क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है

जानिए क्या है बिटकॉइन और क्यों चढ़ रही है कीमत?
इन दिनों निवेश की दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा में बिटकॉइन है. मगर क्या आप जानते हैं कि क्या है बिटकॉइन? लगातार क्यों चढ़ रही हैं इसकी कीमतें?
भारत में भी नियामक संस्थाएं बिटकॉइन से खुश नहीं हैं. आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी सुदर्शन सेन ने सितंबर में कहा था कि केंद्रीय बैंक इस तरह की 'गैर-व्यवस्थित' क्रिप्टोकरेंसी में कारोबार से सहज नहीं है. मगर सवाल उठना लाजमी है कि बिटकॉइन क्या है और यह कैसे काम करता है?
क्या है बिटकॉइन
बिटकॉइन एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है. अंग्रेजी शब्द 'क्रिप्टो' का अर्थ गुप्त होता है. यह एक प्रक्रार की डिजिटल करेंसी है, जो क्रिप्टोग्राफी के नियमों के आधार पर संचालित और बनाई जाती है. क्रिप्टोग्राफी का अर्थ को कोडिंग की भाषा को सुलझाने की कला है.
बिटकॉइन को आप छू नहीं सकते यानी की यह डिडिटल फॉर्म में ही रहती हैं. यही इसकी सबसे खास बात है. दूसरे शब्दों में आप इसे विकेंद्रीकृत डिजिटल करेंसी भी कह सकते हैं. बिटकॉइन का आविष्कार साल 2009 में सतोषी नाकामोटो ने किया था.
कैसे करता हैं यह काम?
बिटकॉइन विशेषज्ञ हितेश मालवीय का कहना है कि बिटकॉइन वर्चुअल कॉइन (कृत्रिम सिक्के) हैं, जो अपनी कीमत बनाने और बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं. इस तरह पैसों के लेन-देन के लिए आपकों बैंकों तक जाने की जरूरत नहीं है.
यदि आपके पास बिटकॉइन है, तो इसकी कीमत और वैल्यू उसी तरह मानी जाएगी जैसे ईटीएफ में कारोबार करते समय सोने की होती है. आप बिटकॉइन के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं और इसे निवेश के रूप में भी रख सकते हैं.
बिटकॉइन एक पर्सनल ई-वॉलेट से दूसरे पर्सनल ई-वॉलेट में ट्रांसफर किए जाते हैं. ये ई-वॉलेट्स आपका निजी डेटाबेस होते हैं, जिसे आप अपने कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैबलेट या किसी ई-क्लाउड पर स्टोर करते हैं.
बिटकॉइन का रिटर्न
बिटकॉइन ने अपनी एंट्री के साथ ही गगनचुंबी रिटर्न दिए हैं. सात सालों में बिटकॉइन ने 10 रुपये के निवेश को 6.2 लाख रुपये कर दिया. इस साल बिटकॉइन ने जनवरी से नवंबर के दौरान 900 फीसदी का रिटर्न दिया है.
Bitcoin is a digital currency that is not tied to a bank or government and allows users to spend money anonymously.
बुधवार को ही अमेरिकी बाजार में इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत $10,000 के स्तर के पार गई. कमाल की बात यह है कि इसकी मांग और लोगों की बिटकॉइन के लिए दिवानगी का आलम यह था कि चंद ही घंटों में यह करेंसी 20 फीसदी की छलांग लगाकर $11,000 का स्तर भी पार कर गई.
इस करेंसी की अस्थिरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक ही दिन में इसकी कीमत $11,434 के सर्वोच्च स्तर को छूने के बाद $9,009 तक भी लुढ़क गई. अमेरिकी बाजार पर काफी समय तक इसकी कीमतों में कोई फेरबदल देखने को नहीं मिला.
चिंता के बादल
गौरतलब है कि इस सितंबर के अंत तक इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत $4,171.25 थी. कई विशेषज्ञ इस गु्ब्बारे ही हवा निकलने के संकेत दे रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इतने कम समय क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है में दोगुना रिटर्न देने के बाद असली सवाल यह कि वे निवेशकों को कब बाहर जाने कि सलाह दें.
