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डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

क्रिप्टो करेंसी क्या है इन हिंदी | What Is Cryptocurrency In Hindi

क्या आप जानना चाहते हैं क्रिप्टो करेंसी क्या है इन हिंदी में? जैसे कि आप जानते हैं आजकल क्रिप्टो करेंसी का बहुत सारा खबर यह वहां फैले हुए हैं। इस वजह से हर कोई क्रिप्टो करेंसी के बारे में जानना चाहते हैं। और कुछ लोग तो यह भी जानना चाहते हैं इंडिया के अंदर Cryptocurrency में कैसे निवेश किया जाए जिससे उन लोगों को फायदा हो। क्योंकि आप में से जो भी लोग क्रिप्टो करेंसी एवं इसकी अचानक शेयर बरने का खबर पाते हैं तो इस Crypto Currency में निवेश करने के लिए तुरंत सोचते रहते हैं।

इसलिए आज हम इस लेख में क्रिप्टो करेंसी के अंदर की सारी खबर को आज इस लेख में विस्तार से आलोचना करेंगे एवं आपको यह भी बताएंगे अगर आप इंडिया में रहकर Cryptocurrency को खरीदना चाहते हैं तो किस किस प्लेटफार्म डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? के जरिए खरीद सकते हैं वह भी जीरो एक्स्ट्रा चार्जेस के। तो अगर आप क्रिप्टो करेंसी क्या है इन हिंदी में विस्तार में जानना चाहते हैं तो हमारी इस लेख को अंत तक आप अच्छी तरीके से परे।

Table Of Contents

क्रिप्टो करेंसी क्या है इन हिंदी | What Is Cryptocurrency In Hindi

अभी आप में से बहुत लोग यह सोच रहे होंगे कि अगर क्रिप्टो करेंसी एक बायनरी कोडिंग का कंबीनेशन है तो वह कभी भी कहीं भी इस को हैक किया या फिर डिलीट किया जा सकता है। इस चीज को ध्यान में रखते हुए आजकल हर एक Cryptocurrency का ट्रांजैक्शन को एक से अधिक डिवाइस में सेव किया जाता है, जिससे अगर कोई भी एक डिवाइस खराब हो जाए तो कोई भी यूजर का ट्रांजैक्शन डीटेल्स रिकॉर्ड डिलीट ना हो।

क्रिप्टो करेंसी क्या है इन हिंदी बताये

क्रिप्टो करेंसी क्या है इसके बारे में और भी तथ्थ जाना है तो – क्रिप्टो करेंसी एक पेपर लेस यानी कि डिजिटल Currency के रूप में जाना जाता है जिसको आप डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी बोल सकते हैं। जब क्रिप्टो करेंसी का पहले लांच हुआ था तब हर एक क्रिप्टो करेंसी सेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी की तरह काम करता था। लेकिन उसके दो-तीन साल बाद जब इस प्रकरण से के ऊपर कुछ नियम एवं एक सेंट्रल बोर्ड घटित हुए उसके बाद ही हर एक क्रिप्टो करेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी के अंदर लाया गया।

बिटकॉइन कैसे खरीदें

अभी आप सोच रहे होंगे कि यह सेंट्रलाइज्ड एवं डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या होता है। Crypto Currency का सेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी का मतलब यह है कि अगर आप कोई भी सेंट्रलाइज्ड क्रिप्टो करेंसी में ट्रांजैक्शन करते हैं तो उसका डिटेल्स सिर्फ उसका ओनर के डिवाइस में ही रहेगा।

दूसरी और अगर आप कोई भी डिसेंट्रलाइज्ड Cryptocurrency टेक्नोलॉजी में कोई भी क्रिप्टो करेंसी को खरीदते हैं या सेल करते हैं तो उसका डिटेल्स बहुत सारे कंप्यूटर में ब्लॉक चीन की तरह सेव रहेगा जिससे आपका ट्रांजैक्शन एवं आपका पैसा सेवी एवं सिक्योर रहे।

