घोटाले के दलालों से बचना

भारत में घोटालों की सूची
स्वतंत्रता के बाद से भारत में साबित हुए घोटालों की सूची निम्नलिखित है , जिनमें राजनीतिक, वित्तीय और कॉर्पोरेट घोटाले शामिल हैं। प्रविष्टियां रिवर्स कालानुक्रमिक क्रम में वर्ष (या दशक, पुराने घोटालों के लिए) के अनुसार व्यवस्थित की जाती हैं। वर्ष, या दशक, जब पहली बार घोटाले की सूचना मिली थी।
- वाज़ेगेट कांड : मार्च 2021 में, मुकेश अंबानी बम डराने के मामले के बाद, एनआईए ने मुंबई पुलिस की जांच को संभालने के बाद, नोट किया घोटाले के दलालों से बचना कि एक पुलिस अधिकारी, सचिन वाज़े और मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने योजना बनाने के पूरे मामले में एक भूमिका निभाई थी। बम परम बीर सिंह जिनका बाद में तबादला कर दिया गया था, उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा कि गृह राज्य मंत्री अनिल देशमुख ने उन्हें हर महीने 100 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा था। इस पत्र के बाद कई ठोस सबूत मिले। [1][2]
- 2021 भर्ती घोटाला : ब्रिगेडियर (सतर्कता) वीके पुरोहित की शिकायत पर, आरोप है कि 28 फरवरी, 2021 को बेस अस्पताल में अस्थायी रूप से खारिज अधिकारी उम्मीदवारों की समीक्षा चिकित्सा परीक्षा की मंजूरी के लिए रिश्वत लेने में सेवारत कर्मियों की कथित संलिप्तता के बारे में इनपुट प्राप्त हुआ था। नई दिल्ली में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने प्राथमिकी दर्ज की। जिसके बाद एजेंसी ने देशभर में 30 जगहों पर तलाशी ली। सीबीआई लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक के पांच अधिकारियों, और सशस्त्र बलों के लिए भर्ती में कथित अनियमितताओं के सिलसिले घोटाले के दलालों से बचना में छह निजी व्यक्तियों सहित 17 सेना के अधिकारियों बुक किया है। सूत्रों ने कहा कि लेफ्टिनेंट कर्नल एमवीएसएनए भगवान को भर्ती रैकेट का मास्टरमाइंड माना जाता है। कई निचले क्रम के सेना अधिकारियों और आरोपी अधिकारियों के रिश्तेदारों पर भी मामला दर्ज किया गया है। [३]
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: 30 जून, 2020 को, हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने दुबई से राजनयिक सामान को हिरासत में लिया, जो अवैध सोना ले जाने वाली एक खेप निकला । इस तस्करी का केरल सरकार के शीर्ष अधिकारियों से संबंध होने का आरोप है और इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी , प्रवर्तन निदेशालय आदि जैसी एजेंसियों द्वारा की जा रही है । [4] - अक्टूबर 2020 में, मुंबई पुलिस ने टीआरपी में हेरफेर के आधार पर न्यूज नेशन, रिपब्लिक टीवी और कई मराठी चैनलों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। बाद में, हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय और बॉम्बे हाई कोर्ट ने रिपब्लिक को बरी कर दिया, जबकि इंडिया टुडे को असली चैनल माना जाता था जिसके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एफआईआर दर्ज की गई थी, न कि रिपब्लिक।
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- रु। 25,000 करोड़ का घोटाला पहले 2013 के सीएजी ऑडिट में उजागर किया गया था । [8] नवंबर 2020 में, सीबीआई ने जम्मू और कश्मीर में भूमिहीन लोगों को सरकारी जमीन देने वाले कृत्यों के प्रावधानों का दुरुपयोग करके धनी और सत्ता की स्थिति में लोगों द्वारा भूमि हड़पने के मामले दर्ज किए । [9][10]
