स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर

स्पेन का गृह युद्ध (1936-1939) : स्थानीय स्तर पर लड़े जाने के बावजूद युद्ध के दूरगामी महत्व
1936-1939 के मध्य, स्पेन में नई स्थापित हुई रिपब्लिकन सरकार के प्रति वफादार लोगों तथा रूढ़िवादी, सैन्यवादी व्यवस्था के समर्थकों के मध्य गृह युद्ध लड़ा गया। विशेषतः वहां उपस्थित राजनीतिक परिदृश्य के कारण इस युद्ध को प्रायः लोकतंत्र और फासीवाद के मध्य संघर्ष के रूप में चित्रित किया जाता है।
जुलाई, 1936 में स्पेन की सेना ने अपनी पहली वामपंथी रिपब्लिकन सरकार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इसके परिणामस्वरूप घटित गृह युद्ध जिस प्रकार व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समुदायों के मध्य फैल गया था, उसके कारण इसे द्वितीय विश्व युद्ध की एक पूर्ववर्ती घटना के रूप में देखा जाता है।
हालांकि, यह नव निर्वाचित वामपंथी सरकार द्वारा किसानों की भूमि संबंधी मांगों को पूरा करने, राजनीतिक स्वतंत्रताओं को पुनःस्थापित करने जैसे सुधारों के विरुद्ध दक्षिण-पंथी प्रतिरोध के साथ आरंभ हुआ, परन्तु इस ‘स्थानीय’ युद्ध ने स्पेन की राष्ट्रीय स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर सीमाओं से परे भी कई घटनाओं को प्रभावित किया।
गृहयुद्ध का महत्व:
- स्पेन, जर्मनी-इटली की संयुक्त आक्रामकता (फासीवादी शक्तियों) का प्रथम पीड़ित राष्ट्र था तथा इसने यूरोप में उनके लिए एक परीक्षण स्थल के रूप में कार्य किया था।
- इस समय, द्वितीय विश्व युद्ध की संभावित पार्टियों के मध्य एक छद्म युद्ध लड़ा गया, अर्थात सोवियत संघ (USSR) ने वामपंथी सरकार का समर्थन किया जबकि फासीवादी शक्तियों ने दक्षिण-पंथी विद्रोहियों का समर्थन किया।
- अमेरिका और ब्रिटेन जैसी महाशक्तियों ने गैर-हस्तक्षेपवादी नीति को अपनाया जिसके कारण अन्य देशों के विरुद्ध फासीवादी शक्तियों की आक्रामक योजनाओं को प्रोत्साहन मिला।
- गृहयुद्ध का सर्वाधिक पहचाने जाने योग्य पहलू अंतर्राष्ट्रीय सेनाओं एवं स्वयंसेवकों की उपस्थिति थी, जो यूरोप और अमेरिका से स्पेन की फासीवादी शक्तियों के विरुद्ध लड़ने के लिए आए थे। यहां तक कि जवाहरलाल नेहरू भी स्पेन के लोगों के प्रति भारतीय समुदाय की एकजुटता को व्यक्त करने हेतु स्पेन गए थे।
- इस युद्ध ने फासीवादी शक्तियों द्वारा किए गए अपराधों के विरुद्ध विश्व के विवेक को जागृत किया, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनसे लड़ने के लिए महत्वपूर्ण था।
यद्यपि संघर्ष, प्रथम विश्व युद्ध की तरह खाई युद्ध (trench warfare) के साथ आरंभ हुआ परन्तु अंत तक यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध में प्रयोग की जाने वाली तकनीकों का अग्रदूत हो गया था। जर्मनी के समर्थन के कारण, इस युद्ध में व्यापक रूप से वायु और थल सेनाओं के मध्य समन्वय देखने को मिला। स्पेन के गृहयुद्ध को प्रायः द्वितीय विश्व युद्ध के “ड्रेस रिहर्सल (Dress rehearsal) के रूप में वर्णित किया जाता है जिसमें फासीवादी देशों ने स्पेन के युद्धक्षेत्रों में अपने नए हथियारों का परीक्षण किया।
17 अगस्त 2022 के लिए व्यापार सेटअप: शेयर बाजार की ओपनिंग बेल से पहले जानने योग्य बातें
बुधवार के लिए व्यापार सेटअप: 2022 में अब तक की सबसे लंबी जीत की बराबरी करते हुए, भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को लगातार छठे सत्र में सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुआ। एनएसई निफ्टी 127 अंक उत्तर की ओर बंद हुआ और 17,825 के स्तर पर बंद हुआ जबकि बीएसई सेंसेक्स 379 अंक और 59,842 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक इंडेक्स 197 अंक बढ़कर 39,239 अंक पर बंद हुआ। सेक्टरों में, रियल्टी, बिजली, तेल और गैस और ऑटो सूचकांकों में सबसे अधिक तेजी आई, जबकि धातु और दूरसंचार सूचकांकों में गिरावट आई। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों ने निफ्टी को पछाड़ते हुए 1.03 प्रतिशत की वृद्धि की और अग्रिम गिरावट अनुपात 1.50: 1 पर सकारात्मक था।
