पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है

पूंजीकरण पर आधारित: मार्केट कैपिटल सबसे बड़ा फैक्टर होता है इस तरह के निवेश पोर्टफोलियो में|
Portfolio meaning in Hindi | शेयर निवेश में पोर्टफोलियो क्या है
portfolio meaning in Hindi: वेसे तो portfolio के कई अर्थ होते है जैसे की, खुले पत्र, जुज्दान, बस्ता, संविभाग, विभाग, पेटिका, निवेश सूची, फोटो का आल्बम| लेकिन इसमें से आज हम “निवेश सूची” जो की शेयर मार्किट से सम्बंधित है उस पर चर्चा करेंगे|
शेयर बाजार में निवेश के लिया portfolio का होना काफी आवश्यक है|
पोर्टफोलियो क्या है | Portfolio meaning in Hindi
शेयर मार्किट के परिपेक्ष्य में पोर्टफोलियो को “निवेश सूचि” के रूप में जाना जाता है| जिसमे निवेशको के रूचि के आधार पर अलग अलग शेयर समूह शामिल किया गया होता है जिसे वह इच्छित धन लाभ कर सके| पोर्टफोलियो में निवेशको ने अपने ध्येय(Goal) के आधार पर कुछ ऐसे शेयर को पसंद किया होता है जो उसे इस ध्येय को प्राप्त कराने में मदद कर सके|
Example of Portfolio meaning in Hindi
राहुल जो की एक निवेशक है जिसे शेयर में 100000(एक लाख रुपये) निवेश करना है| अब वह शेयर की ऐसी लिस्ट बनाएगा जिसमे वह इस रुपये के निवेश से चार से पांच कंपनी के शेयर को खरीदे| और इस तरह के लिस्ट से वह अपने ध्येय को पूर्ण कर सके| यह लिस्ट को शेयर बाजार में पोर्टफोलियो कहा जाता पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है है| पोर्टफोलियो के कई तरह से शेयर बाजार में उपयोगी होता है जिसे हम आगे के लेख में पढेगे|
पोर्टफोलियो कैसे बनाया जाता है | Portfolio management meaning in hindi
पोर्टफोलियो को बनाने के लिए कई तरह के फैक्टर को ध्यानपूर्वक देखना पड़ता है जिसे portfolio management कहा जाता है| portfolio management पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है में निचे दिए गए फैक्टर को ध्यान में रखना चाहिए|
- निवेश की पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है राशी(Investment Ammount ),
- निवेश रिस्क(investment Risk),
- निवेश का समय(Time of Investing),
- ध्येय (Goal),
- पोर्टफोलियो में बदलाव(Change in portfolio management)
- संतुलन(Balance)
- यह भी पढ़े: PB ratio क्या है जाने हिंदी में
प्रतिभूति विश्लेषण एवं पोर्टफोलियो प्रबन्ध (Security Analysis & Portfolio Management)
वर्तमान समय में प्रतिभूति विश्लेषण एवं पोर्टफोलियो प्रबन्ध Security Analysis & Portfolio Management एक अति महत्वपूर्ण एवं सामयिक विषय है। वाणिज्य के विद्यार्थियों के लिए तो यह विषय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसी दृष्टि से विभिन्न विश्वविद्यालयों ने इस विषय को बी. कॉम. (ऑनर्स) तथा एम. कॉम. के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया है।
प्रतिभूति विश्लेषण एवं पोर्टफोलियो प्रबन्ध Security Analysis & Portfolio Management Book की रचना विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम को दृष्टिगत रखते हुए की गई है। लेखक द्वारा यह प्रयास किया गया है कि विद्यार्थियों को इस विषय में रुचि पैदा हो। अतः विषय-सामग्री अत्यन्त सरल एवं रुचिकर भाषा में प्रस्तुत की गई है।
प्रत्येक अध्याय के अन्त में ‘गागर में सागर’ शीर्षक के अन्तर्गत सम्पूर्ण अध्याय की सामग्री को सारांश रूप में दिया गया है, जो विद्यार्थियों को परीक्षा के समय अत्यधिक लाभप्रद सिद्ध होगी।
Portfolio Management Services के लिए सेबी का नया नियम, मैनेजर, डिस्ट्रीब्यूटर और स्टाफ को लेना होगा NISM का सर्टिफिकेट
सेबी ने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज से जु़ड़े अधिकारियों के लिए अनिवार्य किए सर्टिफिकेशन नियम
मार्केट रेगुलेटर पोर्टफोलियो सेबी ( SEBI) ने पोर्टफोलियो मैनेजर की ओर से नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों के लिए सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया है. सेबी के नोटिफेकेशन के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) से जुड़े लोग चाहे वे डिस्ट्रीब्यूटर्स हों या मुख्य अधिकारी या फिर कर्मचारी, सभी का सर्टिफिकेशन जरूरी होगा. सेबी के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) से जुड़े व्यक्ति और फंड मैनेजमेंट में फैसला लेने वाले हर अथॉरिटी के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिक्योरिटीज मार्केट ( NISM) से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा. यह सर्टिफिकेट NISM की परीक्षा पास करने पर मिलता है.
