भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए रणनीतियाँ

निवेश और अर्थव्यवस्था

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2019-20 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का कौन सा क्षेत्र भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता था?

Key Points

  • भारतीय अर्थव्यवस्था कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र में 2019-20 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दूसरा सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता था।
    • भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वित्त वर्ष 2015 में 13% बढ़कर रिकॉर्ड 49.97 बिलियन डॉलर हो गया, जो FY20 एक साल पहले 44.36 बिलियन डॉलर था।
    • मार्च के समाप्त तिमाही में FDI प्रवाह 13.2 अरब डॉलर था।
    • उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सिंगापुर 14.67 बिलियन डॉलर के FDI का शीर्ष स्रोत बना रहा, इसके बाद मॉरीशस 8.24 बिलियन डॉलर रहा।
    • FY19 में भारत का FDI प्रवाह 1% गिरा था।

    Additional Information

    • एक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किसी कंपनी या उसकी सीमाओं के बाहर स्थित एक निवेशक द्वारा किसी कंपनी में ब्याज की खरीद है।
      • आम तौर पर, इस शब्द का उपयोग किसी विदेशी व्यापार में पर्याप्त हिस्सेदारी हासिल करने के लिए या एक नए क्षेत्र में अपने संचालन का विस्तार करने के लिए इसे एकमुश्त खरीदने के लिए एक व्यावसायिक निर्णय का वर्णन करने के लिए किया जाता है।
      • FDI एक निवेशक को एक विदेशी देश में प्रत्यक्ष व्यावसायिक हित खरीदने की सुविधा देता है।
        • उदाहरण: निवेशक कई तरह से FDI कर सकते हैं।
        • कुछ आम लोगों में किसी अन्य देश में सहायक कंपनी स्थापित करना, मौजूदा विदेशी कंपनी का अधिग्रहण या विलय करना, या किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम साझेदारी शुरू करना शामिल है।
        • FPI के उदाहरणों में स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स (ADR), और ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसिप्ट्स (GDR) शामिल हैं।

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        Last updated on Oct 27, 2022

        The SSC MTS Tier II Admit Card has been released. T he paper II will be held on 6th November 2022. Earlier, the result for the Tier I was released. The candidates who are qualified in the SSC MTS Paper I are eligible for the Paper II. A total of 7709 vacancies are released, out of which 3854 vacancies are for MTS Group age निवेश और अर्थव्यवस्था 18-25 years, 252 vacancies are for MTS Group age 18-27 years and 3603 vacancies are for Havaldar in CBIC.

        तेज रफ्तार पकड़ रही है अर्थव्यवस्था, निवेशक निवेश को तैयार : गोयल

        piyush goyal

        नई दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार पकड़ने के लिए तैयार है और निवेशको भारत में निवेश करने के लिए काफी उत्साहित हैं। ये बातें वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दावोस में विश्व आर्थिक मंच के सालाना सम्मेलन में कही।

        गोयल ने यहां कहा कि भारत सरकार ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बात करेगी। भारत में स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है और अब अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ने की तैयारी में है। चार या पांच कंपनियों ने आने वाले सालों में अपने कुल कार्यबल के 50 फीसद के भारत से बाहर ऑपरेट होने की बात कही है।

        छोटे कारोबारियों के लिए जीएसटी भुगतान हुआ आसान

        गोयल ने कहा कि आरसईपी एक अंसतुलित व्यापार समझौता था, जो कि आठ साल पहले तय किये गए सिद्दांतों के मुताबिक नहीं था और आरसीईपी के देशों में से जापान व कोरिया सहित आसियान के दस देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार समझौते हैं। उन्होंने कहा कि भारत छह से आठ महीनों के अंदर ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय व्यापार साझेदारी कर सकता है।

        बजट : रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास के लिए सीआईआई ने दिए ये सुझाव

        गोयल ने कहा कि आरसईपी मौजूदा स्वरूप में होता है तो भारत और चीन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होता। हालाँकि बेहतर और पारदर्शिता माहौल मिले बिना भारत इसके लिए तौयार नहीं होगा।

        पीएमइंडिया

        सरकार ने भारत में निवेश आकर्षित करने के लिए मंत्रालयों/विभागों में “सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस) और परियोजना विकास इकाइयों (पीडीसी)” की स्थापना को स्वीकृति दी

        भारत में निवेश को बढ़ावा देने के लिए किया गया प्रस्ताव

        इससे भारत निवेश के लिए ज्यादा अनुकूल स्थल बनेगा और देश में निवेश को समर्थन मिलेगा तथा यह ज्यादा आसान हो जाएगा। इससे हमारे घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा।

        ईजीओएस और पीडीसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के विजन को हकीकत बनाने की दिशा में एक अहम कदम है

        निवेश और प्रोत्साहन से संबंधित नीतियों में मंत्रालयों/विभागों और केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच तालमेल कायम होगा

        अर्थव्यवस्था को मिलेगा प्रोत्साहन और बड़ी संख्या में विविध क्षेत्रों में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे

        प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने “भारत में निवेश आकर्षित करने के लिए मंत्रालयों/विभागों में सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस) और परियोजना विकास इकाइयों (पीडीसी)” की स्थापना को स्वीकृति दे दी है। इस नई व्यवस्था से भारत को 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के विजन को बल मिलेगा।

        सरकार ने निवेश अनुकूल वातावरण तैयार करने का फैसला किया है, जो घरेलू निवेशकों के साथ ही एफडीआई का मजबूती से समर्थन करता है और इससे अर्थव्यवस्था में कई गुना प्रोत्साहन मिलेगा। डीपीआईआईटी ने एकीकृत दृष्टिकोण के रणनीतिक कार्यान्वयन का प्रस्ताव किया है, जिससे हमारी निवेश और प्रोत्साहन संबंधी नीतियों में मंत्रालयों/विभागों और केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच तालमेल बढ़ेगा।

