years’ Paper to be aware निवेश की निगरानी और समीक्षा of the questions asked in the examination.

        ईएसआईसी अपने बुनियादी ढांचे का उन्नयन, आधुनिकीकरण करेगा : मंत्री

        दिल्ली। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने ईएसआई योजना के दायरे में आने वाले बीमित श्रमिकों और उनके आश्रितों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि को स्वीकार करते हुए ईएसआईसी को बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर देने का निर्देश दिया है। मंत्री ने आगे बताया कि चरणबद्ध तरीके से ईएसआईसी अस्पतालों और औषधालयों के बुनियादी ढांचे को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए 'निर्माण से शक्ति' पहल शुरू की गई है।

        बैठक के दौरान, श्रम और रोजगार और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि ड्रोन और ऑनलाइन रीयल टाइम डैशबोर्ड का उपयोग करके परियोजनाओं के निर्माण और निगरानी के लिए ईएसआईसी द्वारा नवीनतम तकनीकों को अपनाने का प्रस्ताव है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम की 189वीं बैठक रविवार को ईएसआईसी मुख्यालय में भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई।

        ईएसआई योजना के दायरे में आने वाले बीमित श्रमिकों की बढ़ती संख्या के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सेवा और लाभ सेवाओं के वितरण तंत्र में सुधार और ईएसआईसी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दृष्टि से ईएसआईसी ने श्यामली बाजार, अगरतला में 100 बिस्तरों वाले नए ईएसआईसी अस्पताल, त्रिपुरा और इडुक्की, केरल में 100 बिस्तरों वाला ईएसआईसी अस्पताल की स्थापना के प्रस्तावों को मंजूरी दी।

        अगरतला और इडुक्की में 100-बेड वाले ईएसआईसी अस्पताल लगभग 60,000 लाभार्थियों की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करेंगे। ईएसआईसी चिकित्सा संस्थानों में वार्ड ऑफ आईपी कोटा के तहत प्रवेश के लिए उम्मीदवारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि को ध्यान में रखते हुए निगम ने गुलबर्गा में अपने ईएसआईसी नर्सिग कॉलेजों में से दो में वार्ड ऑफ इंश्योर्ड पर्सन (आईपी) श्रेणी के तहत सीटों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। बताया गया है कि प्रारंभिक निवेश 5 प्रतिशत से शुरू होगा और दो तिमाहियों की समीक्षा के बाद धीरे-धीरे 15 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। निवेश एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में सीमित होगा जो निफ्टी 50 और सेंसेक्स है।

        Bhupendra Yadav ने कहा, ईएसआई योजना अपने बुनियादी ढांचे का उन्नयन, आधुनिकीकरण करेगा !

        Bhupendra Yadav ने कहा, ईएसआई योजना अपने बुनियादी ढांचे का उन्नयन, आधुनिकीकरण करेगा !

        दिल्ली न्यूज डेस्क् . केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने ईएसआई योजना के दायरे में आने वाले बीमित श्रमिकों और उनके आश्रितों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि को स्वीकार करते हुए ईएसआईसी को बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर जोर देने का निर्देश दिया है। मंत्री ने आगे बताया कि चरणबद्ध तरीके से ईएसआईसी अस्पतालों और औषधालयों के बुनियादी ढांचे को मजबूत और आधुनिक बनाने के लिए निर्माण से शक्ति पहल शुरू की गई है।

        बैठक के दौरान, श्रम और रोजगार और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने कहा कि ड्रोन और ऑनलाइन रीयल टाइम डैशबोर्ड का उपयोग करके परियोजनाओं के निर्माण और निगरानी के लिए ईएसआईसी द्वारा नवीनतम तकनीकों को अपनाने का प्रस्ताव है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम की 189वीं बैठक रविवार को ईएसआईसी मुख्यालय में भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में हुई। ईएसआई योजना के दायरे में आने वाले बीमित श्रमिकों की बढ़ती संख्या के प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सेवा और लाभ सेवाओं के वितरण तंत्र में सुधार और ईएसआईसी के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दृष्टि से ईएसआईसी ने श्यामली बाजार, अगरतला में 100 बिस्तरों वाले नए ईएसआईसी अस्पताल, त्रिपुरा और इडुक्की, केरल में 100 बिस्तरों वाला ईएसआईसी अस्पताल की स्थापना के प्रस्तावों को मंजूरी दी।

        अगरतला और इडुक्की में 100-बेड वाले ईएसआईसी अस्पताल लगभग 60,000 लाभार्थियों की चिकित्सा जरूरतों को पूरा करेंगे। ईएसआईसी चिकित्सा संस्थानों में वार्ड ऑफ आईपी कोटा के तहत प्रवेश के लिए उम्मीदवारों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि को ध्यान में रखते हुए निगम ने गुलबर्गा में अपने ईएसआईसी नर्सिग कॉलेजों में से दो में वार्ड ऑफ इंश्योर्ड पर्सन (आईपी) श्रेणी के तहत सीटों की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। बताया गया है कि प्रारंभिक निवेश 5 प्रतिशत से शुरू होगा और दो तिमाहियों की समीक्षा के बाद धीरे-धीरे 15 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। निवेश एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में सीमित होगा जो निफ्टी 50 और सेंसेक्स है।

        उत्तराखंड विधानसभा में सख़्त प्रावधान वाला धर्मांतरण रोधी संशोधन ​विधेयक पारित

        उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक-2022 में जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए तीन साल से लेकर 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है. अपराध करने वाले को अब कम से कम पांच लाख रुपये की मुआवज़ा राशि का भुगतान भी करना पड़ सकता है, जो पीड़ित को दी जाएगी. The post उत्तराखंड विधानसभा में सख़्त प्रावधान वाला धर्मांतरण रोधी संशोधन ​विधेयक पारित appeared first on The Wire - Hindi.

        उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक-2022 में जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए तीन साल से लेकर 10 साल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है. अपराध करने वाले को अब कम से कम पांच लाख रुपये की मुआवज़ा राशि का भुगतान भी करना पड़ सकता है, जो पीड़ित को दी जाएगी.

        मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी. (फोटो साभार: फेसबुक)

        देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को कड़े प्रावधानों वाला धर्मांतरण रोधी संशोधन विधेयक पारित कर दिया, जिसमें जबरन धर्म परिवर्तन के दोषियों के लिए तीन साल से लेकर 10 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है.

        विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक-2022 को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.

        उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार (29 नवंबर) को यह विधेयक विधानसभा में पेश किया था. प्रदेश के धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री निवेश की निगरानी और समीक्षा सतपाल महाराज ने इसे पेश करते हुए कहा था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 के अनुसार, प्रत्येक धर्म को समान रूप से प्रबल करने के उद्देश्य में आ रहीं कठिनाइयों के निराकरण के निवेश की निगरानी और समीक्षा लिए यह संशोधन विधेयक लाया गया है.

        विधेयक में विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाते हुए दोषियों के लिए न्यूनतम तीन साल से लेकर अधिकतम 10 साल तक के कारावास का प्रावधान है.

        इसमें कम से कम 50 हजार रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. इस संशोधन के बाद अपराध करने वाले को कम से कम पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि का भुगतान भी करना भी पड़ सकता है, जो पीड़ित को दी जाएगी.

        विधेयक के अनुसार, कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बल, प्रलोभन या कपटपूर्ण साधन द्वारा एक धर्म से दूसरे में परिवर्तित या परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा. कोई व्यक्ति ऐसे धर्म परिवर्तन के लिए उत्प्रेरित या षड्यंत्र नहीं करेगा.

        उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2022 पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया, ‘इसके तहत धर्म परिवर्तन पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. भय, प्रलोभन और अन्य धोखाधड़ी के साये में धर्म परिवर्तन की साजिश के खिलाफ कानून एक ऐतिहासिक फैसला साबित होगा.’

        इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि कानून में कुछ कठिनाइयों को दूर करने और संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 27 , 28 के तहत हर धर्म के महत्व को समान रूप से मजबूत करने के लिए 2018 अधिनियम में संशोधन आवश्यक था.

        उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने इस महीने की शुरुआत में मौजूदा कानून में संशोधन करने का फैसला किया था.

        गौरतलब है कि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार अपने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के नक्शेकदम पर चल रही है.

        नवंबर 2020 में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने ‘जबरन’ या ‘धोखाधड़ी’ से धर्म परिवर्तन के खिलाफ अध्यादेश जारी किया था. मार्च 2021 में अध्यादेश एक कानून बन गया था.

        उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2020 के तहत विवाह के लिए छल-कपट, प्रलोभन देकर या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर विभिन्न श्रेणियों के तहत अधिकतम 10 वर्ष कारावास और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है. अध्यादेश निवेश की निगरानी और समीक्षा के तहत सभी अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय होंगे.

        इतना ही नहीं सितंबर माह में उत्तराखंड सरकार ने राज्य में मदरसों का सर्वे कराने की बात कही थी, इससे कुछ ही दिनों पहले उत्तर प्रदेश ने इसी तरह के सर्वे की घोषणा की थी.

        महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण वाला विधेयक पारित

        उत्तराखंड विधानसभा ने बुधवार को महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने वाला विधेयक पारित कर दिया.

        विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन ने उत्तराखंड लोक सेवा (महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण) 2022 विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

        महिलाओं के लिए सामाजिक न्याय, अवसर की समानता, जीवन स्तर में सुधार तथा लोक निवेश की निगरानी और समीक्षा नियोजन में लैंगिक समानता के उददेश्य से लाए गए इस विधेयक को उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को सदन में पेश किया था.

        विधेयक पर सदन में चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इस विधेयक के लिए सरकार की जमकर पीठ थपथपाई.

        विकासनगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि महिला आरक्षण को हाईकोर्ट से नकार दिए जाने के बाद राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इसके पक्ष में मजबूत पैरवी कर उसे बरकरार रखवाया, जिसके लिए उसकी प्रशंसा करनी चाहिए.

        उन्होंने कहा कि इस आरक्षण से प्रदेश की मातृ शक्ति को मजबूती मिलेगी.

        विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने इस विधेयक को एक अच्छा कदम बताया, लेकिन कहा कि विधेयक के अध्ययन के लिए और समय दिया जाना चाहिए, जिससे इसे और मजबूत बनाया जा सके.

        इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विधेयक पर धामी ने कहा कि पहाड़ी राज्य के गठन में महिला शक्ति की बड़ी भूमिका थी और सरकार ने फैसला किया था कि कठिन भौगोलिक क्षेत्र वाले राज्य में महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.

        उन्होंने कहा कि इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सेवाओं में यहां की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले सरकारी आदेश पर उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक को हटा दिया था. जुलाई 2006 में राज्य सरकार ने प्रदेश में यहां की महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया था.

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