विकल्प रणनीति

इन शेयरों पर ब्रोकरेज फर्मों ने दी खरीद की राय, क्या आप कर रहें है निवेश
सिटी ने वेदांता पर Sell रेटिंग दी है और इसके लिए 235 रुपये प्रति शेयर का लक्ष्य दिया है। ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि बोर्ड ने 17.5 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड को मंजूरी दी है
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Today Top Brokerage views - सीएनबीसी-आवाज़ आपके लिए रोजाना बड़े और दिग्गज ब्रोकरेज हाउसेज के निवेश टिप्स प्रस्तुत करते हैं जिससे आपको शेयरों पर निवेश करने की सटीक सलाह प्राप्त हो सके और आपको मुनाफा हो सके। इन शेयरों पर मुनाफा कमाने के लिए ब्रोकरेज हाउसेज ने क्या रणनीति अपनाई है ये भी बताते हैं। आज दिग्गज ब्रोकरेज हाउसेज की नजर Lupin, Vedanta, Maruti Suzuki और LTIMindtree जैसे स्टॉक्स पर टिकी हैं।
Lupin पर Citi
सिटी ने ल्यूपिन पर खरीद की राय दी है और स्टॉक के लिए 840 रुपये का टारगेट दिया है। gSpiriva को मंजूरी मिलती है तो कंपनी को 500-700 मिलियन डॉलर के मार्केट में मौके है। gSpiriva से मार्जिन में 10% से बढ़कर 17-18% जाने की क्षमता है। स्टॉक में मौजूदा स्तर से नीचे विकल्प रणनीति जाने की संभावन कम है और अमेरिका में फ्लू सीजन से फायदा होगा। Suprep Can से तीसरी तिमाही के मार्जिन पर असर है।
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Vedanta पर Citi
सिटी ने वेदांता पर Sell रेटिंग दी है और इसके लिए 235 रुपये प्रति शेयर का लक्ष्य दिया है। ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि बोर्ड ने 17.5 रुपये प्रति शेयर के विकल्प रणनीति डिविडेंड को मंजूरी दी है। FY23 में कंपनी का कुल 3.2 अरब डॉलर का डिविडेंड आउटफ्लो रहा है। FY23 में Hind Zinc ने कुल 1.25 अरब डॉलर का डिविडेंड दे रही है। कंपनी का डिविडेंड यील्ड आकर्षक रहा है। कमोडिटी कीमतों अगर बढ़ती हैं तो डिविडेंड यील्ड पर्याप्त नहीं होगा। एल्यूमीनियम और जिंक का आउटुलक अगले कुछ महीनों में सुस्त रह सकता है। कैप्टिव कोयला ब्लॉक शुरू होने में देरी हो सकती है।
LTIMindtree पर Citi
सिटी ने LTIMindtree पर Sell रेटिंग दी है और इसके लिए 4501 रुपये का लक्ष्य दिया है। सिटी का कहना है कि एम्प्लॉई एट्रिशन, इंट्रिग्रेशन प्रक्रिया की रफ्तार पर नजर होगी। मध्यम अवधि में सिनर्जी पर खास नजर होगी । फिलहाल मैक्रो फैक्टर चुनौतीपूर्ण है और छोटी अवधि में थोड़ी समस्या हो सकती है।
Maruti Suzuki पर UBS
यूबीएस पर मारुति सुजुकी पर खरीदारी की राय दी है और स्टॉक में 12000 रुपये का लक्ष्य दिया है। ब्रोकरेज का कहना है कि कड़े नियम से आगे चलकर भारत में डीजल कारें महंगी हो सकती हैं। रियल-वर्ल्ड ड्राइविंग एमिशन (RDE) नॉर्म्स अप्रैल 2023 से शुरू होगा। भारत में डीजल कारों की डिमांड में कंपनी की 33% हिस्सेदारी है। डीजल के विकल्प से आगे बढ़ना कंपनी के लिए बड़ा पॉजिटिव होगा।
(डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से विकल्प रणनीति पहले सार्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।
Sujata Yadav
Tags: # share markets
First Published: Nov 23, 2022 11:27 AM
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चिनफिंग ने किया आगाह: ताइवान के लिए चीन बल प्रयोग का विकल्प नहीं छोड़ेगा
