भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए रणनीतियाँ

निवेश के जोखिम

निवेश के जोखिम

निम्नलिखित में से किस जोखिम को परियोजना में निवेश करने या फर्म की कमाई के साथ नकारात्मक संबंध रखने वाली अन्य फर्मों को प्राप्त करने से कम किया जा सकता है?

The Assam Public Service Commission (APSC) has released the APSC JE Result for the Screening Test under Public Works Department as per the Advt. No. 06/2019. The APSC will soon going to release the official notification for the APSC JE 2022. Candidates with Diploma/Degree in Civil/ Electrical/ Mechanical Engineering degree are eligible to apply the examination. The candidates who will be finally selected for the JE post will receive APSC JE Salary range between Rs. 14,000 to Rs. 60,500.

निवेश पर अच्छे रिटर्न के लिए क्या है बेहतर विकल्प, आइये जानें

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अक्सर लोग निवेश करने से पहले इस उलझन में फंसे रहते हैं कि सोना-चांदी, रियल एस्टेट, फिक्स डिपॉजिट या शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में से किस एसेट क्लास में निवेश किया जाए, ताकि बेहतर रिटर्न मिले। निवेश निवेश के जोखिम सलाहकार (investment advisor) का कहना है कि इनमें कोई भी निवेश विकल्प सबसे बढ़िया या खराब नहीं है। अच्छा निवेश विकल्प व्यक्ति की जरूरतों, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है।

कैसे तय करें विकल्प

सोना और रियल एस्टेट, दोनों लंबी अवधि के लिए अच्छे निवेश विकल्प हैं। गोल्ड भारत में भरोसेमंद निवेश के तौर पर देखा जाता है। आप फिजिकल गोल्ड के साथ डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। सोना महंगाई के खिलाफ सबसे सुरक्षित निवेश है। वहीं, रियल एस्टेट हमेशा ही एक बड़े निवेश के तौर पर देखा जाता है। रियल एस्टेट में जहां जोखिम कम रहता है, वहीं, गोल्ड में चोरी होने का डर बना रहता है। रियल एस्टेट में अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट के साथ नियमित आय पैदा करने की क्षमता है। चाहे आवासीय हो या वाणिज्यिक, रियल एस्टेट में मासिक किराए के रूप में निवेशकों के लिए आय उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जो कि सोने के निवेश में संभव नहीं है। जबकि इक्विटी और म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि मे सबसे अधिक रिटर्न मिलता है, पर इनमें जोखिम भी सबसे अधिक है, तो आइये जानते है…

रियल एस्टेट
प्रॉपर्टी में निवेश मोटी पूंजी निवेश करने वालों के लिए अतिरिक्त आय का बेहतर विकल्प है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत और वैल्यू लगातार बढ़ती जाती है, लेकिन इसके रजिस्ट्रेशन में स्टांप ड्यूटी सहित कई तरह के शुल्क चुकाने पड़ते हैं। इसके मेंटेनेंस की लागत भी अधिक है व तरलता की कमी है।

जो निवेशक मासिक नियमित आय चाहते हैं और जो लंबी अवधि के लिए मोटा निवेश कर सकते हैं, यह उनके लिए निवेश के जोखिम बेहतर है।

इक्विटी में बेहतर रिटर्न
कंपनियों के स्टॉक्स यानी इक्विटी में सबसे अधिक जोखिम है, लेकिन इसमें रिटर्न भी अधिक है। निवेशक इसमें 500-1000 रुपए की छोटी रकम भी निवेश कर सकते हैं। अगर लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाए तो सालाना 14 से 15 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है। हालांकि बाजार की उठापटक के कारण शॉर्ट टर्म में पैसे डूबने का जोखिम भी अधिक होता है।

जो निवेशक जोखिम उठाकर अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, यह उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। लेकिन निवेशकों को कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए।

सोना
गोल्ड में निवेश हमेशा बेहतर विकल्प रहा है। इसमे लंबी अवधि में तगड़ा रिटर्न मिला है, लेकिन वैश्विक कारणों और रुपए में उतार-चढ़ाव से सोने की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। साथ ही यह शॉर्ट टर्म के लिए अच्छा निवेश विकल्प नहीं है। साथ ही टैक्स बेनिफिट भी नहीं मिलता है।

