शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश

EWS Scholarship Yojana 2022 ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति योजना के लिए नोटिफिकेशन जारी आवेदन शुरू यहां देखें संपूर्ण जानकारी
EWS Scholarship Notification 2022 ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति योजना के लिए नोटिफिकेशन जारी आवेदन शुरू: ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति योजना 2022 के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है Eligibility Criteria for Rajasthan EWS Scholarship 2022, Scholarship Amount of Rajasthan EWS Scholarship 2022, Important documents required to apply for Rajasthan EWS Scholarship 2022, Required guidelines for Rajasthan EWS Scholarship 2022, How to apply for Rajasthan EWS Scholarship in 2022 ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति योजना 2022 के लिए पहली बार छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई है राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग छात्र छात्राओं के लिए ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति योजना 2022 की शुरुआत की है छात्रवृत्ति योजना के तहत जिन अभ्यर्थियों का आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के तहत सर्टिफिकेट बना हुआ है इस श्रेणी में आते हैं वह इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं इस योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन अक्टूबर से शुरू हो चुके हैं जिसके लिए अंतिम तिथि 15 नवंबर 2022 रखी गई है।
ईडब्ल्यूएस योजना 2022 के तहत राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए सहायता के रूप से विशेष छात्रवृत्ति एवं अनुदान योजना प्रारंभ की है इसके लिए ऑनलाइन आवेदन 13 अक्टूबर से शुरू हो चुके है।
यह भी पढ़े
EWS Scholarship Yojana 2022 Details
- प्रवेशिका परीक्षा उत्तीर्ण : 100/- रूपये प्रति माह 2 शिक्षण सत्र के लिए (एक शिक्षण सत्र = 10 माह)
- सैकण्डरी स्कूल परीक्षा उत्तीर्ण : 100/- रूपये प्रति माह 2 शिक्षण सत्र के लिए (एक शिक्षण सत्र = 10 माह)
EWS Scholarship Yojana 2022 Online Form Date
ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप नोटिफिकेशन 2022 जारी कर दिया गया है राजस्थान शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश सरकार के जन घोषणा पत्र के अनुसार आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के प्रतिभावान छात्र छात्राओं को सहायता के लिए विशेष छात्रवृत्ति एवं अनुदान योजना प्रारंभ की गई है इस अनुदान योजना के तहत वर्ष 2021 में राजस्थान बोर्ड से माध्यमिक परीक्षा में 80% से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सामान्य वर्ग आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप योजना 2022 के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू हो चुकी है जिसके लिए अंतिम तिथि 15 नवंबर 2022 रात्रि 12:00 तक रखी गई है।
EWS Scholarship Yojana 2022 Eligibility Criteria
ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप योजना 2022 के तहत अभ्यर्थी को निम्नलिखित क्राइटेरिया फॉलो करना आवश्यक है
- वर्ष 2021 में राजस्थान बोर्ड से माध्यमिक परीक्षा में 80 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े अभ्यर्थी पात्र होंगे।
- परीक्षा फॉर्म में ईडब्ल्यूएस श्रेणी अंकित की है।
- आवेदन करने के लिए विद्यार्थी का राजस्थान का मूल निवासी होना आवश्यक है।
- कक्षा 10 में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े प्रतिभावान छात्र / छात्राओं को जिन्होनें 80 प्रतिशत या इससे अधिक अंक प्राप्त किये हो, छात्रवृति के लिये पात्र होंगे। यह छात्रवृत्ति 2 वर्ष के लिये अर्थात कक्षा 11 व कक्षा 12 में विद्यालय में नियमित अध्ययनरत होने पर ही देय होगी।