बीजिंग, 16 अक्टूबर (भाषा) चीन की सत्ता में रिकॉर्ड तीसरी बार एवं संभवत: आजीवन रहने को तैयार राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने रविवार को आगाह किया कि ताइवान को मुख्य भूभाग में फिर से मिलाने के लिए चीन ‘बल प्रयोग करने का विकल्प नहीं छोड़ेगा।’ इतना ही नहीं, उन्होंने राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकासात्मक हितों की रक्षा के लिए देश की सेना के आधुनिकीकरण को विश्व स्तर के मानकों के अनुरूप करने का संकल्प लिया।
ताइवान खुद को एक संप्रभु देश मानता है, लेकिन चीन इस स्वशासित द्वीप को अपने देश का ही एक अलग हुआ हिस्सा मानता है और चीन ने ताइवान को अपने भूभाग में मिलाने के लिए बल के संभावित इस्तेमाल से इनकार नहीं किया है।
चिनफिंग ने सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के प्रत्येक पांच वर्ष में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर कहा, ‘‘हम बल प्रयोग का विकल्प नहीं छोड़ेंगे और सभी अलगाववादी आंदोलनों को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेंगे।’’ ऐसी संभावना है कि चिनफिंग को छोड़कर, दूसरे नंबर के नेता एवं प्रधानमंत्री ली क्विंग सहित पार्टी के सभी शीर्ष नेताओं को कांग्रेस के दौरान बदल दिया जाएगा या उनमें फेरबदल किया जाएगा, क्योंकि चिनफिंग के नेतृत्व वाला प्रशासन 10 साल का कार्यकाल पूरा कर रहा है।
हालांकि, ऐसी उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस चिनफिंग के रिकॉर्ड तीसरी बार पद पर बने रहने का समर्थन करेगी, क्योंकि उन्हें पहले ही पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के समान ‘मुख्य नेता’ घोषित किया जा चुका है।
जिस वक्त चिनफिंग ने ताइवान को चीन के मुख्य भूभाग में विलय का संकल्प लिया, कांग्रेस में हिस्सा ले रहे 2,300 से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि देर तक तालियां बजाते रहे।
सीपीसी के महासचिव चिनफिंग ने कहा कि पार्टी को ताइवान मुद्दे को सुलझाने के लिए अपनी रणनीति पर दृढ़ रहना चाहिए और ताइवान के चीन में विलय को लेकर दृढ़ संकल्पित होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘ताइवान का मुद्दा चीन का मामला है। यह ऐसा मामला है, जिसे चीनियों को ही सुलझाना चाहिए।’’ अगस्त में अमेरिकी नेता नैन्सी पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने ताइवान द्वीप के इर्द-गिर्द गहन सैन्य अभ्यास किया और मिसाइलें दागीं, जिससे यह चिंता उत्पन्न हो गई थी कि चीन आक्रमण के लिए जमीन तैयार कर सकता है।
चिनफिंग ने कहा कि इतिहास का पहिया चीन के पुनर्मिलन और चीनी राष्ट्र के कायाकल्प की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम जलडमरूमध्य के दोनों ओर के लोगों को चीनी संस्कृति को बढ़ावा देने और घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।’’ चिनफिंग ने राष्ट्रीय रक्षा तथा सेना को और आधुनिक बनाने पर भी जोर दिया।
अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान, चिनफिंग ने सेना को मजबूत करने के लिए व्यापक सुधार किए हैं।
चिनफिंग ने कहा कि चीन पड़ोसी देशों के साथ दोस्ताना संबंध और आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा और सेना को और आधुनिक बनाने पर जोर दिया।
चिनफिंग ने कहा कि हर मामले में एक आधुनिक समाजवादी देश बनाने के लिहाज से वर्ष 2027 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की स्थापना के शताब्दी वर्ष के लक्ष्यों को हासिल करना और सेना को तेजी से विश्व स्तरीय बनाना एक राणनीतिक काम है।