इसमें कोई दो राय नहीं कि बिटकॉइन के रिटर्न असाधारण हैं. इस बुलबुल के फूटने के संकेत इस बात से भी लगाए जा रहे हैं कि जहां एक तरफ कुछ दिग्गजों को उम्मीद हैं कि बिटकॉइन 2018 के अंत तक $40,000 डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा, वहीं 2017 में यह तीन दफा एक ही सत्र में 25 फीसदी तक टूट चुका है.
Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस
अगर आप क्रिप्टो करेंसी में निवेश की योजना बना रहे हैं तो इनकी ट्रेडिंग के लिए लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.
जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (Representative क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है Image)
Trading in Crypto Currencies: दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए ट्रेडिंग होती है. इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है. जहां इनकी कीमत मांग और आपूर्ति के हिसाब से तय होती है. जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो बेच सकते हैं. स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है. इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.
एक्सचेंज फीस
- क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है. भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है. ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है.
- फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है. क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं. इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है.
नेटवर्क फीस
- क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है. ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह सुनिश्चित करना इन माइनर्स का काम है. एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है. अगर नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है.
- आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है. लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है न हो. जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है. माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए फीस दी जाती है.
वॉलेट फीस
- क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. यह वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है. अधिकतर वॉलेट क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है. यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है. अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं. क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है
- क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है.
(Article: Shivam Thakral, CEO, BuyUcoin)
(स्टोरी में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिए गए सुझाव लेखक के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)
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Cryptocurrency Tax Calculation 2022: क्रिप्टोकरेंसी से आय पर 30% टैक्स का क्या है सही मतलब? कर देनदारी में कैसे जुड़ेगी ये रकम? एक्सपर्ट से समझें पूरा कैलकुलेशन
टैक्स और निवेश एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि बजट मेमोरेंडम के अनुसार, क्रिप्टोकरंसी या अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स में निवेश पर किसी इंडिविजुअल की कुल टैक्स लायबिलिटी ऐसे एसेट्स के ट्रांसफर या ट्रांजेक्शन से होने वाली इनकम का योग होगी.
बजट 2022 में क्रिप्टोकरेंसी और NFT सहित वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के ट्रांसफर से होने वाली आय पर 30% टैक्स की घोषणा की गई है.
Cryptocurrency Tax Calculation 2022: बजट 2022 में क्रिप्टोकरेंसी और NFT सहित वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) के ट्रांसफर से होने वाली आय पर 30% टैक्स की घोषणा की गई है, जिसका क्रिप्टो कम्यूनिटी ने स्वागत किया गया है. भले ही टैक्स काफी ज्यादा है, लेकिन फिर भी क्रिप्टो निवेशक इस बात से खुश हैं कि कम से कम क्रिप्टो पर टैक्सेशन से इसे थोड़ी बहुत मान्यता क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है मिली है. हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि क्रिप्टो सहित VDA से होने वाली इनकम पर टैक्स लगाने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें कानूनी मान्यता मिल गई है. इस पर पूरी तरह से स्पष्टता तब होगी, जब डिजिटल एसेट्स को रेगुलेट करने वाला बिल लाया जाएगा. कई क्रिप्टो निवेशक अपनी टैक्स लायबिलिटी की गणना को लेकर कंफ्यूज हैं. यहां हमने ऐसे ही लोगों के कंफ्यूजन को दूर करने की कोशिश की है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
- टैक्स और निवेश एक्सपर्ट बलवंत जैन ने कहा, “बजट मेमोरेंडम के अनुसार, क्रिप्टोकरंसी या अन्य VDA में निवेश पर किसी इंडिविजुअल की कुल टैक्स लायबिलिटी ऐसे एसेट्स के ट्रांसफर या ट्रांजेक्शन से होने वाली इनकम का योग होगी.” जैन ने आगे कहा, “अगले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2022-23) से क्रिप्टो और NFT सहित डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर या बिक्री से होने वाले लाभ पर फ्लैट 30% टैक्स लागू होगा. निवेशकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि क्रिप्टोकरंसी से होने वाले नुकसान को सेट ऑफ या कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता है.”
- Cyril अमरचंद मंगलदास के पार्टनर और हेड – टैक्सेशन, एसआर पटनायक ने कहा, “इसका मतलब है कि अगर किसी टैक्सपेयर को वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर से कोई इनकम हुआ है, तो उस इनकम पर उसे 30 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. इस स्रोत से होने वाली इनकम पर टैक्स की गणना में अन्य स्रोत से होने वाली आय को शामिल नहीं किया जाएगा. इस स्रोत को आय के किसी क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है अन्य स्रोत के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है.”