यहां हम उन प्रमुख बातों की सूची देते हैं जो आज शेयर बाजार की शुरुआती घंटी से पहले आपको जाननी चाहिए:
वैश्विक बाजारों के संकेत
वॉल स्ट्रीट पर डाउ जोंस 0.71 फीसदी, नैस्डैक 0.19 फीसदी, एसएंडपी 500 0.19 फीसदी जबकि स्मॉल कैप 20000.05 फीसदी चढ़ा। यूरोपीय शेयरों ने मंगलवार को लगातार पांचवें सत्र के लिए बढ़त हासिल की, हालांकि निवेशकों ने तेज आर्थिक मंदी के संकेतों पर झल्लाहट की, भले ही फेडरल रिजर्व मौद्रिक कसने के रास्ते पर बना हुआ हो। वॉल स्ट्रीट पर रिबाउंड के बाद एशियाई शेयरों में ज्यादातर मंगलवार को तेजी आई, इसके बावजूद क्षेत्रीय निवेशक जोखिम चीन से बाहर नकारात्मक आर्थिक आंकड़ों में परिलक्षित हुए।
निफ्टी तकनीकी दृष्टिकोण
रिटेल के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, “निफ्टी एक और अपसाइड गैप के साथ बढ़ा और इंट्रा डे हाई के पास बंद हुआ। स्थानीय स्तर पर मैक्रो न्यूज को प्रोत्साहित करने के बाद सेंटीमेंट में सुधार हुआ है। 17,921 अगला प्रतिरोध है, जबकि 17,719 निकट अवधि में सपोर्ट हो सकता है।” एचडीएफसी सिक्योरिटीज में अनुसंधान।
5paisa.com के लीड रिसर्च रुचि जैन ने कहा, “निफ्टी के लिए तत्काल समर्थन अब बढ़कर 17,720 हो गया है, इसके बाद 17,600 है, जबकि प्रतिरोध 17,870 और 18,000 के आसपास देखा गया है।”
बैंक निफ्टी तकनीकी दृष्टिकोण
“बैंक निफ्टी दैनिक चार्ट पर और अपने पिछले स्विंग उच्च प्रतिरोध के आसपास एक छोटी दोजी मोमबत्ती के साथ समाप्त हुआ। इसलिए हालांकि अभी तक उलट होने की कोई पुष्टि नहीं हुई है, किसी को लंबी स्थिति की मात्रा को कम करना चाहिए और अत्यधिक अधिक खरीद के रूप में टेबल से कुछ पैसे लेना चाहिए। प्रतिरोध क्षेत्र के आसपास पढ़ने से निकट भविष्य में कुछ मुनाफावसूली हो सकती है,” 5paisa.com के रुचित जैन ने कहा।
आनंद राठी में तकनीकी अनुसंधान के एवीपी मेहुल कोठारी ने कहा, “निफ्टी स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर बैंक के लिए तत्काल समर्थन 38,700 से 38,600 के स्तर पर रखा गया है, जबकि सूचकांक के लिए तत्काल बाधा 39,500 से 39,600 के स्तर पर है।”
निफ्टी कॉल ऑप्शन डेटा
nseindia.com द्वारा 16 अगस्त को अपराह्न 3.30 बजे दिखाए गए आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख कुल कॉल ओपन इंटरेस्ट क्रमश: 84859, 147242 और 95711 अनुबंधों के कुल ओपन इंटरेस्ट के साथ 17900, 18000 और 18100 स्ट्राइक पर देखा गया था। प्रमुख कॉल ओपन इंटरेस्ट जोड़ 18000 और 18100 स्ट्राइक में देखा गया जिसमें क्रमशः 46954 और 40849 अनुबंध शामिल थे। 17600 और 17700 स्ट्राइक पर कॉल अनइंडिंग देखी गई, जिसने क्रमशः 10667 और 37413 अनुबंधों को गिरा दिया।
निफ्टी पुट ऑप्शन डेटा
16 अगस्त को दोपहर 3.30 बजे nseindia.com द्वारा दिखाए गए आंकड़ों के अनुसार, मेजर टोटल पुट ओपन इंटरेस्ट क्रमशः 101555, 130832 और 108055 अनुबंधों के कुल ओपन इंटरेस्ट के साथ 17600, 17700 और 17800 स्ट्राइक पर देखा गया था। 17600, 17700 और 17800 स्ट्राइक में प्रमुख पुट ओपन इंटरेस्ट जोड़ देखा गया, जिसमें क्रमशः 28526, 71350 और 89976 अनुबंध शामिल हुए। 17500 से 18100 तक की हड़तालों में कोई बड़ी पुट अनइंडिंग नहीं देखी गई।
बैंक निफ्टी कॉल ऑप्शन डेटा
nseindia.com द्वारा 16 अगस्त को अपराह्न 3.30 बजे दिखाए गए आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख कुल कॉल ओपन इंटरेस्ट क्रमश: 100767 और 48013 अनुबंधों के कुल ओपन इंटरेस्ट के साथ 39500 और 39800 स्ट्राइक पर देखा गया था। प्रमुख कॉल ओपन इंटरेस्ट जोड़ 39300, 39400 और 39500 स्ट्राइक में देखा गया, जिसमें क्रमशः 54972, 57903 और 30259 अनुबंध जोड़े गए। 39000 स्ट्राइक पर कॉल अनइंडिंग देखी गई जिसने 19962 अनुबंधों को बहा दिया।
बैंक निफ्टी पुट ऑप्शन डेटा
