IPO क्या होता है?

क्या होता है IPO और कोई भी कंपनी क्यों लाती है IPO?
आज के समय में Stock Market को लेकर क्रेज काफी बढ़ गया है। खासतौर पर अधिकतर युवा इसमें पैसा Invest कर रहे हैं। अक्सर Share Market को काफी रिस्की माना जाता है। हालांकि इस रिस्क को अच्छी रिसर्च के द्वारा काफी कम किया जा सकता है। इसलिए ये जरूरी है कि Stock Market में कदम रखने से पहले आप इसको लेकर स्टडी कर लें और कुछ बेसिक बातों को अच्छी तरह से जान लें। Stock Market में आपने IPO का जिक्र सुना ही होगा। विभिन्न कंपनियां समय-समय पर अपना IPO लेकर आती हैं और लोग उसमें अपना पैसा लगाते हैं।अगर आप इस क्षेत्र में नए हैं और Stock Market में पैसा लगाना चाहते हैं, तो इस वीडियो के माध्यम से जानिए क्या होता है IPO और इसमें Investment करने का तरीका क्या है?
जब कोई कंपनी पहली बार Stock Market में अपने शेयर लेकर आती है तो इसे IPO यानी Initial Public Offering कहा जाता है। जब इन कंपनियों को फंड की जरूरत होती है तो ये खुद को Stock Market में लिस्ट करवाती हैं और इसका पहला चरण IPO होता है। IPO जारी करने के बाद कंपनी Stock Market में लिस्टेड हो जाती है। इसके बाद Investors उसके Shares को खरीद और बेच सकते हैं।
IPO में Investment करने के लिए आपके पास Demat Account का होना बहुत जरूरी है। Demat Account आप किसी ब्रोकिंग फर्म से खोल सकते हैं। कई ब्रोकिंग फर्म Demat Account के लिए फीस चार्ज करते हैं लेकिन 5paisa एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां पर आप बिना कोई एक्स्ट्रा फी दिए, अपने Demat Account के साथ-साथ Trading Account भी खोल सकते हैं और Shares, Mutual Funds, Insurance और यहां तक की गोल्ड में भी Invest कर सकते हैं। इसके साथ ही और भी कई ऑफर्स हैं जिसका फायदा आपको सिर्फ 5paisa पर मिलेगा। अगर आप भी IPO में Invest करना चाहते हैं तो आज ही visit कीजिये 5paisa.com, आपको बता दें कि 5paisa पर आपकी रिसर्च के लिए कई टूल्स व एक्सपर्ट्स भी उपलब्ध हैं जो आपके investment की Journey को और भी आसान बनाते हैं।
क्या है IPO, जिसमें निवेश कर पा सकते हैं मल्टीबैगर रिटर्न
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। जब भी कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर, मार्केट में लाती है तो इस प्रक्रिया को IPO यानी इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते हैं। इस प्रक्रिया में निवेशक सीधे कंपनी से शेयर्स खरीदते हैं। जिसके बाद ये शेयर्स बाजार में आ जाते हैं जहां पर निवेशक दूसरे निवेशकों से इन्हें खरीदते व बेचते हैं। किसी निवेशक के लिए IPO काफी फायदे का सौदा हो सकते हैं, लेकिन उससे पहले IPO की पूरी प्रक्रिया को जानना बेहद आवश्यक है।
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चलिए जानते हैं IPO क्या है?
जिस तरह मार्केट में विभिन्न प्रोडक्ट को लॉन्च किया जाता है, उसी तरह स्टॉक्स भी लॉन्च होते हैं, जहां कंपनी पहली बार अपना नाम स्टॉक मार्केट में लिस्ट करवाती है, जिससे रिटेल इंनवेस्टर्स के लिए कंपनी में निवेश करने का रास्ता खुल जाता है। इसी प्रक्रिया को IPO यानी Initial Public Offering कहते हैं।
कोई कंपनी IPO लेकर क्यों आती है?