- गुरु राघवेंद्र बैंक घोटाला: बेंगलुरु में सहकारी बैंक ने निर्दोष नागरिकों के साथ धोखाधड़ी की। [११][१२] ड्रग स्कैंडल: अगस्त और सितंबर के महीने में कर्नाटक पुलिस ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और पेडलिंग के सिलसिले में कन्नड़ सिनेमा उद्योग में काम करने वाले कई अभिनेताओं और व्यक्तियों को गिरफ्तार किया और उनसे पूछताछ की । [13] - नियत प्रक्रिया का उल्लंघन करने में कथित राजनीतिक साजिश जिसका अपराधियों को दोषी ठहराने और पीड़ित की रक्षा करने की आवश्यकता है। [14][15]
- तमिलनाडु में पीएम किसान निधि घोटाला, जहां रु. अपात्र लाभार्थियों को 110 करोड़ रुपये की हेराफेरी घोटाले के दलालों से बचना की गई। [16]
- कार्वी घोटाला
कार्वी ने वहां के शेयरों और प्रतिभूतियों का उपयोग करके और नोटों का उपयोग करके शेयरों को गिरवी रखकर उसका मुद्रीकरण करके लाखों निवेशकों को धोखा दिया।
घोटाला : चंदिया और भरौली में धान की जब्ती
उमरिया जिले के चंदिया और भरौली इलाकों में प्रशासन की दिन प्रतिदिन बढ़ती लापरवाही, वहीं प्रदेश के दूसरे इलाके से धान लाकर स्टोर करने का कार्य कर रहे है। जब यह बात मुखबिर के द्वारा जिला दंडाधिकारी को पता चली तब उन्होंने तुरंत कार्यवाही काआदेश दिया और चंदिया, भरौली इलाके में जाकर छानबीन की और 2500 बोरी धान जब्त की।
उसके बाद अधिकारियों से पूछताछ के दौरान पता चला की दूसरे प्रदेशों से ला कर ज्यादा मात्रा में धान को गोदाम में रखा जा रहा है यह बात जब कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को पता चली तो उन्होंने खाद्य विभाग को पूरी जाँच पड़ताल कर रिपोर्ट पेश करने को कहा। जाँच पड़ताल के बाद खाद्य अधिकारी बीएस परिहार ने बताया की धान 3 अलग-अलग इलाकों से लाये गए थे।
जांच पड़ताल के बाद पता चला कि गांव के सरपंच, जिला पंचायत सदस्य और सहकारी सोसायटी के प्रबंधक इस घोटाले में शामिल थे। ये लोग दूसरे क्षेत्रों से धान ला कर अपने चंदिया और भरौली इलाके में ज्यादा मात्रा में बेचते है। जिससे उन्हें शासन की तरफ से लागत मूल से ज्यादा पैसा मिलता है।
गैर कानूनी रूप से धान घोटाले के दलालों से बचना की खरीदी का कार्य हर वर्ष होता है। और जिले के सेवक के रूप में कार्य कर रहे जिला पंचायत के सदस्य, सरपंच जैसे लोग इस काम को अंजाम दे रहे है जिससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ता है। इस छानबीन के दौरान अब तक 50 लाख से ज्यादा की धान जब्त की जा चुकी है। गाँवों में छापा मारकर धान जब्त की जा रही है और बाहार से आने वाली धान पर निगरानी रखी जा रही है जिससे अवैध कालाबाजारी न हो। ये सारी गतिविधियां प्रशासन की लापरवाही की वजह से हो रही है। जिससे किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है और कालाबजारी जैसी चीजों को बढ़ावा मिल रहा है।
बोलते काम
पूर्ववर्ती सरकार में उत्तर प्रदेश सूचना विभाग का प्रमुख सचिव रहते हुए, सूचना विभाग के सालाना बजट रुपये 92 लाख को 600 करोड़ सालाना कर अगले 4 सालों में कुल रुपये 2400 करोड़, सूबे के दलाल मानसिकता के मीडियाकर्मियों, मालिकानों के बीच बंदरबांट करने वाले कु. मायावती और अखिलेश यादव घोटाले के दलालों से बचना के बेहद करीबी आईएएस अफसर नवनीत सहगल के सबसे करीबी दलाल साथी रोहित सहाय के काले कारनामों की जांच करेगी IB की लखनऊ शाखा.