EWS Scholarship Yojana 2022 Required Documents
ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप योजना 2022 के लिए निम्नलिखित दस्तावेज होना जरूरी है।
- ईडब्ल्यूएस प्रमाण-पत्र
- आय प्रमाण-पत्र
- 10वीं कक्षा का प्रमाण-पत्र
- फीस की मूल रसीद
- आवेदक की फोटो
- जन आधार कार्ड
- आधार कार्ड
- बैंक खाता के कॉपी
- मूल निवासी प्रमाण-पत्र
- बी.पी.एल. प्रमाण-पत्र
- निशक्तता प्रमाण-पत्र आदि।
EWS Scholarship Yojana 2022 आवश्यक दिशा निर्देश
- सैकण्डरी / प्रवेशिका के परिणामस्वरूप प्रदत्त छात्रवृत्तियां अगले वर्ष के लिए तभी देय होगी जब संबंधित अभ्यथी आगे के उच्च अध्ययन से संबंधित (विद्यालय में नियमित विद्यार्थी के रूप अध्ययनरत् हो) प्रथम प्रयास में ही सफल होकर कम से कम 55 प्रतिशत अंक पूर्ण योग में प्राप्त करें।
- उपरोक्त EWS छात्रवृत्ति छात्र / छात्रा को शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश इसी शर्त पर दी जावेगी कि वह मान्यता प्राप्त संस्थाओं में आगे अध्ययन कर रहा है।
- यदि कोई छात्र / छात्रा अपना अध्ययन छोड़ देगा तो जिस तिथि को वह संस्था छोडेगा उसी तिथि से उसे छात्रवृत्ति देना बन्द कर दिया जावेगा।
- छात्रवृत्तियों का भुगतान छात्र / छात्रा के बैंक खाते में ऑनलाईन किया जावेगा। छात्र / छात्रा अपने बैंक का नाम, बैंक का अकाउण्ट नम्बर IFSC कोड नम्बर तथा शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश अपना मोबाईल नम्बर तथा ईमेल आईडी आवश्यक रूप से प्रपत्र में अंकित करें।
- राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आर्थिक पिछड़े वर्ग संबंधी नियम प्रभावी रहेंगे।
- विद्यार्थियों को EWS का प्रमाण पत्र ( सत्र 2020-21 ) राज्य सरकार द्वारा निर्देशित सक्षम अधिकारी से प्रमाणित करवाकर प्रपत्र के साथ संलग्न करना होगा।
- छात्रवृति का प्रपत्र व आवश्यक दस्तावेज ऑनलाइन ही स्वीकार किये जायेंगे। विद्यार्थियों को पृथक से प्रपत्र व दस्तावेज (हार्ड कॉपी) बोर्ड कार्यालय को प्रेषित नहीं की जानी है।
- इस योजना में बोर्ड परीक्षा (कक्षा-10) में प्रविष्ट कैटेगरी- 1 के विद्यार्थी ही सम्मिलित होंगे।
- इस योजना के अभ्यर्थियों का चयन संवीक्षा के उपरान्त अंतिम परिणाम के आधार पर किया जायेगा।
- छात्रवृत्ति के भुगतान के सम्बन्ध में पत्र व्यवहार निदेशक (शैक्षिक) से करें। कार्यालय के दूरभाष नम्बर 0145-2632025 व 0145-2632854 पर संपर्क किया जाना है।
- उत्तीर्ण परीक्षा की अंकतालिका की फोटोप्रति भी संलग्न करें।
- उपरोक्त EWS छात्रवृत्ति के समस्त दिशा निर्देश बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट Www.Rajeduboard.Rajasthan.Gov.In पर उपलब्ध होंगे।
How To Apply EWS Scholarship Yojana 2022
पीडब्ल्यू छात्रवृत्ति के लिए अभ्यर्थियों को स्कूलों के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा स्कूलों के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन स्वीकार होंगे फॉर्म भरने के लिए स्कूल बोर्ड द्वारा दी गई लॉगइन आईडी और पासवर्ड का प्रयोग कर ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे ईडब्ल्यूएस छात्रवृत्ति का फॉर्म भरते समय अगर आपके किसी भी प्रकार की प्रॉब्लम आती है राजस्थान बोर्ड के दूरभाष संख्या पर संपर्क कर सकते हैं।
EWS Scholarship Yojana 2022 Important Links
EWS Scholarship Yojana 2022 Online Form Start | 13/10/2022 |
EWS Scholarship Yojana 2022 Last date | 15/10/2022 |
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EWS Scholarship Yojana 2022 के लिए नोटिफिकेशन कब जारी किया जाएगा?
ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप योजना 2022 के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।
EWS Scholarship Yojana 2022 के लिए आवेदन कब तक भरे जाएंगे?
ईडब्ल्यूएस स्कॉलरशिप योजना 2022 के लिए ऑनलाइन आवेदन 13 अक्टूबर से 15 नवंबर 2022 तक भरे जाएंगे।
बड़ी खबर: राजस्थान में 14 दिन के पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा, शादी-समारोह पर रोक!
जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत CM Ashok Gehlot की अध्यक्षता में गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। इस बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों एवं युवा वर्ग में बढ़ते कोरोना संक्रमण तथा मौतों की संख्या पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। मंत्रिपरिषद ने इसके दृष्टिगत संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए प्रदेश में 10 मई से 24 मई तक सख्त लॉकडाउन Lockdown लागू करने का निर्णय किया है।
बैठक में क्या निर्णय लिए गए
मंत्रिपरिषद द्वारा पांच सदस्यीय मंत्री समूह के सुझावों पर चर्चा कर महामारी के प्रसार को रोकने के लिए बैठक में किए गए निर्णय इस प्रकार हैं।
राज्य में 10 मई की प्रातः 5 बजे से 24 मई की प्रातः 5 बजे तक लॉकडाउन रहेगा।
राज्य में विवाह समारोह 31 मई 2021 के बाद ही आयोजित किए जाएं।
विवाह से संबंधित किसी भी प्रकार के समारोह, डीजे, बारात एवं निकासी तथा प्रीतिभोज आदि की अनुमति 31 मई तक नहीं होगी।
विवाह घर पर ही अथवा कोर्ट मैरिज के रूप में ही करने की अनुमति होगी, जिसमें केवल 11 व्यक्ति ही अनुमत होंगे। जिसकी सूचना वेब पोर्टल Covidinfo.rajasthan.gov.in पर देनी होगी।
विवाह में बैण्ड-बाजे, हलवाई, टैंट या इस प्रकार के अन्य किसी भी व्यक्ति के सम्मिलित होने की अनुमति नहीं होगी।
शादी के लिए टैंट हाउस एवं हलवाई से संबंधित किसी भी प्रकार के सामान की होम डिलीवरी भी नहीं की जा सकेगी।
मैरिज गार्डन, मैरिज हॉल एवं होटल परिसर शादी समारोह के लिए बंद रहेंगे।
विवाह स्थल मालिकों, टैंट व्यवसायियों, कैटरिंग संचालकों और बैण्ड-बाजा वादकों आदि को एडवांस बुकिंग राशि आयोजनकर्ता को लौटानी होगी या बाद में आयोजन करने पर समायोजित करनी होगी।
किसी भी प्रकार के सामूहिक भोज की अनुमति नहीं होगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों के संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं, इसे देखते हुए मनरेगा के कार्य स्थगित रहेंगे। इस संबंध में ग्रामीण विकास विभाग विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा।
सभी प्रकार के धार्मिक स्थल बंद रहेंगे। आमजन से अपील है कि पूजा-अर्चना, इबादत प्रार्थना घर पर रहकर ही करें।
अस्पताल में भर्ती कोविड पॉजिटिव रोगी की देखभाल के लिए अटेन्डेन्ट के संबंध में चिकित्सा विभाग अलग से गाइडलाइन जारी करेगा।
मेडिकल सेवाओं के अतिरिक्त सभी प्रकार के एवं सरकारी परिवहन के साधन जैसे बस, जीप आदि पूरी तरह बंद रहेंगे।
बारात के आवागमन लिए बस, ऑटो, टैम्पो, ट्रेक्टर, जीप आदि की अनुमति नहीं होगी।
अन्तर्राज्यीय एवं राज्य के भीतर माल का परिवहन करने वाले भारी वाहनों का आवागमन, माल की लोडिंग एवं अनलोडिंग तथा इस कार्य के लिए नियोजित व्यक्ति अनुमत होंगे।
राज्य में मेडिकल, अन्य इमरजेंसी एवं अनुमत श्रेणियों को छोड़कर एक जिले से दूसरे जिले, एक शहर से दूसरे शहर, शहर से गांव, गांव से शहर और एक गांव से दूसरे गांव में सभी प्रकार के आवागमन पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।
राज्य के बाहर से आने वाले यात्रियों को 72 घंटे के भीतर करवाई गई आरटीपीसीआर नेगेटिव जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। यदि कोई यात्री नेगेटिव जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करता है, तो उसे 15 दिन के लिए क्वारेंटीन किया जाएगा।
श्रमिकों के पलायन को रोकने के लिए उद्योगों एवं निर्माण से संबंधित सभी इकाइयों में कार्य करने की अनुमति होगी।
श्रमिकों को आवागमन में असुविधा नहीं हो, इसके लिए संबंधित इकाइयों द्वारा पहचान पत्र जारी किया जाएगा।