16 अगस्त को दोपहर 3.30 बजे nseindia.com द्वारा दिखाए गए आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख कुल पुट ओपन इंटरेस्ट 38800, 38900 और 39000 स्ट्राइक पर देखा गया, जिसमें कुल ओपन इंटरेस्ट क्रमशः 61217, 39459 और 88322 अनुबंधों के साथ था। प्रमुख पुट ओपन इंटरेस्ट जोड़ 39200 और 38700 स्ट्राइक में देखा गया, जिसमें क्रमशः 45901 और 17871 अनुबंध शामिल हुए। 38700 से 39700 तक की हड़तालों में कोई बड़ी पुट अनइंडिंग नहीं देखी गई।
एफआईआई डीआईआई डेटा
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुद्ध खरीदारी की ₹ 1,376.84 करोड़ मूल्य के शेयर, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने शुद्ध बिक्री की है ₹ एनएसई पर उपलब्ध अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, 16 अगस्त को 136.24 करोड़ मूल्य के शेयर।
12 अगस्त 2022 को एनएसई एफएंडओ पर प्रतिबंध
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने बलरामपुर चीनी, डेल्टा कॉर्प और टाटा केमिकल्स स्टॉक को व्यापार तिथि 17 अगस्त 2022 के लिए अपनी एफ एंड ओ प्रतिबंध सूची के तहत जोड़ा है। एफ एंड ओ सेगमेंट के तहत उनकी प्रतिबंध अवधि में प्रतिभूतियों में वे कंपनियां शामिल हैं जिनमें सुरक्षा 95 प्रतिशत को पार कर गई है। बाजार-व्यापी स्थिति सीमा का।
यूएस बॉन्ड यील्ड
यूएस 10 साल की बॉन्ड यील्ड 0.13 फीसदी घटकर 2.820 हो गई जबकि यूएस 30 साल की बॉन्ड यील्ड 0.26 फीसदी घटकर 3.107 हो गई।
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आंतरिक संकट: जख्म जो बन गए नासूर
पाकिस्तान के बड़े हिस्से में तालिबान ने हिंसा और तबाही मचाकर राज्य की वैधता को चुनौती दे डाली है.
जैसन बर्क
- कराची,
- 12 अगस्त 2012,
- (अपडेटेड 14 अगस्त 2012, 6:01 PM IST)
वह पाकिस्तान में फटा अब तक का सबसे बड़ा बम नहीं था. खैबर पख्तूनख्वा ह्ढांत के चारसद्दा में हुए धमाके में कई दर्जन लोग मारे गए और उससे भी ज्यादा लोग घायल हो गए. उनमें ज्यादातर बेरोजगार बेहद जरूरी नौकरी की खातिर आवेदन जमा करने के लिए कतार में खड़े थे. वे स्थानीय लोग अपनी ही सरजमीं पर मारे गऐ. उस बम को लगाने वाले भी स्थानीय-दहशतगर्द तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लोग थे.
इस धमाके की खासियत इसकी टाइमिंग थी. ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन की हत्या के ठीक दो दिन बाद यह विस्फोट हुआ. टीटीपी के लोग अपने हमवतन लोगों और दुनिया को इससे एक संदेश देने की कोशिश में थे कि अल .कायदा के सरगना की हत्या ज्यादा अहमियत नहीं रखती क्योंकि लड़ाई अब भी जारी है. यह बात हालांकि याद दिलाने जैसी थी नहीं.
आधुनिक सुन्नी मुस्लिम दहशतगर्दी के इतिहास में टीटीपी का उभार काफी बाद की घटना है. इसका औपचारिक गठन तो 2007 में हो गया था, हालांकि लंबे समय से चली आ रही लड़ाई में यह हाल ही में सामने आया जब पश्चिमी ह्ढांतों में अपना केंद्र बनाकर इसने राज्य के खिलाफ हिंसक कार्रवाइयां शुरू कीं. यहां कट्टर इस्लामी विचारों से प्रेरित कुछ संगठनों ने पहले भी अंग्रेजों के खिलाफ प्रतिरोध की आवाज बुलंद की है.
जैसा कि एक बुजुर्ग बताते हैं कि पिछली सदी के तीसरेदशक में उनके समुदाय से मौलवियों ने क्या आह्वान किया था, ''वे (विदेशी) आ रहे हैं और हमें उनको बलपूर्वक रोकना होगा क्योंकि वे इस्लाम और इसके कानूनों को नष्ट कर रहे हैं.'' इस बंजर इलाके में अंग्रेज कभी भी अपनी सत्ता नहीं जमा सके थे और यहां हमेशा से कबाइली और खासकर जातीय पहचान वाले लोग मजबूत रहे हैं.
लाखों की आबादी वाले पख्तूनों ने खुद को कभी ब्रिटिश राज का हिस्सा नहीं माना, न ही वे बाद में खुद को पाकिस्तान का हिस्सा समझ पाए. स्वभाव से लड़ाके, बेहद कट्टर, शक्की और रूढ़िवादी इस समुदाय की अपनी पख्तूनवाली कबाइली संहिता थी जिससे इनका राजकाज चलता था. पाकिस्तान बनने के बाद इस हिस्से के लड़ाकों का इस्तेमाल सीमा पार अराजक गतिविधियों के लिए किया जाता रहा, हालांकि वे कभी भी फौज का हिस्सा नहीं बन सके.
