मुद्रा पूर्ण

मुद्रा पूर्ण
मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित स्याही कारख़ाना, बैंक नोट मुद्रणालय, देवास; चलार्थ पत्र (करेंसी नोटों) मुद्रणालय के मुद्रण तथा प्रतिभूति स्याही के निर्माण में कार्यरत है। यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के पूर्ण स्वामित्वधीन वाली एक मुद्रा पूर्ण सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम, भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल के अधीन एक इकाई है। स्याही कारखाने की स्थापना वर्ष 1974 में की गई थी। प्रारंभ में यहाँ के मुख्य उत्पादों में ड्राई ऑफसेट स्याही, लेटरप्रेस और ग्रेवयूर स्याही आदि शामिल थे। समय के साथ कारखाने के वैज्ञानिकों ने अपने अथक प्रयासों से विभिन्न प्रतिभूति उत्पादों में प्रयोग होने वाली विभिन्न प्रकार की स्याही को विकसित किया है।
पासपोर्ट, वीज़ा, डाक टिकटों, डाक संबंधी स्टेशनरी, बैंक दस्तावेजों, प्रमाण-पत्रों आदि के लिए स्याही का निर्माण स्याही कारखाने में किया जाता हैं जिसकी आपूर्ति विभिन्न प्रतिभूति मुद्रणालयों जैसे भारत प्रतिभूति मुद्रणालय, चलार्थ पत्र मुद्रणालय एवं प्रतिभूति मुद्रण मुद्रणालयों में की जाती हैं। स्याही कारखाने की कुछ महत्तव्पूर्ण उपलब्धियों का उल्लेख करे तो सभी स्याहियों के निर्माण हेतु आंतरिक विकास, स्याही, नंबरिंग स्याही, अदृश्य स्याही, द्विध्रुवीय(बाई फ्लूअरेसन्ट) स्याही, अवरक्त संवेदनशील स्याही, पारंपरिक इंटाग्लियो स्याही और सबसे महत्वपूर्ण क्विकसेट इंटाग्लियो स्याही है।
पूर्व में बैंक नोट मुद्रणालय, देवास एवं इसके साथ हि अन्य करेंसी/चलार्थ पत्र मुद्रणालयों में क्विकसेट इंटाग्लियो स्याही की आपूर्ति विदेश से की जाती थी। वर्ष 2006 में स्याही कारखानें ने क्विकसेट इंटाग्लियो स्याही को आंतरिक रूप से विकसित करने के लिए चुनौती को स्वीकार किया। कारखाने के वैज्ञानिकों के द्वारा विभिन्न अनुसंधान एवं विकास से संबन्धित प्रयास किए गए। वर्ष 2009-10 में स्याही का व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया गया।
प्रारंभ में स्याही कारखाने की स्थापना 240 मेट्रिक टन विभिन्न स्याहियों मुद्रा पूर्ण के निर्माण के लिए की गई थी। बैंक नोटों की बढ़ती मांग को देखते हुए स्याही कारखाने के समांतर विस्तार की आवश्यकताओं को पहचाना गया एवं एसपीएमसीआईएल निगम मुख्यालय तथा वित्त मंत्रालय ने नई स्याही कारखाने के निर्माण एव 1500 मेट्रिक टन विभिन्न स्याहियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई मशीनों एवं अन्य सहायक उपस्करों के संबंध में निर्णय लिया गया। स्याही कारख़ाना बैंक नोट मुद्रणालय, चलार्थ पत्र मुद्रणालय, भारत प्रतिभूति मुद्रणालय तथा प्रतिभूति मुद्रण मुद्रणालय को उनकी कुल मांग के हिसाब से ओवीआई/सीएसआई स्याही के अलावा सभी स्याहियों की आपूर्ति की जाती हैं। स्याही के अतिरिक्त उत्पादन को बीआरबीएनएमपीएल के मैसूर और शालबनी स्थित मुद्रणालयों में नियमित रूप से भेजा जाता हैं। एक बार पुराने संयंत्र एवं मशीनों के नए संयंत्र में सम्मिलित होने के पश्चात तथा इसके पूर्ण रूप से प्रचालन के उपरांत स्याही कारखाने के उत्पादन की क्षमता 1500 मेट्रिक टन प्रतिवर्ष तक बढ़ जाएगी।
भुगतान मुद्रा पूर्ण संतुलन आधारित विदेशी मुद्रा भंडार 2016-17 में 21.6 अरब डॉलर बढ़ा
वित्त वर्ष 2016-17 में चालू खाता अधिशेष 15.3 अरब डॉलर रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 22.2 अरब डॉलर था. पूंजी खाता आलोच्य वित्त वर्ष में बढ़कर 36.8 अरब डालर रहा लेकिन वित्त वर्ष 2015-16 में इसमें 40.1 अरब डालर की बढ़ोत्तरी हुई थी.
