फ्री फॉरेक्स डेमो अकाउंट

स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें

स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें

IPO kya hai? आईपीओ के प्रकार ?

जब कोई फर्म पहली बार अपना सामान्य स्टॉक या शेयर आम जनता को बेचती है। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए सीमित निगम प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) जारी करते हैं। सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी के शेयरों को शेयर बाजार में खरीदा जा सकता है। कंपनी निवेश या विस्तार के लिए धन जुटाने के लिए एक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) शुरू करती है।

जब कोई निगम अपना सामान्य स्टॉक या शेयर पहली बार जनता को जारी करता है, तो इसे प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के रूप में संदर्भित किया जाता है। किसी कंपनी द्वारा आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) करने के दो प्रमुख कारण धन जुटाना और पिछले निवेशकों को लाभ पहुंचाना है।

शेयर बाजार से जुडी हुई हमारी अन्य पोस्ट भी पढ़े।

कंपनियां आईपीओ क्यों देती हैं?

प्राइवेट कंपनी आईपीओ जारी करने के लिए उनके निजी लाभ तो होते ही है लेकिन कोई भी कंपनी आईपीओ मुख्य कारणों से जारी करती है।

  1. जनता से पूंजी जुटा रहे हैं।
  2. कंपनी की सार्वजनिक प्रोफ़ाइल को बढ़ावा देने के लिए।

आईपीओ(IPO) से जुडी कुछ बाते-

  • एक निजी फर्म के शेयरों को ताजा स्टॉक जारी करने में जनता को जारी करने की प्रक्रिया को प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के रूप में जाना जाता है।
  • आईपीओ रखने के लिए, कंपनियों को एक्सचेंजों और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) के मानकों को पूरा करना होगा।
  • आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) कंपनियों को प्राथमिक बाजार में शेयर बेचकर धन जुटाने की अनुमति देते हैं।
  • निवेश बैंकों को कंपनियों द्वारा बाजार में, मांग का मूल्यांकन करने, आईपीओ की कीमत और तारीख निर्धारित करने और अन्य कार्यों के लिए काम पर रखा जाता है।
  • एक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) को कंपनी के संस्थापकों और शुरुआती निवेशकों के लिए अपने निजी निवेश से पूरी तरह कमाई करने के तरीके के रूप में देखा जा सकता है।

आईपीओ के प्रकार

आईपीओ मुख्य दो प्रकार के होते है।

Fixed IPO
सार्वजनिक होने वाली कंपनी एक पूर्व निर्धारित मूल्य चुनती है जिस पर उसके शेयर निवेशकों को निश्चित मूल्य के तहत पेश किए जाते हैं। फर्म के सार्वजनिक होने से पहले, शेयर की कीमत निवेशकों को ज्ञात होती है। बाजार की मांग का पता तब चलता है जब इश्यू बंद हो जाता है। इस आईपीओ के लिए आवेदन जमा करते समय, निवेशक को शेयर की पूरी कीमत का भुगतान करना होगा।

Book Building offering
पब्लिक गोइंग फर्म बुक बिल्डिंग प्रक्रिया के हिस्से के रूप में निवेशकों को शेयरों पर 20% मूल्य बैंड प्रदान करती है। बोली बंद होने के बाद, निवेशक शेयरों पर बोली लगाते हैं, और अंतिम कीमत निर्धारित स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें की जाती है। निवेशकों को उन शेयरों की मात्रा को परिभाषित करना चाहिए जिन्हें वे खरीदना चाहते हैं और साथ ही उनकी मूल्य सीमा भी। एक निश्चित मूल्य की पेशकश के विपरीत, प्रति शेयर कोई पूर्व निर्धारित मूल्य नहीं है। फ्लोर प्राइस सबसे कम शेयर मूल्य को संदर्भित करता है, जबकि कैप मूल्य उच्चतम शेयर मूल्य को संदर्भित करता है। अंतिम शेयर मूल्य निर्धारित करने के लिए निवेशक बोलियों का उपयोग किया जाता है।

मैं आईपीओ में कैसे निवेश कर सकता हूं-

IPO में निवेश करने से पहले आप आईपीओ के लिए पात्र होने जरूरी है।

आईपीओ में आवेदन करने की पात्रता-

  • आप वर्ष से ऊपर होने जरूरी है।
  • आपके पास पैनकार्ड होना चाहिए।
  • आपके पास एक्टिव डीमैट अकाउंट होना आवश्यक है।