सोवियत संघ के खिलाफ जंग में लड़ाकों की पिछली कतार हो, अफगानी शरणार्थियों को शरण देना हो या फिर हथियारों के कारखानों को अपनी जमीन पर जगह देने की बात-'80 और '90 के दशक में इनका लगातार इस्तेमाल किया जाता रहा.
'90 के दशक के अंत तक यहां अफगानी तालिबान का असर दिखने लगा. स्थानीय लोगों के गिरोह अब सशस्त्र मिलिशिया में तब्दील हो चुके थे जो कबाइली समाज की स्वाभाविक परंपरा से बाहर जाकर नए और कड़े कानूनों को लागू कराने लगे. फिल्म और संगीत प्रेमी कबाइलियों की सीडी-वीडियो बेचने वाली दुकानें बंद करवा दी गईं.
अक्तूबर 2001 में जिस दौरान अमेरिका और नाटो के विमान अफगानिस्तान पर कहर बरपा रहे थे, मैंने खैबर दर्रे की ऊंचाई पर एक पख्तून लड़ाके के यहां रात बिताई थीं. मैंने सुना कि उसके जवान लड़के होने वाली लड़ाई के बारे में बड़े उत्साह से बात कर रहे थे जो अमेरिकियों के खिलाफ लड़ी जानी थी. एक ने कहा, ''हमारे बाप-दादा अपना जिहाद कर चुके, अब हमें अपना करना है.''
पिछले दशक के शुरुआती वषोर्ं में इस्लामी जगत में मजबूत हुए कट्टरपंथ ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान सरहद के कबाइली इलाकों को नहीं बख्शा. इन्हीं इलाकों में पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों की मिलीभगत से अल .कायदा और तालिबान के भगोड़े लड़ाकों को पनाह मिलती रही. कई के लिए यह इलाका अपना घर ही था क्योंकि वे यहीं के गांवों और शरणार्थी शिविरों में पल-बढ़े थे. बाकी ने यहां अपने आशियाने जल्द ही बना लिए.
आजादी के बाद पहली बार पाकिस्तानी फौज ने इसी दौरान इलाके में प्रवेश किया. उसकी फौजी कार्रवाइयों ने माहौल को और बिगाड़ने का काम किया. देखते-देखते दर्जनों मिलिशिया गिरोह खड़े हो गए. कभी ईसाई-यहूदी गठजोड़ को अपना पहला दुश्मन मानने वाले इन लोगों का दुश्मन अब और करीब आ चुका था, अलबत्ता इस बार वह कोई और नहीं था-खुद पाकिस्तानी राज्य!
2007 आते-आते एक युवा और असरदार लड़ाके बैतुल्ला महसूद ने इन समूहों को इकट्ठा करने का काम शुरू किया. यह बात अलग है कि ठिगने, अनपढ़ और मधुमेह के रोगी बैतुल्ला महसूद को इनका स्वाभाविक नेता कभी नहीं होना था. उसके बावजूद नवगठित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने सिलसिलेवार बम धमाकों से अपनी पहचान गढ़ी.
पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या इसी की कार्रवाई थी. धीरे-धीरे इसके इलाके का विस्तार होता चला गया. इसकी लड़ाई के तरीके 9/11 के बाद जंग के दूसरे मैदानों जैसे ही थे जिनमें घेर कर मारना, अगवा करना और आधुनिक बम का इस्तेमाल प्रमुख रहा. इन सभी को बड़ी सावधानी के साथ मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया जाता रहा. वैश्विक ईसाई-यहूदी गठजोड़ के विरोध पर आधारित विचारधारा अब सिर्फ मुखौटा भर थी जो खाड़ी देशों से पैसा उठाने के काम आती रही जबकि इसकी कार्रवाई बेहद स्थानीय रहीं. गांवों और घाटियों में रहने वाले जो भी इनके दुश्मन बने, उन्हें बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया गया.
आखिर कौन थे वे लोग जिन्होंने हर साल अमेरिका से एक अरब डॉलर की मदद पाने वाली 5 लाख की पाकिस्तानी फौज को अपना बंधक बना लिया? इनमें कुछ तो स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर पुराने दौर के लड़ाके थे लेकिन अधिकतर नए रंगरूट थे जो पाकिस्तान के बेहद गरीब और पिछड़े इलाकों से ताल्लुक रखते थे. अधिकतर को सिर्फ कट्टर मजहबी शिक्षा हासिल थी और इनका प्रतिष्ठित इस्लामी विद्वानों से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था.
इन लोगों के बारे में कुछ भी पारंपरिक नहीं था. उनमें अकसर छोटे-छोटे कबीलों और अनजाने परिवारों से थे. ऐसे कम ही थे जिनकी पारंपरिक लड़ाई से कोई पहचान बनी हुई थी. शायद ही किसी के पास अपनी जमीन थी. इन्हें पैसा और ताकत चाहिए थी और इस्लामी कट्टरपंथ इन दोनों की गारंटी देता था. बाकी आकांक्षाएं पूरी करने के लिए अल .कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय गिरोहों के साथ हल्के-फुल्के रिश्ते काम आते थे.