उद्योग एवं निर्माण इकाई द्वारा श्रमिकों के आवागमन के लिए विशेष बस का संचालन अनुमत होगा। इन संस्थानों को श्रमिकों के पास के लिए अधिकृत व्यक्ति के हस्ताक्षर एवं विवरण तथा विशेष बस के नम्बर एवं वाहन चालक का नाम जिला कलेक्टर कार्यालय में प्रस्तुत करने होंगे।
निर्माण सामग्री से संबंधित दुकानें नहीं खुल सकेगी। माल के आवागमन के लिए दी गई छूट के अनुसार दूरभाष अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ऑर्डर मिलने पर सामग्री की आपूर्ति की जा सकेगी। शेष व्यावसायिक शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश गतिविधियां 30 अप्रैल, 2021 को जारी महामारी रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़े की गाइडलाइन के अनुसार अनुमत रहेंगी।
जिला कलेक्टर एवं पुलिस कमिश्नर द्वारा कंटेनमेन्ट जोन में स्थानीय आवश्यकता के अनुसार और भी सख्त प्रतिबंध लगाए शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश जा सकते हैं।
शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश
बंगाल में भाजपा की सांगठनिक गतिविधियों में मिथुन की बड़ी भूमिका
कोलकाता, 21 नवंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में किसी भी चुनाव से पहले प्रचार का चेहरा होने के अलावा सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती अब राज्य में भाजपा की संगठनात्मक गतिविधियों में जमीनी स्तर पर बड़ी भूमिका निभाएंगे।
कोलकाता, 21 नवंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में किसी भी चुनाव से पहले प्रचार का चेहरा होने के अलावा सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती अब राज्य में भाजपा की संगठनात्मक गतिविधियों में जमीनी स्तर पर बड़ी भूमिका निभाएंगे।
हालांकि वह 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भगवा खेमे में शामिल हो गए, लेकिन उन चुनावों से पहले उनकी गतिविधियां मुख्य रूप से पार्टी के लिए मेगा अभियान रैलियों में भाग लेने तक ही सीमित थीं।
हाल ही में सुपरस्टार कोलकाता में थे, जब उन्होंने कहा कि वह अब राज्य में पार्टी की गतिविधियों पर अधिक ध्यान देंगे। अगले दो वर्षो में होने वाले दो बड़े चुनावों 2023 में पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की राज्य इकाई को लगता है कि सुपरस्टार को पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियों में शामिल करने के लिए यह सही समय है।
भाजपा की राज्य कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि मिथुन चक्रवर्ती के लिए इस सिलसिले में अगले कुछ दिनों के लिए विस्तृत कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है। इसकी शुरुआत 23 नवंबर को होगी, जब चक्रवर्ती और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद सुकांत मजूमदार पश्चिम बंगाल के आदिवासी बहुल पुरुलिया जिले में पंचायत स्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे।
चक्रवर्ती और सुकांत मजूमदार दोनों 24 नवंबर को एक अन्य आदिवासी बहुल जिले बांकुरा में होंगे, जहां उस दिन स्थानीय पार्टी नेताओं के साथ बैठक में भाग लेने के अलावा वे 25 नवंबर को वहां एक रैली को भी संबोधित करेंगे। रैलियां 26 नवंबर को आसनसोल में और 27 नवंबर को बीरभूम जिले में होंगी।
पार्टी नेतृत्व राज्य में आदिवासी बहुल क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इसका कारण यह है कि भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों और 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में इन क्षेत्रों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था।
17 अक्टूबर को भाजपा की राज्य इकाई ने कोर कमेटी में बड़े फेरबदल की घोषणा की थी और कमेटी में मिथुन चक्रवर्ती को शामिल किया था। कुल 24 नेताओं को कोर कमेटी में जगह दी गई है, इस तरह यह राज्य में पार्टी की अब तक की सबसे बड़ी कोर कमेटी बन गई है। 24 सदस्यीय समिति में चार स्थायी आमंत्रित सदस्य शामिल हैं - पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी के प्रभारी सुनील बंसल, राज्य के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक मंगल पांडे, अमित मालवीय और आशा लाकड़ा।
शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश
बंगाल में भाजपा की सांगठनिक गतिविधियों में मिथुन की बड़ी भूमिका