- उदाहरण से समझें – DSK लीगल के पार्टनल ऋषि आनंद ने इसे एक उदाहरण से समझाया है. वे कहते हैं, “मान लीजिए, किसी टैक्सपेयर की कुल टैक्सेबल इनकम एक लाख रुपये हैं, जिसमें से 20 हजार रुपये VDA ट्रांसफर से होने वाली इनकम है. इस पर 30 फीसदी के हिसाब से 6 हजार रुपये का टैक्स देना होगा, वहीं 80 हजार रुपये पर एप्लिकेबल स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स देना होगा.”
वर्चुअल डिजिटल एसेट से होने वाली इनकम पर कब से देना होगा 30 फीसदी टैक्स
बजट डॉक्यूमेंट के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी और अन्य VDA पर 30% का टैक्स आकलन वर्ष 2023-24 से लागू होगा. इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2022-23 में क्रिप्टो ट्रांजेक्शन से होने वाली आपकी सभी इनकम पर 30% की दर से कर लगेगा. जैन ने कहा कि मौजूदा टैक्सेशन नियमों के अनुसार निवेशक वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक क्रिप्टो और NFT से आय पर कर का भुगतान कर सकते हैं.
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टैक्स कैलकुलेशन: क्या क्रिप्टो से फायदा और नुकसान, दोनों होने पर टैक्स देना होगा?
- क्रिप्टो एसेट्स के ट्रांसफर से घाटा होने पर इसे किसी अन्य इनकम के साथ सेट-ऑफ या कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता. RSM इंडिया के फाउंडर डॉ सुरेश सुराणा ने कहा, “हालांकि, क्रिप्टो एसेट्स के ट्रांसफर से होने वाले नुकसान को उसी वित्तीय वर्ष में क्रिप्टो एसेट्स के ट्रांसफर से होने वाले लाभ के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है.”
- डॉ सुराणा ने उदाहरण देते क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है हुए कहा, “मान लीजिए, किसी शख्स की सैलरी इनकम 20 लाख रुपये है. उसे बिटकॉइन बिक्री पर 5 लाख रुपये का फायदा और एथेरियम बिक्री पर 2 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. वह नुकसान को सेट-ऑफ कर सकता है और उसे क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है क्रिप्टो (बिटकॉइन और एथेरियम) की बिक्री से होने वाले शुद्ध लाभ 3 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा. इसके अलावा, इस पर एप्लिकेबल सरचार्ज (इस मामले में शून्य) और सेस (1.2% viz 4% of 30% tax) भी देना होगा. इस तरह, उस शख्स को कुल मिलाकर 31.2 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. 20 लाख रुपये की सैलरी इनकम पर उस शख्स को 5% से 30% (प्लस सरचार्ज और सेस) के सामान्य स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है और यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि क्या टैक्सपेयर ने इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115BAC के तहत ऑप्शनल टैक्स रिजीम का विकल्प चुना है.”
- आईआईएम अहमदाबाद में प्रोडक्शन एंड क्वांटिटेटिव मेथड्स के एसोसिएट प्रोफेसर प्रोफेसर अंकुर सिन्हा ने कहा कि सिर्फ गेन पर टैक्स लगेगा, नुकसान पर टैक्स नहीं लगेगा.
- प्रो सिन्हा ने आगे कहा, “हालांकि, इस एसेट क्लास में निवेश के कारण होने वाले किसी भी नुकसान को किसी अन्य स्रोत से इनकम के खिलाफ सेट-ऑफ नहीं किया जा सकता है. आसान शब्दों में, अगर आपको क्रिप्टो में निवेश से X का नुकसान होता है और कहीं और Y का लाभ होता है, तो आप यह क्लेम नहीं कर सकते कि आप Y-X पर टैक्स का भुगतान करेंगे. दूसरी ओर, अगर आपको क्रिप्टो में निवेश से X का लाभ मिलता है और Y का लाभ कहीं और मिलता है, तो आपको X और Y दोनों पर टैक्स का भुगतान करना होगा.”
क्या क्रिप्टो इनकम पर 30% से ज्यादा टैक्स देना होगा?
