छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है

शादियों के सीजन में सोना 51 तो चांदी 60 हजार के पार, सर्राफा बाजार में तेजी का माहौल
नई दिल्ली। G old and Silver Rates: शादियों के इस सीजन में सर्राफा बाजार में सोना और चांदी में तेजी का रुख नजर आ रहा है। आज की तेजी के कारण सोना 438 रुपये उछल कर 51 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर के करीब पहुंच गया है। चांदी ने भी 1,264 रुपये की तेजी के साथ 60 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को पार किया।
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक घरेलू सर्राफा बाजार में आज 24 कैरेट (999) सोने की औसत कीमत 438 रुपये की तेजी के साथ उछल कर 50,960 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। इसी तरह 23 कैरेट (995) सोने की कीमत भी 436 रुपये की बढ़त के साथ 50,756 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। जेवराती यानी 22 कैरेट (916) सोने की कीमत छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है में आज 401 रुपये प्रति 10 ग्राम की मजबूती दर्ज की गई। इसके साथ ही 22 कैरेट सोना 46,679 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा 18 कैरेट (750) सोने की कीमत आज प्रति 10 ग्राम 328 रुपये चढ़ कर 38,220 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई। 14 कैरेट (585) सोना आज 257 रुपये मजबूत होकर 29,812 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया।
सर्राफा बाजार में बनी तेजी के माहौल का असर चांदी की कीमत पर भी नजर आया, जो आज मजबूत होकर 60 हजार रुपये के स्तर से भी ऊपर पहुंच गई। आज के कारोबार में चांदी (999) में 1,264 रुपये प्रति किलोग्राम की उछाल दर्ज की गई। इस मजबूती के कारण ये चमकीली धातु आज उछल कर 60,019 रुपये प्रति किलोग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक शादी के सीजन की शुरुआत होने के कारण सर्राफा बाजार में सोने और चांदी के गहनों की मांग में तेजी आई है। शादी के सीजन में आमतौर पर मांग बढ़ने की छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है वजह से सोने और चांदी की कीमत में उछाल की स्थिति बनती है। ज्वेलर्स के लिए भी ये एक बड़ा कारोबारी मौका होता है। हालांकि मयंक मोहन का कहना है कि सर्राफा बाजार में आई मौजूदा तेजी की एकमात्र वजह शादी के सीजन के कारण बढ़ी मांग ही है।
उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना और चांदी पर लगातार दबाव बना हुआ है। इसलिए शादी के सीजन के बावजूद प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियां बनने पर भारतीय सर्राफा बाजार में कभी भी गिरावट का रुख बन सकता है। सोने और चांदी के कारोबार में बनी वैश्विक अनिश्चितता के कारण निवेशक अभी भी बड़ा निवेश करने से बच रहे हैं। इसलिए जब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने चांदी की कीमत में स्थिरता नहीं आती है, तब तक छोटे निवेशकों को अपनी निवेश योजना काफी सोच समझकर बनानी चाहिए।
IRFC IPO: शेयर बाजार की कमजोरी ने लिस्टिंग से पहले घटाया वैल्यूएशन
IRFC IPO: शेयर बाजार की कमजोरी ने लिस्टिंग से पहले वैल्यूएशन घटा दिया है.
Updated: January 28, 2021 2:53 PM IST
IRFC IPO: भारतीय रेलवे वित्त निगम (IRFC) आईपीओ शेयर आवंटन को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन कंपनी को इसकी लिस्टिंग से पहले एक समस्या से जूझना पड़ रहा है, क्योंकि शेयर बाजार में इस समय कमजोरी देखी जा रही है. मार्केट अपने पीक से काफी नीचे आ चुका है.
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ब्रोकरेज कंपनियों के मुताबिक, IRFC के शेयरों की लिस्टिंग 29 जनवरी को हो सकती है. हालांकि, व्यापक और प्राथमिक बाजारों में कमजोरी के बीच आईआरएफसी के शेयरों को उम्मीद से कम कीमतों पर सूचीबद्ध किया जा सकता है.
