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ब्रोकर टेस्ट

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एक्सचेंज हर महीने एक शनिवार को मॉक ट्रेडिंग करता है जहां ब्रोकर अपने ट्रेडिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का टेस्ट आउट करता हैं। इस सेशन का इस्तेमाल नए प्रोडक्ट्स / सिस्टम, कंटिंगेंकी अभ्यास आदि का टेस्ट आउट किया जाता है। इसलिए, शनिवार को काइट / Pi पर लाइव टिक होते हैं।

मॉक-ट्रेडिंग कीमतों के अनुसार आपकी होल्डिंग्स या पोजीशन वैल्यू प्रदर्शित होती है। इसके कारण, आपको मार्केट वॉच पर गलत मूल्य दिखाई दे सकते हैं और गलत पोजीशन या होल्डिंग वैल्यू भी मिल सकती है। हालांकि, सेशन के अंत में, शुक्रवार के क्लोजिंग को अपडेट किया जाएगा।

आप यहां NSE और MCX के लिए मॉक ट्रेडिंग कैलेंडर देख सकते हैं।

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मुंबई: एक्ट्रेस से छेड़खानी के आरोप में स्टॉक ब्रोकर गिरफ्तार, फिल्म में रोल दिलाने का दिया था झांसा

मुंबई: एक्ट्रेस से छेड़खानी के आरोप में स्टॉक ब्रोकर गिरफ्तार (सांकेतिक तस्वीर)

Mumbai News: स्टॉक ब्रोकर जिग्नेश मेहता पर फिल्म में रोल दिलाने में मदद के बहाने अभिनेत्री के साथ कथित रूप से छेड़खान . अधिक पढ़ें

  • भाषा
  • Last Updated : August 06, 2022, 19:46 IST

हाइलाइट्स

आरोपी ब्रोकर ने होटल में बुलाकर अभिनेत्री के साथ की गलत हरकतें
पीड़ित एक्ट्रेस की शिकायत पर पुलिस ने जिग्नेश मेहता को गिरफ्तार किया

मुंबई: फिल्म में रोल दिलाने में मदद के बहाने एक अभिनेत्री के साथ कथित रूप से छेड़खानी करने के आरोप में स्टॉक ब्रोकर को गिरफ्तार किया गया है. मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को इस आशय की जानकारी दी. प्राप्त तहरीर के आधार पर एमआईडीसी थाने के अधिकारी ने बताया कि स्टॉक ब्रोकर जिग्नेश मेहता (48) ने एक फिल्म प्रोड्यूसर से मिलवाने की बात कह कर 28 वर्षीय युवती को शुक्रवार को अंधेरी के एक होटल में बुलाया.

उन्होंने कहा, ‘‘ मेहता ने कमरे में कथित रूप से युवती को गलत तरीके से छूना ब्रोकर टेस्ट शुरू कर दिया, उस वक्त वहां उन दोनों के अलावा कोई नहीं था. युवती कमरे से भागने में कामयाब रही और होटल के रिसेप्शन से पुलिस को फोन किया. होटल के कर्मचारियों ने पुलिस के पहुंचने तक मेहता को वहां रोके रखा.’’ अधिकारी ने बताया कि मेहता के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है. पीड़िता का बयान भी दर्ज किया गया है.

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किसानों को मिली बड़ी सौगात, अब 75 दिनों में पूरी होगी ट्रैक्टर टेस्टिंग की प्रक्रिया

किसानों को मिली बड़ी सौगात, अब 75 दिनों में पूरी होगी ट्रैक्टर टेस्टिंग की प्रक्रिया

आजादी का अमृत महोत्सव : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की पहल का किसानों को मिलेगा फायदा

