भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए रणनीतियाँ

पैराबोलिक

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AUD करेंसी इंडेक्स तकनीकी विश्लेषण - AUD करेंसी इंडेक्स ट्रेडिंग: 2015-11-09

ऑस्ट्रेलियाई डॉलर पैराबोलिक इंडेक्स ऑस्ट्रेलिया (RBA) के गवर्नर ग्लेन स्टीवंस रिजर्व बैंक से सकारात्मक टिप्पणी और मजबूत आंकड़ों के कारण से बढ़ रही है . क्या ये ट्रेंड जारी रहेगा ?

ग्लेन स्टीवंस ने उल्लेख किया हे ऑस्ट्रेलिया में गैर-संसाधन के क्षेत्र में मजबूत वृद्धि का सामना कर रहा था जो रोजगार को बेहतर बनाता है . उन्होंने कहा पैराबोलिक कि अब तक आगे मौद्रिक सहजता में कोई जरूरत नहीं थी. फलस्वरूप, ऑस्ट्रेलियाई मुद्रा अन्य मुद्राओं के मुकाबले मजबूत. RBA दर जो 2% है अब तक ECB दर (0.05%) ऊपर है, बैंक ऑफ़ इंग्लैंड रेट (0.5%) , बैंक ऑफ़ कनाडा रेट (0.5%) और अन्य विकसित देशों में दरों . अनुबंधित ऑस्ट्रेलिया के व्यापार घाटे 7 महीने में इसकी सबसे कम करने के लिए सितंबर में अतिरिक्त पैराबोलिक सकारात्मक प्रभाव पड़ा. शुक्रवार को मजबूत अमेरिका के श्रम बाजार के आँकड़े जारी किया गया था उल्लेखनीय है कि अमेरिकी डॉलर को धक्का दे दिया . मार्केट्स फैसला किया है मजबूत डेटा फेड 16 दिसंबर को उनकी अगली बैठक पर दरों में वृद्धि देना होगा . अमेरिका बांड उपज ऊपर अपने 5 साल के उच्च तक पहुंच गया था।. इस मामले में ज़रूर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई. फिर भी, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर इंडेक्स ऑस्ट्रेलियाई टीम के अन्य मुद्राओं की तुलना में अधिक मांग में है मतलब हो सकता है, जो ऊपर की प्रवृत्ति में अब भी है.

दैनिक चार्ट पर PCI इंस्ट्रूमेंट AUD_Index: D1 गिरावट से अपट्रेंड में बदल दिया गया है. यह अपने 200 दिन के औसत से नीचे चल रहा है . पैराबोलिक इंडिकेटर खरीदने के संकेत देता है जबकि MACD अभी तक नहीं. RSI वृद्धि पर है प्रतिरोध रेखा से ऊपर रहने के लिए लिए संघर्ष . यह अभी तक अधिक खरीददार क्षेत्र तक पहुँच नहीं है. विचलन नहीं देखा है. जो अनुबंध किया है बोलिंगर बैंड कम अस्थिरता मतलब हो पैराबोलिक सकता है. वे ऊपर की ओर झुका रहे हैं. बुलिश मोमेंटम का विकास पैराबोलिक हो सकता है इस मामले में ऑस्ट्रेलियाई डॉलर इंडेक्स बढ़कर है दो ऊपरी फ़्रैक्टल, बोलिंगर बैंड एंड उप्पेर परबोलिक सिग्नल 0.744. इस स्तर पर पॉइंट ऑफ़ एंट्री सेवा कर सकते हैं.प्रारंभिक जोखिम-सीमा ट्रेंड लाइन से नीचे रखा जा सकता है ,परबोलिक सिग्नल और 0.722 में तीन लास्ट फ्रैक्टल हइस . हैविंग ओपेनद पेंडिंग आर्डर वे शॉल मूव स्टॉप नेक्स्ट फ्रैक्टल लो फोल्लोविंग परबोलिक एंड बोलिंगर सिग्नल्स.. इस प्रकार, हम प्रॉबब्ली प्रॉफिट/लोस्स रेश्यो को ब्रेक एवं पॉइंट तक बदल रहे है . सबसे जोखिम से बचने वाले व्यापारियों को 4 घंटे चार्ट करने के लिए स्विच कर सकते हैं के बाद ट्रेड और प्लेस स्टॉप-लोस्स मूविंग इन थे डायरेक्शन ऑफ़ थे ट्रेड. यदि प्रिंस 0.722 के स्टॉप-लोस्स लेवल को पूरा करती है 0.744 के क्रम तक पहुँचने के बिना , हम स्थिति को रद्द की सलाह देते हैं :बाजार आंतरिक परिवर्तन किया गया है उस खाते में नहीं लिया गया है..