क्रिप्टो करेंसी Formal Information

कुछ क्रिप्टो करेंसी विशेषण के द्वारा दिया गया तथ्य के अनुसार Cryptocurrency कुछ चीजों के ऊपर निर्भर करके काम करता है। अगर आप क्रिप्टो करेंसी क्या है यह विस्तार से जानना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए यह चीजों को भी अच्छी तरीके से समझना होगा।

  • कोई भी क्रिप्टो करेंसी ओनर का सिस्टम सेंट्रलाइज्ड अथॉरिटी ना भी हो तो भी चलेगा एवं यह पूरा डिस्ट्रीब्यूशन प्रोसेस के ऊपर काम करता है.
  • क्रिप्टो करेंसी का जो भी सिस्टम है वह क्रिप्टो यूनिट एवं क्रिप्टो ओनरशिप के द्वारा ही पता चलता है.
  • Crypto Currency का हर एक ओनरशिप एवं अन्य डिटेल्स क्रिप्टोग्राफ के द्वारा ही का चलता है.

क्रिप्टो कॉइन खरीदने का फायदा

अभी आप में से बहुत लोग Cryptocurrency के बारे में जानने के बाद तुरंत ही क्रिप्टो कॉइन खरीदने के लिए उत्साहित हो गए होंगे। लेकिन हम चाहते हैं आप कोई भी क्रिप्टो कॉइन खरीदने से पहले इसका फायदा क्या है एवं आप कौन सी Crypto Coins खरीदने पर भविष्य में उससे अच्छा खासा लाभ हो सकता है इस विषय में जानना बहुत ही जरूरी है। इस विषय में बातचीत करने से पहले हम आपको दो ऐसे प्लेटफार्म का लिंक दे रहे हैं जिससे आप Zero Extra Charges पर ही कोई भी क्रिप्टो कॉइन खरीद सकते हैं। वह दोनों क्रिप्टो करेंसी खरीदने का प्लेटफार्म का लिंक नीचे दिया गया है –

आप ऊपर दिए गए दोनों में से कोई भी एक क्रिप्टो प्लेटफार्म के द्वारा इंडिया में रहकर ही कोई भी क्रिप्टो कॉइन खरीद सकते हैं, जो आपको भविष्य में अच्छा खासा मुनाफा दे सकता है। हम आशा करते हैं क्रिप्टो करेंसी क्या है इन हिंदी में जानने के बाद आप यह दोनों प्लेटफार्म को जरूर इस्तेमाल करके कोई ना कोई Crypto Coin भविष्य के फायदे के बारे में सोच कर जरूर खरीदेंगे।

भारत में क्रिप्टो करेंसी का भविष्य क्या है?

भारत में Cryptocurrency का भविष्य बहुत बड़ा है क्योंकि आजकल बहुत सारे युवा इस क्रिप्टो करेंसी में बहुत निवेश कर रहे हैं। इस

क्रिप्टो करेंसी कितने प्रकार की होती है?

अभी के टाइम पर क्रिप्टो करेंसी 100 से भी अधिक प्रकार का मार्केट में अवेलेबल है।

क्रिप्टो करेंसी क्या है इन हिंदी में?

Crypto Currency एक डिसेंट्रलाइज्ड बायनरी कोडिंग टेक्नोलॉजी है जिसको हम मनी एक्सचेंज के रूप में यूज करते हैं।

सबसे सस्ती क्रिप्टो करेंसी कौन सी है?

अभी तक का सबसे सस्ता क्रिप्टो करेंसी का नाम है शिबा इनु (Shiba Inu)।

इंडिया की क्रिप्टो करेंसी कौन सी है?