राहुल मिश्र
- नई दिल्ली,
- 16 जून 2017,
- (अपडेटेड 16 जून 2017, 5:59 PM IST)
भुगतान संतुलन आधारित विदेशी मुद्रा भंडार वित्त वर्ष 2016-17 में 21.6 अरब डॉलर बढ़ा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष 2015-16 में 17.9 अरब डॉलर बढ़ा था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान मूल्य के हिसाब से विदेशी मुद्रा भंडार 9.8 अरब डॉलर बढ़ा है जबकि 2015-16 में इसमें 18.5 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी.
वित्त वर्ष 2016-17 में चालू खाता अधिशेष 15.3 अरब डॉलर रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 22.2 अरब डॉलर था. पूंजी खाता आलोच्य वित्त वर्ष में बढ़कर 36.8 अरब डालर रहा लेकिन वित्त वर्ष 2015-16 में इसमें 40.1 अरब डालर की बढ़ोत्तरी हुई थी. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 2016-17 में बढ़कर 35.6 अरब डालर रहा जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 36 अरब डालर था.
भारतीय कंपनियों का मई में विदेशों में प्रत्यक्ष निवेश घटा
भारतीय कंपिनयों का विदेशी निवेश इस साल मई में 1.26 अरब डालर रहा जो पिछले साल इसी माह की तुलना में 56 प्रतिशत कम रहा. भारतीय कंपनियों ने एक वर्ष पूर्व इसी महीने में 2.84 अरब डालर का निवेश किया था. रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार भारतीय कंपनियों का विदेशी निवेश मासिक आधार पर भी घटा है.
अप्रैल 2017 में यह 3.15 मुद्रा पूर्ण अरब डालर था और इसकी तुलना में मई में 60 प्रतिशत घटा. प्रमुख निवेशकों में फार्मा कंपनी डा. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने स्विटजरलैंड स्थित अपनी पूर्ण अनुषंगी इकाई में 26.3 करोड़ डालर का निवेश किया. वहीं ओएनजीसी विदेश लि. ने अपने संयुक्त उद्यम तथा पूर्ण अनुषंगी में 7.408 करोड़ डालर का निवेश किया.
मुद्रा, निकट मुद्रा,आदेश व न्यास मुद्रा, पूर्ण काय व प्रतिनिधि पूर्ण काय मुद्रा।
1) मुद्रा वह कोई वस्तु है जिसे सामान्यतः स्वीकार किया जाता है। वह वस्तु विनिमय का माध्यम, मूल्य माप तथा मूल्य संयम का कार्य करती है।
1) निकट मुद्रा वह है जिसका प्रयोग प्रत्यक्ष लेनदेन के लिए नहीं होता। इसे अल्पकाल में मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है।
2) मुद्रा का प्रयोग प्रत्यक्ष रुप से वस्तुओं तथा सेवाओं के विनिमय के लिए होता है।
2) निकट मुद्रा का प्रयोग अप्रत्यक्ष रूप से विनिमय के रूप में होता है।
3) मुद्रा में तरलता पाई जाती है।
3) निकट मुद्रा में तरलता नहीं पाई जाती।
4) मुद्रा में सिक्के, करंसी तथा बैंक मांग जामाएं शामिल होती है।
4) निकट मुद्रा में बॉन्ड, शेयर, डिवेंचर, विनिमय पत्र, ट्रेजरी बिल्स, समय जमा तथा बीमा पॉलिसी आदि शामिल होती है।
5) मुद्रा से आय प्राप्त नहीं होती।
5) निकट मुद्रा से आय प्राप्त होती है।
6) मुद्रा एक विस्तृत धारणा है।
