निष्क्रिय आय विकल्प

वॉरेन बफेट कहते हैं, “ यदि आप सोते समय पैसे कमाने का कोई रास्ता नहीं खोज सकते हैं, तो आप मरते दम तक काम करेंगे। “
मधुमक्खी पालन : ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढानें हेतु एक बेहतरीन विकल्प
शहद और इसके उत्पादों की बढती मांग के कारण मधुमक्खी पालन एक लाभदायक एवं आकर्षक व्यवसाय बनता जा रहा है। इसमे कम समय, कम लागत व कम पूंजी निवेश की जरूरत होती है। मधुमक्खी पालन फसलों के परागण में सहायक होकर फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि करता है। मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले कम से कम एक वर्ष का योजना प्रारूप तैयार करना चाहिए।
मधुमक्खी पालन व्यवसाय में आवश्यक सामग्री :
लकड़ी का बॉक्स, बॉक्स फ्रेम, जालीदार कवर, दस्तानें, चाकू, शहद रिमूविंग मशीन और ड्रम इत्यादि।
मधुमक्खियों का आवास :
मधुमक्खियों का घर यानि मधुमक्षिकागृह एक लकड़ी का बना बॉक्स/संदूक होता है, जिसमें दो खण्ड होते है। नीचे के तीन-चौथाई खण्ड को शिशु खण्ड कहते है क्योंकि इसमें रखे छते में अण्डे, शिशु तथा स्वयं मक्खियों के लिए अशुद्ध शहद एवं पराग संचित रहता है। ऊपर के एक-चौथाई खण्ड में मधुमक्खिया शहद जमा करती है, इसे मधु कक्ष कहते है।
दोनो खण्डो के बीच एक जालीदार अवरोध रहता है, जिसमें से श्रमिक मधुमक्खिया तो एक खण्ड से दूसरे खण्ड में आ और जा सकती है परन्तु रानी मधुमक्खी नहीं। लकड़ी का यह बॉक्स चारों तरफ से बंद रहता है केवल नीचे के तल में एक छिद्र होता है, जिसमें से एक बार में केवल एक मधुमक्खी अंदर अथवा बाहर आ जा सकती है।
मधुमक्खियों का पोषण :
मधुमक्खियों को पोषण पराग व मकरंद द्वारा होता है, जो ये विभिन्न फूलों से प्राप्त करती है। फूल की बनावट, मकरंद संग्रहित करने की क्षमता, पेड़-पौंधो की आयु तथा फूल का स्थान कई अन्य कारक है जो मकरंद के निर्माण को प्रभावित करते है। ऋतु के अनुसार मधुमक्खियों को भोजन के लिए उपलब्ध पेड़-पौंधो की अलग उपयोगिता है।
आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरण संतुलन के पेड़-पौंधे जैसे – शोभाकारी फूल, सब्जियॉ (टमाटर, बैंगन, मिर्च, लौकी, करेला, ककड़ी आदि) एवं फल (लीची, अमरूद, नींबू, पपीता आदि) सभी दलहनी एवं तिलहनी फसलें, बरसीम एवं रिजका जैसे पौष्टिक चारे, नीम, जामुन, सहजन, शहतूत, शीशम, ऑवला, रीठा, बहेड़ा, खैर, इमली, कचनार आदि व्यवसायिक एवं औषधीय पौधो से मधुमक्खियों को पराग व मकरंद प्रचुर मात्रा में मिल जाता है।
पराग व मकरंद प्राकृतिक रूप से पर्याप्त नही मिलने की स्थिति में मधुमक्खियों के लिए कृत्रिम भोजन की व्यवस्था की जाती है। कृत्रिम भोजन के रूप में एक पात्र में चीनी का घोल लेकर उसे मौनगृह में रख देते है। इसके अलावा मधुमक्खियों को कृत्रिम भोजन के रूप में असप्लिमेंट दिया जा सकता है। इसे बनाने के लिए लगभग 100 ग्राम साबुत उड़द अंकुरित करके पीस लिया जाता है। इस पीसी हुई दाल में दो चम्मच चीनी मिलाकर एक मिश्रण तैयार कर लेते है। यह मिश्रण मधुमक्खियों के लिए भोजन के रूप में प्रयोग में लिया जा सकता है।
मधुमक्खियों द्वारा मधु/शहद तैयार करना :
एक बॉक्स में कम से कम 5000 से 6000 मधुमक्खिया रखी जा सकती है, जिनमें से एक रानी मधुमक्खी, कुछ सैनिक तथा कुछ वर्कर होती है। रानी मधुमक्खी एक दिन में 1500 से 2000 अण्डे देती है। फूल आने के समय आम तौर पर जनवरी-फरवरी से अप्रैल-मई तक खेतों और बगीचों में बॉक्स रखे जाते है।
तीन किलोमीटर की रेंज तक मधुमक्खिया फूलों से पराग व मकरंद लाकर बक्से में भरती है। वर्कर मधुमक्खिया अपने पंखो से लाये रस को सुखाती है और शहद तैयार होता है। प्रोसेसिंग इकाई में शहद रिमूविंग मशीन के द्वारा छत्तों से शहद निकाल कर ड्रम में भर लिया जाता है।
मधुमक्खियों की सुरक्षा :
मधुमक्खी पालन व्यवसाय करने वाले को मधुमक्खियों के शत्रुओ के बारे में भी जानकारी होना आवश्यक है, ताकि वह इनकी रक्षा कर सकें। मौनगृह में पनपने वाले शत्रु मुख्य रूप से मोमी पतंगा, चींटीया, बर्र, डेगन फ्लाई, मकड़ी, माइट, बीटल और जूं इत्यादि है। इनके नियंत्रण के लिए निम्न उपाय किये जाने चाहिए -