जब कंपनी को ग्रोथ के लिए या यूं कहें कंपनी के विस्तार के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होती है, तब वह पहली बार स्टॉक मार्केट में इंटर करती है और पब्लिक से पैसा रेज करती है और बदले में IPO क्या होता है? वह पब्लिक के लिए शेयर जारी करती है।
आपके दिमाग में सवाल आएगा कि अगर कंपनी को पैसे की जरूरत है, तो वो बैंक से भी लोन ले सकती है। तो इसका IPO क्या होता है? जवाब है कि बैंक लोन का ब्याज दर आमतौर पर अधिक होता है। दूसरी ओर अगर कंपनी IPO लेकर आती है तो इससे उसे एक लम्पसम फंड प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग कामों के लिए किया जा सकता है जैसे कम्पनी का कर्ज चुकाना, रिसर्च ऐंड डेवलेपमेंट, बिजनेस को आगे बढ़ाना आदि।
IPO में निवेश करने के फायदे
IPO में निवेश करना अक्सर कई निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद रहता है। इसमें रिटेल निवेशकों को शुरुआत में high growth potential वाली कंपनी में निवेश करने की सुविधा मिलती है। इसके जरिए आप कम दाम में शेयर खरीद सकते हैं और बड़े रिटर्न कमा सकते हैं। अगर कोई रिटेल निवेशक का स्टॉक मार्केट में नॉन-लिस्टेड किसी कंपनी की फ्यूचर ग्रोथ पर पूरा भरोसा है और वह उसमें निवेश करना चाहता है, तो वह जरूर उसके IPO का इंतजार करेगा।
आईपीओ क्या है, आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान देने वाले बातें
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) क्या है?
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग एक प्रक्रिया है जिसमें एक कंपनी पहली बार अपनी शेयर्स स्टॉक मार्केट में जनता को, फंड जुटाने के लिए ऑफर करती है।
एक आईपीओ में, इंस्टीटूशन्स और साथ ही रिटेल इन्वेस्टर्स, दोनों भाग ले सकते हैं और इस कारण से, इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इंवेस्टमेंट्स, इन्वेस्टर्स द्वारा काफी उत्साह से देखा जाता है ।
स्टॉक की कीमत आईपीओ के दौरान इश्यू सेल द्वारा निर्धारित की जाती है, जो ऊपर या नीचे जा सकती है और यह कंपनी के स्टॉक में इन्वेस्टर्स की रुचि (इंटरेस्ट) पर निर्भर करती है।
साल 2021 के दौरान, भारत IPO क्या होता है? में विभिन कंपनियों ने 1.2 लाख करोड़ रूपए का रिकॉर्ड पैसा आईपीओ के द्वारा स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टर्स से उठाएं थें। जो की भारत में किसी एक कैलेंडर साल में अब तक का, आईपीओ से उठाये गए सबसे बड़ा अमाउंट है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के डेटा के अनुसार, साल 2021 में कुल मिला कर 115 कंपनियों ने SEBI के पास अप्रूवल के लिए अपने डाक्यूमेंट्स जमा दिए थें। इनमे से 63 इंडियन कंपनियों ने साल 2021 में आईपीओ स्टॉक मार्केट में लॉन्च किये थें।
IPO में उपयोग की जाने वाली प्रमुख टर्म्स।
नीचे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इस्तेमाल किये जाने बाले टर्म्स दिए गएँ हैं जिनका उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब हम आईपीओ पर चर्चा या उसकी एनालिसिस करते हैं:
- Abridgedप्रॉस्पेक्टस – यह आईपीओ प्रॉस्पेक्टस का समरी है जिसमें प्राइमरी प्रॉस्पेक्टस की सभी मुख्य विशेषताएं शामिल हैं।
- Draft Red Herring Prospectus,ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) – यह डॉक्यूमेंट सिक्योरिटीज & एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) को, कंपनी द्वारा आईपीओ के 21 दिन पहले जमा किया जाना चाहिए।
- एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) – इसमें इन्वेस्टर्स द्वारा शेयरों के लिए पेमेंट किया गया पैसा इन्वेस्टर्स के खाते में रहता है। जब तक इन्वेस्टर्स को कंपनी द्वारा शेयर अल्लोट नहीं किए जाते तब तक अमाउंट ब्लॉक्ड रहता है।
- रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस -इस डॉक्यूमेंट में वे सभी इनफार्मेशन शामिल हैं जो इन्वेस्टर्स को कंपनी के बारे में जानना चाहिए, जैसे कि कंपनी का बिज़नेस अकाउंट, मैनेजमेंट क्वॉलिफिकेशन्स (Management Qualifications ), बिज़नेस का फ्यूचर एप्रोच, आईपीओ प्राइस IPO क्या होता है? बैंड, आदि।
- लिस्टिंग डेट, लिस्टिंग की तारीख – यह वह दिन है जिस दिन स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ शेयरों का कारोबार शुरू होता है।