अभी इंडिया की कोई भी क्रिप्टो करेंसी नहीं है क्योंकि इंडिया में Cryptocurrency पूरी तरह से बैन है।

निष्कर्ष

तो आज आप इस लेख में क्रिप्टो करेंसी क्या है इन हिंदी (What Is Cryptocurrency In Hindi) में डिटेल में ज्ञान आ चुके हैं। आशा करता हूं अगर आपके मन में क्रिप्टो करेंसी को लेकर कुछ भी प्रश्न था तो हमारे इस लेख को पढ़ने के बाद वह सारे प्रश्न का उत्तर आपको मिल गया होगा। इसके अलावा भी अगर आपके मन में Crypto Currency को लेकर कुछ भी दुविधा है तो आप नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपना प्रश्न पूछ सकते हैं।

GovtsYojana वेबसाइट में आपका स्वागत है। हम इस वेबसाइट में सरकारी योजना, बिजनेस-लोन, सरकारी नौकरी एवं ट्रेंडिंग टॉपिक्स को लेकर आलोचना करते हैं।

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क्या है DeFi और कैसे करती है काम? जानिए इसके बारे में पूरी डिटेल

Photo Credit - Defi Plateform Photo File

DeFi सिस्टम का पूरा लेनदेन एक एल्गोरिथम बेस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट गैरजरूरी कागजी कार्रवाई को पूरी तरह से हटा देते हैं जिसका उपयोग पारंपरिक समझौते में कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए किया जाता है।

नई दिल्ली, टेक डेस्क। DeFi एक डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा है, जो ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड होती है, जिसमें यूजर्स को क्रिप्टोकरेंसी में उधार लेने और उधार देने की सुविधा मिलती है। जैसा कि नाम से मालूम होता है कि DeFi सदियों पुरानी सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस सुविधा का एक नया ऑप्शन है। जो DeFI के बारे में नहीं जानते हैं उनके लिए, सेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को बैंकिंग सिस्टम से समझा जा सकता है, जो लोगों को अपनी ही संपत्ति पर स्वामित्व और नियंत्रण से प्रतिबंधित रखता है। इस दौरान पिक्चर में DeFI नजर आती है। क्रिप्टो करेंसी के मामले में डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस आपको अपनी संपत्ति पर पूरी तरह का कंट्रोल देता है। मतलब आप किसी भी समय बिना किसी लिमिट और बिना किसी सरकारी संस्था के दखल से उधार लेने, पैसे निकालने, पैसे जमा करने का काम कर सकते हैं।

EasyFi Network के सीओओ और को-फाउंडर अंशुल धर के मुताबिक DeFi के मामले में ध्यान देने की जरूरत है कि डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? इसका एक भी सिंगल आविष्कार मौजूद नहीं है। और ये प्रोडक्ट्स क्रिप्टो में कर्ज और उधार लेने की सुविधा में किसी थर्ड पार्टी के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होती है। DeFi पर ट्रेड के लिए किसी ब्रोकर की जरूरत नहीं होती है।

2. DeFi का महत्व

1. पहला, DeFi लेनेदेन के लिए किसी भी थर्ड पार्टी या फिर ब्रोकर पर भरोसा नहीं करती है, जो बैंकिंग के पारंपरिक तरीकों से पूरी तरह से अलग है। इसका मतलब है कि DeFi सिस्टम में कोई सेंट्रलाइज्ड अथॉरिटी शामिल नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या DeFi के इस्तेमाल को स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट कहा जा सकता है? साधारण शब्दों में कहें, तो DeFi सिस्टम का पूरा लेनदेन एक एल्गोरिथम बेस्ड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर होता है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट गैरजरूरी कागजी कार्रवाई को पूरी तरह से हटा देते हैं जिसका उपयोग पारंपरिक समझौते में कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करने के लिए किया जाता है।

2. दूसरा, फंड्स को तुरंत ट्रांसफर किया जा सकेगा। साथ ही इस लेनदेन की दरें मौजूदा दौर में पुराने बैंकिंग सिस्टम की तुलना में कम से कम होती हैं। हालांकि ब्लॉकचेन नेटवर्क के हिसाब से लेनदेन की लागत अलग-अलग होती है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक डिजिटल रुप से वितरित, डिसेंट्रलाइज्ड, सार्वजनिक खाता बही है, जो एक नेटवर्क पर मौजूद है। सीधे शब्दों में कहें तो, यूजर्स की तरफ से DeFi पर किए जाने वाले सभी लेनदेन एक डेटाबेस में स्टोर होते हैं, जिसे हर कोई देख सकता है। इससे लेनदेन में ज्यादा पारदर्शिता रहती है और यह केंद्रीकृत वित्तीय एजेंसियों की किसी भी दखलंदाजी से अलग होता है।