- शीत ऋतु के बाद जैसे ही गर्मी शुरू हो सभी मौनगृहों को खोल कर धूप लगाए और तलपटों को पूरी तरह साफ कर देंवे।
- मोमी पतंगो से ग्रसित छत्तों को 60 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान वाले पानी में 4-5 घण्टे तक रखने से सुरंगो में पल रहे इस कीडे़ की इल्लियॉ मर जाती है।
- प्रभावित छत्तों को आधा घण्टे तक धूप में रखें, जिससे इल्लियॉ बाहर निकल आयें। छत्तों को ठण्डाकर बॉक्स के अन्दर रख देंवे।
- कीडे़ लगे छत्तों पर इथाइलिन ब्रोमाइड व काबर्न टेट्रा क्लोराइड के मिश्रण का छिड़काव करें।
- निष्क्रिय मौसम में किसी कारणवश यदि मधुमक्खियों की संख्या कम हो जायें तो छत्तों की संख्या कम कर देंवे ताकि प्रत्येक छत्ता मधुमक्खियों से ढ़का रहे।
शहद का उपयोग :
- शहद खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है।
- शहद धमनियों में खून की सफाई करता है तथा गले के संक्रमण रोकने में भी लाभदायक है।
- बच्चों को शहद देंने से उनकी याददाश्त बढ़ती है।
- एक चम्मच शहद ताजे मक्खन के साथ लेने से बुखार नही होता।
- खांसी, जुकाम, रक्तचाप, नेत्र विकार, पेट सम्बन्धी बिमारियों की दवाईयों एवं सौंदर्य प्रसाधनों में शहद का प्रयोग किया जाता है।
विरेन्द्र कुमार 1 और राजबाला चौधरी 2
1 कृषि अधिकारी, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
2 विद्या वाचस्पति, श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर जयपुर (राजस्थान)
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पैसिव इनकम क्या है और पैसिव इनकम कैसे करें? | What is Passive income and how to make Passive income in Hindi
What is passive income and how to make passive income in 2021?
हम लोगों को एक पारंपरिक व्यवसाय की आदत हैं छोटे से हम अपने बड़ो से सुनते आरहे हैं की आप जितना समय व्यापार में दोगें आप को उतना ही मिलेगा और हम अपनी मानसिकता उसी तरह बना लेते हैं और हम अपने पारंपरिक व्यवसाय को उसी तरह से करना शुरु कर देते हैं या फिर किसी जॉब की ९ से ५ बजे के कर्तव्य पूरा कर रहे होते। इसी तरह हम सारा जीवन निकाल देते हैं।
वॉरेन बफेट कहते हैं, “ यदि आप सोते समय पैसे कमाने का कोई रास्ता नहीं खोज सकते हैं, तो आप मरते दम तक काम करेंगे। “
वॉरेन बफेट के इस स्टेटमेंट में वह कहना चाहते हैं की आप यदि घंटे के हिसाब से पैसा कमाते हैं तो आप सिर्फ़ अपने जरुरत ही को पूरा करने में सायद सक्षम होंगे जोकि सारे जीवन भर चलेगा। आपको अपने व्यवसाय के साथ में कुछ अलग भी करना होगा जो की आपके जीवन को पूर्ण कर सके। आप अपना समय परिवार को दे सके, उनके साथ छुट्टियों पर जिसके और जब आप निष्क्रिय आय विकल्प परिवार को समय दे रहे होंगे आप उस समय भी पैसा कमा रहे होंगे।
पैसिव इनकम क्या हैं? | What is Passive Income?
Passive income को हिन्दी में निष्क्रिय आय भी कहते हैं ऐसी आय जो हमारे एक बार काम करने पर लम्बे समय तक के लिए उत्त्पन्न होती रहती हैं। Passive इनकम वह पैसे कमाने का ज़रिए हैं जिसमें हम एक बार मेहनत कर कई महीनों या साल तक पैसा अपने आप आपके पास आता रहेगा जैसे यदि किसी के पास कोई मकान खाली हैं और उसने उसको किसी ऐसे व्यक्ति को किराए पर दें जो आप को उसके बदले में हर महीने अच्छा किराया आपको मिले जो की एक लम्बे समय के लिए एक Passive इनकम होंगी इसी तरह अगर आपकी मार्किट में खाली दुकानें हैं तो उनको किराये पर दे कर आप बहुत अच्छी इनकम कर सकते हैं। यदि हमारे पास मकान या दूसरी प्रॉपर्टी न हो तब हमारे पास भी बहुत से विकल्प उपलब्ध हैं जिनके ज़रिए आप Passive इनकम उत्पन्न कर सकते हैं।
आज के समय हमारे पास डिजिटल मार्केटिंग एक सबसे अच्छा बिकल्प हैं जिसके ज़रिए हम वर्ल्ड में कही भी रह कर हम अपना व्यवसाय शुरु कर सकते हैं और यही हमारे लिए प्लस प्वाइंट हैं। हम बहुत छोटी पूंजी के साथ डिजिटल मार्केटिंग में उतर सकते हैं और अपनी जगह भी बना सकते हैं।
आपको पैसिव इनकम की आवश्यकता क्यों है? | Why do you need Passive Income?