कोलकाता, 21 नवंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में किसी भी चुनाव से पहले प्रचार का चेहरा होने के अलावा सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती अब राज्य में भाजपा की संगठनात्मक गतिविधियों में जमीनी स्तर पर बड़ी भूमिका निभाएंगे।
कोलकाता, 21 नवंबर (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल में किसी भी चुनाव से पहले प्रचार का चेहरा होने के अलावा सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती अब राज्य में भाजपा की संगठनात्मक गतिविधियों में जमीनी स्तर पर बड़ी भूमिका निभाएंगे।
हालांकि वह 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले भगवा खेमे में शामिल हो गए, लेकिन उन चुनावों से पहले उनकी गतिविधियां मुख्य रूप से पार्टी के लिए मेगा अभियान रैलियों में भाग लेने तक ही सीमित थीं।
हाल ही में सुपरस्टार कोलकाता में थे, जब उन्होंने कहा कि वह अब राज्य में पार्टी की गतिविधियों पर अधिक ध्यान देंगे। अगले दो वर्षो में होने वाले दो बड़े चुनावों 2023 में पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा की राज्य इकाई को लगता है कि सुपरस्टार को पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियों में शामिल करने के लिए यह सही समय है।
भाजपा की राज्य कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि मिथुन चक्रवर्ती के लिए इस सिलसिले में अगले कुछ दिनों के लिए विस्तृत कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है। इसकी शुरुआत 23 नवंबर को होगी, जब चक्रवर्ती और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद सुकांत मजूमदार पश्चिम बंगाल के आदिवासी बहुल पुरुलिया जिले में पंचायत स्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे।
चक्रवर्ती और सुकांत मजूमदार दोनों 24 नवंबर को एक अन्य आदिवासी बहुल जिले बांकुरा में होंगे, जहां उस दिन स्थानीय पार्टी नेताओं के साथ बैठक में भाग लेने के अलावा वे 25 नवंबर को वहां एक रैली को भी संबोधित करेंगे। रैलियां 26 नवंबर को आसनसोल में और 27 नवंबर को बीरभूम जिले में होंगी।
पार्टी नेतृत्व राज्य में आदिवासी बहुल क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, इसका कारण यह है कि भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों और 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में इन क्षेत्रों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था।
17 अक्टूबर को भाजपा की राज्य इकाई ने कोर कमेटी में बड़े फेरबदल की घोषणा की थी और कमेटी में मिथुन चक्रवर्ती को शामिल किया था। कुल 24 नेताओं को कोर कमेटी में जगह दी गई है, इस तरह यह राज्य में पार्टी की अब तक की सबसे बड़ी कोर कमेटी बन गई है। 24 सदस्यीय समिति में चार स्थायी आमंत्रित सदस्य शामिल हैं - पश्चिम बंगाल के लिए पार्टी के प्रभारी सुनील बंसल, राज्य के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक मंगल पांडे, अमित मालवीय और आशा लाकड़ा।
शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश
देश की राजनीति में हमे विभिन मौकों पर चुनावों के पश्चात जनप्रतिनिधियों (सांसद एवं विधायक) द्वारा एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने की घटनाएँ दिखाई देती है। किसी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर किसी अन्य पार्टी को ज्वाइन कर लेना भारतीय राजनीति में आम घटनाएँ है ऐसे में देश के आम वोटर अपने को ठगा हुआ सा महसूस करते है। हालांकि इसके लिए भारतीय संसद द्वारा दल-बदल अधिनियम का प्रावधान किया गया है जिसके माध्यम से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम भारतीय राजनीति के इसी महत्वपूर्ण टॉपिक पर चर्चा करने वाले है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की दल-बदल अधिनियम क्या है (anti-defection law) एवं दल-बदल अधिनियम कब लागू होता है ? साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको दल-बदल अधिनियम (Defection Act in Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण प्रावधानों की जानकारी भी प्रदान की जाएगी।
दल-बदल अधिनियम क्या है ?
