आरंभिक निवेश

रंगीन मछलियों से मिला रोजगार
सौंदर्य संबंधी आनंद और भाग्यशाली होने के विश्वास, तनाव को कम करने तथा अन्य कारणों से राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में शोभाकारी मछलियों की मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इस क्षेत्र में शोभाकारी मछलियों के पालन में लगे लोगों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। चाहे यह शौक के लिए हो या सौंदर्य प्रेम के लिए हो या वित्तीय लाभ के लिए, अनेक लोग शोभाकारी मछली पालन को वाणिज्यिक स्तर पर अपना रहे हैं। इसके लिए अपेक्षाकृत सरल तकनीक उपलब्ध होने के नाते इस विधा में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रभावी रोजगार के अवसर सृजित करने की बहुत क्षमता है। इसके साथ ही कम समय में न्यूनतम जोखिम से इस प्रक्रम द्वारा अतिरिक्त आय ली जा सकती है।
शोभाकारी मछली पालन खेतिहर महिलाओं के लिए एक नई तकनीक है जिसमें समय और निवेश कम लगता है लेकिन लाभ अधिक होता है और इसके साथ ही जल की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में राष्ट्रीय कृषि नमोन्मेष परियोजना (एनएआईपी) के लागू होने से पूर्व किसान शोभाकारी मछली पालन आरंभिक निवेश से अवगत नहीं थे। आईजीए के एक अंग के रूप में परियोजना की आरंभिक निवेश संबंधी सहायता से शोभाकारी मछली पालन का कार्य सीमेंट के पक्के टैंक/सिस्टर्न बनाकर शुरू किया गया और इनमें शोभाकारी मछलियों (मॉली, गप्पी और सॉर्ड टेल) की उपयुक्त प्रजातियों का पालन शुरू किया गया। खेतिहर महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया तथा उन्हें बेंगलुरू के आस-पास स्थित मात्स्यिकी इकाइयों का भ्रमण भी कराया गया। उन्हें इनका सुनिश्चित बाजार भी दिखाया गया। ऑरनामेंटल फिश ग्रोवर एसोसिएशन के गठन से उनके अग्रगामी तथा पश्चगामी सम्पर्क स्थापित हुए जिससे एनएआईपी की सहायता से शुरू हुई 70 ऐसी इकाइयों को शोभाकारी मछलियों के अच्छे मूल्य सुनिश्चित हुए। कर्नाटक फिशरीज़ डवलपमेंट या एक्वेरियम कॉरपोरेशन की दुकानों पर ये शोभाकारी मछलियां 8 रु. प्रति मछली की औसत दर से सीधी बेची गई। मेलों में खेतिहर महिलाएं/स्वयं सहायता समूह ग्राहकों को 6 या 8 इंच के प्यालों में आहार के एक पैकेट (25 ग्रा. के) और शोभाकारी जलीय पौधे की एक टहनी के साथ 150 रु. की दर पर बेचती हैं। 500 लीटर के सीमेंट के 2 टैंक में से प्रत्येक से प्रति वर्ष 24,634 रु. का सकल लाभ हुआ तथा इस पर लगी कुल लागत 14,398 रु. थी। इसमें दो श्रमिकों, फिंगरलिंग, आहार, जल आदि पर हुआ व्यय भी शामिल है। अल्प समय, कम श्रम और न्यूनतम जोखिम के साथ निवेश के द्वारा खेतिहर महिलाओं को इस उद्यम से प्रतिवर्ष 10,235 रु. का लाभ हुआ। (स्रोत : कृषि महाविद्यालय कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बेंगलुरू-560 065)
Share Bazar Mein Safal Kaise Hon?