समय की आजादी | Time freedom –
आप को सबसे बड़ी समस्या निष्क्रिय आय विकल्प निष्क्रिय आय विकल्प समय की आती हैं आप समय के साथ बंधे होते हैं और आप कितनी भी कोशिस कर ले आप अपने और परिवार के लिए समय निकल ही नहीं पाते हैं और इस लिए आपको passive इनकम की आवश्यकता हैं जिसमें आप समय के साथ बंधे नहीं होते हैं आप अपने काम करने का समय खुद निर्धारित करते हैं जिससे हम अपने परिवार को और अन्य काम भी कर सकते हैं।
तनाव और भविष्य के डर के तनाव पर काबू पाएं | Overcome Stress and fear of the Future –
हमारे पास वही जॉब ९ से ५ बजे की या फिर अपना पारिवारिक व्यवसाय जहाँ हम सिमित इनकम या मासिक इनकम ही निहित होती हैं हम जरुरत के आलावा खर्च करने में हमें सोचना पड़ता हैं। हमें हमेशा एक तनाव घेरे रहता हैं की आज हम कितने पैसे बचा ले की हमारा भविष्य सुरक्षित रहे। Passive इनकम में हम इनकम का एक रास्ता बनलेते हैं तो धीरे – धीरे और भी रस्ते बनते जाते हैं और इनकम ऑटोमेटिक उत्पन्न होती रहती हैं। इस बजह से हम अपने शौक के साथ अपने भविष्य को भी सुरक्षित कर सकते हैं।
वो करें जो आपको पसंद है | Do What do like You Love –
आप जीवन में बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन करने के लिए बहुत सोचना पड़ता हैं जैसे आपको घूमना पसंद हैं लेकिन आप घूम नहीं सकते है क्यों न आप बहुत अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी में हों, आपका यह सफर लास्ट तक यूही चलता रहता हैं और आप अपने शौक को कभी पूरा नहीं कर पाते हैं।
Passive इनकम आपको इस पावंदी से मुक्ति देता हैं और अपने जीवन को अपने शर्तो के अनुसार व्यतीत करने का मौक़ा देता हैं।
कार्य करने की पूरी स्वतंत्रता | Work Flexibility –
आप यदि जॉब करते हैं तो 9 से 5 बजे तक और कभी-कभी काम ख़त्म न होने तक आपको अपने जीवन को दुसरो के अनुसार चलाना होगा जब तक की आप कुछ ऐसा न पा ले जिससे आप स्वयं को अपने नियमों के अनुसार कर ले। Passive इनकम आपको यही मौक़ा देता हैं जिससे आप अपने कार्य को करने में पूरी तरह से स्वतंत्र हो जाते हैं। आप अपने काम को अपने सुबिधा के अनुसार कर सकते हैं कोई टोकने वाला नहीं होता हैं अगर आज मन नहीं है तो बाद में कर सकते हैं। हमें काम करने की पूरी आज़ादी मिल जाती हैं।
Smart Passive Income ideas –
पैसिव इनकम के बहुत सारे ज़रिए हैं traditional पैसिव इनकम और smart पैसिव इनकम, ये दोनों ही बहुत अच्छे रास्ते है निष्क्रिय आय को उत्पन्न करने के लिए।
Traditional पैसिव इनकम –
इसमें हम अपने रियल स्टेट जैसे यदि आपके पास एक मकान हैं जिसके एक पोरशन पे आप रहते हो और दूसरा पोरशन खाली हैं तो आप उसको किराए पर दे सकते हैं या फिर दुकान या किसी ऑफिस के किराए के लिए जगह हो, किराये पर उठाने पर जो भी किराया का पैसा महीने में आता हैं इस उत्त्पन्न हुए money को traditional पैसिव इनकम कहते हैं जो की हर महीने उत्पन्न होता हैं।
दूसरा उदाहरण हैं किसी सरकारी या प्राइवेट बैंक के साथ जुड़ कर उनके policies को ले जाकर लोगों में जागरूकता लाना और लीड उत्पन्न करना और जिसका बैंक आपको एक इनकम देती हैं ठीक वैसे ही Insurance agent होना जिसमें policies को लोगों को बताना और लीड उत्पन्न करना आपको कोई भी लीड जब तक policiesचलेंगी तब तक कुछ percentage आपको मिलता रहेंगा।
Smart पैसिव इनकम –