दल-बदल अधिनियम (anti-defection law) भारतीय संविधान द्वारा वर्ष 1985 में संविधान में शामिल किया गया कानून है जिसके तहत जनप्रतिनिधियों (सांसद एवं विधायक) को दल बदलने अर्थात एक पार्टी से दूसरी पार्टी को ज्वाइन करने पर रोक लगायी गयी है। दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत किसी एक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित होने के पश्चात दूसरी पार्टी को ज्वाइन करने वाले जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता से सम्बंधित प्रावधान किए गए है। इसके माध्यम से लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत निर्वाचित सरकार में स्थिरता लाना एवं जनप्रतिनिधियों को और जनोमुखी बनाना सुनिश्चित किया गया है। दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत किसी पार्टी के टिकट पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि एवं निर्दलीय जनप्रतिनिधि दोनों शामिल किए गए है।
दल-बदल अधिनियम, क्यों पड़ी आवश्यकता
वर्तमान समय में हम विभिन जनप्रतिनिधियों को सत्ता के लालच, मंत्रीपद, वित्तीय लाभ एवं अन्य प्रकार के लाभ प्रस्तावों के लिए एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाने की घटनाओं को प्रतिदिन देखते है। जनप्रतिनिधि द्वारा चुनाव एक पार्टी के टिकट पर लड़ा गया एवं इसके बाद जनप्रतिनिधि ने अपनी पार्टी बदल दी, इस प्रकार की घटनाएँ चुनावों के पश्चात आम है। हालांकि दल-बदल अधिनियम की शुरुआत 60 के दशक में हुयी थी जब दल-बदल की राजनीति अपने जोरों पर थी।
वर्ष 1967 में हरियाणा से विधानसभा सदस्य विधायक ‘गया लाल’ द्वारा एक दिन में ही 3 पार्टी बदलने के कारण उस दौर में ‘आया राम, गया राम’ कहावत मशहूर थी यही कारण रहा की सरकारों को अस्थिरता से बचाने एवं दल-बदल को हतोत्साहित करने के लिए वर्ष 1985 में संशोधन के द्वारा संविधान में 10वीं सूची के रूप में दल-बदल अधिनियम जोड़ा गया जिससे की देश में दल-बदल की राजनीति की हतोत्साहित किया गया।
दल-बदल अधिनियम सम्बंधित मुख्य प्रावधान
भारतीय संसद द्वारा वर्ष 1985 में दल-बदल अधिनियम को भारतीय संविधान में शामिल किया गया था। भारतीय संविधान में दल-बदल अधिनियम को 52वें संविधान शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश द्वारा वर्ष 1985 में जोड़ा गया था जिससे की दल-बदल को हतोत्साहित किया जा सके। भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची दल-बदल अधिनियम से सम्बंधित है जिसके तहत निर्वाचित सदस्यों के दल-बदल सम्बंधित प्रावधानों की विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है। वर्ष 1991 एवं वर्ष 2003 में दल-बदल अधिनियम में संशोधन के माध्यम से इस कानून को और भी मजबूत बनाया गया है।
anti-defection law कब लागू होता है ?