एक्टिव डीमैट अकाउंट होने पर ही आप अपने ब्रोकर के माद्यम से आईपीओ ले सकते है।

IPO Kya Hota Hai | आईपीओ कैसे खरीदें

आईपीओ (IPO) का पूरा नाम है- प्रथम जन प्रस्ताव (Initial Public Offering) हैं | जब एक कंपनी पहली बार अपने शेयर को जनता के उपलब्ध करवाती हैं तो वह शेयर बाजार या स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड होती हैं तो उसे आईपीओ कहते हैं. लिमिटेड कंपनियों द्वारा IPO इसलिए जारी किया जाता है जिससे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें वह शेयर या निवेश बाजार में सूचीबद्ध हो सके, शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी के शेयरों की खरीद और बिक्री शेयर बाजार में हो पाती है | कंपनी अपना निवेश या विस्तार करने की हालत में फण्ड इकट्ठा करने के लिए आईपीओ (IPO) जारी करती है |

एक निजी कंपनी अपने शेयर लोगो बेचती है जो लोग शेयर खरीद कर कंपनी के शेयरधारक बन जाते है। इस प्रकर कोई कंपनी अपने शेयरों का व्यापार करने लग जाती है और अब निजी कम्पनी पर सार्वजनिक रूप से शेयरधारकों का स्वामित्व भी हो जाता है । आईपीओ (IPO) के जरिए कंपनी अपना नाम स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज कराती है।

आईपीओ (IPO ) में जब एक कंपनी अपने सामान्य स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तो उसे IPO कहा जाता है | एक फर्म (Firm) के IPO शुरू करने के दो मुख्य कारण पूंजी जुटाना और पहले से निवेशकों को समृद्ध करना है |

Table of Contents

आईपीओ (IPO ) दो प्रकार के होते है

निर्धारित मूल्य आईपीओ (Fixed Price IPO) –

निर्धारित मूल्य IPO को जारी मूल्य के रूप में संदर्भित किया जा सकता है जो कुछ कंपनियां अपने शेयरों की शुरूआती बिक्री के लिए निर्धारित करती हैं | निवेशकों को उस कंपनी के शेयरों की कीमत के बारे में पता चलता है जिन्हें वह कंपनी सार्वजनिक करने का फैसला करती है | इश्यू बंद होने के बाद बाजार में शेयरों की मांग (demands) का पता लगाया जा सकता है | यदि निवेशक इस IPO में हिस्सा लेते हैं, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे आवेदन करते समय वो शेयरों की पूरी कीमत का भुगतान करें |

बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)

बुक बिल्डिंग आईपीओ के मामले में IPO शुरू करने वाली कंपनी निवेशकों को शेयरों पर 20% मूल्य का बैंड प्रदान करती है | इच्छुक निवेशक अंतिम कीमत तय होने से पहले शेयरों पर बोली लगाते हैं | और यहां निवेशकों को उन शेयरों की संख्या निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है जिन्हें वो खरीदना चाहते हैं और वह राशि जो वे प्रति शेयर भुगतान करने को तैयार हैं |

सबसे कम शेयर की कीमत को फ्लोर प्राइस (floor price) के रूप में जाना जाता है और उच्चतम स्टॉक मूल्य को कैप प्राइस (cap price ) के रूप में जाना जाता है | शेयरों की कीमत के संबंध में अंतिम निर्णय निवेशकों की बोलियों द्वारा निर्धारित किया जाता है |

आईपीओ में निवेश कैसे करें

अपनी तरफ से रिसर्च करें, जितना अच्छे से हो सके उतना करे |

आईपीओ (IPO ) में किसी के बोलने पर निवेश न करें, क्योंकि आपका जानकार या दोस्त ऐसा कह रहा है। आपको अपने स्तर पर भी उस आईपीओ के बारे में रिसर्च करना होगा। इसमें शामिल हो सकते हैं |

– लिस्टेड होने वाली कंपनी द्वारा को सार्वजनिक किए गए फ़ाइनेंशियल डेटा की जाँच करें। जो नंबर और डेटा कंपनी सार्वजानिक करती है वो आंकड़े सीमित और ज्यादातर कंपनी के द्वारा पक्षपात पूर्ण होते हैं।

– चूँकि, इस प्रकार के डाटा का किसी थर्ड-पार्टी द्वारा ऑडिटर नहीं किया जाता है, इसलिए इन पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता।