यह इनकम जो की पूरी तरह से डिजिटल हैं जिसमें आप अपनी पैसिव इनकम को उत्पन्न कर सकते हैं जिसके अनेक रास्ते और जो की आपके एक बार किए महेनत से कई महीनों तक इनकम उत्पन्न कर सकते हैं इसमें आप अपने सर्विस को दे सकते हैं, अपने इ-बुक कोर्सेस को सेल्ल कर सकते है या आप दूसरे के प्रोडक्ट्स को बेंच कर उसका commission से इनकम उत्पन्न कर सकते हैं। ऐसे अनेक रास्ते हैं जिनके ज़रिए आप रात में सोते समय भी पैसा इनकम कर सकते हैं।
स्मार्ट पैसिव इनकम के कुछ सर्वश्रेष्ठ विषय –
Start a blog –
ब्लॉग्गिंग एक सबसे अच्छा जरिया होता हैं पैसिव इनकम का इसमें आप अपने उच्च गुणवत्ता वाले कंटेंट को लिखकर आप अपने audience को आकर्षक कर सकते हैं , ब्लॉग्गिंग के शुरुबात में आपको काम भी करना होगा और समय भी देना होगा। जब आप अपने कंटेंट को सोशल नेटवर्क या ऑनलाइन विज्ञापित के ज़रिए लोगों तक पहुंचते हैं तो वे सभी आपके साइट पर आएंगे और आप अपने audience को अपने सर्विसेज सेल कर सकते हैं।
ब्लॉगिंग शुरु करने के लिए आपको पहले अपने विषय चुन लीजिए और देखिए की आप उस विषय पर आर्टिकल लिख पाएंगे और उस विषय में आप अपने audience को कोई सर्विस सेल कर सकते हैं या फिर नहीं यदि आप सर्विस दे सकते हैं तो आप ब्लॉग बनाकर पैसिव इनकम उत्पन्न कर सकते हैं।
अन्य पढ़ें –
Create an online course –
यदि आपको टीचिंग करना अच्छा लगता हैं तो आप जिस विषय में अच्छे हैं आप ऑनलाइन ई-बुक बनाके सेल कर सकते हैं, आज डिजिटल मार्केट में audience ऑनलाइन ही सीखने में बहुत ही ज़्यादा जागरूक हैं और नए-नए कोर्स को खोजती रहती हैं। आप अपने कोर्स को डिजिटल फॉर्म में ऑनलाइन प्रोमोट करके सेल कर् सकते हैं और आप पैसिव इनकम उत्पन्न कर सकते हैं।
Become an affiliate marketer –
Affiliate मार्केटिंग एक प्रभाशाली पैसिव इनकम का ज़रिए हैं इसके अंतर्गत आप किसी कम्पनी के साथ जुड़कर उनके उत्पादों को अपने ब्लॉग या वेबसाइट के ज़रिए प्रोमोट करना और उसका कुछ अंश पैसा आपको मिलता है। वर्ल्ड के ९० % कम्पनी अपने उत्पादों को एफिलिएट करती हैं आप यदि किसी अच्छे उत्पाद को प्रोमोट करते हैं तो आप ५०$ से ३००$ तक का कमीशन एक उत्पाद को बेच कर प्राप्त कर सकते हैं।
स्टॉक और विकल्प के बीच अंतर
किसी भी देश का शेयर बाजार वैश्विक आर्थिक क्षेत्र में अपनी स्थिति निर्धारित करता है। क्रिप्टोक्यूरेंसी और अन्य डिजिटल निवेश विधियों की हालिया शुरूआत के बावजूद, स्टॉक, विकल्प आदि में व्यापार बंद नहीं हुआ है। हालांकि यह लंबे समय में व्यसनी हो सकता है, लोग व्यापार के साथ-साथ खनन में भी शामिल होते हैं।
स्टॉक और विकल्प के बीच अंतर
स्टॉक्स और ऑप्शंस के बीच मुख्य अंतर यह है कि पूर्व में निश्चित संख्या के शेयर होते हैं जबकि बाद वाले ओपन-एंडेड होते हैं जिनमें कोई निश्चित वर्गीकरण नहीं होता है। हालांकि विकल्पों का व्यापार स्टॉक के समान है, लेकिन किस्मों और अन्य वित्तीय घटकों के संदर्भ में अंतर हैं। दोनों सक्रिय रूप से कारोबार कर रहे हैं।
स्टॉक्स छोटे टोकन को संदर्भित करते हैं जिन्हें कंपनी के शेयरों को उधार देने में आम लोगों के हिस्से के रूप में खरीदा जा सकता है। वे पूंजी को अग्रिम रूप से अनुमति देते हैं और एकतरफा लाभ की दिशा में काम करते हैं। जिस समय के लिए किसी विशेष स्टॉक को रखा जाता है, उसकी कोई विशेष सीमा नहीं होती है। दरें आमतौर पर दशमलव बिंदुओं में निकलती हैं।