केंद्र सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। 15 अगस्त 2022 को देश की आजादी को 75 साल पूरे जा जाएंगे। अमृत महोत्सव के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने देश के किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए ट्रैक्टर टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा में कमी है। केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी द्वारा खेती में उपयोग किए जाने वाले ट्रैक्टर्स की टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा को 9 माह से घटाकर मात्र 75 दिन कर दिया है। इससे किसानों को नई तकनीक के बेहतर ट्रैक्टर के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। ट्रैक्टर कंपनियों का भी समय बचेगा। यह गाइडलाइन 15 अगस्त 2022 से लागू होगी। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको ट्रैक्टर परीक्षण के फायदे और प्रक्रिया के बारे में बताया गया है, तो बने रहिए ट्रैक्टर जंक्शन के साथ।

ट्रैक्टर टेस्टिंग प्रक्रिया की समय सीमा में कमी से किसानों को फायदा

ट्रैक्टर किसान परिवार की जान होते हैं। भारत की कृषि में लगातार वृद्धि के पीछे ट्रैक्टर व अन्य कृषि उपकरणों का बहुत अधिक महत्व है। कोई भी ट्रैक्टर बाजार में लांच होने से पहले एक परीक्षण प्रक्रिया से गुजरता है। केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी में ट्रेक्टरों की टेस्टिंग होती है। संस्थान की जांच रिपोर्ट के बाद ही ट्रैक्टर को मार्केट में बेचने के लिए उतारा जाता है। केंद्र सरकार का मानना है कि खेती में किसान की सबसे अधिक लागत ट्रैक्टर में ही लगती है। हर किसान को सही और मानदंडों के अनुसार ट्रैक्टर मिलना चाहिए जिससे उसे भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी ना हो। इसी उद्देश्य ब्रोकर टेस्ट को पूरा करने के लिए केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी की स्थापना की गई है। अब तक ट्रैक्टर टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा 9 महीने थी। इससे किसानों को नई तकनीक के नए ट्रैक्टर के लिए एक लंबा इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब किसानों और ट्रैक्टर कंपनियों को नए ट्रैक्टर की लांचिंग के लिए अधिक समय तक इंतजार नहीं करना होगा। आपको बता दें कि (CFMTTI), बुदनी की रिपोर्ट के बाद ही ट्रैक्टर कंपनियां अपने नए ट्रैक्टर मॉडलों को देश और विदेशी बाजार में बेचने के लिए उतारती है।

कृषि मंत्री ने ट्विटर हैंडल पर दी जानकारी

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 31 जुलाई को अपने ट्विटर हैंडल पर जानकारी देते हुए बताया कि खेती के लिए उपयोग किए जाने ट्रैक्टर्स की टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा में कमी की गई है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी द्वारा खेती के लिए उपयोग किए जाने ट्रैक्टर्स की की टेस्टिंग प्रक्रिया की समय-सीमा को 9 माह से घटाकर मात्र 75 दिन कर दिया है। यह गाइडलाइन 15 अगस्त 2022 से लागू होंगे।

जानें, बाजार में आने से पहले ट्रैक्टर की जांच कैसे होती है?

ट्रैक्टर खरीदने के बाद किसान को किसी तरह की परेशान नहीं हो और ट्रैक्टर सभी प्रकार के जोखित से मुक्त हो, इसके लिए केंद्र सरकार के संस्थान केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी (मध्यप्रदेश) में ट्रैक्टरों की आधिकारिक जांच होती है। जिसमें बताया जाता है कि ट्रैक्टर में क्या कमी है और क्या खूबियां है। इसके बाद ही ट्रैक्टर बिक्री के लिए बाजार में लांच किया जाता है। हालांकि सभी कंपनियां अपने स्तर पर ट्रैक्टरों की जांच करती है लेकिन बुदनी की रिपोर्ट होना आवश्यक है।

CFMTTI, बुदनी में ट्रैक्टर टेस्ट की सूची

पीटीओ लैब टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर की पीटीओ स्पीड की विभिन्न यंत्रों की सहायता से जांच होती है। ट्रैक्टर को अलग-अलग कंडीशन में चलाया जाता है। कंपनी जो पीटीओ स्पीड उपलब्ध कराने का दावा कर रही है वह किसान को मिलेगी या नहीं, इसकी जांच होती है।