3. तीसरा, DeFI लोगों को लेनदेन को गुमनाम रखती है। मतलब इसमें बैंक की तरह केवाईसी की जरूरत नहीं होती है। यह यूजर्स को उनके लेनदेन को लेकर सेंस ऑफ प्राइवेसी और सिक्योरिटी मुहैया करता है। आपको बस एक क्रिप्टो वॉलेट चाहिए और आप डेफी प्लेटफॉर्म का उपयोग शुरू कर सकते हैं।

क्या कारण है कि DeFi प्लेटफॉर्म साइबर हमलों के प्रति इतने संवेदनशील हैं? डेफिस पर साइबर हमले कैसे होते हैं?

DeFi में हमेशा एक ओपन सोर्स कोड मौजूद रहता है। मतलब, ये प्रोटोकॉल पढ़े जा सकते हैं। इनमें परिवर्तन किया जा सकता है। साथ ही किसी भी मकसद से आवंटित किए जा सकते हैं। लेकिन साइबर क्रिमिनल इसका फायदा उठा सकते हैं और कोड में खामियों का फायदा उठाकर फ्रॉड की घटनाओं को अंजाम दिया जा सकता है। DeFI प्रोटोकॉल किसी भी सुरक्षा खामियों के लिए जांचे नहीं जा सकते हैं, जिससे हैकर्स को निशाना बनाना आसान हो जाता है।

DeFi पर ज्यादातर दो प्रकार के साइबर हमले होते हैं।

1. साल 2021 में 'Rug Pull' का मामला सामने आया था, जिसमें 36 फीसदी लोगों को 2.8 बिलियन डॉलर (लगभग 280 करोड़ रुपये) से ज्यादा का नुकसान हुआ था। क्रिप्टो करेंसी इंडस्ट्री में एक Rug Pull एक डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? मैलेशियल प्रैक्टिस है, जहां क्रिप्टो डेवलपर्स एक प्रोजेक्ट को छोड़ देते हैं और निवेशकों के फंड लेकर भाग जाते हैं।

2. हैकर्स ने DeFi प्रोटोकॉल में एक बग की पहचान की है, जो सभी क्रिप्टो वॉलेस तक एक्सेस हासिल डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? कर DeFi से पैसे उड़ा ले जाते हैं।

इसके अलावा, DeFi प्लेटफॉर्म पर बाहरी खतरों का रिस्क होता है, जो किसी प्रोजेक्ट के बाहर से उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कि एक पहले के बिजनेस पार्टनर, जिसमें डेटा ब्रीच और कई तरह के स्पेस्लाइज्ड हमले (मेलेशियल) या यहां तक ​​कि तकनीकी कमियां शामिल हैं, जिससे फंड्स तक हैकर्स की पहुंच हो जाती है।

DeFi की सुरक्षा को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है?

किसी भी तरह के DeFi का इस्तेमाल करने से पहले यूजर को हमेशा सुनिश्चित करना चाहिए कि DeFi जिस प्रोटोकॉल का इस्तेमाल कर रही है, वो पूरी तरह से टेस्टेड है या नहीं साथ ही एक प्रतिष्ठित ऑडिटेड एजेंसी की तफ से ऑडिट की गयी है या नहीं। सिक्योरिटी हमेशा से एक अहम मुद्दा रहा है। ऐस में हमेशा ध्यान देना जाना चाहिए कि आपके बैंकिंग पासवर्ड की तरह आपके क्रिप्टो वॉलेट में आपकी क्रिप्टो करेंसी स्टोर है, जिसे एक पर्सनल की यानी कुंजी कहा जाता है, जो आपके पासकोड की तरह होती है। ऐसे में अपना क्रिप्टो वॉलेट पासकोड किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए।