इस संबंध में सरकार की ओर से और स्पष्टता की जरूरत है. इस बात को लेकर एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है कि क्रिप्टो निवेशक को केवल 30% कर का भुगतान करना होगा या सरचार्ज के कारण उससे ज्यादा का भुगतान करना होगा. क्रिप्टोकरेंसी, एनएफटी या अन्य वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के ट्रांसफर से इनकम पर भुगतान किया जाने वाला कर 30% से अधिक हो सकता है क्योंकि यह फ्लैट दर लागू सरचार्ज और सेस को छोड़कर है. जैसा कि ऊपर भी एक उदाहरण में भी देखा गया है कि क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर प्रभावी टैक्स 30% से ज्यादा हो सकता है.
- सुराणा कहते हैं, “क्रिप्टोकरेंसी एसेट्स से होने वाली इनकम के टैक्सेशन में 30 फीसदी टैक्स के साथ ही सरचार्ज और सेस भी शामिल है. टैक्सेबल इनकम के आधार पर टैक्स अमाउंट के 10%, 15%, 25% और 37% की दर से सरचार्ज लागू होता है और टैक्स व सरचार्ज अमाउंट के 4% की दर से सेस लागू होता है. इस तरह, क्रिप्टो एसेट्स के ट्रांसफर से होने वाली आय पर इंडिविजुअल / HUF के मामले में टैक्सेबल इनकम के आधार पर 31.2%, 34.32%, 35.88%, 39% और 42.744% का टैक्स लागू हो सकता है.”
- हालांकि, पटनायक का मानना है कि क्रिप्टो से होने वाली आय पर भुगतान किया जाने वाला वास्तविक कर 30% से अधिक नहीं होगा.
- पटनायक ने इसे उदाहरण के साथ समझाते हुए कहा, “मान लीजिए कि मिस्टर X क्रिप्टोकरेंसी में 100,000 US$ का निवेश करता है और 10,000 यूनिट प्राप्त करता है. वह उन्हें 2,000 यूनिट की 5 किस्तों में बेचने का फैसला करता है और इससे 15,000 US$, 25,000 US$, 40,000 US$, 75,000 US$ और 5,000 US$ प्राप्त करता है. इस तरह, 100,000 US$ के निवेश पर मिस्टर X को कुल मिलाकर 160,000 US$ प्राप्त हुए. इसलिए, उसे 60,000 US$ की शुद्ध आय पर 30% की दर से कर यानी 18,000 US$ (60,000 US$ का 30%) का भुगतान करना होगा. इसे उनकी अन्य आय के साथ जोड़ा जाएगा और उन्हें अपनी कुल आय पर लागू सरचार्ज और एजुकेशन सेस के साथ टैक्स का भुगतान करना होगा.”
क्या एयरड्रॉप्ड क्रिप्टो टोकन या एनएफटी पर भी देना होगा टैक्स?
EarthID के VP- रिसर्च एंड स्ट्रैटेजी, शरत चंद्र ने बताया कि केवल क्रिप्टो निवेशक ही नहीं, बल्कि जिन्होंने गिफ्ट के रूप में एयरड्रॉप्ड क्रिप्टो टोकन या एनएफटी प्राप्त किया है, उन्हें भी टैक्स का भुगतान करना होगा.
क्या आपको क्रिप्टो रखने के लिए टैक्स देना होगा?
आपको टैक्स तभी देना होगा जब आप ट्रांजेक्शन, ट्रांसफर या एक्सचेंज या क्रिप्टो एसेट्स से इनकम प्राप्त करेंगे. एक्सपर्ट्स के अनुसार, क्रिप्टो रखने के लिए कोई कर नहीं देना है.