        कोविड-19 महामारी के वर्तमान दौर में भारत को विशेष रूप से ऐसी बड़ी कंपनियों की तरफ से एफडीआई प्रवाह को आकर्षित करने का अवसर मिला है, जो नए भौगोलिक क्षेत्रों में अपने निवेश को विविधता देना चाहती हैं और जोखिम में कमी लाना चाहती हैं। इसके अलावा विविध उत्पाद श्रृंखलाओं में उत्पादन बढ़ाने से अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन और अन्य देशों से संबंधित बड़े बाजारों को सेवाएं देने में सहायता मिलेगी। इस प्रस्ताव का उद्देश्य भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल करने के लिए वैश्विक आर्थिक हालात से पैदा इन अवसरों का लाभ उठाना है।

        भारत में निवेश के लिए निवेशकों को सहायता और सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहन देने के क्रम में निम्नलिखित संयोजन और उद्देश्यों के साथ सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस) की स्थापना का प्रस्ताव किया जाता है :

        • कैबिनेट सचिव (अध्यक्ष)

        • सीईओ, नीति आयोग (सदस्य)

        • सचिव, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (सदस्य संयोजक)

        • सचिव, वाणिज्य विभाग (सदस्य)

        • सचिव, राजस्व विभाग (सदस्य)

        • सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग (सदस्य)

        • संबंधित विभाग के सचिव (निवेश और अर्थव्यवस्था विकल्प के रूप में)

        ईजीओएस के उद्देश्य

        • विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के बीच तालमेल कायम करना तथा समयबद्ध स्वीकृतियां सुनिश्चित करना।

        • भारत में ज्यादा निवेश आकर्षित करना और वैश्विक निवेशकों को निवेश समर्थन तथा सुविधाएं उपलब्ध कराना।

        • लक्षित तरीके से शीर्ष निवेशकों से आने वाले निवेश को आसान बनाना और समग्र निवेश परिदृश्य में नीतिगत स्थायित्व तथा सामंजस्य कायम करना।
        • विभागों द्वारा उनके (1) परियोजना निर्माण (2) होने वाले वास्तविक निवेश के आधार पर निवेशों का मूल्यांकन करना। इसके अलावा विभागों को अधिकार प्राप्त समूह द्वारा विभिन्न चरणों के समापन के लिए लक्ष्य दिए जाएंगे।

        केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच समन्वय में निवेश योग्य परियोजनाओं के विकास के लिए एक ‘परियोजना विकास इकाई’ (पीडीसी) की स्थापना को भी स्वीकृति दी गई है। इससे भारत में निवेश योग्य परियोजनाओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी और एफडीआई प्रवाह भी बढ़ेगा। सचिव के दिशा निर्देशन में संबंधित केन्द्रीय मंत्रालय के एक अधिकारी को निवेश योग्य परियोजनाओं के संबंध में अवधारणा तैयार करने, रणनीति बनाने, कार्यान्वयन और विवरण के प्रसार का काम सौंपा जाएगा। यह अधिकारी संयुक्त सचिव की रैंक से कम का नहीं होगा और वह पीडीसी का प्रभारी होगा।

        पीडीसी के निम्नलिखित उद्देश्य होंगे :

        • सभी स्वीकृतियों, आवंटन के लिए जमीन की उपलब्धता और निवेशकों द्वारा स्वीकार्यता/निवेश के लिए पूर्ण विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के साथ परियोजनाएं तैयार करना।

        • निवेश आकर्षित करने और उसे अंतिम रूप देने के क्रम में ऐसे मुद्दों की पहचान करना, जिनका समाधान करने की जरूरत है तथा उन्हें अधिकार प्राप्त समूह के सामने रखा जाना।

        इस फैसले से भारत ज्यादा निवेश अनुकूल स्थल के रूप में सामने आएगा और देश में निवेश प्रवाह को समर्थन तथा आसान बनाकर माननीय प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत मिशन को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा। इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और विविध क्षेत्रों में बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

        कमजोर निवेश, कम जीएसटी संग्रह भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी चुनौतियां: गोल्डमैन

        आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत.

        कमजोर निवेश, कम जीएसटी संग्रह भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी चुनौतियां: गोल्डमैन

        आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत कुछ बड़ी चुनौतियां हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है।

        भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर 2010 से 2014 के बीच 6.7 प्रतिशत रही, जो 2015 से 2019 के दौरान बढ़कर 7.3 प्रतिशत पर पहुंच गयी। इस दौरान औसत मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत की तुलना में कम होकर पांच प्रतिशत पर आ गयी।

        गोल्डमैन सैक्स की मुख्य अर्थशास्त्री (भारत) प्राची मिश्रा ने एक पॉडकास्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के कारकों के बारे में चर्चा की। उन्होंने चर्चा के दौरान कहा, ''आर्थिक वृद्धि दर मजबूत रहने के बाद भी निवेश का माहौल काफी नरम रहा है। उन्होंने कहा, ''मैं कहना चाहूंगी कि कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा जीएसटी का कम संग्रह ऐसे निवेश और अर्थव्यवस्था समय में अभी भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये बड़ी चुनौतियों में से हैं।"

        मिश्रा ने कहा कि इस दशक में भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर करीब सात प्रतिशत रही है। इसमें तीन-चौथाई योगदान उपभोग का रहा है तथा निवेश ने इसमें महज एक-चौथाई का योगदान दिया है। उन्होंने कहा, ''गोल्डमैन सैक्स के उपभोक्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या सरकार के पास खासकर भूमि, श्रम, निर्यात संवर्धन और निजीकरण जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संरचनात्मक सुधार करने की इच्छा है।"

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