किसी भी निर्वाचित सदस्य पर दल-बदल अधिनियम निम्न परिस्थितियों में लागू होता है :-
- निर्वाचित सदस्य द्वारा अपनी पार्टी को छोड़ दिया जाए
- निर्दलीय सदस्य द्वारा निर्वाचन के पश्चात कोई राजनीतिक पार्टी ज्वाइन करने पर
- निर्वाचित सदस्य द्वारा अपनी ही पार्टी की नीतियों के खिलाफ हो जाना
- सदस्य द्वारा पार्टी के सचेतक द्वारा जारी निर्देशों का पालन ना करना, पार्टी के निर्देश विरुद्ध मतदान
- मनोनीत सदस्य द्वारा 6 माह पश्चात किसी राजनैतिक पार्टी को ज्वाइन कर लेना
निम्न परिस्थितियों में किसी भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि के विरुद्ध anti-defection law के तहत कार्यवाही की जाती है।
दल-बदल अधिनियम का प्रभाव
दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत यदि किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि को दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध दल-बदल अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है। यदि सम्बंधित जनप्रतिनिधि के विरुद्ध दल-बदल के आरोप सिद्ध हो जाते है तो सम्बंधित जनप्रतिनिधि की सदस्यता को समाप्त कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त वित्तीय लाभ, मंत्रीपद हेतु अनुचित खरीद-फरोख्त के लिए निषेध हेतु भी दल-बदल अधिनियम प्रभावी भूमिका निभाता है।
दल-बदल अधिनियम के अपवाद
दल-बदल अधिनियम के तहत यदि पार्टी के दो तिहाई से ज्यादा जनप्रतिनिधि किसी अन्य पार्टी को ज्वाइन करना चाहते है तो उन पर दल-बदल अधिनियम के तहत कार्यवाही नहीं की जाएगी। साथ ही किसी पार्टी के दो तिहाई सदस्य यदि अपनी स्वतंत्र पार्टी बनाना चाहते तो इस स्थिति में भी उन पर दल-बदल अधिनियम लागू नहीं होगा। वर्तमान समय में दल-बदल अधिनियम में वर्तमान परिस्थितियों के मद्धेनजर पुनः संशोधन की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है।
दल-बदल अधिनियम सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
दल-बदल अधिनियम भारतीय संसद द्वारा वर्ष 1985 में भारतीय संविधान के शामिल किया गया कानून है जिसके तहत निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के दल-बदल को प्रतिबंधित करने हेतु उचित प्रावधान बनाये गए है।
निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के मध्य दल-बदल की प्रकृति को हतोत्साहित करने एवं मंत्रीपद, वित्तीय लाभ के लालच एवं हॉर्स ट्रेडिंग जैसी राजनैतिक बुराईयों को दूर करने हेतु दल-बदल अधिनियम को लागू करना आवश्यक है।
दल-बदल अधिनियम को संविधान में वर्ष 1985 में 52वें संविधान संसोधन के द्वारा शामिल किया गया है। दल-बदल अधिनियम के तहत जनप्रतिनिधियों के मध्य वित्तीय लाभ के लिए दल-बदलने की प्रवृति पर अंकुश लगाया गया है साथ ही इसमें जनप्रतिनिधियों के अयोग्यता सम्बंधित शुरुआती के लिए विस्तृत निर्देश प्रावधानों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
भारत के संविधान की 10वीं अनुसूची दल-बदल अधिनियम से सम्बंधित है जिसे की वर्ष 1985 में 52वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में शामिल किया गया है।
anti-defection law लागू होने सम्बंधित विस्तृत जानकारी के लिए ऊपर दिया गया लेख पढ़े। यहाँ आपको दल-बदल अधिनियम लागू होने सम्बंधित विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है।
दल-बदल अधिनियम के तहत यदि कोई भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि दल-बदल अधिनियम के तहत दोषी पाया जाता है तो ऐसी स्थिति में सम्बंधित जनप्रतिनिधि की सदस्यता को समाप्त किया जा सकता है।
हाँ। निर्वाचन के पश्चात किसी पार्टी को ज्वाइन करने पर निर्दलीय जनप्रतिनिधियों पर दल-बदल अधिनियम लागू किया जाता है।