- लॉट साइज – शेयरों की मिनिमम संख्या जिसके लिए आईपीओ में बोली लगाई जा सकती है। यदि आप अधिक शेयरों के लिए बोली लगाना चाहते हैं, तो आप मल्टीप्लेस में बोली लगा सकते हैं।
- ऑफर डेट,ऑफर की तारीख – यह वह शुरुआती तारीख होती है जिस दिन से इन्वेस्टर्स आईपीओ में शेयरों के लिए बोली लगाना शुरू कर सकते हैं।
- मिनमम सब्सक्रिप्शन (Minimum Subscription) – यह आईपीओ शेयरों का मिनिमम प्रोपोरशन है जिसे रिटेल इन्वेस्टर्स को आईपीओ के लिए सब्सक्राइब करना चाहिए, जो कि कर्रेंटली 90% है।
- ओवर सब्सक्राइब – यह तब होता है जब इन्वेस्टर्स, कंपनी द्वारा प्रोपोसड शेयरों की संख्या से अधिक बोली लगाते हैं।
- प्राइस बैंड – यह वह मूल्य लिमिट है जिसके अंदर इन्वेस्टर आईपीओ शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं।
- बुक बिल्डिंग प्रोसेस – यह आईपीओ के लिए इश्यू प्राइस तय करने की प्रोसेस है जो इन्वेस्टर्स द्वारा बोली लगाने वाली कीमतों पर निर्भर करती है।
- फ्लोर प्राइस – यह आईपीओ के लिए आवेदन करते समय प्रति शेयर का सबसे कम कीमत है। इश्यू प्राइस- यह वह कीमत है जिस पर शेयर, एक्सचेंज में लिस्टेड होने पर इन्वेस्टर्स को अलॉट किया जाता है।
- कट-ऑफ प्राइस – यह सबसे कम इशू प्राइस है, जिस पर शेयर्स आल्लोट किए जाते हैं।
- अंडरराइटर (underwriter) – वे इन्वेस्टमेंट बैंकर्स हैं जो कंपनी की इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग और बुक बिल्डिंग प्रोसेस मैनेज करते है।
आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले, नीचे दिए गए कुछ विशेष बातों को चेक करें।
रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस पढ़ें:
ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस एक कंपनी द्वारा सेबी (SEBI) के पास जमा किया जाता है जब वह जनता को अपने शेयर बेचकर धन जुटाना चाहती है।
यह डॉक्यूमेंट बताता है कि कंपनी कैसे, जुटाई जाने वाली जनता के पैसे का उपयोग करना चाहती है, और इन्वेस्टर्स के लिए पॉसिबल रिस्क्स क्या हैं। DRHP में कंपनी के बारे में वह सब कुछ लिखा होता है जो एक इन्वेस्टर को कंपनी के बारे में पता होना चाहिए। जैसे फाइनेंसियल हिस्ट्री, कंपनी का स्ट्रेंथ, रिस्क, कंपनी के विरुद्ध कोई कानूनी प्रक्रिया चल रही है या नहीं, आदि। इस लिए, इन्वेस्टर्स को किसी भी आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले इस डॉक्यूमेंट को पढ़ना चाहिए ।
फण्ड जुटाने के पीछे कारण:
ध्यान दें कि यह जांचना आवश्यक है कि कंपनी द्वारा IPO से जुटाई गई फंड्स का उपयोग कैसे किया जाएगा।
यह भी जांचना चाहिए कि क्या कंपनी अपना कर्ज चुकाना चाहती है या अगर कंपनी व्यवसाय का एक्सपेंशन करने या कॉरपोरेट कारण के लिए फंड्स का उपयोग करने के लिए फंड्स जुटाने की योजना बना रही है।
ऑफर फॉर सेल भी शेयर बाजार से पैसे जुटाने का एक तरीका है। । उठाए गए धन उन प्रमोटरों के पास जाएंगे जो अपने शेयर बेच रहे हैं।
बिजनेस मॉडल को समझना:
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इन्वेस्ट करने से पहले इन्वेस्टर्स को यह समझना चाहिए कि कंपनी का किस तरह का बिजनेस मॉडल है।
एक बार जब वे समझ जाते हैं कि कंपनी किस तरह के व्यवसाय में है, तो अगला कदम बज़ार में नए अवसर को पहचानना है।
यह इंडीकेट करेगा कि क्या बड़ा अवसर आने पर कंपनी क्षमता विस्तार (capacity expansion) में इन्वेस्ट करने में सक्षम होगी और अपने इन्वेस्टर्स को प्रॉफिट का शेयर देने के लिए पर्याप्त धन जेनेरेट कर पाएगी? यह तभी हो पायेगा जब कंपनी की मार्केट शेयर पर कब्जा करने की क्षमता हो।
अगर कंपनी का बिज़नेस एक्टिविटी (गतिविधियां) इन्वेस्टर्स के पास साफ नहीं है, तो उन्हें उस कंपनी के आईपीओ से दूर रहना चाहिए।
- मैनेजमेंट और प्रमोटर्स के बैकग्राउंड चेक करें ।
- DRHP के माध्यम से कंपनी के ताकत और कमजोरी को जाने
- कंपनी के वैल्यूएशन को चेक करें।
उससे यह पता लगेगा की कहीं कंपनी जिस सेक्टर में है उसकी तुलना में ऑफर प्राइस अंडर वैल्यूड या ओवर वैल्यूड तो नहीं है।
आईपीओ क्या है, आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले ध्यान देने वाले बातें
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) क्या है?