महसूद की मौत ने इस तबके में नेतृत्व की जंग छेड़ दी और बड़ी मुश्किल से कायम हुई लड़ाकों की एकजुटता जाती रही. उनकी जगह उन्हीं के कबीले के हकीमुल्ला महसूद ने ले ली है, लेकिन जंग अब भी जारी है. टीटीपी आज लोगों के घरों में घुस चुका है. अमेरिकी ड्रोन हमले के खिलाफ लोगों में गुस्सा भड़का कर वह उन्हें एक विफल राष्ट्र से और दूर किए दे रहा है और इन पर नियंत्रण कायम रखने के लिए बर्बर तरीके अपना रहा है.
कुछ पुराने और बुजुर्ग मौलवियों ने जब इनके राज का विरोध किया, तो उन्हें 'जासूस' या 'काफिर' कह के मार दिया गया. पोलियो उन्मूलन अभियान को इस्लाम विरोधी करार देकर प्रतिबंधित कर दिया गया और रेड क्रॉस के स्वास्थ्यकर्मियों को मार डाला गया. हालिया धमाका जुलाई में एक फौजी शिविर पर हुआ था जिसमें सात फौजी और एक पुलिसकर्मी की मौत हुई थी. तो क्या पाकिस्तान के संदर्भ में टीटीपी को भारत के माओवादियों का पर्याय माना जा सकता है?
इस अर्थ में कि दोनों ही राज्य की विफलता से पैदा हुए विद्रोह का नतीजा हैं. एक हद तक यह सही है. एक समानता इस अर्थ में भी है कि दोनों ही किसी काल्पनिक उद्देश्य के प्रति समर्पित हैं जिसके चलते अकसर कहीं ज्यादा तात्कालिक और स्थानीय कारक व सरोकार उनकी नजरों से ओझल हो जाते हैं. लेकिन ऐसी तुलनाएं भ्रामक हो सकती हैं क्योंकि जिस कदर हिंसा, प्रताड़ना, आम लोगों पर हमले और हत्याएं पाकिस्तानी तालिबान ने की हैं, वैसा भारतीय माओवादियों के मामले में देखने में नहीं आया है.
दोनों के संघर्ष की जड़ें अलग हैं. कभी-कभार मार्क्सवाद को भी सेकूलर 'धर्म' की संज्ञा दे दी जाती है, फिर भी आधुनिक इस्लामी कट्टरपंथ से उसकी तुलना करना गलत होगा. अल .कायदा से अपने रिश्तों और कम-से-कम एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की साजिश में लिप्त होकर टीटीपी ने यह जता दिया है कि वह वैश्विक खतरा बन सकता है.
माओवादी इसके मुकाबले दूर-दूर तक कहीं नहीं हैं, न ही ऐसा लगता है कि वे आगे ऐसा कुछ करेंगे. बेहतर है कि यह मान लिया जाए कि दोनों लड़ाइयों में कुछ भी समान नहीं है, सिवाय इसके कि ये इंसानी दर्द को ही बढ़ा रहे हैं जो दोनों ही देशों को गवारा नहीं हो सकता.
धरना-प्रदर्शन-प्रतिरोध
झारखंड में श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने मनाया राज्यव्यापी विरोध् दिवस
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में राज्य की रघुवर सरकार द्वारा विपक्ष के विरोध के बावजूद बिना चर्चा कराये 20 जुलाई 2018 को तीन मजदूर विरोधी विधेयक पारित कर दिये गये, जिसके खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने 26 जुलाई को राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया और विधेयक की प्रतियां जलाईं. इस कार्यक्रम के तहत रांची में मार्च आयोजित की गयी जिसका नेतृत्व ऐक्टू की ओर से राज्य महासचिव शुभेंदु सेन ने किया. इस विरोध दिवस का आहृान चार केंद्रीय ट्रेड यूनियनों - ऐक्टू, सीटू, एटक और इंटक - द्वारा किया गया. ट्रेड यूनियनों ने सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ आने वाले दिनों में एक बड़ा जन आंदोलन चलाने की घोषणा की.
बिहार के स्थानीय निकाय कर्मचारियों का विशाल प्रदर्शन
बिहार राज्य स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ (संबद्ध ऐक्टू) के नेतृत्व में नगर निकायों में कार्यरत कर्मचारियों ने हजारों की संख्या में मंत्री, नगर विकास एवं आवास विभाग के समक्ष अपनी 12-सूत्री मांगों के लिए 10 जुलाई 2018 को आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में सफाई कर्मियों की उल्लेखनीय भागीदारी रही और साथ ही बड़ी संख्या में महिला कर्मी भी शामिल थीं. इस प्रदर्शन में 22 निगमों, परिषदों और पंचायतों से करीब 2500 सफाई कर्मी शामिल हुए जिनमें दरभंगा, बिहार शरीफ, मुजफ्फरपुर, रक्सौल, पटना, समस्तीपुर, दलसिंह सराय, लखीसराय, गया, मोतीहारी, ढाका से अच्छी भागीदारी रही.
बीएसपी अस्पताल की कैजुअल्टी के सामने विरोध-प्रदर्शन
भिलाई स्टील प्लांट द्वारा संचालित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र में विगत वर्षों से कार्यरत सफाई ठेका श्रमिकों ने पिछले 3 माह से वेतन का भुगतान न किए जाने के विरोध में 1 जून को कैजुअल्टी के सामने मुंह में लाल पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया.