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में तेजी से बिकवाली के बाद, आईआरएफसी के शेयरों में ग्रे मार्केट में भी वो रफ्तार नहीं दिखाई दे रही है. यह ध्यान दिया जा सकता है कि गैरसूचीबद्ध शेयरों के लिए ग्रे मार्केट एक अनऑफिशियल मार्केट है.
आईआरएफसी के शेयर जो ग्रे मार्केट में प्रीमियम पर कारोबार कर रहे थे, लगता है कि इसकी कीमत तेजी से घट रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक निर्गम की घोषणा होने पर आईआरएफसी के गैरसूचीबद्ध शेयरों का ग्रे मार्केट प्रीमियम 1.5 से गिरकर 0.20-0.25 रुपये हो गया है.
आईआरएफसी के असूचीबद्ध शेयर इस सप्ताह की शुरुआत में प्रीमियम पर कारोबार कर रहे थे, लेकिन बाजार की नकारात्मकता के कारण मूल्य में तेजी से गिरावट आई है.
जैसे ही IRFC का शेयर वैल्यूएशन गिरता गया, गैरसूचीबद्ध बाजार के डीलर इसे व्यापक बाजारों में देखी गई नकारात्मक भावनाओं पर दोष मढ़ने लगे हैं. इसके अलावा केंद्रीय बजट 2021 के आगे अनिश्चितता भी बनी हुई है.
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, आईआरएफसी ही नहीं, अन्य आईपीओ के ग्रे मार्केट वैल्यूएशन में भी गिरावट देखी गई है.
आईआरएफसी आईपीओ, जो कैलेंडर वर्ष का पहला सार्वजनिक आईपीओ था, उसको लॉन्च किए जाने के बाद मार्केट में मजबूत प्रतिक्रिया मिली थी. लेकिन छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है मजबूत फंडामेंटल्स के बावजूद, व्यापक बाजार में मौजूदा स्थितियों के कारण, आईआरएफसी के शेयरों ने ग्रे मार्केट पर कब्जा कर लिया है.
IRFC IPO को विस्तार से समझें
4,633 करोड़ रुपये के IRFC IPO में 118.80 करोड़ शेयरों तक का ताजा अंक और 59.40 करोड़ शेयरों का एक OFS शामिल था. आईपीओ का मूल्य बैंड 25-26 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था.
IRFC, जो एक सरकारी स्वामित्व वाली NBFC है, भारतीय रेलवे की समर्पित निधि है. कंपनी के विकास और अन्य उद्देश्यों के लिए अपनी भविष्य की पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने इक्विटी पूंजी आधार में सुधार की दिशा में आईपीओ से आय का उपयोग करने की संभावना है.
गौरतलब है कि आईपीओ के 1,24,75,05,993 शेयरों के मुकाबले 4,35,22,57,225 शेयरों के लिए बोली प्राप्त हुई. रिटेल सेगमेंट को 3.66 गुना सब्सक्राइब किया गया, जबकि QIB श्रेणी के लिए यह 3.78 गुना और गैर-संस्थागत निवेशकों के लिए 2.67 गुना था.
आईपीओ के बाद, आईआरएफसी में सरकार की हिस्सेदारी 100 प्रतिशत से घटकर 86.4 फीसदी हो जाएगी.
IPO के लीड बुक रनिंग मैनेजर DAM Capital Advenders Limited, HSBC Securities and Capital Markets (India), ICICI Securities और SBI Capital Markets थे. सरकार को IRFC IPO से 1,544 करोड़ रुपये कमाने की उम्मीद है.
जब आईपीओ लॉन्च किया गया था, तो कई ब्रोकरेज हाउस ने निवेशकों को कंपनी के मूल्यांकन और स्वस्थ रिटर्न अनुपात को देखते हुए आईपीओ का सब्सक्रिप्शन लेने की सिफारिश की थी.