विकल्प डेरिवेटिव होते हैं जिनकी निश्चित समय सीमा होती है। एक व्यक्ति के पास समाप्ति तिथि के बाद के विकल्प नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा, वे उत्तोलन की भी अनुमति देते हैं जो आर्थिक गिरावट के समय में भी मालिक के लिए फायदेमंद साबित होता है। वे सूचीबद्ध बाजार का अनुसरण करते हैं और लोगों द्वारा तदनुसार कारोबार किया जाता है।
स्टॉक और विकल्प के बीच तुलना तालिका
तुलना के पैरामीटर | शेयरों | विकल्प |
परिभाषा | स्टॉक कंपनी के शेयर होते हैं जिन्हें निवेश राशि बढ़ाने के लिए सार्वजनिक डोमेन में किराए पर दिया जाता है। | किसी विशेष स्टॉक के अपेक्षित मूल्य को निर्धारित करने के लिए विकल्प को आमतौर पर सट्टेबाजी निष्क्रिय आय विकल्प राशि के रूप में संदर्भित किया जाता है। |
विभिन्न प्रकार की सुविधाएं | शेयर खरीदने पर डिविडेंड, बोनस और वोटिंग राइट्स जैसे कॉम्प्लिमेंट्री बेनिफिट्स मिलते हैं। | यहां तक कि सबसे महंगे विकल्पों को खरीदने से सट्टेबाजी की सरल संभावना हो जाती है और कोई और भत्ते संलग्न नहीं होते हैं। |
समय की निर्भरता | स्टॉक समय और बाजार की स्थितियों के संबंध में कम उतार-चढ़ाव करते हैं। | विकल्प लंबे समय में उनके मूल्यांकन को शून्य तक कम कर सकते हैं। |
व्यापारियों की श्रेणी | व्यक्तियों और व्यापार मालिकों सहित कोई भी स्टॉक में व्यापार कर सकता है। | विशेष रूप से संबंधित कंपनियों के फंड मैनेजरों और कर्मचारियों द्वारा विभिन्न प्रकार के विकल्पों का कारोबार किया जाता है। |
सामान्य प्रकार का कारोबार | स्टॉक को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है – पसंदीदा स्टॉक और सामान्य स्टॉक। | विकल्पों को आगे द्विआधारी विकल्प और वास्तविक विकल्पों में वर्गीकृत किया गया है। |
स्टॉक क्या है?
स्टॉक ऐसे इक्विटी उपकरण हैं जो बहुत जोखिम भरे होते हैं और धारकों को केंद्रीकृत बाजार में अपनी बात रखने की अनुमति देते हैं। नियमित स्टॉक खरीदारों को कंपनी में वोटिंग अधिकार मिलते हैं और महत्वपूर्ण चर्चाओं के दौरान पैनल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनते हैं। लंबे समय में, कंपनियां सबसे अनुकूल क्षेत्र के आधार पर स्टॉक देना शुरू कर सकती हैं और तदनुसार सम्मान बढ़ा सकती हैं।
स्टॉक लाभांश के रूप में रिटर्न प्रदान करते हैं। यदि किसी कंपनी का बाजार मूल्य गिरता है, तो शेयरधारक पैसा खो देता है और इसके विपरीत। रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है और इस प्रकार, लोगों को शेयर बाजार में अधिशेष निवेश करते समय सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। हालांकि अनुभव एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, शेयर बाजार में नुकसान को कम करने के लिए कोई निश्चित शॉट विधि नहीं है।
स्टॉक को आमतौर पर वित्तीय साधन के रूप में माना जाता है। दूसरे शब्दों में, उन्हें कंपनी में खरीदार के आभासी हितों के रूप में भी सोचा जा सकता है जो खुले बाजार में स्टॉक दे रहा है। निफ्टी और सेंसेक्स भारत में शेयरों के मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार बाजार प्रणाली हैं। राष्ट्रीय, साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजारों का शेयरों के मूल्य निर्धारण पर सीधा प्रभाव पड़ता है। उनकी घोषणा केवल सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा की जाती है।
विकल्प क्या है?