यह विरोध प्रदर्शन तीन श्रम संघों - सेंटर ऑफ स्टील वर्कर्स (संबद्ध ऐक्टू), हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन (संबद्ध सीटू) और लोकतांत्रिक इस्पात एवम इंजी. मजदूर यूनियन - के संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर आयोजित हुआ. प्रदर्शन में ऐक्टू की ओर से श्याम लाल साहू, जय प्रकाश नायर, बृजेन्द्र तिवारी, आदि शामिल थे.
दिल्ली आशा कामगार यूनियन का प्रदर्शन
‘मानदेय में दम नहीं, न्यूनतम वेतन से कम नहीं’; ‘पक्की नौकरी, पूरा वेतन, हक और सम्मान’; सभी आशा कर्मियों को न्यूनतम वेतन के अनुरूप वेतन दिया जाए; आशा कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए; दिल्ली की सभी बसों में आशाओं के लिए फ्री बस पास की सुविधा हो - इन नारों और मांगो के साथ दिल्ली आशा कामगार यूनियन (संबद्ध ऐक्टू) द्वारा 5 जून 2018 को मुख्यमंत्री आवास पर धरना प्रदर्शन किया गया. इसमें विभिन्न इलाकों से आशा वर्कर्स ने हिस्सा लिया और अपनी मांगे बुलंद की.
‘20 जुलाई 2018 की दिल्ली श्रमिक हड़ताल को सफल करो’ के आहृान के साथ ट्रेड यूनियनों ने निकाला संयुक्त मार्च
ऐक्टू, एटक, ए.आई.यू.टी.यू.सी., सीटू, एच.एम.एस., इंटक, एम.ई.सी., सेवा, यू.टी.यू.सी. समेत अन्य ट्रेड यूनियन संगठनों ने 27 जून को शहीद पार्क (आई.टी.ओ.) से दिल्ली सचिवालय तक मार्च निकाल कर 20 जुलाई को दिल्ली में श्रमिकों की हड़ताल का ऐलान किया. मार्च को पुलिस द्वारा रोके जाने पर आई.टी.ओ. चौराहा को कई घंटों तक जाम कर दिया गया. सभी मौजूद संगठनों ने सड़क पर ही सभा करते हुए इस हड़ताल को सफल बनाने के लिये मजदूरों का पूरी ताकत लगा देने का आहृान किया. ऐक्टू की ओर से राज्य अध्यक्ष संतोष राय ने सभा को संबोधित किया.
‘डीटीसी वर्कर्स युनिटी स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर सेन्टर’ का डीटीसी मुख्यालय पर प्रदर्शन
‘डीटीसी वर्कर्स युनिटी सेन्टर’ (संबद्ध ऐक्टू) ने 21 जून 2018 को डीटीसी (दिल्ली परिवहन निगम) के मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन की तैयारी के क्रम में डीटीसी के दो दर्जन से भी अधिक डिपो में सभाएं की गईं, पर्चा वितरण किया गया एवं पोस्टर लगाये गये. इस प्रदर्शन और 29 अप्रैल को किए गये कन्वेंशन समेत चलाये गये अभियान में डीटीसी को केंद्र में रखते हुए जन परिवहन को मजबूत बनाने और डीटीसी में कार्यरत तमाम ठेका मजदूरों को पक्का करने की मांगें प्रमुखता से उठाई गईं.
बिहार में बालू मजदूरों व नाविकों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल सफल रही
राज्य की नीतीश सरकार की नई बालू नीति से बेरोजगार हुए बालू मजदूरों व नाविकों ने 15 जून से मनेर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की. इस भूख हड़ताल का नेतृत्व ‘बिहार बालू मजदूर व नाविक कल्याण संघ (संबद्ध ऐक्टू) के महासचिव गोपाल सिंह ने किया.
ठेकेदार व माफिया ताकतों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गयी बालू नीति के खिलाफ तथा मशीन से बालू का खनन व लोडिंग रोकने तथा नावों का परिचालन शुरू करने की मांग पर आयोजित इस भूख हड़ताल में संघ के राज्य परिषद सदस्य चंदे्रश्वर प्रसाद व विशाल कुमार भी रहे. भूख हड़ताल शुरू होने के दिन से ही सैकड़ों मजदूर भी इसका समर्थन करने के लिए वहां पहुंचने लगे.
बंगलौर नगर निगम के ठेका सफाई कर्मियों ने निगम कार्यालय का घेराव किया
बंगलौर नगर निगम के हजारों ठेका सफाई कर्मियों ने ऐक्टू से संबद्ध ‘बीबीएमपी गुट्टिका पोवराकार्मिका संगठन’ के नेतृत्व में 5 जून 2018 को पिछले पांच महीने के वेतन के भुगतान की मांग पर और छंटनी की धमकी के खिलाफ निगम कार्यालय पर घेरा डाल दिया.
‘हमारे श्रमिकों को वापस लाओ’ - अगवा मजदूरों को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय से मांग
हाल ही में अफगानिस्तान में रोजगार की तलाश में गये 7 भारतीय मजदूरों का 6 मई को अज्ञात बंदूकधारियों ने अपहरण कर लिया, जिनमें 4 मजदूर झारखंड से हैं, और इनमें से भी 3 गिरिडीह जिले के बगोदर के हैं, जबकि चैथा हजारीबाग जिले के टाटीझरिया का निवासी है. अन्य 3 मजदूरों में बिहार के मंटू सिंह और केरल के राजन कौशिक व मुरलीधरन हैं. इन मजदूरों के परिजनों का बुरा हाल है, मगर भाजपा सरकारें और उसके मंत्री-विधायक-सांसद संवेदनहीन बने हुए हैं और इन परिवारों के लिये कुछ भी नहीं कर रहे हैं. सरकारी स्तर पर कोई गंभीर कोशिश नजर नहीं आ रही.
