आगे अनुबंध

Updated Mon, 11 Jul 2022 11:33 PM IST
शिक्षकों का अनुबंध आगे नहीं बढ़ाएगा नगर निगम
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पास इतना पैसा नहीं है कि वह सभी अनुबंधित शिक्षकों को नौकरी पर रख सके। इसलिए नगर निगम के स्कूलों में पढ़ा चुके अनुबंधित शिक्षकों के अनुबंध को आगे आगे अनुबंध नहीं बढ़ाया जाएगा। इस बात की घोषणा स्थायी समिति अध्यक्ष राधेश्याम शर्मा ने समिति की बैठक में की। उन्होंने कहा कि अगर दिल्ली सरकार शिक्षा के लिए और फंड जारी करे तो हम इन सभी शिक्षकों का आगे अनुबंध अनुबंध बढ़ा देंगे।
बैठक में नेता विपक्ष फरहाद सूरी ने निगम आयुक्त पीके गोयल से पूछा कि वह अनुबंधित शिक्षक मामले पर नगर निगम का रुख साफ करें। इस पर शिक्षा विभाग ने बताया कि दक्षिणी नगर निगम को 7365 शिक्षकों की जरूरत है इनमें से 6235 स्थायी, 250 सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए शिक्षक) और दो सौ से अधिक अनुबंधित शिक्षक (वर्ष 2009 तक) रखे जा चुके हैं। इनके अलावा 350 शिक्षकों की मेडिकल व अन्य जाच की जा रही है जबकि शिक्षकों के तीन सौ से अधिक पद अभी खाली हैं। इन रिक्तियों के लिए वर्ष 2013 तक के अनुबंधित शिक्षकों को समायोजित किया जा रहा है। विद्यार्थियों के मौजूदा अनुपात के अनुसार नगर निगम को शेष अनुबंधित शिक्षकों की जरूरत नहीं है। इन अतिरिक्त शिक्षकों को रखे जाने से नगर निगम पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। जब विपक्ष ने दिल्ली सरकार द्वारा लगभग छह माह पूर्व अनुबंधित कर्मियों को न हटाये जाने संबंधी पत्र के संबंध में पूछा तो आयुक्त ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी पत्र की कोई जानकारी नहीं है। स्थायी समिति के अध्यक्ष ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होती है, इसलिए शिक्षा के लिए निगम को सौ फीसदी फंड मिलना चाहिए। लेकिन दिल्ली सरकार महज 56 फीसदी राशि ही दक्षिणी निगम को देती है। जबकि पूर्ववर्ती सरकार शिक्षा के लिए 70 फीसदी राशि निगम को देती थी। हालाकि चौथे दिल्ली वित्त आयोग में शिक्षा मद में सौ फीसदी राशि देने का प्रावधान किया गया है लेकिन दिल्ली सरकार इसे अमल में नहीं ला रही है। उन्होंने कहा कि निगम स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 4 लाख बच्चों की शिक्षा के लिए सालाना साढ़े चार सौ करोड़ मिलते हैं और खर्च सालाना लगभग 550 करोड़ रुपये का आता है।
नर्सिंग टीचरों को नहीं मिला तीन महीने से वेतन, विज से मिलेंगी
रोहतक ब्यूरो
Updated Mon, 11 Jul 2022 11:33 PM IST
सफीदों। नगर के सरला देवी कन्या कॉलेज में चल रहे नर्सिंग कॉलेज की अध्यापिकाओं को पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। वेतन न मिलने से टीचरों को खाने तक के लाले पड़ गए हैं। वहीं दूसरी ओर इस कालेज में नर्सिंग की शिक्षा ग्रहण कर रही छात्राओं की पढ़ाई बाधित होने की संभावनाएं पैदा हो गई है क्योंकि से अध्यापिकाएं अब बिना सैलरी के काम करने के मूड में नहीं हैं।
वहीं अध्यापिकाओं ने अपनी अनुबंध को आगे बढ़ाने व बकाया वेतन देने की मांग को लेकर गृहमंत्री अनिल विज से मिलने का मन बनाया है। इस कॉलेज में अध्यापन का कार्य कर रही 13 अध्यापिकाओं ने बताया कि वह पिछले कई साल से अध्यापन कार्य में लगी हुईं हैं। शुरू में उन्हें एक साल का अनुबंध दिया गया था। बाद में दो बार तीन-तीन महीने का अनुबंध आगे बढ़ाया गया था। इसके बाद आखिरी बार अनुबंध 31 मार्च को खत्म हो चुका है। उसके बाद उनका अनुबंध अभी तक आगे नहीं बढ़ाया गया है। उन्हे आस थी कि सरकार व विभाग उनके अनुबंध को आगे बढ़ा देगा तथा उनकी बकाया सैलरी भी उन्हे दे दी जाएगी लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। फिर भी वे छात्राओं के भविष्य को देखते हुए उन्हे पढ़ाती रहीं। पिछले साढे तीन महीने से वह लगातार बिना किसी वेतन के कार्य कर रहीं हैं। लगातार साढ़े तीन महीने से बिना वेतन कार्य करने के बाद जब वह उच्चाधिकारियों से मिली तो उन्होंने अपने हाथ खड़े करते हुए कहा कि उनका अनुबंध 31 मार्च को खत्म हो चुका है तथा बिना किसी अनुबंध के वेतन नहीं दिया जा सकता है। अधिकारियों के इस रवैये के कारण वह आज सडक़ पर आ गए है तथा उन्हें घर चलाने से लेकर खाने तक के लाले पड़ गए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि उनका अनुबंध आगे बढ़ाया जाए तथा उनका बकाया वेतन भी दिया जाए।