– फिर भी, कुछ ऐसे आकड़े होते हैं जो आपको कंपनी के पिछले कुछ वर्षों के स्थिति को बताएगा। PE Ratio, EPS, NAV जैसे मेट्रिक्स की सहायता ले सकते हैं।

– इसके अलावा, आप Google पर जाएं, कंपनी का नाम टाइप करें और “News” टैब पर जाएं। यहां आप इस कंपनी के नवीनतम मीडिया रिलीज देख सकते हैं। आप पहले देख पाएंगे कि यह कंपनी न्यूज़ में क्यों है।

– आप पिछले १ साल से ६ महीनो तक खबरों की जांच कर सकते हैं और मार्केट में उस कंपनी का योगदान रहा, भविष्य को लेकर और मार्किट में उसकी क्या पहचान है इसके बारे में आईडिया प्राप्त कर सकते हैं।

– स्टॉक मार्केट से जुडी यूट्यूब पर हज़ारो वीडियो है उनको देखे और ब्लॉग भी पढ़ सकते है । यहाँ आप इस शेयर मार्केट एक्सपर्ट द्वारा कंपनी के IPO के बारे कि अलग-अलग राय देंगे।

– शेयर मार्केट पर उसका आईपीओ लिस्टेड होने से पहले कंपनी द्वारा दिए गए प्रॉस्पेक्टस को पढ़ें। समय के साथ, आपको यह पता चल जाएगा कि किस चीज को देख कर उसका भविष्य कैसा रहेगा उसका अंदाजा आप आसानी से लगा पाएंगे और निर्णय लेने के क्या लिए आपके लिए महत्वपूर्ण हैं

यह एक सामान्य उद्देश्य स्तर पर रिसर्च का एक बहुत अच्छा सारांश देगा।

आईपीओ (IPO) में निवेश करने के लिए आप यहाँ क्लिक करे

आगामी आईपीओ सूची 2022

जब बाजार की स्थिति में सुधार होता है, तो हम उम्मीद कर सकते हैं कि कई कंपनियां अपने IPO ला सकती हैं। हम कुछ ऐसी ही कंपनियों को सूचीबद्ध कर रहे हैं जिनके 2022 में IPO के साथ आने की पूरी संभावना है।

History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

History of Stock Exchange: कभी बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी भारतीय शेयर बाज़ार की शुरुआत

आमतौर पर निवेशकों के लिए शेयर बाज़ार आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाला एक शब्द बन चुका है. लेकिन Stock Exchange को लेकर अब भी कई लोगों के मन में कई सवाल हैं, जैसे कि इसके काम करने का तरीका क्या है? इसकी शुरुआत कैसे हुई? आदि. आज हम यहां, बाज़ार से जुड़े इस शब्द, Stock Exchange का पूरा विशलेषण करेंगे. जिससे निवेशकों को उनके हर सवाल का सटीक उत्तर मिल पाए.

ऐसे शुरू हुआ भारत में Stock Exchange

भारत को आज़ादी मिलने से 107 वर्ष पहले ही देश में शेयर बाज़ार की नींव पड़ चुकी थी. मुंबई स्थित टाउनहॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे शेयरों का सौदा किया जाता था. इस स्थान पर लगभग 22-25 लोग इकट्ठा होकर शेयरों की खरीद और बिक्री में जुटते थे. साल दर साल निवेशकों की संख्या में आई वृद्धि के बाद, वर्ष 1875 में Stock Exchange के ऑफिस का निर्माण हुआ, जो आज दलाल स्ट्रीट के नाम से मशहूर है. वहीं सरकार द्वारा 1980 में Security and Exchange Board of India (SEBI) की स्थापना से इस सिस्टम में पारदर्शिता लाई गई.

कैसे लिस्ट होती है शेयर बाज़ार में कंपनियां?

Stock Exchange को आसान शब्दों में समझें, तो यह वो जगह है जहां स्टाॅक्स, बाॅन्ड्स, कमोडिटी की खरीद और बिक्री की जाती है. Stock Exchange एक ज़रिया है, जो निवेशकों और कंपनी के बीच काम करता है. जैसे किसी कंपनी को अगर फंड जुटाना हो, तो वह Stock Exchange में खुद को सूचीबद्ध करवाती है. इस प्रक्रिया पर आखिरी फैसला SEBI लेती है, जिसके बाद निवेशकों के कंपनी में निवेश के द्वार खुल जाते हैं. आपको बता दें, कि शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध होने की इस प्रक्रिया को Initial Public Offering (IPO) कहते हैं.

भारत में कितने हैं Stock Exchange?