ड्रा बार टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर की पुलिंग पावर को जांचने के लिए ट्रैक्टर के ड्रा बार को एक हैवी व्हीकल के साथ जोड़ दिया जाता है और ट्रैक्टर को कंक्रीट के रोड पर चलाया जाता है।

ब्रेक टेस्ट

ट्रैक्टर को सड़क पर चलाकर ब्रेक की जांच की जाती है कि ब्रेक कैसा काम करता है, कितनी जल्दी काम करता है आदि।

हाइड्रोलिक टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर की हाइड्रोलिक लिफ्टिंग क्षमता और हाइड्रोलिक स्पीड की जांच होती है।

विजिबिलिटी टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर को एक स्थान पर खड़ा करके अलग-अलग 6 एंगल से विजिबिलिटी टेस्ट किया जाता है।

ग्रेविटी टेस्ट

ग्रेविटी टेस्ट में यंत्रों की सहायता से अलग-अलग पॉजिशन में ट्रैक्टर की ग्रेविटी का पता लगाया जाता है।

टर्निंग ऐबिलिटी टेस्ट

इस टेस्ट में आधुनिक यंत्रों से ट्रैक्टर के टर्निंग रेडियस का पता लगाया जाता है।

वाइब्रेशन टेस्ट

इस ट्रेस्ट में ट्रैक्टर का इंजन कितना कंपन करता है, इसकी जांच होती है।

नॉइज़ लेवल टेस्ट

ट्रैक्टर की आवाज या शोर का पता लगाने के लिए नॉइज़ लेवल टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में 20 से 25 फीट की दूरी से ड्राइवर के कान पर विशेष उपकरण लगाकर ट्रैक्टर के नॉइज लेवल का पता लगाया जाता है।

एयर क्लीनर ऑयल पुल ओवर टेस्ट

इस टेस्ट में ऑयल बॉथ एयर क्लीनर का टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में ट्रैक्टर को चलाने के बाद ऑयल कितना खराब हुआ इसका पता लगाया जाता है।

स्मोक लेवल टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर को सामान्य और भारी लोड की कंडिशन में चलाया जाता है। इसके बाद ट्रैक्टर के स्मोक लेवल का पता लगाया जाता है।

फील्ड टेस्ट

इस परीक्षण में ट्रैक्टर को रोटावेटर, कल्टीवेटर आदि उपकरणों के साथ कई-कई घंटों तक खेत में चलाया जाता है। ट्रैक्टर से पुडलिंग का काम कराया जाता है।

हॉलेज टेस्ट

इस ट्रैक्टर में ट्रैक्टर को लोड ट्रॉली से जोड़कर फुल आरपीएम पर 60 किलोमीटर तक चलाया जाता है।

वाटर प्रूफ टेस्ट

इस टेस्ट में ट्रैक्टर को पानी में डूबाया जाता है। इससे ट्रैक्टर की सील्ड पैकिंग का पता चलता है।

सभी पार्ट्स को खोलना

इन सभी टेस्ट के बाद ट्रैक्टर के सभी पार्ट्स को खोला जाता है और इन पार्ट्स की अलग-अलग जांच होती है। कौनसे पार्ट्स मानकों के अनुसार बने हैं और कौनसे पार्ट्स मानकों के अनुसार नहीं बने हैं इसकी जानकारी ट्रैक्टर कंपनी के मालिकों को दी जाती है।

केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान (CFMTTI), बुदनी (मध्यप्रदेश) में इन टेस्टों के बाद ही किसी ट्रैक्टर को बाजार में बेचने की अनुमति मिलती है। केंद्र सरकार के समय-सीम को कम करने के फैसले से किसान भाइयों और ट्रैक्टर कंपनियों दोनों को फायदा होगा।

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बिना ब्रोकर लाइसेंस के चल रहा रियल एस्टेट और प्रॉपर्टी डीलिंग का कार्य