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शादियों के सीजन में सोना 51 तो चांदी 60 हजार के पार, सर्राफा बाजार में तेजी का माहौल
नई दिल्ली। G old and Silver Rates: शादियों के इस सीजन में सर्राफा बाजार में सोना और चांदी में तेजी का रुख नजर आ रहा है। आज की तेजी के कारण सोना 438 रुपये उछल कर 51 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर के करीब पहुंच गया है। चांदी ने भी 1,264 रुपये की तेजी के साथ 60 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर को पार किया।
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक घरेलू सर्राफा बाजार में आज 24 कैरेट (999) सोने की औसत कीमत 438 रुपये की तेजी के साथ उछल कर 50,960 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। इसी तरह 23 कैरेट (995) सोने की कीमत भी 436 रुपये की बढ़त के साथ 50,756 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) हो गई। जेवराती यानी 22 कैरेट (916) सोने की कीमत में आज 401 रुपये प्रति 10 ग्राम की मजबूती दर्ज की गई। इसके साथ ही 22 कैरेट सोना 46,679 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया। इसके अलावा 18 कैरेट (750) सोने की कीमत आज प्रति 10 ग्राम 328 रुपये चढ़ कर 38,220 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई। 14 कैरेट (585) सोना आज 257 रुपये मजबूत होकर 29,812 रुपये प्रति 10 ग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गया।
सर्राफा बाजार में बनी तेजी के माहौल का असर चांदी की कीमत पर भी नजर आया, जो आज मजबूत होकर 60 हजार रुपये के स्तर से भी ऊपर पहुंच गई। आज के कारोबार में चांदी (999) में 1,264 रुपये प्रति किलोग्राम की उछाल दर्ज की गई। इस मजबूती के कारण ये चमकीली धातु आज उछल कर 60,019 रुपये प्रति किलोग्राम (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच गई।
मार्केट एक्सपर्ट मयंक मोहन के मुताबिक शादी के सीजन की शुरुआत होने के कारण सर्राफा बाजार में सोने और चांदी के गहनों की मांग में तेजी आई है। शादी के सीजन में आमतौर पर मांग बढ़ने की वजह से सोने और चांदी की कीमत में उछाल की स्थिति बनती है। ज्वेलर्स के लिए भी ये एक बड़ा कारोबारी मौका होता है। हालांकि मयंक मोहन का कहना है कि सर्राफा बाजार में आई मौजूदा तेजी की एकमात्र वजह शादी के सीजन के कारण बढ़ी मांग ही है।
उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना और चांदी पर लगातार दबाव बना हुआ है। इसलिए शादी के सीजन के बावजूद प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितियां बनने पर भारतीय सर्राफा बाजार में कभी भी गिरावट का रुख बन सकता है। सोने और चांदी के कारोबार में बनी वैश्विक अनिश्चितता के कारण निवेशक अभी भी बड़ा निवेश करने से बच रहे हैं। इसलिए जब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने चांदी की कीमत में स्थिरता नहीं आती है, तब तक छोटे निवेशकों को अपनी निवेश योजना काफी सोच समझकर बनानी चाहिए।