वैसे तो ज़्यादातर लोग सिर्फ National Stock Exchange (NSE) और Bombay Stock Exchange (BSE) ही जानते होंगे. मगर भारत में इन दोनों के अलावा भी 21 अन्य Stock Exchange भी थे, जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सीमा पर काम करते थे. वहीं 8 Stock Exchange और भी हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं. इनमें से 20 क्षेत्रीय एक्सचेंज, अब SEBI के नए नियमों के आने के बाद बंद हो गए. बंद हुए एक्सचेंज की सूची में Ahmedabad Stock Exchange, Chennai Stock Exchange, Pune Stock Exchange, U.P Stock Exchange आदि का नाम शामिल हैं.

क्यों खास है BSE और NSE?

भारत में BSE और NSE दो काफी महत्वपूर्ण शेयर बाज़ार हैं. इनमें लिस्टेड कंपनियों के शेयर, निवेशक या ब्रोकर सीधे तौर पर खरीदते और बेचते हैं. बात BSE की करें, तो यह वर्ष 1875 से मुंबई स्थित दलाल स्ट्रीट में है और विश्व के 10वें सबसे बड़े Stock Exchange का सूचकांक है, Sensex. इसकी स्थापना करने वाले Premchand Raichand को 'बिग बुल' के नाम से जाना जाता है. वहीं दूसरी ओर NSE की बात करें, तो यह भारत का पहला पूर्णतः कंप्यूटराइज्ड Stock Exchange है. वर्ष 1992 में स्थापित NSE स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें की खासियत ये है कि, इसके सूचकांक को देखकर भारतीय अर्थव्यवस्था की एक झलक देखी जा सकती है. आपको बता दें, कि NSE का सूचकांक Nifty 50 है.

कैसे करें स्टाॅक्स में निवेश?

आम भाषा में समझें, तो शेयर मतलब हिस्सा और बाज़ार वो जगह जहां ग्राहक खरीददारी करता है. अब शेयर बाज़ार में निवेश को ऐसे समझें, कि कोई निवेशक NSE में सूचीबद्ध कंपनी के शेयर खरीदता है, जो कंपनी ने जारी किए हैं, तो उस निवेशक का कंपनी के खरीदे हुए शेयर के आधार पर उतना मालिकाना हक हुआ. शेयर की खरीद और बिक्री निवेशक की बुद्धि पर निर्भर करती है. हालांकि कई बार निवेशक ब्रोकर की भी मदद लेते हैं. शेयर बाज़ार में मौज़ूद स्टाॅक्स में निवेश के लिए, निवेशकों को सबसे पहले एक डीमैट खाता खुलवाना होता है. जो आपके बैंक खाते से लिंक होकर, चाहे ब्रोकर के माध्यम से या खुद स्टाॅक्स की खरीद और बिक्री के माध्यम से मदद करेगा. वहीं वित्तीय समझ की स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें बात करें, तो आज भी Stock Exchange से प्रभावित निवेशकों की सुबह, बाज़ार के उतार-चढा़व देखकर ही होती है.

क्यों आता है शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव?

ऐसा देखा गया है, कि कई बार शेयर बाज़ार में मौज़ूद कंपनियों के स्टाॅक्स या शेयर में ज़बरदस्त उछाल या गिरावट दिखती है. तो आपको बता दें, कि इस अचानक से आए हुए बदलाव की वजह कंपनी, अर्थव्यवस्था या वैश्विक स्तर की हलचल होती है. जैसे किसी कंपनी को अचानक मिला या छिना कोई आर्डर, कंपनी का मूल्यांकन, बाज़ार से जुड़ी शर्तों की अवहेलना, आदि. वहीं शेयर बाज़ार के पास, कंपनियों के दुर्व्यवहार करने पर गैर सूचीबद्ध करने का भी अधिकार होता है.

आज़ादी के बाद से कितना बदला Stock Exchange

आज़ादी से लेकर वर्तमान तक की बात करें, तो Stock Exchange और इसका काम करने का तरीका अब पहले से काफी स्पष्ट है. हालांकि नए-नए तरीकों से शेयर बाज़ार की ओर ध्यान आकर्षित करने में आज बाज़ार काफी आगे है. फिर चाहे मोबाइल फोन के माध्यम से निवेश हो या वेबसाइट पर जाकर कंपनियों का विशलेषण. आज के समय में Zerodha , Upstox, Groww आदि कुछ ऐसे ऐप्स उपलब्ध हैं, जो ऑनलाइन ट्रेडिंग को रफ़्तार देने में कामयाब हैं. वहीं इस तरह की पहल से आजकल के युवाओं में भी शेयर्स को लेकर उत्साह देखा जा सकता है. तो ऐसा कह सकते हैं, कि बरगद की छांव में शुरू हुआ Stock Exchange आज निवेशकों को वित्तीय छांव दे रहा है.