बिना ब्रोकर लाइसेंस के चल रहा रियल एस्टेट और प्रॉपर्टी डीलिंग का कार्य

छतरपुर. बिना लाइसेंस प्रॉपर्टी कारोबार करने पर कुछ वर्ष पहले प्रशासन सख्त हुआ था। लेकिन जिले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे अभी भी प्रतिबंध के बावजूद यह धंधा जारी है। यहां पर हर चौथा व्यक्ति खुद को प्रॉपर्टी एजेंट बताकर खरीद फरोक्त में दलाली कर हिस्सेदारी ले रहा है।
जिले में हालत यह है कि राजनेता, नगर पालिका पार्षद से लेकर दुकानदार भी बिना लाइसेंस के प्रॉपर्टी के कारोबार में लगे हैं। इसके साथ ही प्रॉपर्टी के नाम पर धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ी हैं। निरंतर मिल रही ऐसी शिकायतों के कारण ही बीते दो वर्ष पहले प्रशान ने इस दिशा में सख्त कदम उठाए जाने का ऐलान किया था। इस दौरान बिना बिना लायसेंस के प्रॉपर्टी डीलिंग और एजेंट का काम करने वालों ने बिना लायसेंस के कार्य नहीं करने की हिदायत दी थी। लेकिन इसके बाद भी अभी तक लगातार कोई भी व्यक्ति एजेंट या ब्रोकिंग को माक कर रहा है और संपत्ति की खरीद-फरोख्त में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। शहर में सैकडों की संख्या में लोग यह कार्य कर रहे हैं और इसकी जानकारी जिले के राजस्व सहित पुलिस और प्रशासन को हैं और इसके बाद भी कार्रवाई ब्रोकर टेस्ट नहीं की जा रही है।

ये हैं लाइसेंस लेने के नियम
- कोई भी व्यक्ति जिसकी आयु 21 वर्ष से ऊपर हो
- सरकार के अधीन बोर्ड, निगमों या सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी सेवा में रहते लाइसेंस ले सकते हैं
- लाइसेंस के लिए 25 हजार रुपए फीस जमा करानी होगी
- लाइसेंस पांच वर्ष की अवधि के लिए मान्य होगा
- 5000 रुपए फीस देकर इसका नवीनीकरण करवा सकते हैं
- देरी होने पर 500 रुपए प्रतिमाह का जुर्माना भरना पड़ेगा
- संगठन, कंपनी या सोसायटी भी प्रॉपर्टी डीलिंग लाइसेंस ले सकते हैं
- इनकी लाइसेंस फीस 50 हजार रुपए होगी
- इसके नवीनीकरण पर 10 हजार रुपये की फीस लगेगी
- नवीनीकरण में देरी होने पर 1000 रुपए हर महीने जुर्माना अदा करना होगा

इस तरह मिलता है लाइसेंस
लाइसेंस लेने वाले को आवेदन के साथ-साथ आवास प्रमाण, चार फोटो, अंगूठे का निशान, चरित्र प्रमाण पत्र, दो गारंटर और फीस का चालान लगाना होगा। इसके बाद फार्म-बी में कलेक्टर लाइसेंस बनाकर देगा। लाइसेंस अहस्तांतरणीय होगा। लाइसेंस प्राप्त प्रॉपर्टी डीलर खरीद-फरोख्त की कीमत का एक प्रतिशत कमीशन का हकदार होगा। लीज या किराये की सूरत में कमीशन की दर एक महीने के किराये के हिसाब से निकाली जाएगी। 50 रुपये अदा कर लाइसेंस का डुप्लीकेट भी प्राप्त किया जा सकता है।

करीब २५० हैं एजेंट
जिला पंजियक पंकज कोरी ने बताया कि जिले में करीब २५० लोगों के पास में लाइसेंसधारी एजेंट हैं। जो कार्य कर रहे हैं।
इसके साथ की बडी संख्या में लोग बिना लाइसेंस के कारोबार करा रहे हैं। ऐसे लोग खरीददार और विक्रेता के सहयोगी बनकर कार्यालय में आते हैं और वह आधिकारिक ब्रोकर टेस्ट रूप से अपने कार्य को बाहर नहीं अने देते हैं। जिससे ऐसे लोगों के खिलाफ जिम्मेदारों द्वारा कार्र्रवाई नहीं की जा रही है।

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