भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए रणनीतियाँ

चरणों में विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें?

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विदेशी मुद्रा शुरुआती - एक विदेशी मुद्रा खाता कैसे खोलें
पूर्णकालिक विदेशी मुद्रा व्यापारियों के लिए सफलता की रणनीतियाँ
विदेशी मुद्रा शब्दजाल को समझना
पार्ट टाइम फॉरेक्स ट्रेडर्स के लिए सफलता की रणनीतियाँ
सफलतापूर्वक विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए युक्तियाँ
ट्रेडिंग की बढ़ी हुई आवृत्ति
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कैसे शुरू करें गोल्ड इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस ?

कैसे शुरू करें गोल्ड इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस ?

सिर्फ बिज़नेस की दृष्टि से ही नहीं बल्कि भारत में सोने के कई पारंपरिक महत्व भी हैं। भारत में सोने को निवेश और बचत का माध्यम भी माना जाता है। अक्सर लोग त्योहारों जैसे अक्षय तृतीया Akshaya Tritiya पर भी सोने की जमकर खरीदारी करते हैं। इसके अलावा शादी के सीजन में तो भारत में सोने की डिमांड शिखर पर पहुंच जाती है। इसलिए यहाँ पर सोने का बिज़नेस करना काफी फायदेमंद है। इंडिया के अन्दर इतना ज्यादा सोना नही है और यही वजह है कि दूसरे देशो से सोना इंडिया के अन्दर एक्सपोर्ट किया जाता है। आज इंडिया के बहुत सारे लोग गोल्ड का बिजनेस करते हैं। इंडिया में Gold का बिज़नेस कई तरह से होता है जैसे बहुत से लोग से gold की शॉप चरणों में विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें? खोलकर पैसे कमाते है और और बहुत से सोना आयात निर्यात व्यापार Gold Import Export Business करते हैं। सोने चांदी का बिज़नेस करने के लिए आपको बहुत दिमाग लगाने की जरुरत पड़ती है। अगर आप इसमें जरा सी भी गलती करते हैं तो आपको इस बिज़नेस में बहुत नुकसान झेलना पड़ सकता है। तो चलिए इस आर्टिकल के द्वारा विस्तार से जानते हैं कि कैसे आप गोल्ड इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का बिजनेस शुरू कर सकते हैं।

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देखा जाये तो भारत में सोने की डिमांड Gold Demand में तेजी देखने को मिली है हाँ ये बात सच है कि महामारी के दौरान भले ही इसकी डिमांड कम हुई थी, लेकिन बाद में फिर से लोग सोने की खरीदारी बढ़ाने लग गए थे। साल 2021 के आंकड़ों को देखें तो भारत का सोना आयात (Gold Import) एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। भारत में लोग सोने के आभूषणों को खरीदना हद से भी ज्यादा पसंद करते हैं। चाहे आदमी हो या औरत दोनों को सोने से बने गहने पहनना पसंद है। सोने चांदी के गहने पहनने से लोगो में एक अमीरी का भाव पैदा होता है। इस कारण लोग अपने शरीर पर सोने चांदी के गहने पहनना और खरीदना पसंद करते हैं। यही वजह है कि सोने चांदी का बिजनेस करना एक बहुत ही फायदेमंद बिजनेस हो गया है। भारत आभूषणों के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। इसके अलावा, भारत में सोने का सबसे बड़ा आयात है। रत्न और आभूषण क्षेत्र भारतीय सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 6-7% योगदान देता है, जिससे यह एक सफल क्षेत्र बन जाता है। कुछ लोग सोने चांदी को शेयर मार्किट की तरह खरीदते हैं। वो लोग सस्ते दामो में सोने को खरीद कर महंगे दाम होने पर बेचते हैं। जिसकी वजह से सोने का बिजनेस एक बहुत सफल बिजनेस में से एक है। भारत में सोने के आभूषण का व्यवसाय बहुत ही तेजी से फल फूल रहा है। यानि भारत में एक फलता-फूलता मध्यम वर्ग और बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, आने वाले वर्षों में सोने की मांग में और वृद्धि होना तय है। इसलिए, आने वाले वर्षों में आभूषण व्यवसाय में बहुत अधिक संभावनाएं lot of potential in the jewelery business हैं। तो चलिए आज इस आर्टिकल में हम भारत में सोने के आभूषण व्यवसाय यानि Gold Import Export Business गोल्ड इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू करने की प्रक्रिया के बारे में जानेगे।