शेयर बाजार में सेकेंडरी मार्केट क्या होता है? – What is Secondary market in Hindi

अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं। तो आपको यह जानना जरूरी है कि सेकेंडरी मार्केट क्या होता है? What is secondary market in Hindi इसके अलावा शेयर बाजार से जुड़ी अन्य जानकारियां भी आपको होनी चाहिए। एक्टिव और नर्वस मार्केट, और शेयर का विश्लेषण का विस्तार से यहां जानेंगे।

सेकेंडरी मार्केट क्या होता है? – What is Secondary market in Hindi

सेकेंडरी मार्केट (Secondary market) पर संस्थागत या रिटेल निवेशक स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध शेयर की खरीद-फरोख्त करते हैं। कोई भी कंपनी प्राइमरी मार्केट के द्वारा आईपीओ, पब्लिक इश्यू, राइट इश्यू इत्यादि सेकेंडरी मार्केट में ही लेकर आती है।

निवेशकों को शेयर आवंटित होने के बाद इन शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया जाता है। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के बाद यह शेयर को ट्रेडिंग यानी कि व्यापार के लिए यह सेकेंडरी मार्केट में होते हैं। सेकंड हैंड मार्केट में शेयर की खरीद-फरोख्त के लिए ट्रेडिंग अकाउंट और डिमैट अकाउंट होना आवश्यक है।यानी कि सेकेंडरी मार्केट में स्टॉक एक्सचेंज अहम कड़ी होती है।

सेकेंडरी मार्केट में स्टॉक एक्सचेंज की भूमिका – Impact of Secondary Market in Stock exchange

भारत सरकार द्वारा साल 1956 में सिक्योरिटीज एंड रेगुलेशन एक्ट के अंतर्गत स्टॉक एक्सचेंज को मान्यता प्रदान की गई थी।साधारण शब्दों में कहा जाए तो स्टॉक एक्सचेंज ब्रोकर और बाजार जानकारों का एक समूह होता है। इसके द्वारा ही शेयर की खरीदारी और बिकवाली की जाती है।

प्राइमरी मार्केट या प्राथमिक बाजार द्वारा लाए गए आईपीओ (IPO – initial public offering), राइट टू यीशु के शेयर का आवंटन होने के पश्चात इनकी ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा सेकेंडरी मार्केट पर की जाती है। वर्तमान समय में भारत में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSC) और मुंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSC) दो ऐसे स्टॉक एक्सचेंज है, जिन पर शेयर की ट्रेडिंग मुख्य तौर पर की जाती है। What is Secondary market in Hindi

शेयर ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज के मेंबर होते हैं।ब्रोकर अपने क्लाइंट्स की सहमति से उनके लिए शेयर या अन्य सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग करता है। ब्रोकर या दलाल क्लाइंट्स द्वारा किए गए सौधे पर ब्रोकरेज या कमीशन प्राप्त करता है। ब्रोकर अपने क्लाइंट को निवेश की सलाह और क्लाइंट के पोर्टफोलियो प्लान और मैनेज भी करते हैं। वे अपने कस्टमर के लिए मार्जिन पर खरीदारी की सुविधा भी मुहैया करवाते हैं। निवेशक ब्रोकर के पास ऑफलाइन और ऑनलाइन ट्रेडिंग कर सकते हैं। ऑफलाइन ट्रेड में ब्रोकर को फोन के जरिए आर्डर देना होता है। जबकि ऑनलाइन में निवेशक खुद ही ट्रेड कर सकता है। What is Secondary market in Hindi

एक्टिव और नर्वस मार्केट

सेकेंडरी मार्केट में जब कुछ शेयर की खरीद-फरोख्त बड़ी मात्रा में और बहुत थोड़े अंतराल में होती है तब उसे एक्टिव या सक्रिय बाजार कहते हैं। एक्टिव मार्केट में शेयर किए खरीददार और विक्रेता के मूल्य में बहुत कम अंतर होता है। सक्रिय मार्केट में खरीदार ज्यादा खरीदारी करते हैं।