वर्तमान स्थिति में बैंक डिपॉजिट पर विचार करना चाहिए?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में रेपो रेट और कैश रिजर्व रेशो (सीआरआर) में बढ़ोतरी की है। इसका असर बैंकों में डिपॉजिट पर भी पड़ेगा। क्या आपको बैंक डिपॉजिट पर विचार करना चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस महीने के शुरू में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करके इसे 4.4% कर दिया है और साथ ही कैश रिजर्व रेशो (सीआरआर) को भी आधा प्रतिशत बढ़ाकर 4.5% कर दिया है और जिसे तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है। इस कदम से लोन लेना मंहगा हो गया है। दूसरी तरफ, डिपॉजिट पर ब्याज दर, जो पिछले कई वर्षों से लगातार कम हो रही थी, उसमें 25-50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई है। दूसरे शब्दों में, नए ग्राहकों को अपनी डिपॉजिट पर अब अधिक ब्याज मिलेगा। ब्याज दरें, डिपॉजिट की अवधि, बैंक प्राईवेट है या सरकारी, या छोटा है या बड़ा, इन बातों पर निर्भर करती हैं। वरिष्ठ और बहुत अधिक वरिष्ठ नागरिकों को अपनी डिपॉजिट पर सामान्य नागरिकों की तुलना में 50 बेसिस प्वाइंट से 100 बेसिस प्वाइंट अधिक ब्याज दर प्राप्त होती है।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी से पहले, औसत एफडी दर 5.25% प्रति वर्ष थी, जो अब आम नागरिकों के लिए 5.75% है। पिछली दर पर विचार करते हुए, 1 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट पर ग्राहक एक वर्ष की अवधि के बाद 1,05,354/- रुपए की राशि प्राप्त करते हैं। अतिरिक्त 50 बीपीएस प्वाइंट के साथ, समान डिपॉजिट राशि पर एक वर्ष के बाद मैच्योरिटी राशि 1,05,875/- रुपए होगी। इसके मायने हैं कि आपको अतिरिक्त 521/- रुपए की राशि प्राप्त होगी।
इसी तरह से, पिछली ब्याज व्यवस्था में 1 लाख रुपए की पांच वर्ष की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि मैच्योरिटी पर 1,29,796/- रुपए हो जाती। रिटर्न के तौर पर 50 बीपीएस बढ़ोतरी के कारण, पांच वर्ष के बाद मैच्योरिटी छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है राशि अब 1,33,036/- रुपए हो जाएगी, जिसके मायने हैं कि आपको 3,240/- रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी।
क्या बैंक डिपॉजिट, ब्याज में बढ़ोतरी के बाद आकर्षक हो गई हैं?
नॉमिनल टर्म्स में, ब्याज रिटर्न बढ़ गई है। वास्तविक टर्म में, रिटर्न नेगेटिव हैं।
मौजूदा इंफ्लेशन रेट यानि 6.5% और इसके और अधिक बढ़ने पर विचार करते हुए, फिक्स्ड डिपॉजिट से रिटर्न कम हो गए हैं। मान लीजिए की इंफ्लेशन 6.5% है, और आपकी फिक्स्ड डिपॉजिट पर 5.75% पर ब्याज दर है। इसके मायने हैं कि आप 0.75% की कुल मिलाकर नेगेटिव रिटर्न प्राप्त कर रहे हैं। जब आप अपने स्लैब के अनुसार टैक्स पर विचार करते हैं, तो आपकी नेट रियल रिटर्न बदतर हो जाती है। जब तक इंफ्लेशन के मद्देनजर रिटर्न नेगेटिव हैं, तब तक डिपॉजिट आकर्षक साबित नहीं हो सकती हैं क्योंकि समय के साथ-साथ इनमें वैल्थ में गिरावट होती है। जब इंफ्लेशन एक सहज स्थिति यानि 4-6% के आसपास आ जाती है, तो स्थिति में सुधार हो सकता है, लेकिन ऐसा होता नजर आता नहीं है।
वर्तमान स्थिति में किसे बैंक डिपॉजिट पर निवेश के रूप में विचार करना चाहिए?