गोल्ड इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस के लिए क्या जरूरी चीजे चाहिए What are the Requirements for Gold Import Export Business?

गोल्ड इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस के लिए कुछ जरुरी चीज़ें चाहिए होती हैं। सबसे पहले आपको एक ऑफिस की जरुरत होती है। यह आप पर निर्भर करता है कि ये बिज़नेस आप घर से शुरु कर रहे हैं या फिर दुकान किराए पर लेकर। इसके अलावा जो सबसे जरुरी चीज़ है वो है Marketing मार्केटिंग। मार्केटिंग के बाद बिजली की सुविधा, पानी की सुविधा (Electricity, water facilities) आदि का भी आपको ध्यान रखना होगा। साथ ही इसके लिए GST Number और लाइसेंस भी चाहिए।

गोल्ड इम्पोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस के लिए लागत Investments For Gold Import Export Business

इस बिज़नेस में निवेश इस Business के Office पर निर्भर करता है क्योकि इसमें यदि आप बड़ा Business शुरु करते हैं तो ज्यादा इन्वेस्टमेंट Investment करनी पड़ती है और वहीं छोटा बिज़नेस शुरु करते है तो उसमें कम इन्वेस्टमेंट (Investment) करनी पड़ती है। अगर आपका खुद का Office है तो आपको ज्यादा इन्वेस्टमेंट की जरुरत नहीं पड़ेगी। वहीं यदि आप Office किराये पर लेते है तो उसमें आपको इन्वेस्टमेंट (Investment) ज्यादा करनी पड़ेगी। इसके अलावा आपको लाइसेंस License के लिए भी इन्वेस्टमेंट करना पड़ेगा।

गोल्ड बिजनेस के नियम Rules for Opening a Firm

गोल्ड बिजनेस में एक निर्यात फर्म शुरू करने के लिए आपको कुछ नियमों को जानना जरुरी है। सबसे पहले, आपको प्रोपराइटरशिप, पार्टनरशिप, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप, प्राइवेट कंपनी, लिमिटेड कंपनी, ट्रस्ट, रजिस्टर्ड सोसाइटी Proprietorship, Partnership, Limited Liability Partnership, Private Company, Limited Company, Trust, Registered Society और एचयूएफ के रूप में बिजनेस को चुनना होगा और फिर बिजनेस को रजिस्टर्ड कराना होगा। साथ ही निर्यात संचालन करने का तरीका आपको चुनना है जैसे – निर्माता निर्यातक, एक व्यापारी निर्यातक या व्यापारी सह निर्माता निर्यातक के रूप में। फर्म को माल और सेवा कर विभाग, भारत के साथ Register करना भी आवश्यक होता है।

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खाता खोलना, लाइसेंस Account Opening, License

आपको Business फर्म के नाम पर एक खाता खोलना होगा। यह निर्यात कारोबार के लिए फर्म के लिए कानूनी लाइसेंस होगा। IEC के लिए एक आवेदन https://dgft.gov.in/CP/ IEC Profile Management पर ANF 2A के अनुसार ऑनलाइन दायर किया जाता है। साथ ही विदेशी मुद्रा में व्यापार करने के लिए open a current account with the designated bank अधिकृत बैंक के साथ एक चालू खाता खोलना होगा। बैंक द्वारा सीमा शुल्क के साथ पंजीकरण करने के लिए एक अधिकृत डीलर कोड (एडी कोड) जारी किया जाता है।