उन्होंने कहा कि सीपीसी निर्देशों का पालन कराने के लिए सेना पर अपने नियंत्रण को और मजबूत करेगी तथा पार्टी संस्थाओं और प्रणाली में सुधार करेगी ताकि अंतिम जवाबदेही केंद्रीय मिलिट्री आयोग (सीएमसी) के पास रहे। चीन की 20 लाख मजबूत सेना की सर्वोच्च इकाई सीएमसी है और चिनफिंग राष्ट्रपति और पार्टी महासचिव होने के साथ-साथ सीएमसी के भी चेयरमैन हैं। चिनफिंग ने कहा कि चीन ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसी सहयोग प्रणाली को अधिक असरदार बनाने और उभरते बाजारों और विकासशील देशों के बेहतर प्रतिनिधित्व और इनकी वैश्विक मामलों में अधिक हिस्सेदारी के लिए काम कर रहा है।
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IND vs NZ: हार्दिक पंड्या का ये बयान संजू सैमसन के लिए ‘फिल गुड’ जैसा है
Hardik Pandya on Sanju Samson: न्यूजीलैंड में बारिश से प्रभावति रही 3 T20 मैचों की सीरीज हार्दिक पंड्या की कप्तानी वाली टीम इंडिया ने 1-0 से जीत ली. पहला मुकाबला बारिश की वजह से धुल गया था दूसरे में इंडिया 65 रन से जीती थी जबकि तीसरा मैच भी बारिश के कारण पूरा नहीं हो पाया औऱ इंडिया को 1-0 से विजेता घोषित किया. आखिरी मैच में शानदार गेंदबाजी करने वाले मोहम्मद सिराज (Mohammed Siraj) प्लेयर ऑफ द मैच तथा सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav) को प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया. इंडिया की जीत के अलावा एक सवाल जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहा वो था विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन (Sanju Samson) का प्लेइंग XI से बाहर होना. मैच के बाद हुए प्रेस कांफ्रेंस में कप्तान हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) ने संजू सैमसन से जुड़े सवालों का जवाब दिया.
संजू पर हार्दिक का जवाब
प्रेस कांफ्रेंस में हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) से जब संजू सैमसन को प्लेइंग XI में नहीं चुने पर सवाल किया गया तो उनका कहना था, ‘निश्चित रुप से एक खिलाड़ी के तौर पर प्लेइंग XI में नहीं होना विकल्प रणनीति निराश करता है, हम भी संजू (Sanju Samson) को टीम में खिलाना चाहते थे लेकिन वे हमारी प्लानिंग में फिट नहीं हो पाए. ये सीरीज भी छोटी थी जिस वजह से उन्हें मौका नहीं मिला. मैच ज्यादा होते तो निश्चित रुप से उन्हें मौका मिलता.’
कब मिलेगा सैमसन को मौका?
सैमसन को टीम में मौका दिए जाने के सवाल पर हार्दिक का कहना था कि, ‘वे जल्दी जल्दी टीम में बदलाव करने का प्रयास नहीं करते हैं और आगे भी उनकी रणनीति यही रहेगी. संजू को आगे जरुर मौका मिलेगा और लंबे समय के लिए मिलेगा.’ इस बयान से ऐसा मालूम होता है कि पंत की नाकामी जारी रही तो जल्द ही संजू को लंबे समय के लिए टीम इंडिया प्लेइंग xi में एंट्री मिल सकती है.
Sanju Samson/@ twitter
ऑलराउंडर्स पर फोकस
हार्दिक पंड्या T20 में, जिसकी कमान भविष्य में उन्हीं को मिलने की संभावना है, में ऐसे खिलाड़ियों पर फोकस करना चाहते हैं जो बल्लेबाजी के साथ साथ गेंदबाजी का विकल्प भी दे सके. गिल और सैमसन पर दीपक हुड्डा को तरजीह मिलना इसी बात की ओर इशारा करता है. हार्दिक की ये रणनीति कारगर भी रही थी. हुड्डा ने दूसरे T20 में बल्लेबाजी में तो कुछ खास नहीं किया था लेकिन गेंदबाजी करते हुए 4 विकेट झटके थे.