यूजर्स को हमेशा बड़े घाटे से बचने के लिए ऐसी जगह पैसा नहीं निवेश करना चाहिए, जो एक दिन में अचानाक बड़े रिटर्न देते हैं, ऐसी जगह निवेश के ज्यादा खतरे होते हैं। यूजर्स को संभावित हनीपोट्स से दूर रहने की सलाह दी जाती है। जो शुरुआती तौर पर Rug Pull की तरफ संकेत करते हैं। इसके अलावा यूजर्स को किसी भी स्कैम एडवर्टाइज से दूर रहना चाहिए, जो निश्चित ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल होने वाली संपत्ति को ट्रांसफर करने का मौका देते हैं।

कैसे DeFi प्लेटफॉर्म्स को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? सुरक्षित और भरोसेमंद माना जा सकता है?

सिक्योरिटी एक बड़ी चिंता का मुद्दा है। ऐसे में यूजर्स को हमेशा अपनी तरह से जांच करनी चाहिए कि क्या प्रोटोकॉल का लेखा-जोखा सही तरह से जांचा परखा गया है। यूजर्स को हमेशा बेसिक सिक्योरिटी चेक्स को देख लेना चाहिए। कई फ्रॉड में देखा गया है कि नए संभावित सिक्योरिटी चेक्स मौजूद रहे हैं, जो सुरक्षा को बढ़ा भी सकते हैं और नहीं भी और इसे पूरी तरह से देखा जाना चाहिए। टू फैक्टर अथेटिकेशन या फिर दूसरे अथेंटिकेशन डेफी प्रोटोकॉल की ओरे से दी जाने वाली सुरक्षा का निर्धारण करते समय एक अच्छी शुरुआत है।

कैसे EasyFi की तरफ से DeFi प्रोटोकॉल पर मौजूद यूजर्स को सिक्योरिटी और सेफ्टी सुनिश्चित की जा रही है?

EasyFi नेटवर्क अपने यूजर्स के फंड को किसी बाहरी या आंतरिक खतरे से बचाने के लिए प्रोटोकॉल पर एक शानदार सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है। हमने एक लीडिंग साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉकचेन और स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट सिक्योरिटी फर्म हैलबोर्न सिक्योरिटी से स्मार्ट ऑडिट, सिक्योरिटी प्रैक्टिस के लिए फुल टाइम कंसल्टेशन हासिल किया है। इसलिए उनका काम केवल स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट ऑडिट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रोटोकॉल और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? इसके यूजर को उच्च स्तर तक सुरक्षित रखने के लिए हमें नियमित रूप से नई बेस्ट प्रैक्टिस पर सलाह देते हैं।

Blockchain टेक्नोलॉजी क्या है और क्यों है यह क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया का बैकबोन? समझिए

Cryptocurrency शब्द आज के वक्त डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? में बहुत पॉपुलर हो गया है, लेकिन इस कॉन्सेप्ट को पंख लगाने के पीछे Blockchain technology का हाथ है. यह टेक्नोलॉजी क्रिप्टो की दुनिया का बैकबोन है. इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि यह क्या है और कैसे काम करता है.

Blockchain टेक्नोलॉजी क्या है और क्यों है यह क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया का बैकबोन? समझिए

Blockchain Technology पर ही काम करती हैं क्रिप्टोकरेंसीज़. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

