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व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद

व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद

दिल्ली के बजट से व्यापारियों को काफी उम्मीदें, आर्थिक बदहाली के दौर में राहत देने की मांग

दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है. जिसमें व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 के मद्देनजर वित्तीय बजट रखा जाना है. दिल्ली के व्यापारियों को इस बार के बजट से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं.

नई दिल्ली :व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है. जिसमें आगामी वित्तीय वर्ष 2022-23 के मद्देनजर वित्तीय बजट रखा जाना है. दिल्ली के व्यापारियों को इस बार के बजट से काफी ज्यादा उम्मीदें हैं. फरवरी में केंद्र के बजट में व्यापारी वर्ग के हाथ खाली रह गए थे. ऐसे में दिल्ली के व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद व्यापारियों को उम्मीदें हैं कि दिल्ली सरकार पिछले 2 साल से कोरोना के चलते आर्थिक मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों के लिए कुछ राहत भरी घोषणाएं करेगी. जिससे दिल्ली के व्यापार को दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद मिलेगी.

दिल्ली के व्यापारियों की इस बार के बजट से उम्मीदें

1-जीएसटी की जटिल कर प्रणाली के सरलीकरण को लेकर की जाए कोई घोषणा.
2-हर महीने जीएसटी रिटर्न फाइल करने की व्यवस्था को हटाया जाए.

3-व्यापारियों को 3 महीने में एक बार जीएसटी रिटर्न फाइल करना हो.
4-कोरोना के चलते आर्थिक मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों को इंटरेस्ट फ्री लोन मिले.
5-पुरानी दिल्ली के बाजारों के डेवलपमेंट को लेकर उठाएं कदम.
6- 60 साल से अधिक उम्र के टैक्स दाता व्यापारियों को मेडिकल इंश्योरेंस मिले.
7-गरीब आदमी की सवारी साइकिल जिस पर GST 12% से घटाकर 5% किया जाए.
8-दिल्ली के बॉर्डर एरिया में इंटीग्रेटेड प्लान के तहत बड़े गोदाम बनाए जाएं.

इस बार के बजट सत्र में दिल्ली की जरूरत को ध्यान में रखते हुए आप दिल्ली सरकार वार्षिक बजट पेश करेगी. दिल्ली के व्यापारियों ने कहा कि दिल्ली सरकार को राजधानी में व्यापार को दोबारा अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए. इलेक्ट्रिक मार्केट भागीरथ पैलेस के अध्यक्ष भारत आहूजा ने बातचीत के दौरान कहा कि इस बार दिल्ली सरकार के बजट से व्यापारी वर्ग को काफी ज्यादा उम्मीदें हैं. दिल्ली के बजट को ध्यान में रखते हुए हमारी तरफ से कुछ सुझाव भी दिल्ली के फाइनेंस मिनिस्टर/उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भेजे गए हैं. जिसमें राजधानी दिल्ली के बाजारों की डेवलपमेंट पर ध्यान देने का आग्रह किया गया है.

Traders have high hopes from Delhi budget demand for relief in times of economic crisis

पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में आने वाले बाजार जिन्हें एसआरडीसी प्रोजेक्ट के तहत लाकर डेवलप किया जा सकता है. उम्मीद है कि इस बार के बजट में व्यापारी वर्ग को कुछ राहत दी जाएगी. भारत आहूजा ने कहा कि चांदनी चौक और पुरानी दिल्ली के क्षेत्र में जितनी भी मार्केट हैं. उनमें आज भी पार्किंग में बड़ी समस्या है. ऐसे में दिल्ली सरकार को इस समस्या का भी समाधान करना चाहिए.

चांदनी चौक प्रमुख मार्केट के अध्यक्ष संजय भार्गव ने कहा कि व्यापारी वर्ग की काफी लंबे समय से मांग रही है कि पुरानी दिल्ली के बाजारों का विकास कार्य हो और मार्केट को बेहतर बनाया जाए. उम्मीद है कि इस बार के बजट में दिल्ली सरकार के कुछ प्रावधान करेगी. चांदनी चौक के रीडेवलपमेंट का काम अभी भी अधूरा है. जिसे जल्द से जल्द पूरा किया जाना चाहिए. सरकार ने अपने 70 सूत्रीय कार्यक्रम दिल्ली डायलॉग में कहा था कि टैक्स का कुछ हिस्सा दिल्ली के बाजार विकास के लिए लगाया जाएगा, लेकिन अभी तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है. व्यापारी वर्ग सरकार से चाहता है कि राजधानी में इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक किए जाने के साथ बाजार के हालात ठीक किए जाएं. कमर्शियल बिजली के दाम कम किए जाने के साथ बिजली के बिल पर लगने वाले फिक्स्ड चार्ज भी कम किया जाएं.

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दिल्ली साइकिल व्यापार महासंघ के अध्यक्ष राजीव बत्रा ने कहा कि इस बार दिल्ली सरकार के बजट से राजधानी के व्यापारियों को उम्मीदें बड़ी हैं. 2 साल बाद आयोजित किए गए होली के कार्यक्रम में दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल को मुख्य अतिथि के तौर पर व्यापारिक संगठनों के द्वारा बुलाया गया था. जिसमें व्यापारियों ने अपनी बात रखते हुए विधानसभा अध्यक्ष को अपनी परेशानियों से ना सिर्फ अवगत कराया, बल्कि आग्रह भी किया था कि वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और फाइनेंस मिनिस्टर मनीष सिसोदिया जो जीएसटी काउंसिल के मेंबर भी हैं. उन तक व्यापारियों की परेशानी पहुंचाएं. साथ ही यह सुझाव भी दिया था कि गरीबों की सवारी साइकिल. जिसको जीएसटी के टैक्स में 12% में रखा गया है. उसे 5% के स्लैब में लाया जाए. इसको लेकर मनीष सिसोदिया जीएसटी काउंसिल में अपनी बात भी रखें.

सरकार से गुहार, रिटेल व्यापारियों को मिले MSME का दर्जा और नॉन फंडेड पैकेज

देश के करीब 7 करोड़ छोटे कारोबारियों एवं दुकानदारों ने सरकार से लघु उद्यमियों का दर्जा देने की मांग की है। इनका कहना है कि सरकार सिर्फ छोटे कारोबारियों को कोरोना वारियर्स कह कर उत्साह बढ़ाती है लेकिन जब पैकेज की बात आती है तो वह दूसरों को मिलता है। इसलिए अब सरकार से Non funded package की गुजार लगायी गई है।

Small-shops

हाइलाइट्स

  • Non funded package से सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा
  • सरकार से छोटे दुकानदारों को सर्विस सेक्टर में लघु उद्यमियों का दर्जा देने की भी मांग
  • सरकार ऐसे कारोबारियों के लिए जीएसटी प्रावधान में सरलता लाए जिससे व्यापारियों की मुश्किल कम हो

प्रधानमंत्री को पत्र भेजा फेडरेशन ने
इसी कड़ी में फेडरेशन द्वारा इस विषय पर एक पत्र प्रधानमंत्री को आज दिनाक 25 मई 2020 को भेजा गया जिसकी अग्रिम प्रति वित्त मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, एवं माननीय लघु उद्योग मंत्री को भी भेजी गयी। पत्र की मूल प्रति लिंक http://vyaparmahamandal.com/download/letter/Letter-to-pm-25-may-2020.pdf पर देखी जा सकती है

इन मांगों से सरकार पर कोष देने का दवाब नहीं
उनका कहना है कि पत्र में सरकार से केवल वह मांगे मांगी गयी है, जिससे व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद सरकार पर किसी भी प्रकार का कोई वित्तीय भार नहीं पड़े। इनमें व्यापारियों को लघु एवं सूक्ष्म कारोबारी/ सेवा प्रदाता की मान्यता प्रदान करना, उद्योग आधार कार्ड जारी करना आदि शामिल है। फेडरेशन का कहना है कि इस समय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट 4% तय किया है और बैंको में जमाराशि पर औसत ब्याज दर लगभग 6% है, जबकि लघु कारोबारियों से बैंक लगभग 11% से लेकर 13% तक ब्याज वसूल कर रहा है। संगठन का प्रस्ताव है कि अप्रैल 2020 से सितम्बर 2020 तक की छमाही में लघु व्यापारियों को प्रदत्त ऋण पर बैंक को 6% से अधिक का ब्याज नहीं लगाना चाहिए।

मुद्रा योजना का ऋण कारोबारियों के लिए हो आरक्षित
व्यापारियों का कहना है कि जब तक कोरोना संकट से प्रभावित अर्थव्यवस्था एवं व्यापार पटरी पर नहीं आ जाते तब तक मुद्रा योजना के तहत १० लाख तक वाला ऋण सिर्फ खुदरा व्यापारी के लिए ही आरक्षित कर दिया जाए। इस धनराशि से व्यापारी अपने टूटे हुए आर्थिक चक्र को पुनः गतिशील बना सकेगा जिससे रोज़गार भी मिलेगा और सरकार को राजस्व भी मिलेगा। इस प्रकार के मुद्रा ऋण पर ब्याज दर 6% से अधिक नहीं होनी चाहिय।

जीएसटी प्रणाली में हो सुधार
उन्होंने वर्तमान जीएसटी प्रणाली के स्थान पर व्यापारी हित में सरकार एकल बिंदु जीएसटी प्रणाली लागू करने की मांग की है। उनका कहना है व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद कि एकल बिंदु जीएसटी में सरकार पर वित्तीय भार बिलकुल भी नहीं पड़ेगा, बल्कि सरकार को ज्यादा राजस्व मिलेगा, जीएसटी की चोरी की रोकथाम भी हो जाएगी और व्यापारी भयमुक्त वातावरण में व्यापर कर सकेंगे।

Union Budget 2022 : दिल्ली के व्यापारियों को बजट से क्या है उम्मीदें, जानिए

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को बजट (Union Budget 2022) पेश करेंगी. व्यापारियों को उम्मीद है कि सरकार इस बार के बजट से न सिर्फ राहत दे, बल्कि इनकम टैक्स स्लैब (Income Tax Slab) भी बढ़ाए. साथ ही साथ जीएसटी कर प्रणाली (GST Tax System) का सरलीकरण करके जो कंफ्यूजन है, उसे केंद्र सरकार की तरफ से दूर किया जाए. इसके अलावा व्यापारियों को वित्तीय सहायता भी मुहैया कराई जाए, जिससे व्यापार को दोबारा खड़ा करने में मदद मिले.

नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए बजट (Union Budget 2022) पेश करेंगीं. इस बार दिल्ली के कारोबारियों (Delhi Businessmen) को बजट से काफी ज्यादा उम्मीदें है. बीते दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते व्यापारी आर्थिक बदहाली (Economic Crisis Of Businessman) की मार झेल रहे हैं. ऐसे में इस बार व्यापारियों को बजट से बड़ी उम्मीदें हैं. व्यापारियों का कहना है कि पिछली बार बजट के अंदर हर क्षेत्र को वित्तीय पैकेज के तहत राहत दी गई थी. लेकिन व्यापारी वर्ग को कोई राहत नहीं दी गई थी. ऐसे में इस बार केंद्र सरकार को बजट के माध्यम से वित्तीय पैकेज (Financial Package To Businessman) के तहत व्यापारी वर्ग को भी राहत दी जानी चाहिए. साथ ही जटिल हो चुकी जीएसटी कर प्रणाली को भी सरल करना चाहिए. साथ ही साथ इनकम टैक्स के स्लैब को भी बढ़ाना चाहिए. ताकि आम लोगों के साथ व्यापारियों को भी राहत मिले.

राजधानी दिल्ली में साइकिल के व्यापार से जुड़े कारोबारी और साइकिल व्यापार संघ के अध्यक्ष राजीव बत्रा ने बताया कि वर्तमान समय में व्यापारी आर्थिक बदहाली (Economic Crisis Of Businessman) के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में इस बार के बजट से व्यापारी वर्ग (Delhi Businessman Expectations From Budget) को काफी उम्मीदें हैं. केंद्र सरकार को कोरोना की वजह से पैदा हुए हालातों को देखते हुए व्यापारी वर्ग को राहत देनी चाहिए. ताकि व्यापार दोबारा अपने पैर पर खड़ा हो सके. कोरोना संक्रमण से पैदा हुए विपरीत हालातों में केंद्र सरकार की तरफ से सभी को वित्तीय पैकेज के तहत राहत दी गई है. लेकिन व्यापारी वर्ग को किसी प्रकार की कोई राहत अभी तक नहीं दी गई है.

राजीव बत्रा ने कहा कि कच्चा माल महंगा होने की वजह से चीजें महंगी हो गई है. ऐसे में महंगाई को कम करने की आवश्यकता है. खिलौनों और साइकिल के सेक्टर में केंद्र सरकार को प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव के तहत काम की शुरुआत करनी होगी. इससे न सिर्फ कीमतों में कमी आएगी, बल्कि प्रोडक्शन भी बढ़ेगी, साथ ही रोजगार भी बढ़ेगा. खिलौनों के अंदर जीएसटी का स्लैब अलग अलग है. इसे एक ही स्लैब करने की आवश्यकता है. हम उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार खिलौनों के ऊपर जीएसटी स्लैब को 12% तक कर दें, जिससे कि व्यापारी वर्ग को थोड़ी राहत मिले.

Union Budget 2022

राजीव बत्रा ने कहा कि साइकिल व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद के क्षेत्र में जो 12% का जीएसटी का स्लैब है उसे घटाकर 5% किया जाए. क्योंकि साइकिल आम आदमी की सवारी है. नए कारोबारियों को अलग से केंद्र सरकार की तरफ से सुविधाएं देनी चाहिए. इसमें प्लग एंड प्ले फैक्ट्री की सुविधा भी हो उपलब्ध. कोरोना की वजह से पैदा हुए भयावह हालातों के चलते बड़ी संख्या में व्यापारी वर्ग से जुड़े लोगों को लोन लेकर अपना व्यापार चलाना पड़ा है.ऐसे में व्यापारी वर्ग को इंटरेस्ट रेट की दरों में कटौती करके भी राहत दी जानी चाहिए. साथ ही ईएमआई लेट शुरू होनी चाहिए और उसमें अधिक मियाद भी मिलनी चाहिए.

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दिल्ली हिंदुस्तान मर्केंटाइल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भगवान बंसल ने कहा कि इस बार कपड़ा व्यापारियों को केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए जाने वाले बजट से काफी उम्मीदें (Delhi Businessman Expectations From Budget) हैं. व्यापारी चाहते हैं कि इस बार केंद्र सरकार के द्वारा उन्हें राहत दी जाए, जिसमें हर प्रकार के कपड़े के ऊपर लगने वाले जीएसटी के स्लैब को 5 प्रतिशत कर दिया जाए. इस बार के बजट में इनकम टैक्स के स्लैब (Income Tax Slabs) को पांच लाख से बढ़ाकर दस लाख रुपये किया जाए. ताकि लोगों को राहत मिले. जबकि दस लाख से बीस लाख रुपये की आमदनी वालों पर 10 प्रतिशत और 20 लाख से अधिक की आमदनी वालों पर 15 प्रतिशत टैक्स लगाया जाए.

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भगवान बंसल ने कहा कि जो व्यापारी उम्र भर ईमानदारी से टैक्स देते हैं उन्हें 58 साल के बाद मेडिकल सुविधाएं केंद्र सरकार की तरफ से दी जानी चाहिए. वर्तमान समय में दिल्ली का व्यापारी आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में व्यापारी वर्ग को राहत देते हुए सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, जिसके बाद व्यापारियों को बिना इंटरेस्ट के लोन की सुविधा उपलब्ध हो, जिससेव्यापार दोबारा अपने पैरों पर खड़ा हो व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद सके.

Union Budget 2022

भागीरथ पैलेस मार्केट के प्रेसिडेंट भारत आहूजा ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स (Electronic Items in delhi market) का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे केंद्र सरकार की तरफ से हमेशा अनदेखा किया जाता रहा है. लेकिन बीते दो सालों से कोरोना के चलते इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के क्षेत्र के ऊपर काफी बुरा असर पड़ा है. इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के व्यापार क्षेत्र में भी व्यापारी वर्तमान में आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार को जीएसटी की कर प्रणाली को सरल करके व्यापारियों को सबसे पहले राहत देने की आवश्यकता है. साथ ही साथ इलेक्ट्रिक आइटम्स के क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार के आइटम्स पर विभिन्न प्रकार के जीएसटी स्लैब के तहत कर लगाया जाता है. ऐसे में सभी आइटम्स के ऊपर एक ही स्लैब के तहत कर लगाया जाना चाहिए.

आहूजा ने कहा कि ज्यादातर इलेक्ट्रिकल आइटम्स 18 प्रतिशत के जीएसटी स्लैब के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें 12% तक करने की आवश्यकता है. व्यापारी वर्ग उम्मीद कर रहा है कि इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री के द्वारा बजट के माध्यम से उन्हें कुछ राहत दी जाएगी. खास तौर पर इनकम टैक्स के स्लैब में थोड़ी राहत और देते हुए केंद्र सरकार को इसे कम से कम सात लाख रुपये तक बढ़ाना चाहिए.

