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Mukhyamantri Work From Home Yojana 2022 मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम योजना 2022 का नोटिफिकेशन जारी, घर बैठे मिलेगी नौकरी
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रोजगार एवं आजीविका के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को बढ़ाने, उन्हें आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने एवं उनके जीवन स्तर में सुधार लाने हेतु इस योजना की शुरुआत की गई है. राजस्थान मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम योजना 2022 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है. मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम योजना 2022 में राजस्थान की मूल निवासी महिलाओं को घर बैठे रोजगार तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं के अवसर प्रदान किये जाएंगे. निदेशालय महिला अधिकारिता, झालाना संस्थानिक क्षेत्र जयपुर की ओर से यह नोटिफिकेशन जारी किया गया है. सीएम वर्क फ्रॉम होम योजना 2022 में 20,000 महिलाओं को लाभान्वित किया जाएगा. इस योजना के लिए योग्य एवं इच्छुक महिलाएँ आवेदन कर सकती हैं. इसके लिए शैक्षणिक योग्यता 5वीं/ 8वीं/ 10वीं और 12वीं पास रखी गई है. Mukhyamantri Work From Home Yojana 2022 की आयु सीमा, आवेदन शुल्क, शैक्षणिक योग्यता, उद्देश्य, लाभ, आवश्यक दस्तावेज आदि संपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है.
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Mukhyamantri Work From Home Yojana 2022
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Mukhyamantri Work From Home Yojana 2022 का उद्देश्य
मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम योजना 2022 उद्देश्य :-
- महिलाओं को उनकी अभिरुचि एवं क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए वर्क फ्रॉमहोम – जॉब वर्क से जोड़ना हैं.
- तकनीकी / कौशल एवं अन्य किसी क्षेत्र में दक्ष महिलाओं को जो वर्क फ्रॉम होम- जॉब वर्क करने की इच्छुक है उनको राजकीय विभागों, स्वायत्तशासी संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमों एवं निजी क्षेत्र में वर्क फ्रॉम होम-जॉब वर्क के अवसर प्रदान करना हैं.
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Mukhyamantri Work From Home Yojana 2022 Eligibility पात्रता
- महिला अभ्यर्थी राजस्थान में निवास करती हो.
- महिला अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो (आवेदन करने की तिथि को आधार मानकर)
Rajasthan CM Work From Home Yojana 2022 प्राथमिकता
- विधवा
- परित्यक्ता/तलाकशुदा
- दिव्यांग
- हिंसा से पीड़ित महिला
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राजस्थान वर्क फ्रॉम होम योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज Required Documents
- आधार कार्ड
- मोबाइल तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं नंबर (आधार कार्ड से लिंक होने चाहिए)
- निवास प्रमाण पत्र
- राशन कार्ड
- पासपोर्ट साइज़ फोटो
- आय प्रमाण पत्र
- जनाधार कार्ड
- जन्म प्रमाण पत्र
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Mukhyamantri Work From Home Yojana 2022 Guidlines दिशा निर्देश
राजस्थान मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम योजना 2022 के क्रियान्वयन हेतु दिशा निर्देश निम्न प्रकार हैं-
- निदेशालय महिला अधिकारिता द्वारा DOIT&C के माध्यम से पोर्टल तैयार करवाया जाएगा या पोर्टल पर वर्क फ्रॉम होम-जॉब वर्क के अवसर उपलब्ध करवाने वाले नियोजनकर्ताओं को ससे जोड़ा जाएगा. तदनुसार इच्छुक महिलाओं का पंजीकरण करवाया जाएगा.
- योजना के क्रियान्वयन हेतु निदेशालय महिला अधिकारिता में योजना क्रियान्वयन इकाई का ठन किया जाएगा. जिसके द्वारा निम्नानुसार कार्य किये जाएगें.
- विभाग द्वारा प्रदत्त लक्ष्यो के अनुरूप महिलाओं को वर्क फ्रॉम हॉम-जॉब वर्क से जोड़ना.
