स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके

दूसरी ओर, यदि निवेशक ज्याद जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और भविष्य के लिए व्यवस्थित रूप से निवेश करना चाहते हैं, तो आप लॉन्ग-टर्म पर विचार कर सकते हैं.
स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके
पहला कदम कई उपलब्ध विकल्पों जैसे स्टॉक, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, डेरिवेटिव आदि में से निवेश के प्रकार को चुनना है. निर्णय लेने से पहले प्रत्येक विकल्प को समझना बेहतर रहेगा.
Written by Web Desk Team | Published :September 9, 2022 , 6:54 am IST
पिछले दो दशकों के दौरान शेयर बाजार में निवेश करने को लेकर लगातार वृद्धि देखी गई है. हालांकि, बाजार में अभी भी उतार-चढ़ाव चिंता का विषय बना हुआ है. यदि आप अब इसकी शुरुआत कर रहे हैं और शेयर बाजार में धन निवेश करने का इरादा रखते हैं तो ये उतार-चढ़ाव आपके पोर्टफोलियो को प्रभावित कर सकते हैं. बाजार में जब तक आप किसी रणनीति के साथ व्यापार नहीं करते हैं, तब तक आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए इस आर्टिकल में हम Beginners के लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं, जो शेयर बाजार में निवेश करने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं –
How to invest in foreign stocks: जानें कैसे आप Google, Facebook जैसे स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं
शेयर बाजार में निवेश करना वर्तमान दौर में बेहद आसान हो चुका है अब आप सिर्फ अपने एक स्मार्टफोन से किसी भी कंपनी के शेयर मिनटों में खरीद या बेच सकते हैं। वर्तमान में देश के दोनों बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE तथा BSE में कुल मिलाकर 7,000 से अधिक कंपनियाँ लिस्टेड हैं, जिनमें आप आसानी से निवेश कर सकते हैं।
लेकिन यदि आप देश से बाहर Google, Apple, Facebook, Tesla, Amazon जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों में निवेश करने में रुचि रखते हैं तो इसके लिए प्रक्रिया सामान्य से थोड़ी अलग है। आज इस लेख के माध्यम से समझेंगे कैसे आप भारत में रहते हुए विदेशी स्टॉक्स में पैसा निवेश कर सकते हैं (How to invest in foreign stocks) तथा यह घरेलू निवेश से कितना अलग है।
कैसे करें विदेशी कंपनियों में निवेश
भारत से अंतर्राष्ट्रीय शेयरों में निवेश करना बिल्कुल कानूनी है, हालाँकि इसके लिए कुछ विशेष प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता होती है। देश से विदेशी शेयरों में निवेश करने के विभिन्न तरीके हैं, जिनकों हम यहाँ विस्तार से समझेंगे। अमेरिकी शेयर बाजार में एक लोकप्रिय सूचकांक NASDAQ हालिया समय में भारतीय निवेशकों को खासा आकर्षित कर रहा है और भारत से विदेशी स्टॉक्स में निवेश पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ा है। आइए अब देखते हैं कुछ ऐसे तरीकों को जिनके द्वारा आप विदेशी कंपनियों में अपना पैसा इन्वेस्ट कर सकते हैं।
ब्रोकरेज फर्म ऐसी फर्म होती हैं, जो निवेशकों और ट्रेडर्स को शेयर बाजार में लिस्टेड स्टॉक खरीदने और बेचने की सुविधा देते हैं। ब्रोकरेज फर्म बायर्स और सैलर्स के बीच एक बिचौलिये के रूप में कार्य करती है और सभी के लिए एक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करती है। भारत में मौजूद ब्रोकरेज फर्म की बात करें तो इनमें Zerodha , Upstox, Angel One, ICICI Direct कुछ प्रमुख नाम हैं।
अंतर्राष्ट्रीय म्यूचुअल फंड्स (International Mutual Funds)
म्यूचुअल फंड्स सामान्यतः ऐसे लोगों के लिए शेयर बाजार में निवेश करने का माध्यम है, जो स्वयं स्टॉक्स का चुनाव करने में सक्षम नहीं हैं अथवा ऐसा करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते हैं। इसमें बहुत लोग पैसे लगाकर एक फंड तैयार करते हैं और इस फंड का प्रबंधन करने वाले लोग इन्हें विभिन्न स्टॉक्स में निवेश करते हैं।
ब्रोकरेज फर्म की तरह म्यूचुअल फंड्स भी आपको घरलू बाजार अथवा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निवेश करने का मौका देते हैं, अंतर्राष्ट्रीय म्यूचुअल फंड ऐसे इक्विटी फंड हैं, जो मुख्य रूप से भारत के बाहर सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। ये फंड्स सामान्यतः म्यूचुअल फंड के निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने में मदद करते हैं ताकि एक बेहतर रिटर्न प्राप्त किया जा सके।
गौरतलब है कि, पोर्टफोलियो में विविधता के कारण ऐसे फंड्स में निवेश करना घरेलू म्यूचुअल फंड की तुलना में जोखिम भरा भी होता है। अगर आप भी म्यूचुअल फंड के माध्याम से किसी विदेशी कंपनी में निवेश करना चाहते हैं तो ऐसे कुछ मुख्य म्यूचुअल फंड्स निम्नलिखित हैं
भारतीय एक्सचेंज द्वारा