चाहे आप फाइनेंशियल इंडस्ट्री में बहुत दिलचस्पी रखते हों या नहीं, आपने क्रिप्टोकरेंसी, जैसे Bitcoin, Ethereum और Dogecoin सहित कई अन्य डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? वर्चुअल करेंसीज़ का नाम जरूर सुना होगा. पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी का क्रेज तेजी से बढ़ा है, लेकिन इस कॉन्सेप्ट के पीछे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) का हाथ है. इस तकनीक की शुरुआत 2008 में सातोषी नाकामोतो नाम के एक शख्स- या कई लोगों- ने की थी. (इसकी शुरुआत करने वाले की असली पहचान अभी तक नहीं पता है.) बिटकॉइन की सफलता के पीछे ब्लॉकचेन तकनीक का बहुत बड़ा हाथ है. ऑनलाइन peer-to-peer नेटवर्क के तहत होने वाले सभी ट्रांजैक्शन को रजिस्टर करने वाला एक डिसेंट्रलाइज्ड लेजर यानी एक विस्तृत विकेंद्रित बहीखाता होता है, जो स्वतंत्र रूप से काम करता है. यह नेटवर्क पर हो रहे हर लेन-देन का हिसाब रखता है.

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ब्लॉकचेन का फंक्शन ऐसा होता है कि यह सिस्टम किसी सेंट्रल अथॉरिटी के नियंत्रण के बिना काम करता है. इससे यूजरों के पास अपने असेट और ट्रांजैक्शन का पूरा नियंत्रण रहता है.

ब्लॉकचेन क्या डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? होता है?

ब्लॉकचेन को समझने के लिए आइए इसकी तुलना डेटाबेस से करके समझते हैं. डेटाबेस किसी भी सिस्टम के इन्फॉर्मेशन का कलेक्शन होता है. जैसे कि मान लीजिए, एक अस्पताल के डेटाबेस में मरीजों की जानकारी होगी, स्टाफ, दवा, मरीजों का आना-जाना वगैरह जैसी सब इस जानकारी डेटाबेस में रहेगी. ब्लॉकचेन भी डेटाबेस जैसा होता है. यह कई कैटेगरीज़ के तहत जानकारी इकट्ठा रखता है. इन ग्रुप्स को ब्लॉक कहते हैंं और ये ब्लॉक कई दूसरे ब्लॉक से जुड़े होते हैं, जो एक तरीके का डेटा का चेन बनाते हैं. इसीलिए इस सिस्टम को ब्लॉकचेन कहते हैं.

Cryptocurrency से पर्यावरण पर क्या पड़ते हैं प्रभाव? क्यों क्रिप्टो माइनिंग पर उठते हैं सवाल? जानें

हालांकि सामान्य डेटाबेस के उलट, ब्लॉकचेन को कोई एक अथॉरिटी कंट्रोल नहीं करती है. इसको डिजाइन ही इस लोकतांत्रिक सोच के तौर पर किया गया था कि इसे इसके यूजर ही चलाएंगे.

ब्लॉकचेन काम कैसे करता है?

सीधा-सीधा समझें तो ब्लॉकचेन डिजिटल बहीखाता है और जो भी ट्रांजैक्शन इसपर होता है, वो चेन में जुड़े हर कंप्यूटर पर दिखाई देता है. इसका मतलब है कि ब्लॉकचेन में कहीं भी कोई ट्रांजैक्शन होता है, तो उसका रिकॉर्ड पूरे नेटवर्क पर दर्ज हो जाएगा. इसे Distributed Ledger Technology (DLT) कहा जाता है.

इसे ट्रांजैक्शन के इस प्रोसेस से समझिए.

1. मान लीजिए किसी क्रिप्टोकरेंसी यूजर ने एक ट्रांजैक्शन किया.

2. इस ट्रांजैक्शन का डेटा चेन पर एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटर्स पर चला जाएगा, और इन्हें कहीं से भी एक्सेस किया जा सकेगा.

3. अगर ट्रांजैक्शन की वैलिडिटी यानी वैधता चेक करनी हो तो एल्गोरिदम से चेक कर लेते हैं.

4. इसकी वैलिडिटी कन्फर्म करने के बाद इस ट्रांजैक्शन के डेटा को पिछले सभी ट्रांजैक्शन के ब्लॉक में ऐड कर देते हैं.

5. यह ब्लॉक दूसरे ब्लॉक्स से जुड़ा होता है, जिससे कि लेज़र में इस ट्रांजैक्शन की जानकारी दर्ज हो जाती है.

इसके फायदे क्या हैं?