- तकनीकी/कौशल एवं अन्य किसी क्षेत्र में दक्ष महिलाओं को जो वर्क फ्रॉम होम-जॉब वर्क करने की इच्छुक है उनके अधिकाधिक आवेदन आमंत्रण हेतु प्रयास करना.
- पोर्टल पर प्राप्त डाटा का विश्लेषण तथा रिपोर्ट जनरेशन.
- सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के नियोजको से तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं सम्पर्क एवं समन्वय कर उनके यहाँ उपलब्ध वर्क फ्रॉम हॉम-जॉब वर्क के अवसरो की पहचान करना तथा महिलाओं को इनसे जोड़ना.
- योजना के प्रचार-प्रसार हेतु तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं आईईसी सामग्री तैयार करना.
- योजना से औद्योगिक संस्थाओं को जोड़ने तथा उनके संवेदीकरण हेतु कार्यशाला, सेमिनार इत्यादि का आयोजन. योजना के माध्यम से वर्क फ्रॉम तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं हॉम-जॉब वर्क से लाभान्वित महिला की समय-समय पर ट्रेकिंग, मोनिटरिंग कर विभाग को रिपोर्ट करना.
- पोर्टल पर प्राप्त डाटा का विश्लेषण करते हुए विभाग को नवाचार संबन्धी सुझाव देना.
नोट :- मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम योजना 2022 की विस्तृत जानकारी के लिए आप नीचे दिया गया ऑफिशियल नोटिफिकेशन ध्यान पूर्वक पढ़ सकते हैं.
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Mukhyamantri Work From Home Yojana 2022
CM Work From Home Yojana 2022 Official Notification
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जी20 शेरपा बैठक के उदयपुर में तैयारी जोरों पर
उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर (Udaipur) शहर में अगले महीने भारत की अध्यक्षता में होने वाली जी20 (G20) देशों की शेरपा (Sherpa) बैठक की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। शहर और उसके आसपास के पर्यटन गंतव्यों को विशेष तौर पर सजाया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस ऐतिहासिक आयोजन की तैयारियों को इसी महीने अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
उदयपुर शहर के साथ विश्व धरोहर स्थल कुंभलगढ़ किला (राजसमंद) और लोकप्रिय रणकपुर जैन मंदिर (पाली) को भी वीवीआईपी दर्शन के लिए तैयार किया जा रहा है। जी20 शेरपा बैठक पांच से सात दिसंबर तक उदयपुर में की आयोजित की जाएगी। भारत की जी20 अध्यक्षता में यह पहली शेरपा बैठक होगी।
गौरतलब है कि भारत को एक दिसंबर 2022 से तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं अगले एक साल लिए जी20 समूह की अध्यक्षता मिल रही है। इस दौरान राजस्थान के उदयपुर और जोधपुर सहित देशभर के विभिन्न स्थानों पर 200 से अधिक बैठकें होनी हैं। दिसंबर के पहले सप्ताह में उदयपुर में शेरपा बैठक के बाद जोधपुर में दो से चार फरवरी 2023 तक रोजगार कार्यदल की पहली बैठक आयोजित की जाएगी।
उदयपुर के जिला कलेक्टर तारा चंद मीणा ने कहा कि इस ऐतिहासिक आयोजन से जुड़ी सभी तैयारियां 30 नवंबर तक पूरी कर ली जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस आयोजन की मेजबानी में मेवाड़ी मेहमानवाजी की झलक पेश कर उदयपुर देश-दुनिया के सामने अनूठी मिसाल पेश करेगा।