भारत में शेयर बाजार में निवेश करने के लिए मुख्यतः दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE तथा BSE हैं, लेकिन यदि आप विदेशी कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं तो ये एक्सचेंज उसकी सुविधा भी देते हैं। इसके लिए दोनों ही स्टॉक एक्सचेंज की सबसीदारी कंपनियाँ हैं। उदाहरण के तौर पर NSE की सहयोगी कंपनी NSE स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके International Exchange (NSE IFSC) तथा BSE की सहयोगी कंपनी The India International Exchange (IFSC) Limited भारतीयों को विदेशी शेयरों में निवेश करने का मौका देती हैं।
इन दोनों कंपनियों में घरेलू ब्रोकर्स के विपरीत दूसरे ब्रोकर रजिस्टर होते हैं, जो ट्रेडर के ऑर्डर के आधार पर उनके लिए शेयरों को खरीदने या बेचने का काम करते हैं। इन ब्रोकर्स के साथ डीमैट खाता खोलने के बाद आप अपने स्थानीय बैंक खाते से इनके बैंक खाते में धनराशि ट्रांसफर कर सकते हैं और एक बार जब फंड आपके ब्रोकर के खाते में ट्रांसफर हो जाए तो आप आसानी से ट्रेड कर सकते हैं। ध्यान देने योग्य बात है कि, अन्य अंतर्राष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म के विपरीत यहाँ आप बस कुछ चुनिंदा कंपनियों में ही निवेश कर सकते हैं।
Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस
जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (Representative Image)
Trading in Crypto Currencies: दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए ट्रेडिंग होती है. इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है. जहां इनकी कीमत मांग और आपूर्ति के हिसाब से तय होती है. जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके करेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो बेच सकते हैं. स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है. इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.
एक्सचेंज फीस
- क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है. भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है. ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है.
- फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है. क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं. इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है.
- क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है. ये माइनर्स शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह सुनिश्चित करना इन माइनर्स का काम है. एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है. अगर नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है.
- आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है. लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो. जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है. माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए फीस दी जाती है.
वॉलेट फीस
- क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. यह वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है. अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है. यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है. अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं.
- क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है.
(Article: Shivam Thakral, CEO, BuyUcoin)
(स्टोरी स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिए गए सुझाव लेखक के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)
विदेशी शेयर बाजारों में इन दो तरीकों से आप भी लगा सकते हैं पैसा और कमा सकते हैं मोटा मुनाफा
कोई भी निवेशक घरेलू शेयर बाजारों की तरह विदेशी शेयर बाजारों में भी निवेश कर सकता है। इस निवेश के दो प्रमुख तरीके हैं। पहला तरीका यह है कि निवेशक म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश करे। दूसरा तरीका यह है कि वह सीधे ही विदेशी शेयर बाजारों से खरीदारी कर सकता है। म्यूचुअल फंड में कई प्रकार के फंड हैं ,जो विदेश में निवेश का प्रस्ताव देते हैं।
म्यूचुअल फंड में फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ) और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) विदेश में स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके निवेश की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। यह फंड आपसे भारतीय करेंसी में पैसा लेकर उसे विदेशी करेंसी में तब्दील कर निवेश करते हैं। एफओएफ और ईटीएफ में मुख्य अंतर यह है कि ईटीएफ की यूनिट एक्सचेंज में ट्रेड करती है। एफओएफ और ईटीएफ को फीडर फंड्स भी कहा जाता है।