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The Fact India: दुनिया का पहला पैराबोलिक 24 घंटे चलने वाला सोलर थर्मल पावर प्लांट (Solar Thermal Power Plant) राजस्थान के आबू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान में बनाया गया है। इस प्लांट में ही पहली बार पैराबोलिक रिफ्लेक्टर विथ फिक्स फोकस तकनीक का इस्तेमाल किया गया।

यह पैराबोलिक रिफ्लेक्टर पैराबोलिक बिलकुल सूरजमुखी के फूल की तरह सूरज की दिशा के साथ-साथ घूमते हैं। पैराबोलिक इस अद्भुत सोलर एनर्जी प्लांट को 'इंडिया वन' नाम दिया गया है। इसमें थर्मल स्टोरेज की भी सुविधा है, जिसमें सूरज की गर्मी को एकत्रित किया जाता है।

80 करोड़ रुपए की लागत से बने इस प्लांट को बनने में 5 साल लगे, इसकी मदद से 18 हजार यूनिट बिजली से 20 हजार की आबादी रोशन होती है।

सोलर थर्मल पावर प्लांट, ब्रह्मकुमारी संस्थान, राजस्थान

यह सोलर थर्मल पावर प्लांट राजस्थान के आबू रोड स्थित ब्रह्मकुमारी संस्थान में बनाया गया है, इसे इंडिया वन ( India One ) नाम दिया गया है। यह प्लांट 24 घंटे चलता है। यह 24 घंटे चलने वाला दुनिया का पहला सोलर प्लांट। यह प्लांट 25 एकड़ में फैला है, प्लांट में 770 पैराबोलिक रिफ्लेक्टर हैं।

खासियत:
इस प्लांट में ही पहली बार पैराबोलिक रिफ्लेक्टर विथ फिक्स फोकस तकनीक का इस्तेमाल किया गया। ये पैराबोलिक रिफ्लेक्टर किसी सूरजमुखी के फूल की तरह सूरज की दिशा के साथ-साथ घूमते हैं।

लागत एवं छमता:
80करोड़ रुपए की लागत से बना यहप्लांट 5 साल में तैयार हुआ। इसे बनाने में 70%फंडिंग भारत और जर्मनी की सरकार ने की है। 30% पैसा ब्रह्मकुमारी संस्थान ने खर्च किया है। इस प्लांट से ही रोज35 हजार लोगों का खाना बनता है। साथ ही
18हजार यूनिट बिजली से 20 हजार की टाउनशिप को बिजली मिलती है।

प्लांट का इतिहास:
वर्ष 1990 में जर्मनी से साइंसटिस्ट वुल्फगैंग सिफलर एक छोटा सा मॉडल लेकर आए थे। वे इस तकनिक का इस्तेमाल यहां के आदिवासियों के लिए करना चाहते थे, ताकि वे लकड़ियां न जलाएं, भाप से अपना खाना बना लें। उस मॉडल के आधार पर इस प्लांट को यहीं के लोगों के द्वारा तैयार किया गया है। प्लांट का लगभग 90% काम यहीं पर हुआ है। केवल सोलर ग्रेड मिरर अमेरिका से मंगवाए गए है।

Ashoka University Raid: घोटालों के भंवर में फंसे अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक, गुप्ता ब्रदर्स पर लगा फर्जीवाड़े का आरोप

Ashoka University Raid: प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता को छोड़कर कोई भी अशोका यूनिवर्सिटी से नहीं जुड़ा है। अब सवाल प्रणव गुप्ता के आर्थिक साम्राज्य को लेकर भी उठ रहे हैं। प्रणव गुप्ता ने 1996 में पैराबोलिक ड्रग्स की स्थापना की। ये कंपनी सिर्फ 12 सालों में एक अंतरराष्ट्रीय दवा बनाने और रिसर्च करने वाली कंपनी बन गई। प्रणव गुप्ता अशोका यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक और ट्रस्टी हैं, जबकि विनीत गुप्ता संस्थापक और ट्रस्टी हैं।

Ashoka University

नई दिल्ली। हरियाणा की अशोका यूनिवर्सिटी एक बार फिर विवादों में है। अशोका यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद से ही इसको लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। दावा ये किया जा रहा था कि ये यूनिवर्सिटी शिक्षा में एक नया बदलाव लेकर आएगी, लेकिन पिछले कुछ साल से यूनिवर्सिटी हमेशा विवादों में है। इस बार अशोका यूनिवर्सिटी को लेकर जो खुलासा हुआ है, उससे निश्चित तौर पर यूनिवर्सिटी की साख को और बट्टा लगेगा। अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता को बैंकों के साथ फर्जीवाड़ा का आरोपी पाया गया है। इस पूरे मामले का खुलासा, प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता की कंपनी पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड पर सीबीआई छापे के बाद हुआ है। सीबीआई ने 31 दिसंबर को पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड के चंडीगढ़, पंचकुला, लुधियाना, फरीदाबाद और दिल्ली में पैराबोलिक 12 जगहों पर छापेमारी की। अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक प्रणव गुप्ता और विनीत पैराबोलिक गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया समेत कई बैंकों के कंसोर्टियम के साथ 1626.74 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है। प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता पर आपराधिक साजिश, जालसाजी, जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करके पहले पैराबोलिक कर्ज लेने और फिर बैकों को धोखा देने का आरोप है। प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता पैराबोलिक ड्रग्स लिमिटेड के डायरेक्टर होने के साथ-साथ अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक भी हैं।

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इन दोनों के अलावा सीबीआई ने दीपाली गुप्ता, रमा गुप्ता, जगजीत सिंह चहल, संजीव कुमार, वंदना सिंगला, इशरत गिल समेत अन्य के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता को छोड़कर कोई भी अशोका यूनिवर्सिटी से नहीं जुड़ा है। अब सवाल प्रणव गुप्ता के आर्थिक साम्राज्य को लेकर भी उठ रहे हैं। प्रणव गुप्ता ने 1996 में पैराबोलिक ड्रग्स की स्थापना की। ये कंपनी सिर्फ 12 सालों में एक अंतरराष्ट्रीय दवा बनाने और रिसर्च करने वाली कंपनी बन गई। प्रणव गुप्ता अशोका यूनिवर्सिटी के सह-संस्थापक और ट्रस्टी हैं, जबकि विनीत गुप्ता संस्थापक और ट्रस्टी हैं। 1600 करोड़ के घोटाले में आरोपी होने के बाद अशोका यूनिवर्सिटी पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या घोटाले के आरोपी किसी यूनिवर्सिटी में प्रशासनिक भूमिका की जिम्मेदारी निभा सकते हैं? क्या पैराबोलिक इसके बाद अशोका यूनिवर्सिटी के फंडिंग की भी जांच नहीं होनी चाहिए?

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अशोका यूनिवर्सिटी के बारे में कहा जाता था कि ये शिक्षा और ज्ञान की नई संस्कृति स्थापित करेगी, लेकिन सवाल ये है कि अगर इसके संस्थापक और ट्रस्टी की खुद बैंकों के साथ धोखाधड़ी के दोषी हों तो ऐसे में यूनिवर्सिटी समाज में क्या संदेश फैलाएगी? फिलहाल प्रणव गुप्ता और विनीत गुप्ता के घोटाले को देखकर, अशोका यूनिवर्सिटी पर नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली कहावत सटीक मालूम पड़ती है।

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