जब शेयर बाजार में राजनीतिक, आर्थिक या सरकारी पॉलिसी में फेरबदल के चलते अनिश्चितता का माहौल रहता है तो उसे नर्वस मार्केट कहते हैं। ऐसे माहौल में शेयर मार्केट में हल्की गिरावट आ सकती है। मार्केट में खरीदारी भी कम होने लगती है।

शेयर बाजार का विश्लेषण

शेयर बाजार के फंडामेंटल या वैज्ञानिक विश्लेषण होते हैं। जो किसी भी शेयर की कीमत का फंडामेंटल आकलन करता है।विश्लेषक किसी भी कंपनी का विश्लेषण उसकी फंडामेंटल को देखते हुए करते हैं। जैसे कंपनी का बिजनेस मॉडल, उसका मैनेजमेंट, इंडस्ट्री की गति, सेल प्रॉफिट, प्रॉफिट एंड लॉस, बैलेंस शीट, संपत्ति, देनदारी, इपीएफ, प्रोडक्शन, कंपीटीटर इत्यादि। शेयर बाजार में लंबी अवधि के लिए निवेश करने के लिए इन सारी चीजों की जानकारी होना अति आवश्यक होता है। What is Secondary market in Hindi

Admin Desk हम हिंदी भाषा में यहां सरल शब्दों में आपको ज्ञानवर्धक जानकारियां उपलब्ध कराने की कोशिश करते हैं। ज्यादातर जानकारी है इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा में मौजूद है। हमारा उद्देश्य आपको हिंदी भाषा में बेहतर और अच्छी जानकारी उपलब्ध कराना है।

Archean Chemical IPO Opens Today: आज खुलने जा रहे नए आईपीओ में करना चाहिए निवेश? जानें- सबकुछ

कंपनी पब्लिक इश्यू के जरिए 1,462.3 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है, जिसमें 805 करोड़ रुपये के शेयरों का ताजा इश्यू और प्रमोटरों और निवेशकों द्वारा 1.61 करोड़ इक्विटी शेयरों की बिक्री की पेशकश शामिल है।

Archean Chemical IPO: GMP Today

बाजार के जानकारों के मुताबिक, आज ग्रे मार्केट में आर्कियन केमिकल के शेयर 60 रुपये के प्रीमियम (जीएमपी) पर चल रहे हैं। स्टॉक का जीएमपी इस बात का संकेत देने में मदद कर सकता है कि आईपीओ की निवेशक भावना उसके प्रदर्शन को कैसे प्रभावित कर सकती है। एक मजबूत जीएमपी लिस्टिंग लाभ की उच्च संभावना का संकेत देता है जबकि एक कमजोर जीएमपी यह संकेत देता है कि किसी कंपनी के शेयर किसी भी लाभ के साथ सूचीबद्ध नहीं हैं। कंपनी के शेयरों के सोमवार, 21 नवंबर, 2022 को प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई पर सूचीबद्ध होने की उम्मीद है।

Archean Chemical IPO: क्या आपको करना चाहिए निवेश?

ब्रोकरेज और एनालिस्ट इस इश्यू को लेकर ज्यादातर सकारात्मक बने हुए हैं, हालांकि उन्होंने इसके महंगे वैल्यूएशन को लेकर सावधानी बरतने की चेतावनी दी है।

आर्कियन केमिकल के बारे में

आर्कियन केमिकल इंडस्ट्रीज भारत में विशेष समुद्री रसायनों का एक अग्रणी निर्माता है, और दुनिया भर के ग्राहकों को ब्रोमीन, औद्योगिक नमक और पोटाश के सल्फेट के स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कैसे करें उत्पादन और निर्यात पर केंद्रित है। यह गुजरात के तट पर स्थित कच्छ के रण में अपने नमकीन भंडार से अपने उत्पादों का उत्पादन करता है, और गुजरात में हाजीपीर के पास अपनी सुविधा में उत्पादों का निर्माण करता है।

IIFL सिक्योरिटीज, ICICI सिक्योरिटीज और JM फाइनेंशियल पब्लिक इश्यू के बुक-रनिंग लीड मैनेजर हैं। लिंक इनटाइम इंडिया को आईपीओ का रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है।

देश और दुनिया की ताज़ा खबरें सबसे पहले न्यूज़ 24 पर फॉलो करें न्यूज़ 24 को और डाउनलोड करे - न्यूज़ 24 की एंड्राइड एप्लिकेशन. फॉलो करें न्यूज़ 24 को फेसबुक, टेलीग्राम, गूगल न्यूज़.

रेटिंग: 4.78
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 533
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *