स्थिर सिक्के

संसद देश का सर्वोच्च विधायी निकाय है। हमारी संसद राष्ट्रपति और दो सदनों-लोक सभा (हाउस आफ द पीपुल) और राज्य सभा (काँसिल ऑफ स्टेट्स) से मिला कर बनती है। राष्ट्रपति के पास संसद के किसी भी सदन की बैठक बुलाने और सत्रावसान करने अथवा लोक सभा को भंग करने का अधिकार है। 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान प्रभावी हुआ। वर्ष 1951-52 के दौरान नए संविधान के अंतर्गत पहला आम चुनाव हुआ और अप्रैल 1952 में प्रथम निर्वाचित संसद, अप्रैल 1957 में दूसरी लोक सभा, अप्रैल 1962 में तीसरी लोक सभा, मार्च 1967 में चौथी लोक सभा, मार्च 1971 में पांचवी लोक सभा, मार्च 1977 में छठी लोक सभा, जनवरी 1980 में सातवीं लोक सभा, दिसम्बर 1984 में आठवीं लोक सभा, दिसम्बर 1989 में नौवीं लोक सभा, जून 1991 में दसवीं लोक सभा, मई 1996 में ग्यारहवीं लोक सभा, मार्च 1998 में बारहवीं लोक सभा और अक्तूबर 1999 में तेरहवीं लोक सभा अस्तित्व में आयी। लोक सभा जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, लोक सभा जन प्रतिनिधियों का निकाय है। इसके सदस्यों का प्रत्यक्ष निर्वाचन मताधिकार सम्पन्न वयस्क लोगों द्वारा सामान्यतः प्रत्येक 5 वर्षों में एक बार किया जाता है। सदन की सदस्यता के लिए न्यूनतम अर्ह आयु 25 वर्ष है। लोक सभा की वर्तमान सदस्य संख्या 545 है। विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के बीच विभाजित सदस्यों की संख्या निम्नवत् है- (1) आंध्र प्रदेश 42 (2) अरुणाचल प्रदेश 2 (3) असम 14 (4) बिहार 40 (5) छत्तीसगढ़ 11 (6) गोवा 2 (7) गुजरात 26 (8) हरियाणा 10 (9) हिमाचल प्रदेश 4 (10) जम्मू और कश्मीर 6 (11) झारखंड 14 (12) कर्नाटक 28 (13) केरल 20 (14) मध्य प्रदेश 29 (स्थिर सिक्के स्थिर सिक्के स्थिर सिक्के 15) महाराष्ट्र 48 (16) मणिपुर 2 (17) मेघालय 2 (18) मिजोरम 1 (19) नागालैंड 1 (20) उड़ीसा 21 (21) पंजाब 13 (22) राजस्थान 25 (23) सिक्किम 1 (24) तमिलनाडु 39 (25) त्रिपुरा 2 (26) उत्तरांचल 5 (27) उत्तर प्रदेश 80 (28) पश्चिम बंगाल 42 (29) अंडमान और निकोबार 1 (30) चंडीगढ़ 1 (31) दादर और नागर हवेली 1 (32) दमन और द्वीव 1 (33) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 7 (34) लक्षद्वीप 1 (35) पांडिचेरी 1 (36) आंग्ल भारतीय ( यदि संविधान के अनु. 331 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्दिष्ट किए गए हैं) राज्य स्थिर सिक्के सभा राज्य सभा संसद का उच्च सदन है। इसमें 250 से अनधिक सदस्य हैं। राज्य सभा के सदस्य लोगों द्वारा सीधे निर्वाचित नहीं होते बल्कि विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। प्रत्येक राज्य को निश्चित सदस्य संख्या आबंटित की गयी है। राज्य सभा का कोई भी सदस्य 30 वर्ष से कम आयु का नहीं हो सकता है। राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा के 12 सदस्य नाम निर्देशित किए जाते हैं जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है। राज्य सभा एक स्थायी निकाय है। इसका विघटन नहीं होता किंतु प्रत्येक दो वर्ष में इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं। राज्य सभा का 3 अप्रैल 1952 को प्रथम बार यथाविधि गठन हुआ तथा इसकी पहली बैठक उस वर्ष 13 मई को हुई। वर्तमान में राज्य सभा में 245 सदस्यगण है जिनका विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रवार विभाजन निम्नवत है (1) आंध्र प्रदेश 18 (2) अरुणाचल प्रदेश 1 (3) असम 7 (4) बिहार 16 (5) छत्तीसगढ़ 5 (6) गोवा 1 (7) गुजरात 15 (8) हरियाणा 5 (9) हिमाचल प्रदेश 3 (10) जम्मू और कश्मीर 4 (11) झारखंड 6 (12) कर्नाटक 12 (13) केरल 9 (14) मध्य प्रदेश 11 (15) महाराष्ट्र 19 (16) मणिपुर 1 (17) मेघालय 1 (18) मिजोरम 1 (19) नागालैंड 1 (20) उड़ीसा 10 (21) पंजाब 7 (22) राजस्थान 10 (23) सिक्किम 1 (24) तमिलनाडु 18 (25) त्रिपुरा 1 (26) उत्तरांचल 3 (27) उत्तर प्रदेश 31 (28) पश्चिम बंगाल 16 (29) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 3 (30) पांडिचेरी 1 (31) संविधान के अनुच्छेद 80(1)(क) के अंतर्गत 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्दिष्ट होंगे। पीठासीन अधिकारी लोक सभा अपने सदस्यों में से एक सदस्य का चुनाव पीठासीन अधिकारी के रूप में करती है और उसे अध्यक्ष कहा जाता है। उसकी सहायता के लिए उपाध्यक्ष होता है जिसका चुनाव भी लोक सभा द्वारा किया जाता है। लोक सभा में कार्य संचालन का उत्तरदायित्व अध्यक्ष का है। भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है। उसका निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जो संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनता है। राज्य सभा भी अपने सदस्यों में से एक सदस्य का चुनाव उप सभापति के रूप में करती है। लोक सभा और राज्य सभा के कार्य दोनों सदनों का मुख्य कार्य विधान पारित करना है। किसी भी विधेयक के विधान बनने के पूर्व इसे दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना होता है तथा राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करनी होती है। संसद भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के अंतर्गत उल्लिखित विषयों पर विधान बना सकता है। मोटे तौर पर संघ विषय में वैसे महत्वपूर्ण विषय हैं जिनका प्रशासन सुविधा, कार्यकुशलता तथा सुरक्षा कारणों से अखिल-भारतीय आधार पर किया जाता है। मुख्य संघ विषय हैं रक्षा, विदेश, रेलवे, परिवहन तथा संचार, करेंसी तथा सिक्का-ढलाई, बैंकिंग, सीमाशुल्क तथा उत्पाद शुल्क। ऐसे अन्य अनेक विषय हैं जिन पर संसद तथा राज्य विधानमंडल दोनों विधान बना सकते हैं। इस श्रेणी के अंतर्गत आर्थिक तथा सामाजिक योजना, सामाजिक सुरक्षा तथा बीमा, श्रम कल्याण, मूल्य नियंत्रण तथा महत्वपूर्ण सांख्यिकी का उल्लेख किया जा सकता है। विधान पारित करने के अतिरिक्त संसद संकल्प, स्थगन प्रस्ताव, चर्चा तथा सदस्यों द्वारा मंत्रियों को संबोधित प्रश्नों के माध्यम से देश के प्रशासन पर नियंत्रण रख सकती है तथा लोगों की स्वतंत्रताओं की रक्षा कर सकती है। लोक सभा और राज्य सभा में अंतर (1) लोक सभा के सदस्यों का चुनाव पात्र मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुरूप एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है। (2) प्रत्येक लोक सभा का सामान्य कार्यकाल केवल 5 वर्ष है जबकि राज्य सभा एक स्थायी सदन है। (3) संविधान के अंतर्गत मंत्रिपरिषद लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है। धन विधेयकों को केवल लोक सभा में प्रस्तुत किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त लोक सभा ही देश के प्रशासन को चलाने के लिए राशि स्वीकृत करती है। (4) राज्य सभा को यह घोषित करने की विशेष शक्तियां हैं कि संसद के लिए राज्य सूची में वर्णित किसी विषय के संबंध में विधान बनाना राष्ट्रहित में आवश्यक तथा सामयिक है तथा केंद्र एवं राज्यों के लिए सम्मिलित एक अथवा अधिक अखिल भारतीय सेवाओं का विधि द्वारा सृजन किया जाए। स्थिर सिक्के
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने डिजिटल मुद्रा - डिजिटल रुपया’ को लेकर बड़ा एलान किया
कल दिनांक 1 दिसंबर से जुडी बड़ी खबर सामने निकल कर आ रही है भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने डिजिटल मुद्रा - ‘डिजिटल रुपया’ को लेकर बड़ा एलान किया है। ई डिजिटल रुपया पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले ग्राहकों और व्यापारियों के स्थिर सिक्के क्लोज्ड यूजर ग्रुप (सीयूजी) में चुनिंदा लोकेशन पर उपलब्ध होगा। ई डिजिटल रुपया एक टोकन के रूप में लीगल टेंडर होगा। यह उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा जो वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के के रूप में जारी किए जाते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने डिजिटल मुद्रा - ‘डिजिटल रुपया’ को लेकर बड़ा एलान किया है। आरबीआई ने कहा है कि वह एक दिसंबर को खुदरा डिजिटल रुपये (e₹-R) के लिए पहली खेप लॉन्च करेगी। E₹-R एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा। यह कानूनी निविदाओं का प्रतिनिधित्व भी करेगा। आरबीआई ने यह भी जानकारी साझा कि डिजिटल रुपया उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा जिसमें वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं।
रिज़र्व बैंक ने 01 दिसंबर, 2022 को खुदरा डिजिटल रुपये का पहला पायलट लॉन्च करने की घोषणा की है। इससे पूर्व आरबीआई ने 31 अक्टूबर, 2022 की एक प्रेस विज्ञप्ति में पहले से ही संकेत दिया था कि खुदरा डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट एक महीने में शुरू होगा।
यह बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा। इसके उपयोगकर्ता बैंकों की ओर से उपलब्ध कराए गए एप के जरिए इसे खरीद सकेंगे और अपने मोबाइल फोन में सुरक्षित कर सकेंगे। इसमें व्यक्ति से व्यक्ति और व्यक्ति व व्यापारियों के बीच लेनदेन किया जा सकेगा। मर्चेंट् स्टोर पर लगे क्यूआर कोड का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान किया जा सकेगा।
रिटेल डिजिटल रुपये के पहले चरण के पायलट प्रोजेक्ट में चार बैंको को शामिल करने की योजना है । इनमें पहले चरण में गवर्मेंट बैंक सेक्टर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, प्राइवेट सेक्टर से आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक शामिल हैं। दूसरे चरण के पायलट प्रोजेक्ट में बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक व कोटक महिंद्रा बैंक शामिल रहेंगे।
खुदरा ई रुपये के पहले चरण के पायलट प्रोजेक्ट में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु व भुवनेश्वर जैसे शहरों को शामिल किया गया है। उसके बाद अन्य चरणों में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला शहर शामिल होंगे। जैसे-जैसे प्रोजेक्ट आगे बढ़ेगा वैसे वैसे इसमें स्थिर सिक्के रिसर्व बैंक ऑफ इंडिया अन्य बैंक और शहरों को शामिल करेगा । केंद्रीय बैंक के रिटेल डिजिटल रूपये पर ग्राहकों को कोई ब्याज नहीं मिलेगा। डिजिटल रुपये को करेंसी नोट और सिक्कों के डिनॉमिनेशन में परिवर्तित किया जा सकेगा।
सर्जरी के दौरान युवक के पेट से निकले 187 सिक्के
बेंगलुरु। कर्नाटक के बालकोट में लोगों को आश्चर्यचकित कर देने वाला एक अजब-गजब मामला सामने आया है। एक शख्स के पेट की सर्जरी के दौरान डॉक्टर ने पेट से 187 सिक्के बरामद किए है। इस संबंध हनागल श्री कुमारेश्वर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों का कहना है कि उसे उल्टी और पेट में तकलीफ की शिकायत के बाद उन्हें यहां भर्ती कराए गया था, जिसके पेट से 187 सिक्के मिले हैं।
मनोरोग से पीड़ित था शख्स
सर्जरी करने वाले डॉक्टरों में से एक डॉक्टर ईश्वर कलबुर्गी ने बताया कि वह एक मनोरोग से पीड़ित था और पिछले 2-3 महीनों से सिक्के निगल रहा था । वह उल्टी और पेट में परेशानी की शिकायत लेकर अस्पताल आया था । पेट में दर्द की शिकायत के बाद परिजन उसे अस्पताल ले गए । डॉक्टरों ने उसका एक्स-रे किया और एंडोस्कोपी की । डॉक्टर ने कहा कि मरीज ने कुल 187 सिक्के निगल लिए थे । जिनमें पांच रुपये के 56, दो रुपये के 51 और एक रुपये के 80 सिक्के बरामद किए गए हैं । डॉक्टर ने कहा कि शख्स ने दो से तीन महीने के अंदर कुल 1.5 किलोग्राम सिक्का निगल लिया है । शख्स रायचूर जिले के लिंगसुगुर शहर के निवासी हैं। रोगी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित था।
सिक्का निगलने के कारण मरीज का पेट काफी फैल गया था और कई सारे सिक्के पेट के अंदर फंस गए थे । डॉक्टर को सर्जरी करने में लगभग 2 घंटे का समय लगा । फिलहाल ऑपरेशन के बाद पानी की कमी और अन्य छोटी-मोटी समस्याओं के लिए उसका इलाज किया जा रहा है, फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है ।
स्थिर सिक्के
संसद देश का सर्वोच्च विधायी निकाय है। हमारी संसद राष्ट्रपति और दो सदनों-लोक सभा (हाउस आफ द पीपुल) और राज्य सभा (काँसिल ऑफ स्टेट्स) से मिला कर बनती है। राष्ट्रपति के पास संसद के किसी भी सदन की बैठक बुलाने और सत्रावसान करने अथवा लोक सभा को भंग करने का अधिकार है।
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान प्रभावी हुआ। वर्ष 1951-52 के दौरान नए संविधान के अंतर्गत पहला आम चुनाव हुआ और अप्रैल 1952 में प्रथम निर्वाचित संसद, अप्रैल 1957 में दूसरी लोक सभा, अप्रैल 1962 में तीसरी लोक सभा, मार्च 1967 में चौथी लोक सभा, मार्च 1971 में पांचवी लोक सभा, मार्च 1977 में छठी लोक सभा, जनवरी 1980 में सातवीं लोक सभा, दिसम्बर 1984 में आठवीं लोक सभा, दिसम्बर 1989 में नौवीं लोक सभा, जून 1991 में दसवीं लोक सभा, मई 1996 में ग्यारहवीं लोक सभा, मार्च 1998 में बारहवीं लोक सभा और अक्तूबर 1999 में तेरहवीं लोक सभा अस्तित्व में आयी।
लोक सभा
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, लोक सभा जन प्रतिनिधियों का निकाय है। इसके सदस्यों का प्रत्यक्ष निर्वाचन मताधिकार सम्पन्न वयस्क लोगों द्वारा सामान्यतः प्रत्येक 5 वर्षों में एक बार किया जाता है। सदन की सदस्यता के लिए न्यूनतम अर्ह आयु 25 वर्ष है। लोक सभा की वर्तमान सदस्य संख्या 545 है। विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के बीच विभाजित सदस्यों की संख्या निम्नवत् है-
(1) आंध्र प्रदेश 42
(2) अरुणाचल प्रदेश 2
(3) असम 14
(4) बिहार 40
(5) छत्तीसगढ़ 11
(6) गोवा 2
(7) गुजरात 26
(8) हरियाणा 10
(9) हिमाचल प्रदेश 4
(10) जम्मू और कश्मीर 6
(11) झारखंड 14
(12) कर्नाटक 28
(13) केरल 20
(14) मध्य प्रदेश 29
(15) महाराष्ट्र 48
(16) मणिपुर 2
(17) मेघालय 2
(18) मिजोरम 1
(19) नागालैंड 1
(20) उड़ीसा 21
(21) पंजाब 13
(22) राजस्थान 25
(23) सिक्किम 1
(24) तमिलनाडु 39
(25) त्रिपुरा 2
(26) उत्तरांचल 5
(27) उत्तर प्रदेश 80
(28) पश्चिम बंगाल 42
(29) अंडमान और निकोबार 1
(30) चंडीगढ़ 1
(31) दादर और नागर हवेली 1
(32) दमन और द्वीव 1
(33) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 7
(34) लक्षद्वीप 1
(35) पांडिचेरी 1
(36) आंग्ल भारतीय ( यदि संविधान के अनु. 331 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्दिष्ट किए गए हैं)
राज्य सभा
राज्य सभा संसद का उच्च सदन है। इसमें 250 से अनधिक सदस्य हैं। राज्य सभा के सदस्य लोगों द्वारा सीधे निर्वाचित नहीं होते बल्कि विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। प्रत्येक राज्य को निश्चित सदस्य संख्या आबंटित की गयी है। राज्य सभा का कोई भी सदस्य 30 वर्ष से कम आयु का नहीं हो सकता है।
राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा के 12 सदस्य नाम निर्देशित किए जाते हैं जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है।
राज्य सभा एक स्थायी निकाय है। इसका विघटन नहीं होता किंतु प्रत्येक दो वर्ष में इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त स्थिर सिक्के होते हैं। राज्य सभा का 3 अप्रैल 1952 को प्रथम बार यथाविधि गठन हुआ तथा इसकी पहली बैठक उस वर्ष 13 मई को हुई।
वर्तमान में राज्य सभा में 245 स्थिर सिक्के सदस्यगण है जिनका विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रवार विभाजन निम्नवत है
(1) आंध्र प्रदेश 18
(2) अरुणाचल प्रदेश 1
(3) असम 7
(4) बिहार 16
(5) छत्तीसगढ़ 5
(6) गोवा 1
(7) गुजरात 15
(8) हरियाणा 5
(9) हिमाचल प्रदेश 3
(10) जम्मू और कश्मीर 4
(11) झारखंड 6
(12) कर्नाटक 12
(13) केरल 9
(14) मध्य प्रदेश 11
(15) महाराष्ट्र 19
(16) मणिपुर 1
(17) मेघालय 1
(18) मिजोरम 1
(19) नागालैंड 1
(20) उड़ीसा 10
(21) पंजाब 7
(22) राजस्थान 10
(23) सिक्किम 1
(24) तमिलनाडु 18
(25) त्रिपुरा 1
(26) उत्तरांचल 3
(27) उत्तर प्रदेश 31
(28) पश्चिम बंगाल 16
(29) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 3
(30) पांडिचेरी 1
(31) संविधान के अनुच्छेद 80(1)(क) के अंतर्गत 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्दिष्ट होंगे।
पीठासीन अधिकारी
लोक सभा अपने सदस्यों में से एक सदस्य का चुनाव पीठासीन अधिकारी के रूप में करती है और उसे अध्यक्ष कहा जाता है। उसकी सहायता के लिए उपाध्यक्ष होता है जिसका चुनाव भी लोक सभा द्वारा किया जाता है। लोक सभा में कार्य संचालन का उत्तरदायित्व अध्यक्ष का है।
भारत का उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है। उसका निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जो संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनता है। राज्य सभा भी अपने सदस्यों में से एक सदस्य का चुनाव उप सभापति के रूप में करती है।