यह पुस्तक प्रसिद्ध वित्तीय सलाहकार महेश चंद्र कौशिक का एक उत्कृष्ट कार्य है, जो खुदरा निवेशकों पर केंद्रित है और उन्हें निवेश के बारे में कारगार सुझाव देती है। लेखक ने इसमें बहुत सरल भाषा का प्रयोग किया है और तकनीकी शब्दों के प्रयोग से बचते हुए इसे समझने में सुगम और पढ़ने में दिलचस्प बना दिया है। यह पुस्तक पढ़ने के बाद आप समझ जाएँगे कि क्यों कुछ लोग हमेशा शेयर बाजार से पैसे बनाते हैं और कुछ लोग हमेशा शेयरों में पैसे गँवाते हैं। यदि आप इस पुस्तक को कदम-दर-कदम पढ़ेंगे और इसमें दिए सुझावों का पालन करेंगे तो आप शेयर बाजार में कभी नुकसान नहीं उठाएँगे। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप जानेंगे कि कैसे शेयर बाजार में 100 डॉलर का एक आरंभिक निवेश बीस वर्षों में 7,18,03,722 डॉलर हो सकता आरंभिक निवेश है।
Rajnath Singh
मैं 13वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन के इस सत्र में भाग ले रहे सभी राज्यों के आदरणीय मुख्यमंत्रियों का स्वागत करता हूं। मैं इस अवसर पर ढ़ाई करोड़ प्रवासी भारतीयों की कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं जिसने उनकी कार्य संस्कृति, अनुशासन और स्थानीय समुदाय के साथ सफल एकीकरण के लिए दुनिया भर में आदर कमाया है। आप सच में भारत की अदम्य भावना का मूर्त रूप हैं जिस पर हम सबको गर्व है।
आज से ठीक एक सौ वर्ष पहले आधुनिक युग में सत्य एवं अहिंसा की उज्ज्वल मशाल यानी महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आए थे। जैसा कि आप सभी जानते हैं गांधीजी की भारत वापसी ने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष को दिशा दी।
महात्मा गांधी को विश्वास था कि राजनीतिक आजादी से ही देश का सामाजिक एवं आर्थिक कायाकल्प तथा सांस्कृतिक पुनरुद्धार होगा। खादी और स्वदेशी के लिए गांधी जी का आह्वान अर्थव्यवस्था में कमी की समस्या से निपटने और जनता में विश्वास की भावना जगाने का प्रयास था। स्वदेशी के बिना स्वराज अधूरा होगा जिससे मोटे तौर पर हमारे देश की आर्थिक ओजस्विता के महत्व का पता चलता है।
जब श्री अटल बिहारी जी भारत के प्रधानमंत्री बने तो उन्हें हमारी अर्थव्यवस्था में कमी की समस्याओं का सामना करना पड़ा। वे हमारी अर्थव्यवस्था को कमी की अर्थवस्था से आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था में बदलने में सफल रहे। उन्होंने सुशासन एवं विकास को अपनी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता बनाया तथा उन्होंने इस प्रयास में जनता की भागीदारी सुनिश्चित की। विदेश रह रहे भारतीयों से जुड़ना श्री अटल जी की ही परिकल्पना थी जिसने इस वार्षिक समागम को जन्म दिया और 2003 में पहला प्रवासी भारतीय सम्मेलन आयोजित किया गया। यह आयोजन महात्मा गांधी के अपनी मातृभूमि वापस लौटने के ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है तथा प्रवासी भारतीय दिवस की सफलता आरंभिक निवेश प्रत्येक प्रवासी में भारतीयता की भावना भरना है।
महात्मा गांधी कहते थे कि भारत उसके कुछ शहरों में नहीं बल्कि उसके सात सौ हजार गांवों में बसता है और वह बात आज भी सत्य है। एक तरफ शहरीकरण में तीव्र वृद्धि ने शहरों में नए अवसर पैदा किए हैं तथा दूसरी तरफ हमारे गांव भी पीछे नहीं छोड़े जा सकते। विकास की प्रक्रिया को हमारे देश के दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंचाना है तथा दूरदराज के क्षेत्रों में हमारे गांवों को भी विकास के दायरे में लाया जाना चाहिए। अगर हम अपने ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने में नाकाम रहे तो इससे हमारे समाज के अधिकतर तबकों में अलगाव और दुख की भावना पैदा होगी।