जिला कलेक्टर ने बताया कि सड़कों की मरम्मत और सौंदर्यीकरण का कार्य जोरों पर है। उन्होंने कहा कि तालाबों की सफाई, धरोहर स्थलों पर रोशनी की व्यवस्था और घाटों के सौंदर्यीकरण के काम में भी संबंधित विभाग के कर्मचारी जुटे हुए हैं। क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय (उदयपुर) में उप निदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि पूरे शहर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, जिसमें दीवार पर पेंटिंग बनाना, साज-सज्जा करना और रंग-बिरंगी लाइटें लगाना आदि शामिल है। उन्होंने कहा, बैठक में आने वाले प्रतिनिधियों को राजस्थान के रंग में रंगी भारतीय संस्कृति का अनुभव होगा। पूरे शहर को सजाया-संवारा जा रहा है। प्रतिनिधियों को शिल्प ग्राम में ग्रामीण जीवन की झलक मिलेगी। आकर्षक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आतिथ्य का मुख्य आकर्षण होंगी।
सक्सेना ने बताया, शहर के विभिन्न हिस्सों में दीवारों पर आकर्षक चित्र बनाए गए हैं। प्रतिनिधियों को राजस्थानी व्यंजन भी परोसे जाएंगे। हालांकि, अभी मेन्यू को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे। इसमें हिस्सा लेने वाले देशों के प्रतिनिधियों को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
अधिकारी के मुताबिक, प्रतिनिधि चार दिसंबर को उदयपुर पहुंचेंगे और उनके लिए एक निजी होटल में भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पांच दिसंबर को होटल ताज फतेह प्रकाश पैलेस के दरबार हॉल में चर्चा शुरू होगी। इस दौरान तकनीकी परिवर्तन और हरित विकास जैसे विषयों पर सत्र आयोजित किए जाएंगे। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, पांच दिसंबर की शाम को प्रतिनिधियों को सिटी पैलेस और जगमंदिर ले जाया जाएगा, जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम और रात्रिभोज होगा।
सूत्रों के मुताबिक, छह दिसंबर को ‘त्वरित, समावेशी और लचीला विकास’, ‘बहुपक्षवाद’, ‘खाद्य, ईंधन और उर्वरक’ और ‘महिला नेतृत्व विकास’ विषय पर सत्र आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि छह दिसंबर की शाम को प्रतिनिधि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के शिल्प ग्राम का दौरा करेंगे और रात में सिटी पैलेस परिसर में माणक चौक पर सांस्कृतिक प्रदर्शन का लुत्फ उठाएंगे।
सूत्रों के अनुसार, बैठक के अंतिम दिन सात दिसंबर को प्रतिनिधि राजसमंद में 15वीं शताब्दी के भव्य कुंभलगढ़ किले का दौरा करने के लिए 80 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करेंगे। यह किला अरावली की पहाड़ियों पर स्थित है और मेवाड़ के महान राजा महाराणा प्रताप का जन्मस्थान है। कुंभलगढ़ से प्रतिनिधि 15वीं शताब्दी के एक अन्य स्मारक-पाली के रणकपुर मंदिर भी जाएंगे। यह मंदिर देश के सबसे शानदार वास्तुशिल्प स्मारकों में से एक है।
जी20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी समूह है। इसके सदस्यों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। (भाषा)
वित्त वर्ष 2022 में डिस्कॉम की सकल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों में उल्लेखनीय कमी आई
सकल तकनीकी और वाणिज्यिक हानि (एटी एंड सी लॉस) एवं एसीएस-एआरआर गैप (अंतर) डिस्कॉम के कार्य प्रदर्शन के प्रमुख संकेतक होते हैं। पिछले 2 वर्षों में, देश के डिस्कॉम्स की एटी एंड सी हानि 21 से 22 प्रतिशत के बीच रही। विद्युत मंत्रालय ने यूटिलिटीज के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय किए हैं। 96 प्रतिशत से अधिक इनपुट ऊर्जा का योगदान करने वाली 56 डिस्कॉम्स के आंकड़ों का शुरूआती विश्लेषण यह दर्शाता है कि डिस्कॉम्स की सकल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों में महत्वपूर्ण कमी दर्ज हुई है। ये हानियां जो वित्त वर्ष 2021 में 22 प्रतिशत थी, 2022 में घटकर 17 प्रतिशत हो गई।