आइये पहले जानते हैं कौन है नवनीत सहगल का दलाल रोहित
चंद सालों से दिल्ली में रहने वाला सहगल का यह दलाल मूल रूप से वाराणसी का रहने वाला है. यही रोहित साल 2000 में रिलायंस कंपनी में घोटाले के दलालों से बचना बतौर मैनेजर का काम करता था, लेकिन कुछ दिनों बाद जब उसकी नौकरी छूट गयी तो वह लखनऊ रहते हुए दिल्ली की एक रियल एस्टेट कंपनी में लाइजनिंग का कार्य देखने लगा. कुछ सालों में ही उसने लखनऊ-दिल्ली में रहते-काम करते हुए अपना नेटवर्क सत्ता के गलियारे से लेकर बड़े-बड़े अधिकारियों तक बना लिया.
जब रोहित का नेटवर्क तत्कालीन सीबीआई और ईडी के कई बड़े अफसरों से हो गया.. तो उसने दिल्ली के रियल एस्टेट कंपनी की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद रोहित ने सीबीआई और ईडी की दलाली करनी शुरू कर दी. इन सालों में ही ईडी और सीबीआई की दलाली से इसने बेशुमार दौलत कमाई.
आइये जानें कैसे प्रगाढ़ हुए रोहित और सहगल के संबंध
अपने छात्र जीवन में BHU घोटाले के दलालों से बचना में नेतागिरी करने वाला रोहित अब दिल्ली का बड़ा दलाल ही नहीं बल्कि बड़ा आदमी भी बन चुका था. रोहित से नवनीत सहगल के संबंध मायावती के कार्यकाल में और भी प्रगाढ़ उस समय हो गए, जब NRHM घोटाले की जांच में सीबीआई के चंगुल में वह फंस गए.
इस जांच में सीबीआई ने बड़े-बड़े दिग्गजों पर अपना शिकंजा कसना शुरू किया तो सहगल को भी खुद पर खतरा दिखा. जांच में सहगल के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने के बाद भी इसी रोहित ने मदद करते हुए सब मैनेज कर दिया और सहगल बच गए. जबकि इस मामले में बसपा सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा आज भी जेल की सलाखों के पीछे से निकल नहीं सके हैं.
अब सहगल के इसी दलाल की जांच करेगी आईबी
NRHM घोटाले की जांच के दौरान जब सीबीआई ने यूपी के आईएएस अफसर प्रदीप शुक्ला को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भेजा गया… तो उनकी आईएएस पत्नी आराधना शुक्ला ने सीबीआई पर ये आरोप भी लगाए और शिकायत भी की थी, कि सहगल के खिलाफ सबूत मिलने के बाद भी सीबीआई ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? बावजूद इस शिकायत के तत्कालीन सरकारों में कुछ नहीं हुआ.
इस बार जब आगरा एक्सप्रेस वे और अन्य कार्यों की जांच सीएम योगी ने सीबीआई को सौंपी है, तो फिर से रोहित के जरिये सहगल अपनी घोटाले के दलालों से बचना काली करतूतों से सीबीआई से बचने का रास्ता खोज रहे हैं.
लेकिन न तो इस दफा लखनऊ में, और न घोटाले के दलालों से बचना ही दिल्ली में दलालों के लिए कोई जगह बनती दिख रही है. इसी का नतीजा है कि पिछली सरकार के दौरान आकंठ भ्रष्ट आचरण में डूबे किसी को कोई पैरवी नसीब होती दिख नहीं रही.
उत्तर प्रदेश में पिछली बसपा-सपा सरकारों के दौरान हुए ऐतिहासिक आर्थिक भ्रष्टाचारों की फाइलें जैसे-जैसे खुलने के संयोग बन रहे हैं… जनता की गाढ़ी कमाई और टैक्स लूटने वालों के अपराधों के खुलने का समय भी नजदीक आता जा रहा है.
गोमती रिवर फ्रंट, आगरा एक्सप्रेस वे, सूचना विभाग घोटाला सहित तमाम घोटाले बीती सरकार के लाइन में हैं हिसाब के जांच के बाद… तो रोहित जैसे दलालों के खिलाफ फौरी कार्यवाई एक बार फिर NHRM और बसपा के शासन वाले खेल की बची रह गईं परतें भी खोलेगी, ऐसा दिख रहा है.