दो साल के भीतर हासिल करना होगा सर्टिफिकेशन
सेबी के 7 सितंबर, 2021 को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS)से जुड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स और संबंधित फंड से जुड़े फैसले लेने वाले प्रमुख अधिकारियों के लिए दो साल के भीतर सर्टिफिकेट हासिल करना होगा. नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि इस तरह के किसी व्यक्ति को रखने वाला या उसे नौकरी देने वाले पोर्टफोलियो मैनेजर को यह सुनिश्चित करना होगा कि 7 सितंबर 2021 के बाद नौकरी शुरू करने से एक साल के भीतर वह शख्स सर्टिफिकेट हासिल कर ले. हालांकि पीएमएस का डिस्ट्रीब्यूटर होने के नाते वैलिड AMFI रजिस्ट्रेशन नंबर (ARN) या NISM सर्टिफिकेशन हासिल करना वाला शख्स इस नियम से मुक्त होगा.
मार्च में जारी किए थे सेबी ने क्वालिफिकेशन से जुड़े नियम
इस साल मार्च में सेबी ने पोर्टफोलियो मैनेजर और उनकी क्वालिफिकेशन को लेकर नए नियम जारी किए थे. इसके मुताबिक सिक्योरिटीज मार्केट में पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम को ही मान्यता दी जाएगी. पोर्टफोलियो मैनेजर के लिए NISM की ओर से चलाए जाने वाले एक साल से कम अवधि के कोर्स को मान्यता नहीं दी जाएगी. सेबी ने कहा था कि पोर्टफोलियो मैनेजर बनने के लिए किसी यूनिवर्सिटी या यूनिवर्सिटी के तौर पर मान्यता प्राप्त किसी इंस्टीट्यूट से फाइनेंस, लॉ, एकाउंटेंसी में प्रोफेशनल डिग्री की जरूरत होगी. या फिर उसे NISM से सिक्योरिटीज मार्केट (पोर्टफोलियो मैनेजमेंट) में पोस्टग्रेजुएट प्रोग्राम पूरा करना होगा.
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Mideast Portfolio Management Ltd (MEPM)
मिडईस्ट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट शेयर (MEPM शेयर) (ISIN: INE033E01015) के बारे में। आप इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक में जा कर ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, तकनीकी विश्लेषण तथा अन्य के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- प्रकार : इक्विटी
- बाज़ार : भारत
- आईसआईन : INE033E01015
- एस/न : MIDEASTP
Mid East Portfolio Management Limited provides investment services in India. The company offers corporate advisory, loan syndication, debt placement, portfolio management, and finance services; and arranges external commercial borrowings. It also provides IPOs; stock broking/online trading facilities demat; and life, general, travel, and health insurance products and services. In addition, the company invests in mutual funds, as well as saving schemes and NRI Bonds, such as RIB and India Millennium Development Bonds of Government of India. Mid East Portfolio Management Limited was founded in 1985 and is based in Mumbai, India.
म्यूचुअल फंड्स, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) स्कीम्स से कैसे अलग हैं?
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हालांकि म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (पीएमएस) दोनों ही पेशेवर फंड मैनेजर्स के द्वारा प्रबंधित किए जाने वाले एक पूल्ड इंवेस्टमेंट व्हीकल के माध्यम से निवेशकों को शेयर और बॉन्ड्स में अपना पैसा निवेश करने की सुविधा देते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग निवेश विकल्प हैं और इनके उद्देश्य भिन्न हैं तथा ये दोनों दो अलग-अलग तरह के निवेशकों के लिए हैं।
म्यूचुअल फंड में कोई भी 500 रुपए प्रति माह की छोटी सी रकम से निवेश कर सकता है, लेकिन पीएमएस स्कीम्स में कम से कम 25 लाख का निवेश करना होता है क्योंकि ये मुख्यतः एचएनआई को लक्ष्य करने वाले वेल्थ मैनेजमेंट प्रोडक्ट्स हैं। म्यूचुअल फंड को सेबी द्वारा रेगुलेट किया जाता है जबकि पीएमएस स्कीम्स के लिए कोई सख्त डिस्क्लोजर मानदंड नहीं हैं। इसके अलावा, पीएमएस प्रोडक्ट्स उन एडवांस निवेशकों के लिए हैं जो इसमें निहित जोखिमों को समझ सकते हैं क्योंकि पीएमएस फंड्स उन सिक्योरिटीज में निवेश कर सकते हैं जिनको बाज़ार में आसानी से खरीदा-बेचा नहीं जा सकता है। म्यूचुअल फंड उन सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं जो कि लिक्विड (तरल) हैं। अच्छी तरह से डायवर्सिफ़ायड पोर्टफोलियो होने के कारण म्यूचुअल फंड, पीएमएस स्कीम्स की तुलना में कम जोखिम होते हैं। पीएमएस फंड्स में आम तौर पर 20-30 शेयरों का एक केंद्रित पोर्टफोलियो होता है। इस तरह, फंड का प्रदर्शन पूरी तरह फंड मैनेजर की शेयर को चुनने की क्षमता पर निर्भर करता है।