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विदेशी निवेश

विदेशी निवेश
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: October 23, 2022 12:37 IST

विदेशी निवेश

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विदेशी निवेश को आकर्षित करने क .

Solution : विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत की केंद्र एवं राज्य सरकारों ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं
(i) औद्योगिक क्षेत्र या विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की है। इन क्षेत्रों में विश्व स्तरीय सुविधाएँ-बिजली, पानी, सड़क, परिवहन, भंडारण, मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
(ii) इन क्षेत्रों में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कंपनियों को पहले के पाँच वर्षों तक कोई कर नहीं देना पड़ता।
(iii) श्रम कानूनों को लचीला बनाया गया है। कंपनियाँ श्रमिकों को छोटी अवधि के लिए नियुक्त कर सकती है।

विदेशी निवेशकों को भारत पसंद: विदेश से आया रिकॉर्ड तोड़ 83.57 अरब डॉलर का निवेश, इस सेक्टर में बंपर इन्वेस्टमेंट

विदेशी निवेश (Foreign investment) के मामले में भारत के लिए एक अच्छी खबर विदेशी निवेश आई है। विदेशी निवेशक देश में जमकर निवेश कर रहे हैं। निवेश के लिए भारत पसंदीदा देश बनता जा रहा है।

विदेशी निवेशकों को भारत पसंद: विदेश से आया रिकॉर्ड तोड़ 83.57 अरब डॉलर का निवेश, इस सेक्टर में बंपर इन्वेस्टमेंट

FDI Inflow: जहां एक तरफ महंगाई के मोर्चे पर लगातार बुरी खबर आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ विदेशी निवेश (Foreign investment) के मामले में भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है। विदेशी निवेशक देश में जमकर निवेश कर रहे हैं। निवेश के लिए भारत पसंदीदा देश बनता जा रहा है। दरअसल, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में देश में रिकॉर्ड तोड़ विदेशी निवेश आया है। इसकी जानकारी कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय ने दी है। मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश विदेशी निवेश यानी एफडीआई (FDI) हासिल किया है, जो अब तक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे अधिक है।

सिंगापुर से आया सबसे ज्यादा FDI
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर की अब तक का सबसे ज्यादा सालाना एफडीआई आया है।’’ इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में एफडीआई इनफ्लो 81.97 अरब अमेरिकी डॉलर था। भारत विदेशी निवेश में निवेश करने वाले प्रमुख निवेशक देशों के मामले में सिंगापुर 27 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद अमेरिका है जो कि 18 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर और 16 फीसदी के साथ मॉरीशस तीसरे का स्थान है।

इस सेक्टर में सबसे अधिक निवेश
मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबकि, ‘‘मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भारत बहुत तेजी से विदेशी निवेश के लिए पसंदीदा देश के रूप में तेजी से उभर रहा है।’’ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एफडीआई इक्विटी इनफ्लो 2020-21 (12.09 अरब डॉलर) की तुलना में 2021-22 में (21.34 अरब डॉलर) 76 प्रतिशत बढ़ा है। मंत्रालय के मुताबिक, भारत में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के सेक्टर में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश देखने को मिला है। इसके बाद सबसे अधिक विदेशी निवेश सर्विस सेक्टर और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को मिला है।

विदेशी निवेश एक बार फिर Share Market का सेंटीमेंट बिगाड़ने पर तुले, दो महीने में इतने हजार करोड़ निकाले

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों के खरीदार बने रहने से शेयर बाजारों को मजबूती मिल रही है।

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: October 23, 2022 12:37 IST

FPI inflows - India TV Hindi News

Photo:FILE FPI inflows

Highlights

  • अक्टूबर में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपये की निकासी की
  • सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ की निकासी की
  • डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो अब तक का सबसे निचला स्तर

Share Market से विदेशी निवेशक लगातार दूसरे महीने बिकवाली कर रहें हैं। सितंबर के बाद अक्टूबर में भी विदेशी विदेशी निवेश निववेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि वे एक बार फिर से भारीतय बाजार का सेंटीमेंट बिगाड़ने पर तुले हुए हैं। इससे पहले लगातार नौ महीने बिकवाल रहने के बाद जुलाई में विदेशों निवेशों ने पैसा लगााना शुरू किया था। देशी निवेशकों ने इस महीने में अब तक भारतीय शेयर बाजारों से करीब 6,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। सितंबर में एफपीआई ने भारतीय बाजारों से करीब 7,600 करोड़ रुपये की निकासी की थी।

रुपया टूटने से निकासी को बल

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ रही गिरावट से इस निकासी को बल मिला। इसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफपीआई) ने वर्ष 2022 के कैलेंडर साल में अब तक कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर ली है। कोटक सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि आने वाले समय में भी एफपीआई की गतिविधियों के उतार-चढ़ाव से भरपूर रहने की ही स्थिति दिख रही है। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक जोखिम बने रहने, मुद्रास्फीति के ऊंचे स्तर और बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि की उम्मीद से एफपीआई की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है।

ज्यादा बिक्री करने की संभावना नहीं

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, "एफपीआई के निकट अवधि में ज्यादा बिक्री करने की संभावना नहीं है लेकिन डॉलर में कमजोरी आने के बाद ही वे खरीदार की स्थिति में लौटेंगे। इस तरह एफपीआई का रुख अमेरिकी मुद्रास्फीति के रुझान और फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नजरिये पर निर्भर करेगा।" डिपॉजिटरी आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने अक्टूबर में अब तक 5,992 करोड़ रुपये की निकासी भारतीय बाजार से कर ली है। यह जरूर है कि पिछले कुछ दिनों में उनकी निकासी की मात्रा में थोड़ी गिरावट आई है।