वहीं अध्यापिकाओं ने बताया कि अब वह इस मामले को लेकर गृहमंत्री अनिल विज से मिलेंगी। वहीं कालेज की छात्राओं का कहना है कि स्टाफ के चले जाने से उनकी पढ़ाई बाधित होगी। अध्यापक पिछले कई दिनों से अपनी कार्यवाही में जुटे हुए है जिसके कारण भी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। अगर अध्यापक ही नहीं रहेंगे तो उनकी पढ़ाई किस प्रकार से हो पाएगी।
सफीदों। नगर के सरला देवी कन्या कॉलेज में चल रहे नर्सिंग कॉलेज की अध्यापिकाओं को पिछले तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है। वेतन न मिलने से टीचरों को खाने तक के लाले पड़ गए हैं। वहीं दूसरी ओर इस कालेज में नर्सिंग की शिक्षा ग्रहण कर रही छात्राओं की पढ़ाई बाधित होने की संभावनाएं पैदा हो गई है क्योंकि से अध्यापिकाएं अब बिना सैलरी के काम करने के मूड में नहीं हैं।
वहीं अध्यापिकाओं ने अपनी अनुबंध को आगे बढ़ाने व बकाया वेतन देने की मांग को लेकर गृहमंत्री अनिल विज से मिलने का मन बनाया है। इस कॉलेज में अध्यापन का कार्य कर रही 13 अध्यापिकाओं ने बताया कि वह पिछले कई साल से अध्यापन कार्य में लगी हुईं हैं। शुरू में उन्हें एक साल का अनुबंध दिया गया था। बाद में दो बार तीन-तीन महीने का अनुबंध आगे बढ़ाया गया था। इसके बाद आखिरी बार अनुबंध 31 मार्च को खत्म हो चुका है। उसके बाद उनका अनुबंध अभी तक आगे नहीं बढ़ाया गया है। उन्हे आस थी कि सरकार व विभाग उनके अनुबंध को आगे बढ़ा देगा तथा उनकी बकाया सैलरी भी उन्हे दे दी जाएगी लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। फिर भी वे छात्राओं के भविष्य को देखते हुए उन्हे पढ़ाती रहीं। पिछले साढे तीन महीने से वह लगातार बिना किसी वेतन के कार्य कर रहीं हैं। लगातार साढ़े तीन महीने से बिना वेतन कार्य करने के बाद जब वह उच्चाधिकारियों से मिली तो उन्होंने अपने हाथ खड़े करते हुए कहा कि उनका अनुबंध 31 मार्च को खत्म हो चुका है तथा बिना किसी अनुबंध के वेतन नहीं दिया जा सकता है। अधिकारियों के इस रवैये के कारण वह आज सडक़ पर आ गए है तथा उन्हें घर चलाने से लेकर खाने तक के लाले पड़ गए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि उनका अनुबंध आगे बढ़ाया जाए तथा उनका बकाया वेतन भी दिया जाए।
वहीं अध्यापिकाओं ने बताया कि अब वह इस मामले को लेकर गृहमंत्री अनिल विज से मिलेंगी। वहीं कालेज की छात्राओं का कहना है कि स्टाफ के चले जाने से उनकी पढ़ाई बाधित होगी। अध्यापक पिछले कई दिनों से अपनी कार्यवाही में जुटे हुए है जिसके कारण भी पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। अगर अध्यापक ही नहीं रहेंगे तो उनकी पढ़ाई किस प्रकार से हो पाएगी।
आधी उम्र पूरी कर चुकीं निजी बसें रोडवेज के अनुबंध में होंगी शामिल, मार्गों पर सफर होगा आसान