इफ्को कारखाने के समक्ष प्रदर्शन
इफ्को कारखाने, फूलपुर (उ. प्रदेश) में अमोनिया रिसाव के चलते कई श्रमिकों के घायल होने की घटना के खिलाफ 16 मई को ऐक्टू से संबद्ध ‘इफ्को फूलपुर ठेका मजदूर संघ’ ने कारखाने के गेट न0 एक पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐक्टू जिला सचिव कमल उसरी ने इस दुर्घटना के लिये प्रबंधन को दोषी ठहराते हुये कहा कि श्रमिकों को बगैर सुरक्षा उपकरणों के काम पर लगाने की वजह से वे घायल हुये. प्रदर्शन ने सभी घायल श्रमिकों को बेहतर ईलाज की व्यवस्था करने और दोषियों को सजा देने की मांग उठाई.
PressMirchi जब आप सो रहे थे तब बाजार के लिए क्या बदला? जानने के लिए शीर्ष 10 बातें
बाजार में उतार-चढ़ाव का कारोबार हुआ और अंत में मामूली गिरावट के साथ हालिया उछाल के बाद इसमें तेजी आई। अमेरिका-चीन व्यापार समझौते के आगे कमजोर एशियाई संकेतों के कारण पूर्वाग्रह शुरू से ही नकारात्मक था। इसके अलावा, बैंकिंग पैक में गिरावट ने सूचकांक को और नीचे खींच लिया।
सेंसेक्स बंद हुआ 77 अंक, या 0। , 872। 73, जबकि निफ्टी समाप्त प्रतिशत, कम 162 , 343।
धुरी चार्ट के अनुसार, निफ्टी के लिए प्रमुख समर्थन स्तर पर रखा गया है 030, 296। 33, के बाद 12, 249। 37। यदि इंडेक्स ऊपर जाता है, तो देखने के लिए मुख्य प्रतिरोध स्तर हैं 15, 372। 73 तथा 12, 402। 15।
बंद हुआ। , 824। 90। महत्वपूर्ण धुरी स्तर, जो सूचकांक के लिए महत्वपूर्ण समर्थन के रूप में कार्य करेगा, 33, 663। 17, के बाद 31, 501। 43। उल्टा, प्रमुख प्रतिरोध स्तर पर रखा गया है 38, 993। 77 तथा 32, 162। 49। मुद्रा और इक्विटी बाजारों में आज। हमने समाचार प्लेटफार्मों पर महत्वपूर्ण सुर्खियों की एक सूची तैयार की है जो भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों को प्रभावित कर सकती है:
यूएस मार्केट्स
डाउ खत्म हो गया 28, ] बुधवार को पहली बार और S & P 402 बंद हुआ संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन द्वारा एक चरण 1 व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद एक रिकॉर्ड उच्च स्तर पर और टैरिफ विवाद को हल करने का संकल्प लिया गया है जिसने वॉल स्ट्रीट को एक वर्ष स्थानीय समर्थन और प्रतिरोध स्तर से अधिक समय तक रोके रखा है।
(डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 0)। 31% सेवा 29, 030। 22 अंक, ऊपर 80 , 000 पहली बार। S & P 500 0 प्राप्त किया। , 258। नैस्डैक कंपोजिट 0 जोड़ा गया। । 70 ने सोमवार को अपने रिकॉर्ड उच्च करीब सेट से कुछ ही कम।
एशियाई बाजार
दुनिया के शेयरों ने गुरुवार को संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन द्वारा अपने डिफ्यूज करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उच्च रिकॉर्ड किया 18 – महीने का व्यापार युद्ध, जिसने वैश्विक आर्थिक विकास और बाधित निवेशों पर तौला है।
MSCI के दुनिया के सबसे बड़े शेयरों में सबसे बड़ा सूचकांक 0 रहा।
बुधवार को रिकॉर्ड स्तर पर बंद होने के बाद शुरुआती कारोबार में% जबकि जापान के बाद एशिया-प्रशांत शेयरों पर इसका सूचकांक 0 रहा। %। जापान का निक्केई 0 रहा। %)% जबकि ऑस्ट्रेलियाई शेयर 0.6% अधिक थे।
एसजीएक्स निफ्टी
एसजीएक्स निफ्टी पर रुझान भारत में व्यापक सूचकांक के लिए एक फ्लैट खोलने का संकेत देता है, जिसमें 8.5 अंक का नुकसान या 0 होता है। 01 प्रतिशत निफ्टी वायदा कारोबार 17, 351 – सिंगापुर के एक्सचेंज में स्तर।
तेल की कीमतें बढ़ती हैं क्योंकि चीन अधिक अमेरिकी ऊर्जा खरीद से सहमत है
तेल की कीमतें गुरुवार को बढ़ीं, जो कि वाशिंगटन और बीजिंग के बीच एक प्रारंभिक व्यापार समझौते पर लंबे समय से प्रत्याशित हस्ताक्षर से उच्च था, जो संयुक्त राज्य अमेरिका से ऊर्जा आपूर्ति में संभावित भारी वृद्धि के लिए मंच निर्धारित करता है। चीन के लिए।
ब्रेंट था 38 सेंट, या 0.5%, $ (कम से उच्च । GMT, जबकि US क्रूड ने 872 सेंट, या 0.5%, $ पर 90। 09 एक बैरल।