क्या है क्रिप्टोकरेंसी? दुनियाभर में गिरा क्रिप्टो का मार्केट- जानिए क्रिप्टो से जुड़ी सारी डिटेल
नेशनल डेस्क: बीते मंगलवार और आज बुधवार को एक बार फिर से क्रिप्टोकरेंसियों में गिरावट देखने को मिली। आज सुबह 10 बजे बिटकॉइन 17% से ज्यादा गिरावट देखी गई। वहीं इस बीच सरकार 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला विधेयक संसद में पेश करेगी। बिल में सभी तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी लगाने की बात कही गई है।
हालांकि इस बीच लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक ये लगभग तय है कि सरकार क्रिप्टोक्यूरेंसी पर दरवाजे बंद करने के मूड में नहीं है पर इस पर एक अलग दृष्टिकोण और बीच का रास्ता अपनाया जा सकता है।
इनोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक संभव है कि क्रिप्टो को बतौर करेंसी मंजूरी नहीं दी जाए लेकिन इसे शेयर, गोल्ड या बॉन्ड की तरह एक संपत्ति के तौर पर मान्यता दी जाए। करेंसी के तौर पर इसे मंजूरी नहीं देने पर इससे लेन-देन या भुगतान आदि के लिए मुद्रा के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी के है 1.5 से 2 करोड़ यूजर
जानकारी के लिए आपको बता दें कि शीतकालीन सत्र में डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 का क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन 26 नए विधेयकों क्रिप्टोक्यूरेंसी का आधार क्या है में से एक है। सरकार के विधायी एजेंडे में कुल 29 विधेयकों में से एक है। लिस्ट में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा बिल 10वें नंबर पर है। वहीं, भारत में क्रिप्टोकरेंसी के 1.5 से 2 करोड़ यूजर हैं। इस बिल के कानून बनने से ये सभी यूजर प्रभावित हो सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी पर पीएम मोदी की बैठक में उठे ये सवाल
हाल ही में PM मोदी ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर एक बैठक की थी, जिसमें उन्होंने रेगुलेटरी स्टेप्स उठाने के संकेत दिए थे। वहीं, भाजपा नेता जयंत सिन्हा की अध्यक्षता बैठक में आम सहमति बनी थी कि क्रिप्टोकरेंसी को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इसे रेगुलेट किया जाना जरूर है, ताकि इसका इस्तेमाल टैरर फंडिंग और काला धन की आवाजाही में न हो।
दुनियाभर में क्रिप्टो करेंसी का कैसा है हाल
-भारत में रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगा रखा था लेकिन अमेरिका समेत कई देश इसके अनुकूल स्कीम बना रहे हैं।
- हाल ही में सेंट्रल अमेरिका के अल सल्वाडोर की कांग्रेस ने 8 जून 2021 को बिटकॉइन कानून पास किया।
-दक्षिण कोरिया जैसे ताकतवर देश भी क्रिप्टो करेंसी और एक्सचेंज को रेगुलेट करने के लिए कानूनी स्ट्रक्चर बना रहे हैं।
-इसके अलावा कई दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकी देश भी बिटकॉइन को लीगल स्टेटस देने पर काम कर रही है।
आईए जानते हैं क्या है क्रिप्टोकरेंसी और कैसे करती है काम?
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था है। कोई भी सरकार या कंपनी इस पर नियंत्रण नहीं कर सकती। इसी वजह से इसमें अस्थिरता बनी रहती है। यह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम पर काम करती है, जिसे कोई हैक नहीं कर सकता।
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क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक लेकर आ रही है। आगामी संसद सत्र में पेश किए जाने वाले अन्य बिलों के साथ सूचीबद्ध "द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड.
क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक लेकर आ रही है। आगामी संसद सत्र में पेश किए जाने वाले अन्य बिलों के साथ सूचीबद्ध "द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021" का सारांश कुछ भ्रम पैदा करता है। यह सभी "प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी" को प्रतिबंधित करने की बात करता है। अब सवाल है कि आखिर प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी क्या होता है। सरकार किस इरादे से सख्ती दिखा रही है। आइए इसको समझ लेते हैं।
क्या है क्रिप्टोकरेंसी: ये एक तरह की डिजिटल करेंसी है। इसे आप नोट या सिक्कों की तरह छू नहीं सकते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को आप बैंक अकाउंट में भी नहीं रख सकते हैं और ना ही किसी दूसरे के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस करेंसी को कोई रेग्युलेट भी नहीं करता है। मसलन, भारतीय रुपए पर किसी भी तरह का फैसला रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से लिया जाता है। इसी तरह दूसरे देशों में भी सेंट्रल बैंक ही करेंसी से जुड़े फैसले लेती हैं। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा नहीं है। इसकी निगरानी या लगाम लगाने वाली कोई संस्था नहीं है।