एटीएंडसी हानियों में कमी से यूटिलिटीज की वित्तीय स्थिति बेहतर होती है, जो इन्हें अपनी प्रणाली को बेहतर बनाए रखने और अपनी आवश्यकतानुसार बिजली खरीदने में सक्षम बनाती है। इसके अलावा इससे उपभोक्ता भी लाभान्वित होते है। एटीएंडसी हानियों में कमी से आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस) और औसत वसूली योग्य राजस्व (एआरआर) के बीच के अंतर में कमी आई है। एसीएस-एआरआर गैप (सब्सिडी प्राप्त आधार पर, नियामक आय और उदय अनुदान को छोड़कर) में कमी आई है, जो वित्त वर्ष 2021 में 0.69 रुपये किलोवॉट प्रति घंटा से घटकर वित्त वर्ष 2022 में 0.22 रुपये किलोवॉट प्रति घंटा हो गई थी।
एक वर्ष में एटीएंडसी हानियों में 5 प्रतिशत की गिरावट और एसीएस-एआरआर गैप (अन्तर) में 47 पैसे की कमी होना विद्युत मंत्रालय द्वारा की गई कई पहलों के कारण हुआ। 04 सितंबर 2021 को, विद्युत मंत्रालय ने पीएफसी और आरईसी के मानदंडों में विवेकपूर्ण संशोधन किया है, ताकि विद्युत क्षेत्र की ऋण देने वाली शीर्ष एजेंसियां घाटे में चल रही डिस्कॉम पीएफसी और आरईसी से तब तक वित्तपोषण प्राप्त नहीं कर पाएंगी जब तक कि वे निर्धारित समय सीमा में अपनी हानियों को कम करने की योजना तैयार नहीं करती और अपनी राज्य सरकार की प्रतिबद्धता प्राप्त नहीं कर लेती। विद्युत मंत्रालय ने यह भी निर्णय लिया कि डिस्कॉम द्वारा वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए किसी भी योजना के तहत भविष्य में कोई भी सहायता उस डिस्कॉम को उपलब्ध होगी जो घाटे में चल रही है, लेकिन वह निर्धारित समय सीमा में अपने एटीएंडसी घाटे/एसीएस-एआरआर गैप (अंतर) को निर्दिष्ट स्तरों तक लाने के लिए प्रतिबद्ध है और उसने इसके लिए राज्य सरकार से प्रतिबद्धता प्राप्त कर ली है। पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना यह निर्दिष्ट करती है कि इस योजना के तहत वित्त पोषण तभी उपलब्ध होगा जब डिस्कॉम हानि कम करने के बारे में सहमत हो। विद्युत मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग के समक्ष अनेक प्रस्तुतियां दी, जिसके परिणामस्वरूप 15वें वित्त आयोग ने राज्यों को उनकी डिस्कॉम हानियां कम करने के बारे में कदम उठाने के लिए एक अतिरिक्त उधार विंडो उपलब्ध कराई। विद्युत मंत्रालय ने 07 अक्टूबर 2021 को सभी डिस्कॉम के लिए अनिवार्य ऊर्जा लेखांकन और ऊर्जा लेखा परीक्षा प्रदान करने वाले विनियम जारी किए थे। 03 जून 2022 को, विद्युत मंत्रालय ने ‘लेट पेमेंट सरचार्ज रूल्स’ जारी किए, जिसमें यह प्रावधान है कि जब तक वितरण कंपनियां आईएसटीएस से ली गई बिजली के लिए तुरंत भुगतान नहीं करतीं, तब तक विद्युत एक्सचेंज तक उनकी पहुंच को बंद कर दिया जाएगा। इन तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं व्यवस्था के लिए विद्युत मंत्रालय ने हानि कम करने के उपाय हेतु आरडीएसएस के तहत आवश्यक वित्त प्रदान करने के लिए वितरण कंपनियों के साथ भी तकनीकी विश्लेषण की सीमाएं मिलकर काम किया।