जो कमोडिटीज में निवेश कर लंबी अवधि में मुनाफा कमाना चाहते हैं और महंगाई दर से निवेश के जोखिम अधिक स्थिर रिटर्न चाहते हैं। साथ ही जोखिम भी नहीं लेना चाहते, उनके लिए सोना बेहतर विकल्प है। पिछले 10 साल में गोल्ड ने औसतन 10 फीसदी रिटर्न दिया है।

म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड्स इक्विटी, सरकारी प्रतिभूतियों, सोना, कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं, जिससे निवेश का जोखिम कम हो जाता है और बेहतर रिटर्न मिलता है। इक्विटी में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड किसी एक कंपनी के शेयर में निवेश नहीं करते, बल्कि कई कंपनियों के शेयर में निवेश करते हैं। म्यूचुअल फंड्स में सालाना औसतन 10 से 12 फीसदी रिटर्न मिलता है।

अगर जो निवेशक सीधे स्टॉक में निवेश करने से घबराते हैं, लेकिन मध्यम से ऊंचा स्तर का जोखिम उठाने को तैयार हैं, उनके लिए म्यूचुअल फंड्स बेहकर रिटर्न पाने का बेहतर विकल्प है।

निवेश पोर्टफोलियो का गठन

What is Investment Portfolio

एक निवेश पोर्टफोलियो का मुख्य उद्देश्य सबसे विश्वसनीय और लाभदायक निवेश के चयन के माध्यम से एक विकसित निवेश नीति की प्राप्ति के दायरे में एक इष्टतम परिणाम प्राप्त करना है । एक पोर्टफोलियो निवेश निवेश के जोखिम आस्तियों के विभिंन प्रकार के शामिल है ।

निवेश के प्रकारों का वर्गीकरण:

  • भौतिकता की डिग्री से: गैर-सामग्री और सामग्री;
  • निवेश की परिपक्वता अवधि तक: अल्पकालिक, मध्यम अवधि और लंबी अवधि;
  • लाभप्रदता द्वारा: उच्च-उपज, मध्यम आय और लाभप्रद निवेश (सामाजिक और पर्यावरणीय परियोजनाओं में पूंजी का निवेश, जो लाभ की तलाश नहीं है);
  • निवेश में भागीदारी की विशेषता द्वारा: प्रत्यक्ष निवेश (निवेशक सीधे निवेशक के चयन में हिस्सा लेता है), अप्रत्यक्ष निवेश (निवेश निधि, सलाहकार, म्यूचुअल फंड और अन्य निर्धारित करते हैं निवेशक);
  • जोखिम की डिग्री से: उच्च जोखिम, मध्यम जोखिम, कम जोखिम और जोखिम मुक्त निवेश;
  • एक के प्रकार से: रियल (रियल कैपिटल की खरीद), वित्तीय (स्टॉक्स, बांड और अंय प्रतिभूतियों में निवेश), सट्टा (संपत्ति की खरीद ( मुद्रा जोड़े, कीमती धातुओं, स्टॉक, आदि) भविष्य में उनकी कीमतों के संभावित परिवर्तन के माध्यम से लाभ बनाने के लिए असाधारण);
  • तरलता के स्तर से: अत्यधिक तरल (समय वे नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है की एक छोटी अवधि में), औसत रूप से तरल (वे 1 से 6 महीने नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है), कम तरल (वे 6 महीने से नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है ), तरल (वे अपने दम पर नहीं महसूस किया जा सकता है, लेकिन केवल संपत्ति के एक भाग के रूप में)

अपनी सक्रियता की प्रक्रिया में निवेशक विभिन्न विशेषताओं के साथ एक के चुनाव के संबंध में कठिनाइयों का सामना करते हैं । उनमें से ज्यादातर के एक निश्चित सेट के गठन, दूसरे शब्दों में मान-एक पोर्टफोलियो का निर्माण । कई लिखत जो एक निवेश पोर्टफोलियो फार्म, लेकिन मुख्य वाले हैं: स्टॉक्स, बांड, सोना, मुद्राओं और अचल संपत्ति ।