Lockdown से व्यापारियों की हालत खराब, बोले- केजरीवाल सरकार टैक्स का पैसा मुफ्त नहीं बांट सकती, हमें भी मदद चाहिए

CAIT On Lockdown: कोरोना महामारी की दूसर लहर से देश के व्यापारी भी काफी चिंतित हैं. कारोबारी गतिविधियां थमने का असर देश के 8 करोड़ व्यापारियों पर पड़ा है. दिल्ली में लॉकडाउन के चलते अब व्यापारियों का धैर्य जवाब देने लगा है.

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Lockdown से व्यापारियों की हालत खराब, बोले- केजरीवाल सरकार टैक्स का पैसा मुफ्त नहीं बांट सकती, हमें भी मदद चाहिए

नई दिल्‍ली: CAIT On Lockdown: कोरोना महामारी की दूसर लहर से देश के व्यापारी भी काफी चिंतित हैं. कारोबारी गतिविधियां थमने का असर देश के 8 करोड़ व्यापारियों पर पड़ा है. दिल्ली में लॉकडाउन के चलते अब व्यापारियों का धैर्य जवाब देने लगा है. ट्रेडर्स ने अब केजरीवाल सरकार से मदद देने की मांग की व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद है.

व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद: CAIT

CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने दिल्ली सरकार के 17 मई, 2021 तक लॉकडाउन बढ़ाने के फैसले व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद को सही दिशा में लिया गया कदम बताया है. मगर खंडेलवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि जिस तरह उन्होंने अन्य क्षेत्रों के लिए वित्तीय और दूसरी सहायताओं की घोषणा की है उसी तरह दिल्ली के व्यापारियों को भी वित्तीय सहायता दिया जाना बेहद जरूरी है.

'टैक्सपेयर्स का पैसा मुफ्त में नहीं बांट सकते'

खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली में पिछले तीन हफ्ते से दुकानें और बाजार बंद हैं और व्यापारियों को पैसे की कोई आमदनी नहीं है जबकि परिवार की आवश्यकताओं और व्यापार में कर्मचारियों के वेतन, बिजली के बिल, पानी के बिल, संपत्ति कर, EMI के भुगतान, कर्जों पर ब्याज के रूप में व्यापारियों का खर्चा लगातार जारी है. व्यापारी सरकार के लिए टैक्स कलेक्टर है, इसलिए हमें सरकार से ऐसी वित्तीय सुविधाओं की मांग करने का अधिकार है. करदाताओं से पैसे लेकर उस पैसे को दूसरे लोगों को मुफ्त में देने या उनकी मदद करने के नाम पर खर्च नहीं किया जा सकता लिहाजा व्यापारियों को भी उनके हक़ की वित्तीय सहायहता अवश्य मिलनी चाहिए.

6.25 लाख करोड़ का बिजनेस का नुकसान

राज्‍य सरकारों ने कोविड की इस दूसरी लहर की रफ्तार को घटाने के लिए कर्फ्यू या लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगा दी हैं. CAIT का कहना है कि कारोबा‍र नहीं होने से 8 करोड़ व्यापारियों पर इसका असर पड़ा है. CAIT के मुताबिक, अप्रैल 2021 के दौरान कारोबारियों को 6.25 लाख करोड़ रुपये के व्‍यापार का नुकसान हुआ है. कैट का दावा है कि उसने 8 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 40 हजार से ज्यादा संगठनों से ये डाटा जुटाया है.

PM मोदी को चिट्ठी, नेशनल लॉकडाउन की मांग

दूसरी तरफ CAIT ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर नेशनल लॉकडाउन लगाने की भी मांग की है. CAIT ने रविवार को पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि कोरोना पर काबू करने के लिए जिस तरह पिछली साल कड़ा लॉकडाउन लगाया गया था, वैसा ही लॉकडाउन अब लगाने की जरूरत है. CAIT का कहना है कि वो पीएम मोदी की इस बात का समर्थन करते हैं कि लॉकडाउन आखिरी विकल्प होना चाहिए लेकिन करी 4 लाख केस रोजाना एक चिंताजनक व्यापारियों को मिले वित्तीय मदद बात है. दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बीते तीन हफ्तों से लॉकडाउन है, जिसका असर दिख रहा है, यहां कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आई है.

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