डॉक्यूमेंट Document

Personal Document (PD) :- Personal Document में निम्न डॉक्यूमेंट हैं-

Bank Account

ID Proof - Aadhaar Card , चरणों में विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें? Pan Card , Voter Card

Address Proof :- Ration Card , Electricity Bill ,

Photograph Email ID , Phone Number ,

Other Document

बिजनेस Document

बिजनेस डॉक्यूमेंट के अंदर निम्न डॉक्यूमेंट आते हैं -

Business Registration

Business चरणों में विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें? pan card

GST Number

डिसपैच, कस्टम क्लीयरेंस और शिपमेंट Dispatch, Custom Clearance and shipment

इसमें अंतिम चरण शिपमेंट भेजना है। पैकिंग के बाद आप माल को पारगमन के लिए बंदरगाहों या हवाई अड्डों पर भेज सकते हैं। प्रत्येक बंदरगाह पर सभी कस्टम नियमों और प्रक्रियाओं Custom rules and procedures का पालन करना आवश्यक है। अपने शिपमेंट बिल के मुद्दों को प्राप्त करने के बाद आप शिपमेंट बिलों के लिए क्लियरिंग हाउस एजेंट (CHA) भी रख सकते हैं। बस अब निकासी के बाद आपका माल निर्यात के लिए तैयार है। एक बार आपका शिपमेंट निर्यात हो जाने के बाद, आपको शिपमेंट के लिए भुगतान प्राप्त होगा। ये सब चीज़ें आपको ध्यानपूर्वक करनी होंगी। इसमें खातों का भी सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना है। सोने के निर्यात व्यवसाय में आपको काफी सावधानी रखनी होगी। साथ ही आपको लेखांकन प्रक्रिया को सही तरीके से करने की आवश्यकता है। बहुत ही सावधानी से व्यवसाय के लेखांकन लेनदेन को ट्रैक और प्रबंधित करें।

कस्टम नियम Custom Rules

EDI सिस्टम AD कोड के बिना शिपिंग बिल बनाने की अनुमति नहीं देता है। आपको यह याद रखना जरुरी है कि यह कस्टम नियम है कि निर्यात माल की निकासी के लिए शिपिंग बिल दाखिल करने से पहले सीमा शुल्क से एक पैन-आधारित व्यवसाय पहचान संख्या (बीआईएन) Business Identification Number (BIN) प्राप्त करनी चाहिए। निर्यातकों को अनिवार्य रूप से संबंधित निर्यात संवर्धन परिषदों/एफआईईओ/कमोडिटी बोर्ड/ द्वारा प्रदान किया गया पंजीकरण सह सदस्यता प्रमाणपत्र (आरसीएमसी) प्राप्त करना आवश्यक है। आपकी फर्म को समुद्री और हवाई बीमा कवर Marine and air insurance cover के लिए किसी बीमा कंपनी को भी आवेदन करना चाहिए।

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सम्राट अशोक ने ईसा से दो सदी पूर्व पुरुष पुर (पेशावर) से पाटलिपुत्र (पटना) तक एक राजपथ (हाई-वे) बनवाया था। इसके पीछे एक उद्देश्य यह था कि राहगीरों के आने-जाने का रास्ता सुगम हो। तब इन रास्तों से व्यापारी गुजरते, धर्म प्रचारक गुजरते और सेनाएँ भी। बीच-बीच में इस मार्ग में सुधार होता रहा। लेकिन सम्राट हर्ष के बाद यह टूट-फूट गया। उस समय भारत के देशी राजे परस्पर लड़ते रहे और व्यापार हेतु बने इस रास्ते को दुरुस्त करने की सुधि किसी ने नहीं ली। ऐसे में व्यापारियों का क़ाफ़िला (सार्थवाह) भी लुट जाता इसलिए भारत में व्यापार ख़त्म हो गया।