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग एक प्रक्रिया है जिसमें एक कंपनी पहली बार अपनी शेयर्स स्टॉक मार्केट में जनता को, फंड जुटाने के लिए ऑफर करती है।
एक आईपीओ में, इंस्टीटूशन्स और साथ ही रिटेल इन्वेस्टर्स, दोनों भाग ले सकते हैं और इस कारण से, इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इंवेस्टमेंट्स, इन्वेस्टर्स द्वारा काफी उत्साह से देखा जाता है ।
स्टॉक की कीमत आईपीओ के दौरान इश्यू सेल द्वारा निर्धारित की जाती है, जो ऊपर या नीचे जा सकती है और यह कंपनी के स्टॉक में इन्वेस्टर्स की रुचि (इंटरेस्ट) पर निर्भर करती है।
साल 2021 के दौरान, भारत में विभिन कंपनियों ने 1.2 लाख करोड़ रूपए का रिकॉर्ड पैसा आईपीओ के द्वारा स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टर्स से उठाएं थें। जो की भारत में किसी एक कैलेंडर साल में अब तक का, आईपीओ से उठाये गए सबसे बड़ा अमाउंट है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के डेटा के अनुसार, साल 2021 में कुल मिला कर 115 कंपनियों ने SEBI के पास अप्रूवल के लिए अपने डाक्यूमेंट्स जमा दिए थें। इनमे से 63 इंडियन कंपनियों ने साल 2021 में आईपीओ स्टॉक मार्केट में लॉन्च किये थें।
IPO में उपयोग की जाने वाली प्रमुख टर्म्स।
नीचे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इस्तेमाल किये जाने बाले टर्म्स दिए गएँ हैं जिनका उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब हम आईपीओ पर चर्चा या उसकी एनालिसिस करते हैं:
- Abridgedप्रॉस्पेक्टस – यह आईपीओ प्रॉस्पेक्टस का समरी है जिसमें प्राइमरी प्रॉस्पेक्टस की सभी मुख्य विशेषताएं शामिल हैं।
- Draft Red Herring Prospectus,ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) – यह डॉक्यूमेंट सिक्योरिटीज & एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) को, कंपनी द्वारा आईपीओ के 21 दिन पहले जमा किया जाना चाहिए।
- एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (ASBA) – इसमें इन्वेस्टर्स द्वारा शेयरों के लिए पेमेंट किया गया पैसा इन्वेस्टर्स के खाते में रहता है। जब तक इन्वेस्टर्स को कंपनी द्वारा शेयर अल्लोट नहीं किए जाते तब तक अमाउंट ब्लॉक्ड रहता है।
- रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस -इस डॉक्यूमेंट में वे सभी इनफार्मेशन शामिल हैं जो इन्वेस्टर्स को कंपनी के बारे में जानना चाहिए, जैसे कि कंपनी का बिज़नेस अकाउंट, मैनेजमेंट क्वॉलिफिकेशन्स (Management Qualifications ), बिज़नेस का फ्यूचर एप्रोच, आईपीओ प्राइस बैंड, आदि।
- लिस्टिंग डेट, लिस्टिंग की तारीख – यह वह दिन है जिस दिन स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ शेयरों का कारोबार शुरू होता है।
- लॉट साइज – शेयरों की मिनिमम संख्या जिसके लिए आईपीओ में बोली लगाई जा सकती है। यदि आप अधिक शेयरों के लिए बोली लगाना चाहते हैं, तो आप मल्टीप्लेस में बोली लगा सकते हैं।
- ऑफर डेट,ऑफर की तारीख – यह वह शुरुआती तारीख होती है जिस दिन से इन्वेस्टर्स आईपीओ में शेयरों के लिए बोली लगाना शुरू कर सकते हैं।
- मिनमम सब्सक्रिप्शन (Minimum Subscription) – यह आईपीओ शेयरों का मिनिमम प्रोपोरशन है जिसे रिटेल इन्वेस्टर्स को आईपीओ के लिए सब्सक्राइब करना चाहिए, जो कि कर्रेंटली 90% है।
- ओवर सब्सक्राइब – यह तब होता है जब इन्वेस्टर्स, कंपनी द्वारा प्रोपोसड शेयरों की संख्या से अधिक बोली लगाते हैं।