किम ने एटमी हथियारों को बताया जायज, बोला- अपने ‘बच्चों’ की रक्षा के लिए जरूरी
News18 हिंदी 3 दिन पहले News18 Hindi
© News18 हिंदी द्वारा प्रदत्त "किम ने एटमी हथियारों को बताया जायज, बोला- अपने ‘बच्चों’ की रक्षा के लिए जरूरी"
प्योंगयांग. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने एक बार फिर पूरी दुनिया को अपने परमाणु हथियार प्रोग्राम के जारी रहने का साफ संकेत देते हुए कहा कि अमेरिकी हमले से ‘हमारे बच्चों’ को बचाने के लिए परमाणु हथियार जरूरी हैं. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने रविवार को ये जानकारी दी है. किम की बेटी के पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आने के एक दिन बाद उत्तर कोरियाई तानाशाह की यह टिप्पणी आई है. कहा जा रहा है कि किम ने सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) विकास के औचित्य पर जोर देने के लिए बेटी को सार्वजनिक तौर पर पेश किया.
एनके न्यूज की एक खबर के मुताबिक परमाणु हथियारों के विकास के लिए इस तर्क को दिए जाने के बाद अब ये साफ हो गया कि तानाशाह किम ने शुक्रवार को ह्वासोंग-17 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) के प्रक्षेपण में अपनी बेटी को सार्वजनिक रूप से मौजूद रखने का विकल्प क्यों चुना. जबकि कुछ विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि किम ने अपनी बेटी को अपना उत्तराधिकारी बनाने की योजना की रणनीति के तहत पहली बार सार्वजनिक रूप से पेश किया.
विकल्प रणनीति
यह कहानी है वर्ष 1671 के मार्च के महीने की जब लगभग पूरे देश पर बाहरी आक्रांताओं के आक्रमण चरम पर थे।
अहोम राजा स्वर्गदेव चक्रध्वज सिंघा बर्बर आक्रमणकारियों के हाथों अपने पूर्ववर्ती राजा जयध्वज सिंघ की अपमानजनक हार के बाद अहोम शिविर में नवीनतम घटनाओं की जानकारी के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे थे। बाहरी खतरों और आक्रमणकारियों को सफलतापूर्वक दूर रखकर अहोम वंश ने लगभग चार शताब्दियों तक ब्रह्मपुत्र घाटी पर निर्विवाद शासन किया। 17वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अहोम राजवंश सम्राट शाहजहां के साथ सीधे संघर्ष में शुरू कर रहा था। कोच और कमता राज्य पश्चिम में मुगल और पूर्व में अहोम के बीच मध्यस्थ शक्ति की तरह थे। मुगलों ने कोच साम्राज्य पर हमले करके क्षेत्र का तत्काल विलय करना शुरू कर दिया।
एक तरफ अहोम और दूसरी तरफ मुगलों के बीच अब अंतहीन सैन्य संघर्ष शुरू हो गया था। अहोम साम्राज्य पर मुगलों द्वारा सत्रह बार हमले किये गए। लेकिन मुगल यहां तलवार के बल पर अपना शासन स्थापित करने में कभी सफल नहीं हो सके। अहोम साम्राज्य के खोए हुए क्षेत्रों को लड़कर पुन: प्राप्त करने के लिए अपनी सेना को पुनर्गठित कर पाते, इससे पहले आक्रमणकारियों के हाथों हार के दु:ख और अपमान ने जयध्वज सिंघा का जीवन छीन लिया। इसलिए अहोम साम्राज्य की खोई प्रतिष्ठा बहाल करने के लिए चक्रध्वज पूरी कोशिश कर रहे थे। भूमि पर लड़ने में मुगल सैनिक पारंगत