घरेलू निवेशकों से मजबूती मिल रही

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि एफपीआई की बिकवाली के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों और खुदरा निवेशकों के खरीदार बने रहने से शेयर बाजारों को मजबूती मिल रही है। विजयकुमार ने कहा, "अगर एफपीआई पहले बेचे गए शेयर को ही आज के समय में खरीदना चाहेंगे तो उन्हें उसकी बढ़ी हुई कीमत चुकानी होगी। यह अहसास नकारात्मक माहौल में भी एफपीआई की बिकवाली को रोकने का काम कर रहा है।" डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के सख्त रुख से एफपीआई के बीच बिकवाली का जोर रहा था। अपसाइड एआई की सह-संस्थापक कनिका अग्रवाल ने कहा, "भारत से संबंधित किसी जोखिम के बजाय डॉलर को मिल रही मजबूती विदेशी निवेशकों की इस निकासी की मुख्य वजह रही है।"

डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से विदेशी निवेश नीचे

बीते सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपया 83 रुपये से भी नीचे पहुंच गया जो कि इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है। एफपीआई ने खास तौर पर वित्त, एफएमसीजी और आईटी क्षेत्रों विदेशी निवेश में बिकवाली की है। इक्विटी बाजारों के अलावा विदेशी निवेशकों ने ऋण बाजार से भी अक्बूटर में 1,950 करोड़ रुपये की निकासी की है।

विदेशी निवेश

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भारत में विदेशी निवेश तथा विदेशों में भारतीय निवेश के मामलों में फेमा फेरा से अधिक उदार था।

FDI : अप्रैल-जून में विदेशी निवेश 6 फीसदी घटकर रहा 16.59 अरब डॉलर, जानिए किस क्षेत्र में लगाया गया ज्यादा पैसा

देश में वित्त वर्ष 2023 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान में FDI इक्विटी इनफ्लो 6 फीसदी घटकर 16.59 अरब डॉलर रहा.

अप्रैल-जून की अवधि के दौरान 5.7 अरब डॉलर FDI के साथ सिंगापुर शीर्ष इनवेस्टर के रूप में उभरा कर आया है. वहीं, मॉरीशस से इस अवधि के दौरान 2.4 अरब डॉलर, संयुक्त अमीरात अरब से 2.2 अरब डॉलर, नीदरलैंड से एक अरब डॉलर और जापान से 85.1 करोड़ डॉलर का निवेश आया.

  • News18Hindi
  • Last Updated : September 01, 2022, 15:40 IST

हाइलाइट्स

वित्त वर्ष 2023 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान में FDI इक्विटी इनफ्लो 6 फीसदी घटकर 16.59 अरब डॉलर रहा.
पिछले वित्त वर्ष इसी अवधि के दौरान देश में एफडीआई इक्विटी इनफ्लो 17.56 अरब डॉलर था.
चालू वित्त वर्ष के शुरुआती तीन महीने के दौरान कुल एफडीआई इनफ्लो 22.34 अरब डॉलर रहा.

नई दिल्ली. देश में वित्त वर्ष 2023 की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (FDI) इक्विटी इनफ्लो 6 फीसदी घटकर 16.59 अरब डॉलर रहा. डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) ने बुधवार को जारी अपने एक डेटा में यह जानकारी दी. वहीं, पिछले वित्त वर्ष इसी अवधि के दौरान देश में एफडीआई इक्विटी इनफ्लो 17.56 अरब डॉलर था.

चालू वित्त वर्ष के शुरुआती तीन महीने के दौरान कुल एफडीआई इनफ्लो 22.34 अरब डॉलर रहा. इसमें इक्विटी इनफ्लो, इनकम का निवेश और अन्य पूंजी शामिल है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 22.52 अरब डॉलर रहा था.

सिंगापुर 5.7 विदेशी निवेश अरब डॉलर एफडीआई के साथ टॉप पर
अप्रैल-जून की अवधि के दौरान 5.7 अरब डॉलर के एफडीआई के साथ सिंगापुर शीर्ष इनवेस्टर के रूप में उभरा कर आया है. वहीं, मॉरीशस से इस अवधि के दौरान 2.4 अरब डॉलर, संयुक्त अमीरात अरब से 2.2 अरब डॉलर, नीदरलैंड से एक अरब डॉलर और जापान से 85.1 करोड़ डॉलर का निवेश आया.

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में सबसे ज्यादा हुआ निवेश
आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सर्वाधिक 3.5 अरब डॉलर का एफडीआई कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में आया. इसके बाद सर्विसेज में 2.6 अरब डॉलर, ट्रेडिंग में 2 अरब डॉलर, केमिकल्स में 96 करोड़ डॉलर, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में 69.1 करोड़ डॉलर और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में 68 करोड़ डॉलर का निवेश आया.

साल 2021 में FDI 45 अरब डॉलर रहा
वहीं, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) साल 2021 में 19 अरब डॉलर घटकर 45 अरब डॉलर रहा. हालांकि, इसके बावजूद देश एफडीआई के मामले में टॉप-10 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है. व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की विश्व निवेश रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पिछले साल एफडीआई सुधरकर महामारी से पहले के स्तर पर आ गया था. यह करीब 1,600 अरब डॉलर रहा.

हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक एफडीआई को लेकर इस साल संभावना अच्छी नहीं है. वर्ष 2022 और उसके बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के कारण सुरक्षा तथा मानवीय संकट, इससे उत्पन्न वृहत आर्थिक झटकों, ऊर्जा एवं खाद्य पदार्थों के दाम में तेजी तथा निवेशकों में अनिश्चितता से प्रभावित होगा.

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