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उपरोक्त सुधारों को लागू करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए विद्युत मंत्रालय और राज्य सरकारों के साथ-साथ वितरण कंपनियों ने ठोस प्रयास किए है। जिसके परिणामस्वरूप विद्युत व्यवस्था की व्यवहार्यता में सुधार हुआ है। ये सुधार करना आवश्यक भी था क्योंकि बिजली की मांग बढ़ रही है और बढ़ती मांग को पूरा करने और विद्युत क्षेत्र के विस्तार और निवेश के लिए ये आवश्यक भी थे, तभी निवेश भी आएगा और विद्युत क्षेत्र व्यवहार्य भी बना रहेगा।
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Marked Reduction in Aggregate Technical and Commercial losses of DISCOMs in FY22Ministry of Power institutes number of measures to improve the performance of [email protected]_India @DDNewslive @airnewsalerts @[email protected] Read more: https://t.co/RWISQLnVGN
डायनासोर से ठीक पहले था इस जीव का राज, धरती पर 90 फीसदी जानवरों के सफाए में भी बच गया था 'गोर्गोनोप्सियन'
नवभारत टाइम्स 1 घंटे पहले
वॉशिंगटन:
एक नए शोध में पर्मियन अवधि (25-30 करोड़ साल पहले) के अंत में गोर्गोनोप्सियन (Gorgonopsians) नाम के जीवों के समूह के विलुप्त होने से जुड़ी नई जानकारी सामने आई है। माना जाता था कि उस समय पृथ्वी पर अधिकांश जीवों के साथ-साथ इन विचित्र जानवरों की भी मृत्यु हो गई थी। लेकिन वैज्ञानिकों ने नए शोध में पाया है कि इनमें से कुछ ट्रायसिक काल (20-25 करोड़ साल) तक जीवित रहे। हालांकि उनकी संख्या बहुत कम हो गई थी। दक्षिण अफ्रीका में कारू बेसिन में पाए गए तीन नमूनों के विश्लेषण से पता चलता है कि ये जीव 'ग्रेट डाइंग' में बच गए थे।
ग्रेट डाइंग में ज्वालामुखी फट रहे थे, जिसने पूरे पृथ्वी पर तबाही मचाई थी। ग्रेड डाइंग 25.1 करोड़ साल पहले हुई थी। इस दौरान धरती पर मौजूद लगभग 90 फीसदी प्रजातियां विलुप्त हो गई थीं। गोर्गोनोप्सियन एक अपवाद था, लेकिन बचने के बावजूद भी उनकी संभावनाएं बहुत अच्छी नहीं थीं। उत्तरी कैरोलिना म्यूजियम में जीवाश्म विज्ञान के क्यूरेटर और इस प्रोजेक्ट के सह-शोधकर्ता क्रिश्चियन कम्मेरर ने कहा कि इन जीवों के बचने को 'डेड क्लेड वॉकिंग' कहते हैं। डेड क्लेड वॉकिंग ऐसे जीवों से जोड़ा जाता है, जो किसी बड़े विनाश में बच तो जाते हैं, लेकिन उनके जीवित रहने की संभावनाएं ज्यादा नहीं रहती हैं। अंत में वह खत्म हो जाते हैं।
लाखों वर्षों तक रह सकते हैं जीवित
उन्होंने कहा कि डेड क्लैड विलुप्त होने के लाखों वर्षों तक रह सकते हैं, लेकिन पारिस्थितिकी तंत्र में कभी भी वह वापस नहीं आ पाते, इसलिए वह मृत ही माने जाते हैं। जिन जीवों पर ये निर्भर रहते हैं, उनके खत्म होने से ही इनका भी खात्मा होने लगता है। इन जीवों से जुड़ा शोध 3 नवंबर को कनाडा के टोरंटो में सोसायटी ऑफ वर्टेब्रेट पेलियंटोलॉजी के वार्षिक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया। हालांकि अभी तक यह किसी जर्नल में प्रकाशित नहीं हुआ है।
25 करोड़ साल पुरानी खोपड़ी मिली
इस जीव को एक ग्रीक राक्षसी जीव गॉर्गन्स के नाम पर गोर्गोनोप्सियन कहा गया है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक ये जानवर अपनी आंखों से देख कर किसी भी जीव को पत्थर बना देता था। गोर्गोनोप्सियन ऐसे जीव थे जो डायनासोर से भी पहले होते थे। डायनासोर की बात करें तो वह 23 से 24 करोड़ साल पहले दुनिया में आए। शोधकर्ताओं को करू बेसिन से एक आंशिक गोरगोनोप्सियन की खोपड़ी के बारे में पता चला था, जो 25.19 करोड़ साल से 25.12 करोड़ साल पुरानी थी।