इसके बाद व्यापार के लिए देश से बाहर जाने वालों को समाज से बहिष्कृत किया जाने लगा। समुद्र यात्रा पर धार्मिक प्रतिबंध लग गए। ज़ाहिर है जब व्यापार ध्वस्त हुआ तब बाहर के लोगों से घुलना-मिलना तथा सीखना-सिखाना सब नष्ट हो गया। यही भारत का अंधकार युग है, जो कई शताब्दियों तक चला।

लेकिन फिर जब तुर्क आए, अफ़ग़ानी आए और उनका शासन स्थायी हुआ, तब उन्होंने फिर से राजमार्ग बनवाए। शेरशाह सूरी ने इस पेशावर से पटना तक के मार्ग को बंगाल तक बढ़ाया। बाद में मुग़ल बादशाह अकबर ने और भी कई राजमार्ग बनवाए। ख़ासकर आगरा से दक्कन को। अंग्रेजों के समय इन्हें आधुनिक रूप दिया गया। अंग्रेजों का मक़सद व्यापार था इसलिए आवश्यक बुनियादे ढाँचे को व्यापार के अनुकूल बनाया गया और भारत के लोगों का भी देश के बाहर आना-जाना शुरू हुआ। सड़क और जल मार्ग को पनपाया गया। और हमारे व्यापार की जो प्रक्रिया रुक गई थी, उसने गति पकड़ी। लेकिन इस औपनिवेशिक संस्कृति ने एक बात यह भी बताई कि व्यापार में बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना ही होगा। अब चूँकि ज़माना बदल चुका है, इसलिए मुल्कों के बीच युद्ध ज़मीन हथियाने के लिए नहीं बल्कि व्यापार के लिए बाज़ार पर क़ब्ज़ा करने की नीयत से चरणों में विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें? होते हैं।

व्यापार के लिए आपको अपने समाज की रूढ़ियों से निकलना होगा। इसके लिए दूसरों के आचार-विचारों और आस्थाओं का सम्मान करना पड़ता है। तब ही आदान-प्रदान संभव है, जब आप अपनी कुंठा और जकड़न से निकलेंगे।

इस संदर्भ में देखा जाए तो हाल के वर्षों में चीन व्यापार में सबसे आगे निकल गया है। इसका एक ही उदाहरण काफ़ी होगा। पिछले दिनों श्रीलंका में उसे एक सोलर प्लांट लगाना था। लेकिन अमेरिका के दबाव और भारत के विरोध के कारण यह प्लांट अभी तक लग नहीं सका। वहाँ पर सिंघलियों और तमिलों के बीच यूँ भी तना-तनी है। सिंघली अगर राज़ी हैं तो तमिल बिदक गए और जिस बात को तमिल सही मानते हैं, उससे सिंघली दूरी बरत लेते हैं। दोनों की एथिनिक पहचान और संस्कृति, धर्म तथा रीति-रिवाज़ भी अलग-अलग हैं। चीन ने इस बात को समझा और एक चतुर रवैया अपनाया।

16 दिसंबर को श्रीलंका स्थित चीन के राजदूत की जिन्होंग (Qi Zhenhong) श्रीलंका के तमिल बहुल क्षेत्र जाफना में गए और वहाँ उन्होंने तमिलों के प्रतिष्ठित मंदिर नल्लूर कंडास्वामी कोविल मंदिर के अंदर जा कर विग्रह के दर्शन किए। वे मंदिर के अंदर परंपरागत परिधान में गए। अर्थात् कमर के नीचे तमिलों की वेष्टी (लुंगी की तरह पहनी जाने वाली तमिल धोती) बाँधी और कमर के ऊपर के हिस्से पर कोई वस्त्र नहीं। उन्होंने प्रसाद भी लिया, चढ़ाया और बाँटा। इस तरह श्री जिन्होंग ने तमिलों का भरोसा जीत लिया। पूजा करते हुए उनकी तस्वीर मीडिया में आई और खूब वायरल हुई। अलग-अलग नज़रों से इसे देखा गया। कुछ ने कहा, चीन इस तरह शांत हो चुके तमिल बनाम सिंघली मुद्दे को गरमा कर श्रीलंका सरकार पर दबाव बना रहा है। कुछ ने इसे चीन के राजदूत की सद्भावना यात्रा के तौर पर देखा। लेकिन कुछ भी हो, यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि चीन कम्युनिस्ट देश ज़रूर हो मगर उसे व्यापार के गुर मालूम हैं। अर्थात् जहां व्यापार करना हो वहाँ के लोगों का दिल जीतो।

