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लिक्विड फंड्स क्या हैं?

लिक्विड फंड्स क्या हैं?
अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स किसे कहते हैं- अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड में कुछ हफ्ते से 3 महीने तक निवेश संभव होता है और लिक्विड फंड के मुकाबले अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड में रिस्क ज्यादा होता है. दूसरे लॉन्ग टर्म फंड के मुकाबले कम रिस्क होता है और ये एफडी से ज्यादा रिटर्न देते हैं.

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मई में डेट म्यूचुअल फंड से निवेशकों ने निकाले 32,722 करोड़ रुपये, जानें क्‍या रही वजह

मौजूदा हालातों और व्यापक बाजार उम्मीदों के कारण अधिकांश वर्गो के डेट फंड्स में निकासी रही है। इसमें ओवरनाइट और लिक्विड फंड्स भी शामिल हैं। कम रिटर्न और इक्विटी को प्राथमिकता के कारण भी डेट फंड्स का निवेश प्रभावित हुआ है

नई दिल्ली, पीटीआइ। निश्चित आय (Fixed Income) वाले डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) से मई में 32,722 करोड़ रुपये की निकासी हुई है। वैश्विक कारकों के कारण महंगाई से निपटने के लिए आरबीआइ के रूख को देखते हुए पिछले महीने निकासी बढ़ी है। एसोसिएशन आफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के डाटा के अनुसार, अप्रैल में इन योजनाओं में 54,656 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था। AMFI के अनुसार, अप्रैल के मुकाबले मई में फोलियो की संख्या में भी कमी आई है। डाटा के अनुसार, अप्रैल के 73.43 लाख के मुकाबले मई में फोलियो की संख्या घटकर 72.87 लाख रह गई है।

लिक्विड फंड से कैसे अलग है अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड, इसमें किसे और कैसे करना चाहिए निवेश

लिक्विड फंड से कैसे अलग है अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड, इसमें किसे और कैसे करना चाहिए निवेश

Ultra Short Term Fund: अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जो डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं.

Invest in Ultra Short Term Fund: अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड स्कीम हैं जो डेट और मनी मार्केट सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं. इन सिक्योरिटीज की अवधि 3 महीने से 6 महीने होती है. ये फंड शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करने वालों के लिए बेहतर विकल्प हैं. क्यों कि शार्ट टर्म मेच्योरिटी होने की वजह से ये कम वोलेटाइल होते हैं और लंबी अवधि के प्रोफाइल वाले फंडों की तुलना में अधिक स्टेबल इनकम का लक्ष्य रखते हैं. कई निवेशक लिक्विड फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंड के बीच भ्रमित हो जाते हैं.

लिक्विड फंड से कैसे हैं अलग

लिक्विड फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंड के बीच मुख्य अंतर इन दो योजनाओं की मेच्योरिटी या ड्यूरेशन प्रोफाइल है. लिक्विड फंड्स डेट या मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जो 91 दिनों में मेच्योर हो जाते हैं. जबकि अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड्स की अवधि 3 से 6 महीने है. यील्ड कर्व आमतौर पर ऊपर की ओर झुका हुआ होता है. उदाहरण के लिए, 15 सितंबर 2020 तक, 3 महीने (मेच्योरिटी) गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-Sec) की यील्ड 3.31 फीसदी है, जबकि 6 महीने की G-Sec की यील्ड 3.53 फीसदी है और 1 साल की G-Sec की यील्ड 3.72 फीसदी है. (source: worldgovernmentbonds.com)

इसलिए, अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड आमतौर पर लिक्विड फंडों की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैं. हालांकि, इन फंडों की अवधि लिक्विड फंड की तुलना में लंबी है, इसलिए वे डेली या वीकली बेसिस पर लिक्विड फंडों की तुलना में थोड़ा अधिक वोलेटाइल हो सकते हैं. इसलिए, आपको अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंड के लिए लंबे समय तक निवेश करने की आवश्यकता है.

अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड: किसे करना चाहिए निवेश

ये फंड कंजर्वेटिव निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं, जिनका निवेश का लक्ष्य 3 महीने से 1 साल के बीच होता है. ध्यान दें कि अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड में सुरक्षा की गारंटी नहीं होती है, लेकिन इनमें रिस्क कम होता है. क्यों कि ये फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं. अगर आपका निवेश लक्ष्य 3 महीने से अधिक है, तो नुकसान होने की संभावना कम होती है. इसके अलावा, यह भी ध्यान देना चाहिए कि अगर आपका निवेश लक्ष्य 1 साल या उससे अधिक है, तो इसके अलावा आपके पास अधिक उपयुक्त निवेश के विकल्प हो सकते हैं.

बहुत से निवेशक, जिनके पास सरप्लस फंड्स हैं, जिनकी उन्हें अगले 3-12 महीनों में जरूरत नहीं होती है, वे इन फंडों में पैसा लगा सकते हैं. आप इन पैसों पर बचत खाते के मुकाबले ज्यादा लाभ ले सकते हैं. प्रमुख पीएसयू और निजी क्षेत्र के बैंकों की बचत बैंक ब्याज दरें वर्तमान में 2.75-3.5 फीसदी के बीच हैं. अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड आपके बचत खाते की तुलना में ज्यादा ब्याज देते हैं. वर्तमान में इन फंडों का रिटर्न 6 से 9 महीने तक प्रमुख बैंकों की एफडी की दरों से 90 से 150 बीपीएस ज्यादा है. (Source: Advisorkhoj Research and policybazaar.com data as on Aug 2020)

कैसे लगता है टैक्स

अगर आपकी निवेश की होल्डिंग अवधि 36 महीने से कम है, तो अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंडों की इकाइयों की बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन को आपकी आय में जोड़ दिया जाएगा और आपके आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाएगा.

निवेश की अवधि 3 महीने से 12 लिक्विड फंड्स क्या हैं? महीने हो तो यह बेहतर विकल्प है.
एक्सपेंस रेश्यो ज्सादा होने से शॉर्ट टर्म रिटर्न प्रभावित लिक्विड फंड्स क्या हैं? हो सकता है.
हाई क्रेडिट क्वालिटी वाले पेपर में ही पैसा लगाएं.
शॉर्ट टर्म प्रदर्शन के आणार पर स्कीम सेलेक्ट न करें, उसकी क्वालिटी जरूर चेक करें.

(लेखक: वैभव शाह, हेड–प्रोडक्ट्स, मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड)

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छोटी अवधि में कमाना चाहते हैं बड़ा मुनाफा? इन विकल्पों पर डालें नजर, सुरक्षित निवेश और जोरदार रिटर्न

लंबी अवधि के साथ-साथ लोगों को छोटी अवधि के निवेश पर भी ध्यान देना चाहिए.

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लिक्विड फंड का इस्तेमाल न्यूनतम एक दिन से लेकर 90 दिनों तक के निवेश के लिए किया जा सकता है. जैसे ही आप लिक्विड फंड्स क्या हैं? इसे रीडीम करते हैं, पैसा आपके खाते में दो से तीन व्यावसायिक दिनों के भीतर जमा कर दिया जाता है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 02, 2022, 17:10 IST
एक आर्बिट्राज फंड में इक्विटी और फ्यूचर्स दोनों शामिल होते हैं.
मनी मार्केट फंड म्यूचुअल फंड्स में से सबसे कम जोखिम वाले प्रोडक्ट हैं
पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट सबसे सुरिक्षत निवेश विकल्पों में से हैं.

नई दिल्ली. पैसों के लिए काम मत कीजिए, अपने पैसों को काम पर लगाइए. ये कहावत उन लोगों के लिए एकदम सटीक बैठती है जो ये जानते हैं कि उन्हें कहां निवेश करना है और कहां नहीं. अगर आप समझ-बूझ के साथ अपने पैसों को किसी निवेश विकल्प में लगाते हैं तो उसके डूबने की आशंका काफी कम हो जाती है. साथ ही आप पैसे से पैसा बनाने लगते हैं. इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप सही निवेश विकल्पों का चयन करें.