किन चीजों में हो रहा इस्तेमाल: डिजिटल दुनिया में कई ऐसी कंपनियां या प्लेटफॉर्म हैं जो क्रिप्टोकरेंसी के जरिए भुगतान स्वीकार कर रही हैं। वहीं, कई ऐसे भी प्लेटफॉर्म बन गए हैं जिसके जरिए आप क्रिप्टो क्वाइन खरीदते हैं। ये खरीदारी असली पैसों से की जाती है।
कैसे काम करती है करेंसी: क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है। एक ब्लॉकचेन मूल रूप से क्रिप्टो सिक्कों का उपयोग करके लेनदेन का एक विकेन्द्रीकृत खाता बही (दूसरे शब्दों में, एक रजिस्टर या फ़ाइल) है। यह कंप्यूटर के नेटवर्क में फैला हुआ है, जिसे पीयर-टू-पीयर नेटवर्क के रूप में भी जाना जाता है। इस प्रणाली का उपयोग क्रिप्टो सिक्कों का उपयोग करके किए गए किसी भी लेनदेन को प्रमाणित करने के लिए किया जाता है।
कितने क्रिप्टोकरेंसी हैं: रिसर्च फर्म CoinMarketCap.com के आंकड़ों के मुताबिक, अलग-अलग 14,500 क्रिप्टोकरेंसी हैं। इन्हें आप खरीद और बेच सकते हैं। इसमें स्थिर सिक्के भी शामिल हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी के सबसेट हैं।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी क्या है: सरकार की ओर से प्रस्तावित विधेयक में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी का जिक्र है। इसकी कोई ठोस परिभाषा नहीं है। सही मायने में, दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी (जैसे बिटकॉइन, एथेरियम, बिनेंस कॉइन, टीथर और कार्डानो) सभी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध लेज़रों का उपयोग कर रहे हैं।
अगर आपने निवेश किया है तो क्या करें: इस सवाल का जवाब आसान नहीं है। ये बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि "प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी" को कैसे परिभाषित किया जाता है। संसद में पेश किए जाने वाले विधेयक का सारांश आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के लिए एक ढांचे के निर्माण के भी संकेत देता है। कुछ हफ्ते पहले क्रिप्टो क्वाइन से होने वाली कमाई को इनकम टैक्स के दायरे में लाने की बात चल रही थी, बदलाव की घोषणा अगले साल के बजट में हो सकती है। क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म वज़ीरएक्स के संस्थापक और सीईओ निश्चल शेट्टी के मुताबिक सरकार के भीतर अधिक लोग जानते हैं कि क्रिप्टो कैसे काम करता है। ये एक अच्छी बात है। निश्चल शेट्टी इसको लेकर निश्चिंत नजर आ रहे हैं।
दुनिया के दूसरे देशों में क्या हाल: आपको बता दें कि चीन ने इस साल सितंबर महीने में देश में क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रेडिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। वहीं, कनाडा इस साल फरवरी में बिटकॉइन-ट्रेडेड फंड को मंजूरी देने वाला पहला देश बन गया। यूके नागरिकों द्वारा रखी गई क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति मानता है और निवेशक क्रिप्टो मुनाफे पर प्रॉफिट टैक्स का भुगतान करते हैं। क्रिप्टो स्वामित्व के लिए सिंगापुर की एक समान परिभाषा है। जापान में इसको भुगतान सेवा अधिनियम (पीएसए) के तहत मान्यता प्राप्त है। अधिकांश यूरोपीय संघ (ईयू) देशों में क्रिप्टोकरेंसी भी कानूनी है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट: क्रिप्टो निवेश और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, मुड्रेक्स के सह-संस्थापक एडुल पटेल ने सरकार के इस फैसले को एक अच्छा कदम करार दिया है। हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा, “घोटालों और फर्जी योजनाओं को नियंत्रित करने में मदद के लिए यह एक अच्छा कदम है। अमेरिका भी ऐसा ही रुख अपना रहा है। हालांकि, यह देखना अच्छा होगा कि 'प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी' की परिभाषा क्या है और यह कैसे विकसित होता है। ”
रिजर्व बैंक चिंतित: दरअसल, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर केंद्रीय रिजर्व बैंक और सरकार की कई चिंताएं हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसे इकोनॉमी की स्थिरता के लिए खतरा बताया था। वहीं, टेटर फंडिंग समेत अलग-अलग तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं। हालांकि, सरकार शीतकालिन सत्र में रिजर्व बैंक के सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के फॉर्मेट का भी जिक्र कर सकती है।