इसकी वजह भी है। प्राचीन काल से चीन की अर्थ व्यवस्था का आधार व्यापार रहा है। चीन में हालाँकि कृषि भी ठीक थी लेकिन उसे एक तरफ़ तो मंगोलिया के बर्बर योद्धाओं से लगातार भिड़ना पड़ता तथा दूसरी तरफ़ वह साइबेरिया के बर्फीले क्षेत्र से घिरा हुआ है। इसके अलावा हिमालय की ऊँची-ऊँची चोटियाँ उसे भारत से अलग करती हैं। एक तरफ़ समुद्र है। वहाँ की जलवायु कृषि के बहुत अनुकूल नहीं रही, इसलिए इस विशाल आबादी और क्षेत्र के लोगों का पेट भरने के लिए वह पर्याप्त नहीं थी। इसलिए व्यापार उसके लिए सर्वथा ज़रूरी था। स्थल मार्ग और जल मार्ग दोनों से।

व्यापार सदैव नए-नए आविष्कार की डिमांड करता है और बाज़ार खोजने को मजबूर करता है। जबकि कृषि यथास्थितिवाद को बढ़ावा देती है। ज़मीन पर बीज बो दिए, फसल तो होगी ही। और चूँकि कृषि तथा ग्राम्य आधारित अर्थ व्यवस्था जितना है, उतने में संतुष्ट रहना सिखाती है, इसलिए नए आविष्कारों तथा क्षेत्रों को खोजने की गुंजाइश वहाँ नहीं है न ही उसकी ज़रूरत होती है। इसीलिए विश्व में वे देश पिछड़ गए, जहां व्यापार का माहौल नहीं बन सका।

इसके अलावा व्यापार को सत्ता का संरक्षण और सपोर्ट भी चाहिए होता है। सौदागरों के क़ाफ़िले लंबी-लंबी यात्राओं पर निकलते हैं, रास्ते में चोर-डाकुओं और लुटेरों का डर होता है। इनसे निज़ात राज्य व्यवस्था ही दिला सकती है। जिन देशों में क़ानून-व्यवस्था बेहतर होती है, वहाँ व्यापार फलता-फूलता है। लेकिन जहां अंदरूनी झगड़े और लूट मार होगी, वहाँ व्यापार भी चौपट होगा। अब चूँकि व्यापार एक स्पर्धा को जन्म देता है इसलिए धर्म, समाज और व्यवस्था में निरंतर सुधार की प्रक्रिया चलती है। सरकार को भी व्यापार को सुगम बनाने के प्रयास करने होते हैं। राजकीय नौकरियों और जनता के हितार्थ शिक्षा एवं उनके स्वास्थ्य के देख़भाल को अपने हाथ में लेना पड़ता है। इसके अतिरिक्त व्यापार इज़ारेदारी में न बदल जाए, यानी कुछ हाथों में न सिमट जाए इसलिए समय-समय पर सख़्त कदम उठाने पड़ते हैं। अब यहाँ देखिए, तो अतीत से लेकर भारत एक पिछड़ा हुआ देश ही रहा है। यहाँ सदैव ज़मीन के लिए खून-ख़राबे होते रहे, कभी शांति के उपाय नहीं हुए।