चंदौली, जागरण संवाददाता। रोडवेज बस से सफर करने वालों के लिए अच्छी खबर है। जिन मार्गों पर इन बसों का संचालन नहीं हो रहा, उन शीघ्र रोडवेज की बसें चलेंगी। इसके लिए निजी बसों का अनुबंध होगा। परिवहन विभाग ने विभिन्न मार्गों पर पहले से दौड़ रहीं निजी बसों का अनुबंध करने की नियमावली तैयार की है। इसमें निजी बस मालिकों को सहूलियत मिल सकती है। अपनी आधी उम्र पूरी कर चुकीं निजी बसें विभाग में अनुबंध कराने के लिए संचालक को ई-टेंडर प्रक्रिया अपनाना होगा। इस व्यवस्था से सफर आसान होगा।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की रोडवेज बसों को दस से 12 वर्ष तक संचालित किया जाता है। नई अनुबंध नीति में उन डीजल बसों को संचालित करने की अनुमति दी जा रही है, जो पंजीयन तारीख से पांच वर्ष की आयु पूरी कर चुकी हों। वहीं, सीएनजी बस पंजीयन तारीख से आठ वर्ष की आयु पूरी होने तक अनुबंधित की जा सकेंगी। माडल व पंजीयन तारीख में एक वर्ष का अंतर भी मान्य होगा। इससे अब साफ है कि परिवहन विभाग अब उन बसों को संचालित करने जा रहा है, जो अपनी आधी उम्र पूरी कर चुकी हैं।
अनुबंध अवधि दस वर्ष की है, एक माह तक बस गायब होने पर अनुबंध खत्म भी हो सकता है। विभाग ने अपनी वेबसाइट पर अनुबंध की नई नीति अपलोड की है। इसमें रिक्त मार्ग का निर्धारण, योजना की सामान्य शर्तें टेंडर प्रक्रिया, आय की गणना व भुगतान, बस सरेंडर, चालक की व्यवस्था, अनुबंध अवधि में हड़ताल व अनुबंध समाप्ति के क्या आधार होंगे और विवाद का समाधान भी स्पष्ट किया गया है।
बोले अधिकारी : विभाग के निर्देश पर विभिन्न रूटों पर चल रही निजी बसों को अनुबंधित करने की योजना है।अभी निजी बस के संचालक आगे नहीं आ रहे हैं। अनुबंध के लिए ई-टेंडर प्रक्रिया भी विभाग ने चालू कर दी है।- सुनील कुमार, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक।
टिम साउदी ने केंद्रीय अनुबंध से हटने को लेकर दिया जवाब, कहा- बहुत आगे का नहीं सोचा
स्पोर्ट्स डेस्क : न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज टिम साउथी ने संकेत दिया है कि वह निकट भविष्य में केंद्रीय अनुबंध से हटने पर विचार कर सकते हैं। इस बहस ने मार्टिन गप्टिल के बाद बहुत ध्यान आकर्षित किया है जिन्हें काफी समय से किनारे पर रखा गया था और अंततः 23 नवंबर को ब्लैक कैप्स द्वारा उन्हें रिलीज पर दिया गया था। गुप्टिल ही नहीं बल्कि ट्रेंट बोल्ट और कॉलिन डी ग्रैंडहोम भी हाल ही में न्यूजीलैंड के केंद्रीय अनुबंध से मुक्त हुए थे। इसने इन खिलाड़ियों के लिए विदेशी घरेलू टी20 लीग में खेलने के अवसर तलाशने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।
साउथी एक क्रिकेटर के रूप में अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं और उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह न्यूजीलैंड के लिए खेलना जारी रखना चाहते हैं या अपने अंतरराष्ट्रीय करियर पर विराम लगाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो मैंने बहुत आगे का नहीं सोचा है। साउथी ने कहा, 'आने वाले महीनों में बहुत आगे देखने से पहले चिंता करने के लिए पर्याप्त क्रिकेट है, लेकिन यह कुछ ऐसा है जिसके साथ सभी खिलाड़ी बने रहने और खेल के बदलते परिदृश्य के बारे में सोचने की कोशिश कर रहे हैं।'
साउथी ने कहा, 'आप इस समय न्यूजीलैंड क्रिकेट से अनुबंधित हैं और मैं इस साल आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) में वापस आ गया हूं और हम देखेंगे कि आने वाले वर्षों में क्या होता है, लेकिन यह निश्चित रूप से क्रिकेट के परिदृश्य को बदल रहा है। यह दो-तीन साल पहले की बात है।' साउदी ने तीनों प्रारूपों में खेलना जारी रखने पर कहा कि वह तब तक जारी रखने के लिए उत्सुक होंगे जब तक कि उनका 'शरीर अच्छा महसूस न करे'। उन्होंने कहा, 'इस समय शरीर काफी अच्छा महसूस कर रहा है, आप तीनों प्रारूपों में प्रदर्शन करने में सक्षम हैं जिसकी आपको इस स्तर पर आवश्यकता है। मुझे तीनों प्रारूपों में खेलना पसंद है, इसलिए उम्मीद है कि कुछ और समय के लिए ऐसा कर सकता हूं।'
गौर हो कि साउथी भारत के खिलाफ चल रही श्रृंखला में खेल रहे आगे अनुबंध हैं और गेंद के साथ टीम के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। दूसरे एकदिवसीय मैच में जिसका कोई परिणाम नहीं निकला, इस अनुभवी तेज गेंदबाज ने अपने तीन ओवरों में किफायती प्रदर्शन किया और केवल 12 रन दिए थे।