एक निवेश पोर्टफोलियो के गठन के चरणों

  • विनिवेश नीति और पोर्टफोलियो के प्रकार का निर्धारण .
  • पोर्टफोलियो प्रबंधन की रणनीति का निर्धारण. .
  • एक पोर्टफोलियो के आस्तियों का विश्लेषण और गठन निवेश पोर्टफोलियो में संपत्ति सहित के लिए सामांय मानदंड उनकी लाभप्रदता, जोखिम और तरलता के अनुपात हैं.
  • तथ्यात्मक प्राप्त लाभप्रदता और जोखिम की तुलना के संदर्भ में पोर्टफोलियो की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करना.
  • एक पोर्टफोलियो की लेखा परीक्षा आदेश में अपनी सामग्री को पहले से ही बदल आर्थिक स्थिति, प्रतिभूति के निवेश की निवेश के जोखिम गुणवत्ता और एक निवेशक के लक्ष्यों को नहीं बना .

लाभ पैदा करने की विधि द्वारा और जोखिम के स्तर से, निवेश पोर्टफोलियो निम्नलिखित प्रकारों में विभाजित किए जाते हैं: रूढ़िवादी, उदारवादी और आक्रामक.

  • रूढ़िवादी पोर्टफोलियो एक मामूली जोखिम भरा है और इसलिए, कम मुनाफे अल्पकालिक ऋण, बांड और एक ंयूनतम जोखिम के साथ अंय उपकरणों से मिलकर पोर्टफोलियो है.
  • आक्रामक पोर्टफोलियो एक बेहद जोखिम भरा और एक बेहद लाभदायक पोर्टफोलियो है, जो मुख्य रूप से शेयरों के होते हैं । इस तरह के पोर्टफोलियो सामान्यतः निवेशक , जो जोखिम लेने के लिए तैयार हैं और जो मनोवैज्ञानिक रूप से बड़े उतार-चढ़ाव के लिए प्रतिरोधी हैं, द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं .
  • मॉडरेट पोर्टफोलियो एक संतुलित पोर्टफोलियो है और, एक नियम के रूप में, यह दोनों उच्च उपज और कम आय के शामिल है, लेकिन एक ही समय में विश्वसनीय संपत्ति.

पोर्टफोलियो निवेश का मुख्य कार्य निवेश आस्तियों के सेट से प्राप्त करना है ऐसी विशेषताएँ, जो किसी पृथक रूप से ली गई वस्तु में धन निवेश करने के मामले में अप्राप्य हैं. पोर्टफोलियो बनाने का अंतिम लक्ष्य जोखिम और लाभप्रदता के अधिक इष्टतम संयोजन को प्राप्त करना है । जोखिम ज्यादातर कम है, जब विभिंन गैर संबंधित संपत्ति एक पोर्टफोलियो में शामिल हैं । दूसरे शब्दों में, विविधीकरण समग्र पोर्टफोलियो मूल्य के सप्ताह निवेश के जोखिम की कमी को जंम देना चाहिए, जब किसी भी परिसंपत्ति का मूल्य तेजी से गिरता है.

वित्तीय बाजारों में पोर्टफोलियो ट्रेडिंग

पर्सनल कम्पोजिट इंस्ट्रूमेंट्स के विकास के साथ PCI( geworko तरीका ), वहां व्यापार के बजाय वित्तीय बाजारों में आस्तियों के विभिंन विभागों के व्यापार के पोर्टफोलियो का एक सुविधाजनक निवेश के जोखिम अवसर दिखाई अलग से उपकरणों लिया । के माध्यम से इस प्रौद्योगिकी पोर्टफोलियो व्यापार अलग से लिया वित्तीय साधनों के व्यापार के समान दो विभागों के आधार पर महसूस किया है, जब एक परिसंपत्ति (बेस पोर्टफोलियो) आधार भाग के रूप में कार्य करता है, और अंय परिसंपत्ति (बोली पोर्टफोलियो) के रूप में कार्य करता है उद्धृत भाग. इसके अलावा, एक व्यापारी अपने अनूठे उपकरणों, जो बाजार में अस्थिरता के लिए प्रतिरोधी रहे हैं, लाभप्रदता और जोखिम के इष्टतम संयोजन की भविष्यवाणी और ऐतिहासिक डेटा के आधार पर अपने उपकरणों के व्यवहार का विश्लेषण के व्यापार का अवसर मिलता है . इस तकनीक के जरिए पोर्टफोलियो ट्रेडिंग केवल प्रोफेशनल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर ही संभव है nettradex .