अगर बुद्ध के काल को छोड़ दें, तो शांति के उपाय भारत में कभी नहीं हुए। इसलिए भारत में ख़ासकर विंध्य के इस तरफ़ के भू-भाग में व्यापार कभी नहीं फला-फूला जबकि विंध्य के दक्षिण में व्यापार फिर भी रहा। यही कारण है कि कम्बोडिया से लेकर मलयेशिया और इंडोनेशिया में तमिल और तेलगू मूल के लोग खूब बसे हैं।

इसी तरह केरल के लोग ईसा पूर्व से अरबों के साथ समुद्री व्यापार करते रहे और वह चलता रहा। वहाँ समुद्र यात्रा करने अथवा विदेश जाने पर पाबंदी नहीं थी। गुजरात के लोग भी व्यापार के लिए दूसरे देशों में जाते रहे। उत्तर भारत में भी जब तक पाटलिपुत्र का साम्राज्य रहा और बुद्ध के बताए गए मार्ग को प्रश्रय मिला, यहाँ के भी सार्थवाह विदेशों तक जाते रहे। चीन और जापान तक न सिर्फ़ बौद्ध भिक्षु गए बल्कि सौदागरों का भी आना-जाना रहा। यूँ ही नहीं पाँचवीं शताब्दी में चीन से यहाँ फाहियान नामक एक यात्री आया बल्कि सातवीं शताब्दी में ह्वेनसाँग आया। ह्वेनसाँग एक बौद्ध संन्यासी था। वह नालंदा के बौद्ध विहार गया। संस्कृत सीखी और फिर वाराणसी तथा प्रयाग आया। प्रयाग के कुम्भ में उसका वार्तालाप सम्राट हर्षवर्धन से हुआ। जिसका वर्णन उसने अपने ग्रंथ में किया है।

आज चीन भले विचारों से साम्यवादी हो लेकिन उन्होंने साम्यवाद को अपनी संस्कृति और अपने समाज के अनुरूप ढाला है। वहाँ व्यापार है और चीन व्यापार करने को बढ़ावा भी खूब देता है। लेकिन पूँजी को कुछ दो-चार हाथों में बँधने नहीं देता। इसलिए चीन में कोई कारपोरेट घराना राज नहीं करता बल्कि राजनयिक बताते हैं कि व्यापारी अपनी संपदा को लोक हित में कैसे वितरित करें। इसीलिए चीन जिस देश में व्यापार करता है, वहाँ के लोगों की आस्थाओं को पूरा सम्मान देता है।

इतिहास के पन्नों में 17 नवंबरः भारत की रीता फारिया 1966 में बनीं मिस वर्ल्ड

इतिहास के पन्नों में ः भारत की रीता फारिया 1966 में बनीं मिस वर्ल्ड

देश-दुनिया के इतिहास में की तारीख कई वजह से दर्ज है. यह ऐसी तारीख है जिसने भारत के सौंदर्य को विश्व पटल पर स्थापित किया. 1966 में इसी तारीख को भारत की रीता फारिया ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता. मिस वर्ल्ड बनने वाली वह पहली एशियाई महिला थीं. रीता फरिया का जन्म मुंबई (Mumbai) में 1945 में हुआ. एक साल तक मॉडलिंग की ऊंचाइयों को छूने के बाद रीता ने डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की और इस क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाया. उन्होने मुंबई (Mumbai) स्थित ग्रांट मेडिकल कॉलेज और सर जमशेदजी जीजाबाई ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल से एमबीबीएस चरणों में विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें? में चरणों में विदेशी मुद्रा व्यापारी कैसे बनें? स्नातक किया. इसके बाद वे किंग्स कॉलेज एवं अस्पताल लंदन में उच्च अध्ययन के लिए गईं. 1971 में उन्होने डेविड पॉवेल से शादी की और 1973 में दोनों डबलिन में रहने लगे.