सबसे पहले तो इस तकनीक से पारदर्शिता बनी रहती है क्योंकि नेटवर्क पर सबके पास हर रिकॉर्ड का एक्सेस रहता है. और ऊपर से यह एक डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम है यानी कि इसपर किसी एक संस्था या व्यक्ति का कंट्रोल नहीं होता है और कोई एक ही शख्स हर डेटा पर नियंत्रण नहीं रख सकता है.

एनॉनिमस होने के साथ-साथ यह यूजरों को सुरक्षा भी देता है. जैसेकि अगर किसी हैकर को कोई सिस्टम हैक करना है तो उसे पूरे नेटवर्क पर हर ब्लॉक को करप्ट करना होगा. अगर कोई हैकर किसी ब्लॉक को करप्ट करता डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? भी है, तो क्रॉस चेकिंग करके ही उस ब्लॉक की पहचान की जा सकती है, ऐसे में यह चीजें ब्लॉकचेन को सुरक्षित बनाती हैं.

Twitter छोड़ लोग Mastodon का कर रहे हैं यूज, जानिए कैसे करता है काम, बनेगा नया ठिकाना?

Mastodon की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ रही है. ट्विटर डील के बाद से लोग इस प्लेटफॉर्म को छोड़ रहे हैं. Mastodon एक ओपन सोर्स माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट है. ये ट्विटर से थोड़ा अलग है. इसका फंक्शन डिसेंट्रलाइज्ड है. यहां पर इसका यूज करने का पूरा तरीका बता रहे हैं. जानिए क्या है तरीका.

Mastodon तेजी से पॉपुलर हो रहा है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2022,
  • (अपडेटेड 08 नवंबर 2022, 9:48 AM IST)

Elon Musk ने जब से Twitter खरीदा है तब से काफी ज्यादा विवाद हो रहा है. कंपनी खरीदने के बाद वो लगातार नए-नए फैसले ले रहे हैं. इसके अलावा वो कई फीचर्स के लिए चार्ज भी करने वाले हैं. कई लोगों ने इसका विरोध करते हुए ट्विटर को छोड़ दिया है.

लेकिन, सवाल है कि इसका फायदा किस प्लेटफॉर्म को सबसे ज्यादा मिल रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, Mastodon लोगों के बीच पॉपुलर हो रहा है. बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले हफ्ते 2,30,000 नए लोगों ने इस प्लेटफॉर्म को ज्वॉइन किया है.

क्या है Mastodon?

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Mastodon एक ओपन सोर्स माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट है. ये ट्विटर से थोड़ा अलग है. इसका फंक्शन डिसेंट्रलाइज्ड है. इसमें यूजर्स मैनेज्ड सर्वर्स दिए गए हैं. इसमें कई कैटेगरी दिए गए हैं जो कई सर्वर या कम्युनिटी के साथ आते हैं.

लोग अपने इंटरेस्ट के हिसाब से किसी भी सर्वर को ज्वॉइन कर सकते हैं. सभी सर्वर के बारे में डिस्क्रिप्शन दिया जाता है. आप जनरल कैटेगरी या दूसरी किसी कैटेगरी के सर्वर को अपनी पसंद के अनुसार सेलेक्ट कर सकते हैं. ऐप में आपको पता चल जाएगा कितने लोगों ने अपने विचारों को शेयर करने के लिए सर्वर को ज्वॉइन किया है. इससे आप समझ पाएंगे कि किसी खास सर्वर पर कितने लोग मौजूद है.

Mastodon में कैसे करें लॉगिन?

ऐप इंस्टॉल होने के बाद आपको Get started पर क्लिक करना होगा. इसके बाद सर्वर सेलेक्ट करें. प्लेटफॉर्म के रूल को एक्सेप्ट करने के बाद आप अपनी आईडी क्रिएट कर सकते हैं. इसके लिए आपको ईमेल की जरूरत होगी.