कंजरवेटिव (रूढ़िवादी) निवेशक
ऐसे निवेशक जो स्पष्ट रूप से अपने नकद बैलेंस को बनाए रखना चाहते हैं, उन्हें बैंक डिपॉजिट पर विचार करना चाहिए। यदि रियल रिटर्न नेगेटिव हैं, तो उन्हें वैल्थ में कमी का सामना करना पड़ेगा।
ऐसे निवेशक जिन्हें अल्प से मध्यम समय में पैसे की जरुरत है
ऐसे ग्राहक जिन्हें आने वाले समय में फंड्स की जरूरत होगी या जो आपातकालीन फंड चाहते हैं, उन्हें बैंक डिपाजिट करवाने चाहिए। ईक्विटी मार्केट में अनिश्चितता को देखते हुए, अपने फंड्स की सर्वाधिक सुरक्षा को तय करने के लिए, अपनी आपातकालीन पूंजी को बैंक डिपाजिट में रखना समझदारी वाली बात होगी।
वरिष्ठ नागरिक
वरिष्ठ नागरिक, जो बहुत कम या बिलकुल ही जोखिम नहीं उठा पाने की स्थिति में होते हैं, उन्हें बैंक डिपॉजिट करवाने पर विचार करना चाहिए। क्योंकि वे उच्च ब्याज दर पाने के पात्र होते हैं, तो रिटर्न लगभग इंफ्लेशन के समान ही हैं। यह उनके लिए कोई लाभ या हानि न होने की स्थिति होगी।
बैंक डिपॉजिट से किसे बचना चाहिए?
ग्रोथ-ओरिऐन्टेड निवेशक
ऐसे ग्राहक जो रिटर्न को महत्व देते हैं और जो उच्च जोखिम उठाते हुए, समय के साथ अपने निवेश को बढ़ता हुआ देखना चाहते हैं, उनके लिए बैंक डिपाजिट उपयुक्त निवेश नहीं हो सकती हैं। उन्हें अपने पोर्टफोलियो में ईक्विटी-ओरिऐन्टेड निवेश पर विचार करना चाहिए।
दीर्घकालिक निवेशक
अपने विभिन्न वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए निवेश के संबंध में 3-5 वर्ष से अधिक की लंबी अवधि की एप्रोच रखने वाले निवेशकों को बैंक डिपाजिट से दूर रहना चाहिए। क्योंकि उनके निवेश की सोच काफी लंबी है, जो 20 या अधिक वर्षों तक की हो सकती है, फिर चाहे उनके जोखिम उठाने की क्षमता कुछ भी क्यों न हो, उन्हें बैंक डिपाजिट से लाभ नहीं मिलेगा। उन्हें बैंक डिपॉजिट्स निवेश से दूर रहना चाहिए।
आपकी एफडी रणनीति क्या होनी चाहिए?
यदि आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करना चाहते हैं, तो आप अपने रिटर्न को अधिकतम करने के लिए विभिन्न रणनीतियां अपना सकते हैं। जब तक ब्याज दरों में बढ़ोतरी नहीं होती है, आप अल्पकालिक एफडी को चुन सकते हैं। जब रेट बढ़ जाते हैं, तो आप उच्च रिटर्न देने वाली एफडी को चुन सकते हैं। रिटर्न को अधिकतम करने का एक अन्य आदर्श तरीका लैडरिंग करना होगा। इससे आप अपनी डिपॉजिट को भिन्न भिन्न अवधियों और ब्याज दरों के लिए निवेश कर सकते हैं। इससे आपको अधिक ब्याज प्राप्त करने में मदद मिलेगी, तथा आपका पैसा एक ही रेट डिपॉजिट में रूका नहीं रहेगा। जब भी डिपाजिट मैच्योर होता है, आप उसे उच्च दर वाली एफडी में निवेश कर सकते हैं।
पब्लिक और प्राईवेट सेक्टर बैंकों की तुलना में छोटे फाइनेंस बैंक उच्च ब्याज दर देते हैं। आप अपने फंड्स में से कुछ राशि को छोटे फाईनेंस बैंक एफडी में डिपॉजिट करने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने से पहले, समझदारी से भरा निर्णय लेने में शामिल जोखिमों को समझ लें। आप एएए (AAA) रेटिंग्स छोटे निवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है वाली और उच्च रिटर्न रेट्स देने वाली कंपनियों की एफडी में भी निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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