सावधान! अगर इन म्यूचुअल फंड्स स्कीम में लगाया हैं पैसा तो हो सकता है भारी नुकसान, जानिए क्यों

सावधान! अगर इन म्यूचुअल फंड्स स्कीम में लगाया हैं पैसा तो हो सकता है भारी नुकसान, जानिए क्यों

  • News18 हिंदी
  • Last Updated : June 06, 2019, 14:53 IST

अगर आप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक खास स्कीम में पैसा लगाने वाले निवेशक लगातार अपने वित्तीय सलाहकार को फोन कर रहे हैं या फिर इसको लेकर उनसे सलाह मांग रहे हैं. ये फंड्स स्कीम डेट म्यूचुअल फंड की है. इसमें पैसा लगाने वाले निवेशकों की इन दिनों नींद उड़ी है, क्योंकि इस समय डेट फंड्स को लेकर लगातार निगेटिव खबरें आ रही है. इस पर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि डेट फंड का संकट की शुरुआत IL&FS से हुई है. वहीं, अब दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड को लेकर बड़ी खबर आई है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल और इक्रा ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड यानी DHFL के कॉमर्शियल पेपर प्रोग्राम की रेटिंग घटा दी है. कंपनी की लिक्विडिटी क्राइसिस की वजह से रेटिंग घटाई गई है. क्रिसिल ने कंपनी के कॉमर्शियल पेपर की रेटिंग A4+ से घटा कर 'D' यानी डिफॉल्ट कर दी है. इक्रा ने भी इसकी रेटिंग घटा कर D कर दी है. रेटिंग एजेंसियों का मानना है कि कंपनी निवेशकों को ब्याज का पेमेंट नहीं कर पाएगी.

म्‍यूचुअल फंड यूनिट भुनाने की यह है प्रक्रिया

अगर आप म्‍यूचुअल फंड का यूनिट भुनाना चाहते हैं तो यह काम काम किसी भी बिजनेस डे को आप इसकी प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं। अगर आप खुद जाकर यह काम करना चाहते हैं तो आपको म्‍यूचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट से पहले ट्रांजैक्‍शन स्लिप डाउनलोड कर लीजिए और उसे अच्‍छी तरह भर लीजिए। इय रिडेंप्‍शन अप्लिकेशन को आप म्‍यूचुअल फंड कंपनी के आधिकारिक कार्यालय में जमा करवा सकते हैं। आप चाहें तो म्‍यूचुअल फंड कंपनियों की ऑनलाइन सुविधा का इस्‍तेमाल भी कर सकते हैं। कई म्‍यूचुअल फंड कंपनियां अपनी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन रिडेंप्‍शन (म्‍यूचुअल फंड यूनिट भुनाने) की सुविधा उपलब्‍ध कराती हैं। अगर आपने ऑनलाइन पोर्टल के जरिए निवेश किया है तो आप ऑनलाइन फैसिलिटी का इस्‍तेमाल करते हुए अपने यूनिट भी भुना सकते हैं।

अगर आपने लिक्विड या डेट ओरिएंटेड म्‍यूचुअल फंडों में निवेश किया हुआ है तो आपको एक से दो दिनों में पैसे मिल जाएंगे। इक्विटी फंडों का पैसा 4-5 दिनों में निवेशकों के पास आ जाता है। हां, ध्‍यान रखने लायक बात यह है कि अगर आपने इक्विटी फंडों में निवेश किया हुआ है और यूनिट खरीदने के 365 दिनों के भीतर उसे भुना रहे हैं तो आपको एक फीसदी का एक्जिट लोड देना लिक्विड फंड्स क्या हैं? पर सकता है। लिक्विड फंड, अल्‍ट्रा शॉर्ट टर्म फंड्स आदि पर कोई एक्जिट लोड नहीं लगता है।

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