6) निकट मुद्रा केवल मुद्रा का ही एक घटक है।
प्रश्न : आदेश मुद्रा (प्रदिश्ट मुद्रा) तथा न्यास मुद्रा में क्या अंतर है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : आदेश मुद्रा और मुद्रा पूर्ण न्यास मुद्रा के अंतर को लिखने के लिए मध्य में एक लाइन खींचना उचित रहेगा।
1) आदेश मुद्रा वह मुद्रा होती है जो सरकार के आदेश पर जारी की जाती है। इसमें सभी प्रकार के सिक्के व नोट शामिल किए जाते हैं।
1) न्यास मुद्रा वह मुद्रा होती है जो विनिमय के रूप में स्वीकार की जाती है क्योंकि यह मुद्रा प्राप्तकर्ता तथा अदा करता के मध्य परस्पर विश्वास पर आधारित होती है इसलिए इसे न्यास मुद्रा कहा जाता है। इसमें चेक आदि शामिल किए जाते हैं।
2) आदेश मुद्रा एक अपरिवर्तनशील मुद्रा का रूप है।
2) न्यास मुद्रा मुद्रा पूर्ण एक परिवर्तनशील मुद्रा का रूप है।
3) आदेश मुद्रा के पीछे किसी भी प्रकार के कोष नहीं रखे जाते।
3) न्यास मुद्रा के समर्थन में कोष रखे जाते हैं।
4) आदेश मुद्रा की मात्रा सीमित होती है।
4) न्यास मुद्रा की मात्रा असीमित होती है।
5) आदेश मुद्रा को सरकार संकटकाल में जारी करती है इसलिए इसे संकट कालीन मुद्रा भी कहा जाता है।
5) न्यास मुद्रा को कभी भी जारी किया जा सकता है।
6) आदेश मुद्रा को एक देश में रहने वाले व्यक्तियों को कानूनी तौर पर इसे विनिमय के माध्यम में स्वीकार करने के लिए बाध्य होना पड़ता है।
6) न्यास मुद्रा में व्यक्ति समय सीमा के साथ बंधा रहता है।
प्रश्न : पूर्ण काय मुद्रा (संपूर्ण मूर्तिमान मुद्रा) और प्रतिनिधि पूर्ण काय मुद्रा (प्रतिनिधि पूर्ण मूर्तिमान मुद्रा) किसे कहते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर-
पूर्ण – काय मुद्रा :
पूर्ण काय मुद्रा व मुद्रा होती है जो सिक्कों के रूप में जारी की जाती है जब पूर्ण काय मुद्रा को जारी किया जाता है तब पूर्ण काय मुद्रा की कीमत वस्तु की कीमत के बराबर होती है ।
उदाहरण : प्राचीन काल के मुद्राएं जैसे सोना, चांदी, मवेशी आदि। इनका गैर मौद्रिक प्रयोग मान = मौद्रिक प्रयोग में मान था। आधुनिक युग में पूर्ण मूर्तिमान मुद्रा का प्रचलन तब तक था जब तक स्वर्ण मान में सोने के सिक्के तथा रजत मान में चांदी के सिक्के बनते थे। द्वि – धातु मान में सोने और चांदी दोनों सिक्के बनते थे, तब भी पूर्ण काय मुद्रा का प्रचलन था।
प्रतिनिधि पूर्ण काय मुद्रा : यह मुद्रा कागजी मुद्रा होती है। जब पूर्ण मूर्तिमान मुद्रा की मात्रा या सोना, चांदी के भंडार गृह (सुरक्षित कोष) में जमा करवाया जाता है तो इसकी चल पावती (प्रचलन में आ गई रसीद) होती है। मुद्रा की भारी राशियों को इधर-उधर ले जाने में इस प्रकार के मुद्रा का उपयोग होता था। यह काफी बचतपूर्ण था क्योंकि कागज के एक पुर्जे को ले जाना आसान था जबकि सोने के सिक्कों को ढोना कठिन था।
By:
Manish Kapoor
Lecturer in Economics