भारत की समृद्धि की संभावना उसके गांवों, शहरों और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की आर्थिक वृद्धि में निहित है। सुशासन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वस्त्र क्षेत्र में भारत की सफलता से लेकर पर्यटन में आकर्षक क्षेत्रों की संभावना तलाशने के लिए पारंपरिक एवं नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी होकर ही प्रत्येक राज्य की सफलता से राष्ट्र की शक्ति एवं प्रतिष्ठा बढ़ाई जा सकती है। इसीलिए राज्यों में निवेश के अवसरों पर आज के सत्र का विशेष महत्व है।
लोकतंत्र में हम सामूहिक बुद्धि और सामूहिक जिम्मेवारी का पालन करते हैं। कोई भी राज्य अपने आप में द्वीप नहीं है तथा सभी राज्यों में और केंद्र एवं राज्यों के बीच सक्रिय सहयोग एवं संबंध होना चाहिए। हम यहां इस बारे में अपने विचार एवं अनुभव साझा करने के लिए एकत्र हुए हैं कि यह महान राष्ट्र अधिक प्रगति एवं समृद्धि के पथ पर कैसे बढ़ सकता है।
केंद्र एवं राज्यों को अपने लोगों के सपने एवं आकांक्षाएं पूरी करने के लिए एक दिशा में मिलकर काम करने की जरूरत है। केंद्र में श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार ने अर्थव्यवस्था को फिर पटरी पर लाने के लिए अनेक उपाय किए हैं। हमारे पास आशावाद के अनेक कारण हैं क्योंकि हम निवेशकों का भरोसा हासिल करने के लिए निरंतर सुधारात्मक उपाय कर रहे हैं। सरकार ने अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने और हमारी आर्थिक वृद्धि के इंजन को चालू करने के लिए अनेक नीतिगत उपाय किए हैं।
LIC की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) : मुख्य बिंदु
इस IPO का आकार 16.2 करोड़ इक्विटी शेयरों का है लेकिन 47.77 करोड़ इक्विटी शेयरों के लिए बोलियां प्राप्त हुई हैं। इसका श्रेणी-वार सब्सक्रिप्शन इस प्रकार से है:
- पॉलिसीधारक – इस हिस्से को आवंटित कोटा का 6.11 गुना सब्सक्राइब किया गया है।
- कर्मचारी – इस हिस्से को आवंटित कोटे का 4.39 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है।
- खुदरा निवेशक – इस हिस्से को आवंटित कोटा का 1.99 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है।
- क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स – इस हिस्से को आवंटित कोटे का 2.83 गुना सब्सक्राइब किया गया है।
- गैर-संस्थागत निवेशक – इस हिस्से को आवंटित कोटा का 2.91 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है।
बोलीदाताओं को शेयर कब आवंटित किए जाएंगे?
12 मई को इस IPO के बोलीदाताओं को शेयरों का आवंटन किया जाएगा। 17 मई, 2022 को इसे स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध किया जाएगा।
शेयरों का प्राइस बैंड क्या है?
LIC द्वारा निर्गम के लिए 902-949 रुपये प्रति इक्विटी शेयर तय किया गया था। पात्र कर्मचारियों के साथ-साथ खुदरा निवेशकों को प्रति इक्विटी शेयर पर 45 रुपये की छूट मिली। पॉलिसीधारकों को प्रति शेयर 60 रुपये की छूट मिली।
प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (I nitial Public Offering – IPO) क्या है?
एक IPO जनता को शेयरों की पेशकश करने की एक प्रक्रिया है जिसमें एक कंपनी पहली बार नए जारी किए गए शेयरों की पेशकश करती है। IPO का उपयोग कंपनियों के लिए नई इक्विटी पूंजी उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। IPO के माध्यम से कंपनी के संस्थापकों जैसे निजी शेयरधारकों के निवेश का मुद्रीकरण (monetization) किया जा सकता है। IPO की पेशकश और सूचीबद्ध होने के बाद शेयरों का स्टॉक एक्सचेंजों पर स्वतंत्र रूप से कारोबार होता है।