- प्राइस बैंड – यह वह मूल्य लिमिट है जिसके अंदर इन्वेस्टर आईपीओ शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं।
- बुक बिल्डिंग प्रोसेस – यह आईपीओ के लिए इश्यू प्राइस तय करने की प्रोसेस है जो इन्वेस्टर्स द्वारा बोली लगाने वाली कीमतों पर निर्भर करती है।
- फ्लोर प्राइस – यह आईपीओ के लिए आवेदन करते समय प्रति शेयर का सबसे कम कीमत है। इश्यू प्राइस- यह वह कीमत है जिस पर शेयर, एक्सचेंज में लिस्टेड होने पर इन्वेस्टर्स को अलॉट किया जाता है।
- कट-ऑफ प्राइस – यह सबसे कम इशू प्राइस है, जिस पर शेयर्स आल्लोट किए जाते हैं।
- अंडरराइटर (underwriter) – वे इन्वेस्टमेंट बैंकर्स हैं जो कंपनी की इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग और बुक बिल्डिंग प्रोसेस मैनेज करते है।
आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले, नीचे दिए गए कुछ विशेष बातों को चेक करें।
रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस पढ़ें:
ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस एक कंपनी द्वारा सेबी (SEBI) के पास जमा किया जाता है जब वह जनता को अपने शेयर बेचकर धन जुटाना चाहती है।
यह डॉक्यूमेंट बताता है कि कंपनी कैसे, जुटाई जाने वाली जनता के पैसे का उपयोग करना चाहती है, और इन्वेस्टर्स के लिए पॉसिबल रिस्क्स क्या हैं। DRHP में कंपनी के बारे में वह सब कुछ लिखा होता है जो एक इन्वेस्टर को कंपनी के बारे में पता होना चाहिए। जैसे फाइनेंसियल हिस्ट्री, कंपनी का स्ट्रेंथ, रिस्क, कंपनी के विरुद्ध कोई कानूनी प्रक्रिया चल रही है या नहीं, आदि। इस लिए, इन्वेस्टर्स को किसी भी आईपीओ में इन्वेस्ट करने से पहले इस डॉक्यूमेंट को पढ़ना चाहिए ।
फण्ड जुटाने के पीछे कारण:
ध्यान दें कि यह जांचना आवश्यक है कि कंपनी द्वारा IPO से जुटाई गई फंड्स का उपयोग कैसे किया जाएगा।
यह भी जांचना चाहिए कि क्या कंपनी अपना कर्ज चुकाना चाहती है या अगर कंपनी व्यवसाय का एक्सपेंशन करने या कॉरपोरेट कारण के लिए फंड्स का उपयोग करने के लिए फंड्स जुटाने की योजना बना रही है।
ऑफर फॉर सेल भी शेयर बाजार से पैसे जुटाने का एक तरीका है। । उठाए गए धन उन प्रमोटरों के पास जाएंगे जो अपने शेयर बेच रहे हैं।
बिजनेस मॉडल को समझना:
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग में इन्वेस्ट करने से पहले इन्वेस्टर्स को यह समझना चाहिए कि कंपनी का किस तरह का बिजनेस मॉडल है।
एक बार जब वे समझ जाते हैं कि कंपनी किस IPO क्या होता है? तरह के व्यवसाय में है, तो अगला कदम बज़ार में नए अवसर को पहचानना है।
यह इंडीकेट करेगा कि क्या बड़ा अवसर आने पर कंपनी क्षमता विस्तार (capacity expansion) में इन्वेस्ट करने में सक्षम होगी और अपने इन्वेस्टर्स को प्रॉफिट का शेयर देने के लिए पर्याप्त धन जेनेरेट कर पाएगी? यह तभी हो पायेगा जब कंपनी की मार्केट शेयर पर कब्जा करने की क्षमता हो।
अगर कंपनी का बिज़नेस एक्टिविटी (गतिविधियां) इन्वेस्टर्स के पास साफ नहीं है, तो उन्हें उस कंपनी के आईपीओ से दूर रहना चाहिए।
- मैनेजमेंट और प्रमोटर्स के बैकग्राउंड चेक करें ।
- DRHP के माध्यम से कंपनी के ताकत और कमजोरी को जाने
- कंपनी के वैल्यूएशन को चेक करें।
उससे यह पता लगेगा की कहीं कंपनी जिस सेक्टर में है उसकी तुलना में ऑफर प्राइस अंडर वैल्यूड या ओवर वैल्यूड तो नहीं है।
LIC IPO: क्या होता है IPO और इसका उद्देश्य?
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का IPO (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) आम लोगों के लिए आज से खुल गया है। सरकार इस IPO के जरिये LIC का 3.5 प्रतिशत हिस्सा बेचकर 21,000 करोड़ रुपये जुटाएगी और ये भारत का अब तक का सबसे बड़ा IPO IPO क्या होता है? माना जा रहा है। पहले LIC के पांच प्रतिशत हिस्से को बेचा जाना था, लेकिन बाद में इसे घटा कर 3.5 फीसदी कर दिया गया। आइए जानें क्या है IPO और इसका उद्देश्य।
जब किसी कंपनी के द्वारा सामान्य स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी किया जाता है तो उसे IPO या सार्वजनिक प्रस्ताव कहते हैं। व्यापार में पूंजी को बढ़ाने के लिए छोटी, नई और निजी-स्वामित्व वाली कंपनियां अपने शेयर को बेचती हैं। किसी कंपनी को IPO जारी करने के दो कारण पूंजी इकट्ठा करना और पूर्व निवेशकों को सशक्त करना होता है। ये दो तरह- फिक्स्ड प्राइस और बुक बिल्डिंग IPO होते हैं।
IPO जारी करने से पहले कंपनी इनवेस्टमेंट बैंक के साथ मिलकर इसके प्राइस के बारे में चर्चा करती है, जिसके बाद एक प्राइस निर्धारित किया जाता है। इस निर्धारित प्राइस पर ही निवेशक IPO को खरीद सकते हैं। जिसे फिक्स प्राइस IPO कहते हैं।
इनवेस्टमेंट बैंक के साथ कंपनी IPO का एक प्राइस बैंड निर्धारित करती है, जिसके बाद IPO जारी किया जाता है। निर्धारित किए गए प्राइस बैंड में से इनवेस्टर अपनी बिड सब्सक्राइब करते हैं। प्राइस बैंड में दो तरह के प्राइस होते हैं। पहला फ्लोर प्राइस, जिसमें IPO का प्राइस कम होता है। दूसरा कैप प्राइस, जिसमें IPO का प्राइस ज्यादा होता है। बता दें कि फ्लोर प्राइस और कैप प्राइस के बीच 20 फीसदी का अंतर रखा जाता है।
इनवेस्टमेंट बैंक के साथ मिलकर LIC के IPO का प्राइस बैंड 902-949 रुपये प्रति इक्विटी शेयर निर्धारित किया गया है। एक निवेशक अधिकतम 14 लॉट खरीद सकता है। बता दें कि एक लॉट में 15 शेयर होंगे। पहले दो घंटे में 4,38,01,575 शेयरों के साथ 27 फीसदी IPO सब्सक्राइब किया गया है। LIC पॉलिसीधारकों को 60 रुपये की छूट मिलने से रिजर्व कैटगरी में इसे 94 फीसदी बोलियां मिल चुकी हैं।
बता दें, लगभग छह लाख करोड़ रुपये की कीमत वाली LIC का IPO भारत के इतिहास का सबसे बड़ा IPO होगा। इससे पहले ये रिकॉर्ड पेटीएम के नाम था जिसने 2021 में 18,300 करोड़ रुपये में अपना IPO बाजार में उतारा था।