Investment Tips: पहली बार SIP में करने जा रहे हैं निवेश, तो जानिए मोटे मुनाफे के टिप्स

Investment Tips: म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करने के लिए निवेश के जोखिम ज्यादा पैसे की जरूत नहीं होती है। SIP सिस्टम में आप 100 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। इससे निवेश का जोखिम कम होता है। रिटर्न का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।

Investment Tips: पहली बार SIP में करने जा रहे हैं निवेश, तो जानिए मोटे मुनाफे के टिप्स

Investment Tips: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच हर कोई SIP पर ध्यान दे रहा है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में एसआईपी अकाउंट बढ़कर 5.71 करोड़ हो गए। म्यूचुअल फंड (Mutual निवेश के जोखिम Fund) में निवेश जोखिम भरा है। ऐसे में आप एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करना आसान और लाभदायक है। इस तरह आप 10 साल में 1 करोड़ रुपये का फंड बना सकते हैं।

निवेश बना सकता है करोड़पति

इक्विटी म्यूचुअल निवेश के जोखिम फंड निवेश एक बेहतर विकल्प है। आप छोटी बचत कर सकते हैं। SIP के जरिए इक्विटी म्यूचुअल फंड में बड़ा निवेश कर सकते हैं। यह निवेश आपको करोड़पति बना सकता है। जो लोग बड़ी रकम जमा करना चाहते हैं, लेकिन एकमुश्त नहीं। वे म्यूचुअल फंड एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं।

निवेश में जोखिम कम

म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करने के लिए ज्यादा पैसे की जरूत नहीं होती है। SIP सिस्टम में आप 100 रुपये से निवेश शुरू कर सकते हैं। इससे निवेश का जोखिम कम होता है। रिटर्न का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।

निवेश से पहले करना होगा केवाईसी

एसआईपी में निवेश बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है। निर्धारित राशि खाते से हर महीने तय तारीख को काट ली जाएगी। म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको केवाईसी पूरा करना होगा। एसआईपी कैलकुलेटर की मदद से फंड की राशि का अनुमान लगाया जा सकता है।

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10 साल में कितना पैसा होगा जमा

म्यूचुअल फंड में एसआईपी कम से कम 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज देता है। आप इक्विटी म्यूचुअल फंड में 10 साल का टारगेट रख सकते हैं। इन दस वर्षों के निवेश से एक करोड़ का फंड जमा किया जा सकता है।

आप वार्षिक स्टेप-अप को 20 प्रतिशत पर रख सकते हैं। यानी आप अपने SIP को हल साल 20% तक बढ़ा सकते हैं। अगर आप 21000 रुपये प्रति माह के एसआईपी की शुरुआत करते हैं, तो 10 साल में 1 करोड़ रुपये का फंड जमा हो जाएगा।

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SIP कैलकुलेटर के अनुसार, दस साल बाद कुल निवेश रकम 65,41,588 रुपये और वापसी राशि 38,34,556 रुपये होगी। इस तरह आप 1,03,76,144 रुपये का फंड जमा कर सकते हैं।

निवेश में सावधानी: म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं आप तो जानिए ज्यादा रिस्क क्यों होगा, सेबी ने कहा अब 6 जोखिम की जानकारी देनी होगी

म्यूचुअल फंड हाउस को रिस्क के बारे में ज्यादा जानकारी निवेशकों को देनी होगी। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि अगर कोई निवेशक पैसा लगाता है तो उसे पैसा लगाने से पहले इस तरह के जोखिम का पता रहे - Dainik Bhaskar

आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। आपको इसके जोखिम के बारे में अब तक जो पता था, उससे ज्यादा अब पता चलेगा। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अब बताया है कि 6 जोखिम के बारे में म्यूचुअल फंड कंपनियों को जानकारी देनी होगी। अभी तक पांच जोखिम के बारे में जानकारी दी जाती थी। इस तरह से आपको निवेश करने से पहले इन 6 जोखिमों को जानना चाहिए।

वेरी हाई रिस्क होगा नया रिस्क

सेबी ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है। सेबी ने इसमें बहुत ज्यादा जोखिम (वेरी हाई रिस्क) कैटिगरी की शुरुआत की है। नई स्कीम के साथ साथ पुरानी स्कीमों के लिए भी ऐसा करना जरूरी होगा। बता दें कि अभी तक रिस्क को मापने के लिए मौजूदा 5 श्रेणियां हैं। इसमें लो, मॉडरेट लो, मॉडरेट, मॉडरेट हाई और हाई। अब इसमें वेरी हाई भी जोड़ा जाएगा।

रिस्क-ओ-मीटर की समीक्षा करनी होगी

सर्कुलर के मुताबिक सभी म्यूचुअल फंड्स के लिए हर महीने इस रिस्क-ओ-मीटर की समीक्षा करनी होगी। बदलाव की जानकारी ई-मेल या एसएमएस के ज़रिए सभी यूनिटहोल्डर्स को देनी होगी। पोर्टफोलियो का ब्योरा भी महीना पूरा होने के 10 दिन के भीतर अपनी और एंफी की वेबसाइट पर बताना होगा। साथ ही कारोबारी साल खत्म होने के बाद यह बताना होगा कि कारोबारी साल की शुरुआत में क्या था और कारोबारी साल के अंत में रिस्क-ओ-मीटर में क्या बदलाव निवेश के जोखिम हुआ और कितनी बार हुआ।

इक्विटी में ये होंगे जोखिम

इक्विटी सेगमेंट में मार्केट कैपिटलाइजेशन, वोलाटिलिटी और इंपैक्ट कॉस्ट को पैमाना बनाया गया है। मार्केट कैपिटलाइजेशन डेटा एंफी की छमाही रिपोर्ट से तय होगी। वोलाटिलिटी के लिए सिक्योरिटी की कीमत में रोजाना उतार-चढ़ाव आधार होगा। इसके लिए दो साल के आंकड़ों को आधार बनाया जाएगा। इंपैक्ट कॉस्ट का मतलब शेयर को बेचने और खरीदने की लागत कितनी आती है, इससे तय होगा।

डेट में ये जोखिम होंगे

अगर कोई डेट सिक्योरिटी है तो उसके लिए क्रेडिट रिस्क वैल्यू, इंटरेस्ट रेट रिस्क वैल्यू और लिक्विडिटी रिस्क वैल्यू अहम पैमाना होगा। क्रेडिट रिस्क में क्रेडिट रेटिंग के आधार पर जोखिम तय होगा। जबकि इंटरेस्ट रेट रिस्क के लिए पोर्टफोलियो के मैकाले ड्यूरेशन को आधार बनाया जाएगा। लिक्विडिटी रिस्क निकालने के लिए क्रेडिट रेटिंग के अलावा लिस्टिंग की स्थिति और डेट के स्ट्रक्चर को आधार बनाया जाएगा।

म्यूचुअल फंड मेंं बढ़ा है निवेश

बता दें कि हाल में म्यूचुअल फंड में अच्छा खासा निवेशकों ने निवेश किया है। इसलिए सेबी ने अब रिस्क को ज्यादा बढ़ा दिया है। यानी म्यूचुअल फंड हाउसों को रिस्क के बारे में ज्यादा जानकारी निवेशकों को देनी होगी। इसके पीछे उद्देश्य यही है कि अगर कोई निवेशक पैसा लगाता है तो उसे पैसा लगाने से पहले इस तरह के जोखिम का पता रहे। ताकि वह निवेश करते समय सावधानी बरते।

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