लोक सभा और राज्य सभा के कार्य
दोनों सदनों का मुख्य कार्य विधान पारित करना है। किसी भी विधेयक के विधान बनने के पूर्व इसे दोनों सदनों द्वारा पारित किया जाना होता है तथा राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त करनी होती है। संसद भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के अंतर्गत उल्लिखित विषयों पर विधान बना सकता है। मोटे तौर पर संघ विषय में वैसे महत्वपूर्ण विषय हैं जिनका प्रशासन सुविधा, कार्यकुशलता तथा सुरक्षा कारणों से अखिल-भारतीय आधार पर किया जाता है। मुख्य संघ विषय हैं रक्षा, विदेश, रेलवे, परिवहन तथा संचार, करेंसी तथा सिक्का-ढलाई, बैंकिंग, सीमाशुल्क तथा उत्पाद शुल्क। ऐसे अन्य अनेक विषय हैं जिन पर संसद तथा राज्य विधानमंडल दोनों विधान बना सकते हैं।
इस श्रेणी के अंतर्गत आर्थिक तथा सामाजिक योजना, सामाजिक सुरक्षा तथा बीमा, श्रम कल्याण, मूल्य नियंत्रण तथा महत्वपूर्ण सांख्यिकी का उल्लेख किया जा सकता है।
विधान पारित करने के अतिरिक्त संसद संकल्प, स्थगन प्रस्ताव, चर्चा तथा सदस्यों द्वारा मंत्रियों को संबोधित प्रश्नों के माध्यम से देश के प्रशासन पर नियंत्रण रख सकती है तथा लोगों की स्वतंत्रताओं की रक्षा कर सकती है।
लोक सभा और राज्य सभा में अंतर
(1) लोक सभा के सदस्यों का चुनाव पात्र मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुरूप एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है।
(2) स्थिर सिक्के प्रत्येक लोक सभा का सामान्य कार्यकाल केवल 5 वर्ष है जबकि राज्य सभा एक स्थायी सदन है।
(3) संविधान के अंतर्गत मंत्रिपरिषद लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होती है। धन विधेयकों को केवल लोक सभा में प्रस्तुत किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त लोक सभा ही देश के प्रशासन को चलाने के लिए राशि स्वीकृत करती है।
(4) राज्य सभा को यह घोषित करने की विशेष शक्तियां हैं कि संसद के लिए राज्य सूची में वर्णित किसी विषय के संबंध में विधान बनाना राष्ट्रहित में आवश्यक तथा सामयिक है तथा केंद्र एवं राज्यों के लिए सम्मिलित एक अथवा अधिक अखिल भारतीय सेवाओं का विधि द्वारा सृजन किया जाए।
दो-तीन महीनों से सिक्कों को निगल रहा था व्यक्ति, हुआ कुछ ऐसा
सिक्के
सिक्के: कर्नाटक के बागलकोट स्थित हनागल श्री कुमारेश्वर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र के चिकित्सा पेशेवरों
द्वारा एक व्यक्ति के पेट से 187 से अधिक सिक्के निकाले गए।
शनिवार को पेट में तकलीफ और उल्टी की शिकायत के बाद शख्स के पेट से सिक्के निकाले गए
आदमी के रिश्तेदार उसे हनागल श्री कुमारेश्वर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र ले गए जहां डॉक्टरों ने उसकी स्थिति
की जांच करने के लिए एक्स-रे किया।
इसके बाद ही रिपोर्ट में उसके पेट में सिक्कों का पता चला।
बताया जा रहा है कि शख्स पिछले दो-तीन महीनों से सिक्कों को निगल रहा था
डॉक्टर ईश्वर कलबुर्गी ने कहा कि उन सिक्कों को निकालने के लिए एक सर्जरी की गई।
डॉक्टरों ने उल्लेख किया कि व्यक्ति ने सिज़ोफ्रेनिया नामक एक गंभीर मानसिक विकार के कारण सिक्कों को निगल लिया।