थे, दूसरी ओर अहोम सैनिकों ने इस क्षेत्र के जल-निकायों के माध्यम से दुश्मन को भगाने में अपने पारंपरिक ज्ञान का सबसे अच्छा उपयोग किया। चक्रध्वज सिंघ शुरू में उलझन में थे कि मुगलों के खिलाफ अहोम सेना का नेतृत्व करने के लिए किसे प्रभारी बनाया जाए। अंतत: वे अहोम सेना के एक युवा सैनिक पर केंद्रित हो गए। युवा सैनिक के पास न केवल दुश्मन से लड़ने के लिए अच्छी काया थी बल्कि वह युद्ध की रणनीति में भी अच्छी तरह अनुभवी था। वह थे लाचित बरफुकन। लाचित गुरिल्ला युद्ध में अच्छी तरह प्रशिक्षित थे और अतीत में सफल लड़ाइयों का नेतृत्व कर चुके थे। दुश्मन को शिकस्त देने के उनके जुनून ने उन्हें राजा चक्रध्वज सिंघ के लिए एकदम सही विकल्प बना दिया था।
मुगलों के साथ आगे की लड़ाई की तैयारियों के संबंध में लाचित के पास पहले से ही तैयार योजना थी। मुगलों को पहले जमीन पर करारी हार चखा कर विशाल ब्रह्मपुत्र नदी के पानी की ओर मोड़ना था, जहां से वे कभी अहोम साम्राज्य में कदम रखने की हिम्मत नहीं कर सकें। मुगल पहले ही गुवाहाटी में भूमि के एक बड़े हिस्से पर अपने स्वामित्व का दावा कर चुके थे। लाचित के तहत अहोम सेना के लिए यह जीवन-मृत्यु की स्थिति बन गई थी। लड़ाई से कुछ दिन पहले तेज बुखार और शारीरिक कमजोरी से लाचित पीड़ित हो गए थे। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने सैनिकों को विकल्प रणनीति निर्देश जारी किए कि जब तक युद्ध की तैयारियां पूरी नहीं हो जातीं तब तक बिल्कुल न सोएं। लचित ने पहले ही उन्हें युद्ध की विभिन्न रणनीतियों के बारे में समझा दिया था ताकि मुगलों को जमीन पर सफलतापूर्वक हराने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे की ओर धकेला जा सके।
सेना को तद्नुसार मुगलों को ब्रह्मपुत्र के उत्तरी तट पर स्थित सराईघाट नामक स्थान की ओर ले जाने के लिए निर्देशित किया गया। सराईघाट की अनूठी भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए लाचित ने यह निर्णय लिया। ब्रह्मपुत्र अत्यंत चौड़ी नदी है जो सराईघाट में संकीर्ण हो जाती है। इसलिए अहोम की नौसेना की रक्षा के लिए स्वाभाविक रूप से सराईघाट आदर्श और उपयुक्त स्थान था। मतलब यह कि ब्रह्मपुत्र की चौड़ाई ने अहोम सेना को दुश्मन के जहाजों पर नजर रखने और गुरिल्ला हमलों के साथ उन्हें आश्चर्यचकित करने के लिए सबसे लाभप्रद स्थान प्रदान किया था।
सराईघाट की प्रसिद्ध लड़ाई (1671) भारतीय इतिहास में उल्लेखनीय है क्योंकि यह एकमात्र नौसैनिक युद्ध था जो नदी के तट पर लड़ा गया था। अत्यंत साहसी और दृढ़ अहोम सेना अंतत: मुगलों को सराईघाट के पानी में वापस धकेलने में सक्षम हो गई थी, जहां उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने जल्द ही आत्मसमर्पण कर दिया और असम व दक्षिण-पूर्व एशिया सहित पूरा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र हमेशा के लिए मुगल खतरे से मुक्त हो गया था। असम के लोगों की लोकप्रिय सामाजिक और सांस्कृतिक कल्पना में लाचित बरफुकन का नाम अंकित हो गया।