भ्रष्टाचारी के खिलाफ ही कार्यवाई पर्याप्त नहीं, सत्ताओं की सेवा, दलाली कर उन्हें बचाते घोटाले के दलालों से बचना आये नेटवर्कों पर भी कानून का कहर बरपना ही चाहिए.
दलाल मानसिकता और मानसिकता का पोषण करने वालों पर संयुक्त घोटाले के दलालों से बचना प्रहार ही इस कोढ़ को हमेशा के लिए खत्म कर सकेगा.
रॉबर्ट वाड्रा जमीन घोटाला केस : अब चार मई को होगी सुनवाई
जोधपुर. जमीन घोटाला तथा मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में रॉबर्ट वाड्रा केस में आज सुनवाई नहीं हो पाई। अब यह सुनवाई 4 मई को होगी। उनकी गिरफ्तारी पर रोक जारी रहेगी। कंपनी स्काईलाइट प्राइवेट हॉस्पिटैलिटी तथा बिचौलिए महेश नागर की ओर से पेश की गई याचिका पर सोमवार को भी सुनवाई नहीं हो पाई।
जमीन घोटाला व मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले को लेकर बिचौलिए महेश नागर व स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की ओर से राजस्थान उच्च न्यायालय में विविध आपराधिक याचिका 482 पेश की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए पूर्व में हाईकोर्ट ने मामले में आरोपितों को आंशिक राहत प्रदान करते हुए नो कोर्सिव एक्शन यानी की गिरफ्तारी पर रोक के आदेश दिए थे जबकि प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में रॉबर्ट वाड्रा को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहता है। इस मामले की सुनवाई लगातार टलती जा रही है।
कोलायत से जुड़ा है मामला- उल्लेखनीय है कि रॉबर्ट वाड्रा व उनकी मां मौरीन वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट प्राइवेट हॉस्पिटैलिटी घोटाले के दलालों से बचना लिमिटेड ने साल 2012 में बीकानेर के कोलायत क्षेत्र में दलाल महेश नागर के जरिए 270 बीघा जमीन 79 लाख रुपये में खरीदी थी। बीकानेर के कोलायत में भारतीय सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के लिए यह जमीन आवंटित की गई थी। इस जमीन से विस्थापित हुए लोगों के लिए दूसरी जगह पर 1400 बीघा जमीन आवंटित की गई थी लेकिन इस जमीन के फर्जी कागजात तैयार करवाकर वाड्रा की कंपनी को बेच दिया गया। फर्जी तरीके से जमीन को बेचने का मामला उजागर होने से पूर्व ही वाड्रा की कंपनी ने इस जमीन को आगे बेच दिया। मनी लांड्रिंग से जुड़े इस मामले की ईडी ने जांच शुरू की थी। ईडी की पूछताछ से बचने के लिए वाड्रा लंबे अरसे से प्रयास करते आ रहे हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने वाड्रा व अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए वाड्रा को ईडी के समक्ष पेश होकर जांच में सहयोग करने के आदेश दिए थे। इसके बाद वाड्रा जयपुर में ईडी के समक्ष पेश भी हुए थे।
केस सुनवाई के अभाव में ईडी नहीं कर पा रही पूछताछ- इस मामले में एक बार फिर ईडी वाड्रा को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है जिसको लेकर ईडी की तरफ से एएसजी राजदीपक रस्तोगी ने राजस्थान उच्च न्यायालय में विचाराधीन याचिका में अर्जी पेश कर कोर्ट से आरोपितों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की आवश्यकता बताते हुए इसकी इजाजत मांगी लेकिन आज सुनवाई के अभाव में इस पर कोई फैसला नहीं हो सका। अब इस मामले में 4 मई को सुनवाई की तारीख तय की गई है।
HBD: कभी बेरोजगार तो कभी 50 रुपये थी ‘जेठालाल’ की कमाई, मेहनत के दम पर आज हैं करोड़ों की सम्पत्ति के मालिक
HBD: Sometimes unemployed and sometimes 50 rupees was earned by 'Jethalal', today he is the owner of crores of property on the basis of hard work