ऑप्शंस सस्ते समय-सीमा वाले लीवरेज होते हैं जिन्हें ओपन बेटिंग के लिए छोड़ दिया जाता है। मुनाफे को एकल रास्तों में प्रसारित नहीं किया जाता है और अधिक लचीलेपन की अनुमति देता है। अचल संपत्ति, बंधक, पर्यावरण उद्योग, बांड (परिवर्तनीय निष्क्रिय आय विकल्प और साथ ही गैर-परिवर्तनीय), और क्रेडिट की लाइनों जैसे उच्च-भुगतान वाले क्षेत्रों में विकल्पों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
पुनर्विक्रय समान रूप से जोखिम भरा है और लंबी अवधि के निवेश एक निष्क्रिय आय प्रदान कर सकते हैं। विकल्प खरीदना और बेचना विकल्प केवल बेट परिणाम द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। शर्तें पहले से तय की जाती हैं और बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण गैर-परक्राम्य हैं। खरीदने का अधिकार एक कॉल को संदर्भित करता है जब विकल्पों की कीमत बढ़ जाती है। दूसरी ओर, बेचने का अधिकार शर्त के विपरीत, कीमत में गिरावट का जिक्र करते हुए, पुट को संदर्भित करता है।
विकल्प दो शब्दों के इर्द-गिर्द घूमते हैं – बैल और भालू। यह उन शेयरों की तर्ज पर है जिनकी ऊपरी सीमा एक बड़े बैल के रूप में चिह्नित है। सरल शब्दों में, एक विकल्प खरीदने से खरीदार पर कोई दायित्व नहीं बनता है। यह सांख्यिकीय विश्लेषण और पिछले रुझानों पर आधारित एक संभावित अनुमान है। ज्यादातर मामलों में, स्टॉक उम्मीद के मुताबिक व्यवहार नहीं कर सकता है, जिससे भारी नुकसान हो सकता है। जो कर्मचारी नुकसान उठाने की संभावना को कम करना चाहते हैं, उन्होंने छोटी अवधि के लिए छोटी मात्रा में निवेश करना चुना।
के बीच मुख्य अंतर स्टॉक और विकल्प
- बड़ी कंपनियों में स्टॉक एक प्रकार का स्वामित्व प्रमाण होता है, जबकि विकल्प किसी विशेष स्टॉक के बढ़ने और गिरने पर लगाए गए दांव होते हैं।
- विकल्प की तुलना में सुविधाओं के मामले में स्टॉक अधिक फायदेमंद होते हैं (लंबे समय में बहुत जोखिम भरा)।
- स्टॉक एक निर्धारित समय सीमा (कई वर्षों) का पालन नहीं करते हैं, जबकि विकल्प कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक की समाप्ति तिथियों के साथ आते हैं।
- कोई भी और हर कोई शेयरों में व्यापार कर सकता है लेकिन विकल्प कंपनी के मालिकों और विशेष फंड प्रबंधन अधिकारियों तक ही सीमित हैं।
- जहां तक बाद के वर्गीकरण का संबंध है, स्टॉक पसंदीदा स्टॉक और सामान्य स्टॉक के रूप में आते हैं। दूसरी ओर, विकल्पों को द्विआधारी विकल्प और वास्तविक विकल्पों में वर्गीकृत किया जाता है।
निष्कर्ष
लंबे समय में पैसा निवेश करना जोखिम भरा साबित होना तय है। बाजार संरचना में उतार-चढ़ाव के साथ, शेयरों की कीमतें बढ़ती हैं जबकि रिटर्न दरें काफी कम हो जाती हैं। यदि कोई नौसिखिया स्टॉक या विकल्पों में व्यापार करने की कोशिश करता है, तो उसे तब तक नुकसान उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए जब तक कि आमद काफी स्थिर न हो जाए।
निवेश का प्रबंधन करने का सबसे अच्छा तरीका इन कार्यों को एक चार्टर्ड एकाउंटेंट या किसी अन्य सहायक को सौंपना है। यदि यह उम्मीदों के मुकाबले एक बड़ी राशि जोड़ता है, तो स्टॉक और विकल्पों का नियमित प्रबंधन अब कई ग्राहक-अनुकूल अनुप्रयोगों और एआई-समर्थित सॉफ़्टवेयर निष्क्रिय आय विकल्प का उपयोग करके किया जा सकता है।
अप्रैल से बदल जाएंगे आपके Income Tax से जुड़े यह सात नियम
एक अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो जाएगा। बजट में टैक्स नियमों में बदलाव की वजह से आपके निवेश पर भी इसका असर होगा। इसमें क्रिप्टोकरंसी से लेकर पीएफ योगदान पर लगने वाले टैक्स भी शामिल हैं।
एक अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष शुरू हो जाएगा। बजट में टैक्स नियमों में बदलाव की वजह से आपके निवेश पर भी इसका असर होगा। इसमें क्रिप्टोकरंसी से लेकर पीएफ योगदान पर लगने वाले टैक्स भी शामिल हैं। साथ ही दिव्यांग बच्चों के माता-पिता भी टैक्स छूट का लाभ मिलेगा। टैक्स आपके निवेश से जुड़े ऐसे सात बदलावों पर पेश है संगीता ओझा की रिपोर्ट
क्रिप्टो पर टैक्स