उन्होंने दोबारा फैशन की दुनिया में 1998 में फेमिना मिस इंडिया की जज के तौर पर कमबैक किया. वे मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भी बतौर जज शामिल हो चुकी हैं. उनके दो बेटे और पांच पोते-पोतियां हैं. यह वही तारीख है जब नाजियों ने 1939 में प्राग यूनिवर्सिटी में दाखिल होकर छात्रों को मौत के घाट उतार दिया था. उन बच्चों की याद में को इंटरनेशनल स्टूडेंट डे मनाया जाता है.

महत्वपूर्ण घटनाचक्र

1278ः इंग्लैड़ में 680 यहूदियों को नकली मुद्रा रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. इनमें से 293 को फांसी पर लटका दिया गया.

1405ः शरीफ उल-हाशिम ने सुलु सल्तनत की स्थापना की.

1525ः भारत को जीतने के मकसद से बाबर ने सिंध के रास्ते पांचवीं बार प्रवेश किया.

1558ः महारानी मैरी ट्यूदोर की मृत्यु के बाद एलिजाबेथ प्रथम ब्रिटेन की राजगद्दी पर बैठीं.

1810ः एंग्लो-स्वीडिश युद्ध में स्वीडन ने यूनाइटेड किंगडम पर युद्ध की घोषणा की.

1831ः इक्वाडोर और वेनेजुएला ग्रेटर कोलंबिया से अलग हुए.

1854ः मिस्र में स्वेज नहर कंपनी की स्थापना की गई.

1858ः डेनवर में कोलोराडो शहर की स्थापना.

1869ः इंग्लैंड के जेम्स मूरी ने पहली साइकिल रेस जीती.

1878ः इटली के अम्बर्टो प्रथम कीहत्या (Murder) का प्रयास.

1880ः ब्रिटेन की पहली तीन महिला स्नातकों ने लंदन विश्वविद्यालय से कला-स्नातक की उपाधि प्राप्त की.

1915ः विष्णु गोपाल पिंगले को पुणे (Pune) के निकट तालेगांव जेल में फांसी पर लटकाया गया.

1922ः अमेरिकी चिकित्सक स्टैनली कोहेन नोबेल पुरस्कार से सम्मानित.

1928ः लाठीचार्ज में घायल स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय का निधन.

1933ः अमेरिका ने सोवियत संघ को मान्यता देते हुए व्यापार के लिए सहमति दी.

1939ः नाजियों ने प्राग यूनिवर्सिटी में छात्रों को मौत के घाट उतारा.

1943ः मिस्र की राजधानी काहिरा में कोरिया को स्वतंत्रता देने का निर्णय.

1944ः ब्रिटिश सेना ने वासेम पर कब्जा किया.

1950ः पंद्रह वर्षीय तेनजिग ग्यात्सो 14वें दलाई लामा बने.

1966ः भारत की रीता फारिया ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता.

1966ः सोवियत संघ ने अपना एक मानवरहित सुदूर नियंत्रित यान चंद्रमा की सतह पर उतारा.

1993ः अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते (नाफ्टा) को मंजूरी दी.

1997ः दक्षिणी मिस्र में 68 विदेशी सैलानी हमले में मारे गए.

1999: अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को यूनेस्को ने स्वीकृति दी.

2000ः अलबर्टो फुजिमोरी को पेरू के राष्ट्रपति के पद से हटाया गया.

2004ः रामेश्वर ठाकुर उड़ीसा (ओडिशा) के राज्यपाल बने.

2006: अमेरिकी सीनेट ने भारत-अमेरिका परमाणु संधि को मंजूरी दी.

2008: चंद्रयान-1 की सफलता के बाद भारत सरकार ने चंद्रयान-2 की मंजूरी दी.

2013ः रूस के कजान हवाई अड्डे पर तातरस्तान एयरलाइंस के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से 50 लोगों की मौत.

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