रुपया 5 पैसे अधिक 70। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पैसे अधिक हस्ताक्षर के आगे बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अमेरिका और चीन के बीच चरण 1 का व्यापार समझौता विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि बाजार सहभागियों ने बहुप्रतीक्षित यूएस-चाइना व्यापार सौदे के पहले चरण पर हस्ताक्षर करने से पहले सावधानीपूर्वक व्यापार किया।
इंटरबैंक विदेशी मुद्रा में, कमजोर नोट पर रुपये खोला गया 71। 01 अमेरिकी डॉलर के मुकाबले। हालाँकि, स्थानीय इकाई ने शुरुआती नुकसानों को कम किया है और 162 । 80। अंत में, यह 83 अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने पिछले समापन पर।
सरकार ने वित्तीय क्षेत्र की समस्या से निपटने के लिए और कदम उठाने की संभावना: NITI Aayog के राजीव कुमार
सरकार के वित्तीय क्षेत्र की समस्या से निपटने के लिए और उपाय करने की संभावना है, NITI Aayog के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने जनवरी को कहा 872 । सेबी के पूर्व अध्यक्ष यूके सिन्हा की पुस्तक विमोचन पर बोलते हुए, कुमार ने कहा कि यह एक बहुत ही अलग प्रकार की स्थिति है जिसका सामना देश कर रहा है।
“क्रेडिट बाजार जाम हो गए हैं। यह सरकार के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद जारी है। लोगों को आश्वस्त करने की भावना … मेरा मानना है कि आगे इस तरह के प्रतिकूल प्रभाव न हो इसके लिए कुछ अन्य कदम अभी पाइपलाइन में हैं।
आभूषण क्षेत्र में सोने के रिवाजों में कमी की मांग 6%
बजट से आगे, रत्न और आभूषण उद्योग ने सोने पर आयात शुल्क में 6 प्रतिशत की कटौती की है और कट और पॉलिश किए गए हीरे पर सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए 2.5 फीसदी। “95 ने आभूषणों की खरीद को बहुत महंगा बना दिया है, जिससे उपभोक्ता मांग प्रभावित होती है।
पिछले साल बजट के बाद, हम कई बार वित्त मंत्री से मिल चुके हैं और हम सकारात्मक हैं कि सरकार उद्योग जगत पर ध्यान देगी ऑल इंडिया जेम एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) के अध्यक्ष अनंत पद्मनाभन ने कहा, ‘सीमा शुल्क को घटाकर 6 फीसदी कर देना।’
माइकल पात्रा आरबीआई का पदभार संभालेंगे उप-राज्यपाल, केंद्रीय बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के पोर्टफ़ोलियो
को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को जनवरी 2018 ने कहा कि माइकल देवव्रत पात्रा ने तीन साल की अवधि के लिए केंद्रीय बैंक में उप राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला। वह वायरल आचार्य का स्थान लेते हैं जिन्होंने अपने तीन साल के कार्यकाल के अंत से छह महीने पहले पद छोड़ दिया था। इस नियुक्ति से पहले, पेट्रा RBI में कार्यकारी निदेशक थे।
पात्रा मौद्रिक नीति विभाग, वित्तीय स्थिरता इकाई, वित्तीय बाजार संचालन विभाग, वित्तीय बाजार विनियमन विभाग, आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग की देखरेख करेंगे। सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन और कॉर्पोरेट रणनीति विभाग और बजट विभाग।
व्यापार घाटा दिसंबर में घटता है 2019, पांचवें महीने के लिए एक पंक्ति
में डुबकी का निर्यात करता है देश का निर्यात लगातार पांचवें महीने दिसंबर में 1.8 प्रतिशत की दर से अनुबंधित से $ 162 । ।
आयात में भी 8 की गिरावट आई। 82 प्रतिशत $ 43। 61 बिलियन, व्यापार घाटा घटाकर $ 17। 25 समीक्षाधीन माह के दौरान अरब। दिसंबर के दौरान व्यापार घाटा 2018 $ था 17। 0118 अरब
FII और DII डेटा
(विदेशी) संस्थागत निवेशकों (FII) ने रु। के शेयर खरीदे 279। 53 करोड़, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने रु। के शेयर बेचे । जनवरी में भारतीय इक्विटी बाजार में , एनएसई पर उपलब्ध अनंतिम डेटा दिखाया गया है।
एनएसई पर एफ एंड ओ प्रतिबंध के तहत स्टॉक
यस बैंक जनवरी के लिए एफ एंड ओ प्रतिबंध 83 है । एफएंडओ सेगमेंट के तहत प्रतिबंध अवधि में सिक्योरिटीज में वे कंपनियां शामिल हैं जिनमें सुरक्षा पार कर गई है 184 बाजार की व्यापक स्थिति सीमा का प्रतिशत।
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