ऐसे करें यूज

Mastodon का इस्तेमाल करना काफी आसान है. आप एडिट डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? बटन पर क्लिक करके कुछ भी पोस्ट कर सकते हैं. इसके लिए आपको केवल मैसेज को टाइप करना है और पब्लिश बटन पर क्लिक करना है. यहां पर रिट्वीट को reblogged जबकि लाइक्स को फेवरेट कहा जाता है.

यूजर्स फॉलो किए गए यूजर्स के कंटेंट को देख सकते हैं. इसके अलावा वो किसी को प्लेटफॉर्म पर सर्च भी कर सकते हैं. ट्विटर की तरह ही आप इस पर पोस्ट देख सकते हैं. यहां पर कैरेक्टर लिमिट 5000 पर पोस्ट है. इस वजह से आप आसानी से अपनी पूरी बात यहां कह सकते हैं.

जानिए क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, जिसे मुकेश अंबानी ने बताया क्रिप्टो के मुकाबले भरोसेमंद

एक फिनटेक इवेंट में बात करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने कहा कि क्रिप्टो के मुकाबले ब्लॉकचेन बहुत अलग टेक्नोलॉजी है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 03, 2021 18:00 IST

मुकेश अंबानी ने. - India TV Hindi News

मुकेश अंबानी ने क्रिप्टो की बजाए ब्लॉकचेन पर जताया भरोसा, जानिए क्या है यह टेक्नोलॉजी

Highlights

  • अंबानी के मुताबिक क्रिप्टो के मुकाबले ब्लॉकचेन एक भरोसेमंद तकनीक है
  • ब्लॉकचेन के साथ हम लगभग किसी भी लेनदेन को सुरक्षित बना सकते हैं
  • ब्लॉकचेन में एक बार जो डेटा रिकॉर्ड कर लिया जाता है, उसे बदला नहीं जा सकता

भारत में इस समय क्रिप्टो करेंसी को लेकर काफी हलचल है। सरकार द्वारा इस पर बैन लगाने की खबरें आ रही हैं। इस बीच देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी ने क्रिप्टो को लेकर बड़ा बयान दिया है। अंबानी के मुताबिक क्रिप्टो के मुकाबले ब्लॉकचेन एक भरोसेमंद तकनीक है और एक स्थाई समाज में इसका बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।

एक फिनटेक इवेंट में बात करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने कहा कि क्रिप्टो के मुकाबले ब्लॉकचेन बहुत अलग टेक्नोलॉजी है। अंबानी ने कहा, ”ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें मैं भरोसा करता हूं। ये क्रिप्टो से बहुत अलग है। यहां ऐसे स्मार्ट टोकन हैं जो सुनिश्चित करते हैं कि आप ऐसे लेनदेन कर रहे हैं जिन्हें बदला नहीं जा सकता है।

मुकेश अंबानी ने कहा, “ब्लॉकचेन के साथ हम लगभग किसी भी लेनदेन को सुरक्षित बना सकते हैं। अंबानी ने कहा, “ब्लॉकचेन का उपयोग हमारी सप्लाई चेन को आधुनिक बनाने के लिए किया जा सकता है जो हमारी अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा बनाते हैं।”

क्या है ब्लॉकचेन

ब्लॉकचेन को आसान भाषा में ऐसे समझें कि ये कई सारे ब्लॉक की एक चेन होती है और हर एक ब्लॉक में कई सारे महत्वपूर्ण डेटाबेस इकट्ठे किए जाते हैं। जब एक ब्लॉक में काफी डेटा इकट्ठा हो जाता है तो ये अगले ब्लॉक में इकट्ठा होने लगती है और ऐसे ही ब्लॉक की चेन बनती चली जाती है। ब्लॉकचेन की एक खास बात ये है कि इसमें एक बार जो डेटा रिकॉर्ड कर लिया जाता है, उसे बदला नहीं जा सकता। ब्लॉकचेन पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड होती है, जिसकी वजह से इसे कोई एक व्यक्ति या संस्था कंट्रोल नहीं कर सकती है। यही वजह है कि इसमें धोखाधड़ी की संभावना समाप्त हो जाती है।

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