देश में क्रिप्टो पर कर व्यवस्था एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष में धीरे-धीरे लागू होगी। इससे होने वाला कमाई पर 30 फीसदी टैक्स का नियम वित्तीय वर्ष की शुरुआत में प्रभावी हो जाएगा। जबकि एक फीसदी टीडीएस से संबंधित प्रावधान एक जुलाई से लागू होगा। बजट में क्रिप्टो परिसंपत्तियों पर आयकर लगाने के संबंध में स्पष्टता लाई गई है। टीडीएस की सीमा निर्दिष्ट व्यक्तियों के लिए प्रति वर्ष ₹50 हजार रुपये होगी, जिसमें ऐसे व्यक्ति/एचयूएफ शामिल हैं जिन्हें आयकर अधिनियम के तहत अपने खातों का ऑडिट कराना आवश्यक है।
क्रिप्टो में नुकसान की भरपाई का विकल्प नहीं
सरकार ने क्रिप्टो में निवेश पर हुए नुकसान की भरपाई का विकल्प नहीं दिया है। यदि एक क्रिप्टो में आपको फायदा होता है और दूसरे में आपको नुकसान होता है तो शेयरों की तरह इसमें आपको भरपाई का लाभ नहीं मिलेगा।
उदाहरण के लिए, यदि आप बिटकॉइन पर ₹एक हजार का लाभ कमाते हैं और एथेरियम पर ₹700 का नुकसान उठाते हैं, तो आपको ₹एक हजार पर कर देना होगा, न कि ₹300 के अपने शुद्ध लाभ पर। इसके अलावा आप शेयर, म्यूचुअल फंड या रियल एस्टेट में नुकसान की भरपाई का लाभ क्रिप्टो पर नहीं उठा सकते हैं।
अपडेटेड आईटीआर की सुविधा
आयकर विभाग ने आईटीआर में नई सुविधा दी है। इसके तहत एक नया प्रावधान डाला गया है जो करदाताओं को आयकर रिटर्न में की गई त्रुटियों या गलतियों के लिए एक अद्यतन (अपडेटेड) रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देता है। करदाता अब प्रासंगिक निर्धारण वर्ष के अंत से दो साल के भीतर एक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
राज्य सरकार कर्मचारी को एनपीएस ज्यादा छूट
राज्य सरकार के कर्मचारी अब नियोक्ता द्वारा अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते के 14 फीसदी तक एनपीएस योगदान के लिए धारा 80सीसीडी (2) के तहत कटौती का दावा कर सकेंगे। यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए उपलब्ध कटौती के अनुरूप है। अभी राज्य सरकार के कमर्चारी 12 फीसदी तक के लिए दावा कर सकते हैं।
पीएफ खाते पर टैक्स
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक अप्रैल से आयकर (25वां संशोधन) नियम 2021 को लागू करने का फैसला किया है। इसके तहत ईपीएफ में सालाना 2.50 लाख रुपये तक के निवेश पर ही टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इसके अधिक निवेश होने पर उसकी ब्याज आय पर टैक्स लगेगा।
कोरोना के इलाज के खर्च पर टैक्स में राहत
जून 2021 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उन व्यक्तियों को कर में छूट प्रदान की गई है, जिन्हें कोविड चिकित्सा उपचार के लिए धन प्राप्त हुआ है। इसी तरह, कोविड के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु पर परिवार के सदस्यों द्वारा प्राप्त 10 लाख रुपये तक की राशि पर टैक्स छूट होगी। यह छूट तभी मिलेगी जब परिवार के सदस्यों को ऐसा भुगतान मृत्यु की तारीख से 12 महीने के भीतर प्राप्त होता है। हालांकि, यह संशोधन एक अप्रैल, 2020 से पूर्व प्रभाव से लागू होगा।
दिव्यांग के अभिभावक को टैक्स छूट
आयकर नियमों में एक बड़ा बदलाव विकलांग व्यक्ति के माता-पिता को दिए जाने वाले टैक्स छूट को लेकर है। दिव्यांग के माता-पिता या अभिभावक ऐसे व्यक्ति के लिए बीमा पॉलिसी पर टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं।
आयकर रिटर्न: मुश्किलों से बचना है तो 31 मार्च तक निपटा लें 10 काम
चालू वित्तवर्ष 31 मार्च को समाप्त हो रहा है। सरकार ने टैक्स सहित वित्तीय मामलों से जुड़े कई काम निपटाने की अंतिम समय अवधि भी 31 मार्च दे रखी है। आइए जानते हैं कौन-कौन से जरूरी काम हैं जो आपको 31 मार्च तक कर लेने चाहिए।
- पैन-आधार लिंक कराने के साथ आयकर रिटर्न या जीएसटी रिटर्न भरने के लिए भी अब सिर्फ 10 दिन बचे हैं। अगर आप अंतिम अवधि तक काम नहीं निपटाते तो जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
- अगर 31 मार्च तक पैन और आधार को आपस में नहीं जोड़ते हैं, तो आपका पैन निष्क्रिय हो जाएगा। इसके बाद आप खाते से बड़ा लेनदेन या कर्ज के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।
- 2019-20 का रिवाइज्ड या लंबित रिटर्न नहीं भरा है, तो 31 मार्च तक पूरा करें। लंबित रिटर्न पर 10,000 रुपये तक विलंब शुल्क लगेगा। 5 लाख तक आय पर 1 हजार रुपये शुल्क होगा। 2019-20 का सालाना जीएसटी रिटर्न भी 31 मार्च तक भरना होगा। केंद्र ने जीएसटीआर-9 व जीएसटीआर-9सी के लिए समय दिया है।
- विवाद से विश्वास योजना के तहत आयकर मामले निपटाने की अंतिम तारीख 31 मार्च है। सरकार ने बिना अतिरिक्त शुल्क के योजना में भुगतान की अंतिम तिथि 30 अप्रैल, 2021 निर्धारित की है।
- आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 13 मई, 2020 को आपात गारंटी कर्ज योजना शुरू की गई थी। इसके तहत एमएसएमई को सरकार की गारंटी पर कर्ज मुहैया कराया जाता है। योजना के तहत आवेदन की अंतिम तिथि 31 मार्च है।
- देना बैंक, विजया बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, आंध्रा बैंक, यूनाइटेड बैंक और इलाहाबाद बैंक के पुराने चेकबुक 31 मार्च तक ही मान्य रहेंगे। इनका अन्य बैंकों में विलय हो चुका है। सिंडीकेट बैंक की चेकबुक 30 जून तक मान्य होगी, जिसका विलय केनरा बैंक में हुआ है।
- सरकारी कर्मचारियों को त्योहारों से पहले बिना ब्याज 10 हजार रुपये तक अग्रिम भुगतान की सुविधा मिली थी। इसे अधिकतम 10 किस्त में लौटाने का भी विकल्प मिलेगा। कर्मचारी इसके लिए 31 मार्च तक आवेदन कर सकते हैं।
- प्रधानमंत्री आवास योजना में कर्ज पर सब्सिडी लेने की सीमा 31 मार्च है। एमआईजी-1 और एमआईजी-2 श्रेणियों में सब्सिडी के लिए 10 दिन के भीतर आवेदन करना होगा। 6 से 18 लाख तक की आय वर्ग के लोग इसमें शामिल हैं।
- यात्रा अवकाश भत्ते (एलटीसी) के एवज में नकद वाउचर लेना चाहते हैं, तो कर्मचारियों को 31 मार्च तक जरूरी बिल अपने नियोक्ता के पास जमा कराने होंगे। ये लाभ उन्हें मिलेगा, जिन्होंने कोरोना में प्रतिबंधों की वजह से यात्रा नहीं की थी।
- महामारी से एनआरआई और विदेशी नागरिकों को लंबे समय तक भारत में ही रुकना पड़ा। ऐसे में 2020-21 के लिए इन पर दोहरे कर की मार पड़ सकती है। सीबीडीटी ने ऐसे करदाताओं को 31 मार्च तक फॉर्म एनआर जमा करने की छूट दे है, ताकि दोहरा कर न देना पड़े।
- ईपीएफ अंशदान. आयकर के नए प्रावधानों के मुताबिक, 1 अप्रैल से कर्मचारी भविष्य निधि में सालाना 2.5 लाख रुपये से ज्यादा के जमा पर मिला ब्याज अब कर के दायरे में आएगा। 2 लाख रुपये प्रतिमाह से ज्यादा वेतन वाले कर्मचारी इसके दायरे में आ सकते हैं।
- प्री-फिल्ड आईटीआर फॉर्म. कर्मचारियों की सहूलियत के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को आसान बनाया जा रहा है। आयकर विभाग नए वित्तवर्ष से पहले से भरा हुआ आईटीआर फॉर्म मुहैया कराएगा।
- रिटर्न भरने से छूट. 1 अप्रैल से 75 साल से अधिक उम्र वाले वरिष्ठ नागरिकों को आईटीआर भरने से छूट दी जाएगी। इसका लाभ उन्हीं को मिलेगा, जिनकी आय सिर्फ पेंशन और एफडी के ब्याज से होती है।
- दोगुना टीडीएस. रिटर्न भरने को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) नियमों को सख्त कर दिया है। अब आयकर की धारा 206एबी के तहत जो रिटर्न नहीं भरेगा, उसे 1 अप्रैल के बाद दोगुना टीडीएस भरना पड़ेगा।
चालू वित्तवर्ष 31 मार्च को समाप्त हो रहा है। सरकार ने टैक्स सहित वित्तीय मामलों से जुड़े कई काम निपटाने की अंतिम समय अवधि भी 31 मार्च दे रखी है। आइए जानते हैं कौन-कौन से जरूरी काम हैं जो आपको 31 मार्च तक कर लेने चाहिए।
- पैन-आधार निष्क्रिय आय विकल्प लिंक कराने के साथ आयकर रिटर्न या जीएसटी रिटर्न भरने के लिए भी अब सिर्फ 10 दिन बचे हैं। अगर आप अंतिम अवधि तक काम नहीं निपटाते तो जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
- अगर 31 मार्च तक पैन और आधार को आपस में नहीं जोड़ते हैं, तो आपका पैन निष्क्रिय हो जाएगा। इसके बाद आप खाते से बड़ा लेनदेन या कर्ज के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।
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2019-20 का रिवाइज्ड या लंबित रिटर्न नहीं भरा है, तो 31 मार्च तक पूरा करें। लंबित रिटर्न पर 10,000 रुपये तक विलंब शुल्क लगेगा। 5 लाख तक आय पर 1 हजार रुपये शुल्क होगा। 2019-20 का सालाना जीएसटी रिटर्न भी 31 मार्च तक भरना होगा। केंद्र ने जीएसटीआर-9 व जीएसटीआर-9सी के लिए समय दिया है।
- विवाद से विश्वास योजना के तहत आयकर मामले निपटाने की अंतिम तारीख 31 मार्च है। सरकार ने बिना अतिरिक्त शुल्क के योजना में भुगतान की अंतिम तिथि 30 अप्रैल, 2021 निर्धारित की है।
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आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 13 मई, 2020 को आपात गारंटी कर्ज योजना शुरू की गई थी। इसके तहत एमएसएमई को सरकार की गारंटी पर कर्ज मुहैया कराया जाता है। योजना के तहत आवेदन की अंतिम तिथि 31 मार्च है।