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ईश्वर के दलाल

ईश्वर के दलाल
इस अवस्था में या तो आप बेहद दरिद्र होंगे या इतने धनवान कि भगवान का अस्तित्व ही भूल जाएंगे. आपकी आंखों पर मोह माया की पट्टी बंध जाएगी. और यदि आप इस मोह माया में उलझ जाते हैं तो भगवान के प्रति इस परीक्षा में आप निश्चित रूप से फेल हो जाएंगे.

संत पापाः प्रार्थना तृत्वमय ईश्वर से मिलन

वाटिकन सिटी, बुधवार, 03 मार्च 2021 (रेई) प्रार्थना पर अपनी धर्मशिक्षा माला की यात्रा में हम आज और आने वाला सप्ताह इस बात पर गौर करेंगे की प्रार्थना येसु में, हमें कैसे तृत्वमय ईश्वर के दलाल ईश्वर, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा ईश्वर हेतु खोलता है, जो प्रेम के अथाह सागर हैं। ये येसु ख्रीस्त हैं जो हमारे लिए स्वर्ग को खोलते और ईश्वर के संग एक संबंध स्थापित करने में हमारी मदद करते हैं। सुसमाचार लेखक प्रेरित योहन अपने सुसमाचार की प्रस्तावना के अंत में इस बात पर बल देते हैं, “किसी ने ईश्वर को नहीं देखा है, पिता की गोद में रहने वाले एकलौते, पुत्र ने उसे प्रकट किया है” (यो.1.18)। हम वास्तव में नहीं जानते कि प्रार्थना कैसी करनी चाहिए, कौन से शब्द, अनुभव और भाषा हमारे द्वारा ईश्वर के लिए उचित होंगे। इस याचना में हम शिष्यों को अपने गुरू से प्रार्थना करने हेतु सीखलाने की बात सुनते ईश्वर के दलाल हैं, जिसे हमने कई बार धर्मशिक्षा के दौरान दुहराया है, जिसमें हम मानवीय ईश्वर के दलाल लड़खड़ाहट, निरंतर प्रयास, बहुत बार असफलता को पाते हैं जहाँ हम सृष्टिकर्ता से निवेदन करते हैं,“प्रभु, हमें प्रार्थना करना सिखलाईये” (लूका. 11.1)।

शतपति, हमारी प्रार्थना के व्यक्तकर्ता

संत पापा कहते हैं कि लेकिन हमारी प्रार्थना की दरिद्रता रोमी शतपति के होठों से अभिव्यक्त होती है जो अपने बीमार सेवक की चंगाई हेतु येसु ईश्वर के दलाल से निवेदन करता है (मत्ती.8.5-13)। वह अपने को एकदम अयोग्य समझता है, वह यहूदी नहीं अपितु एक सैन्य अधिकारी था। लेकिन उसे अपने ईश्वर के दलाल सेवा की चिंता होती है वह कहता है,“प्रभु मैं इस योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे घर आयें लेकिन केवल एक ही शब्द कह दीजिए और ईश्वर के दलाल मेरा सेवक चंगा हो जायेगा”(8)। इस प्रार्थना को हम अपने प्रतिदिन के यूख्ररिस्तीय धर्मविधि में दुहराते हैं। ईश्वर के साथ वार्ता करना एक कृपा है हम इसके योग्य नहीं हैं, हमें इसका कोई अधिकार नहीं है, हम अपने हर शब्द और विचार में “लगड़ा” जाते हैं. । लेकिन येसु ख्रीस्त एक द्वार हैं जो अपने को खोलते हैं।

मानवता जाति को ईश्वर क्यों प्रेम करते हैं इसका कोई विशेष कारण नहीं है, इसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है. यहाँ तक की बहुत से पौराणिक कथाएं इसकी संभावनाओं पर चिंतन नहीं करते हैं कि क्यों ईश्वर मानव जाति की चिंता करते हैं। इसके विपरीत हम मानव को बेफ्रिक और परेशान करने वालों के रुप में पाते हैं जो पूरी तरह चिंताहीन है। हम अपने लोगों के बीच ईश्वर की निकटता के बारे में सोचें जो विधि-विवरण ग्रंथ में व्यक्त किया गया है,“कौन ईश्वर ईश्वर के दलाल अपने लोगों के करीब हैं, जितना मैं तुम्हारे करीब हूँ।” ईश्वर की यह निकटता हमारे लिए रहस्योउद्भेदन है। कुछ दर्शनशस्त्री कहते हैं कि ईश्वर केवल अपने बारे में सोच सकते हैं। केवल हम मानव ईश्वर को विश्वास दिलाने की कोशिश करते और उनकी निगाहों में अच्छा होने का प्रयास करते हैं। अतः “धर्म” का कार्य, बलिदान की यात्रा और चढ़ावे के थाल की बारंबारता द्वारा चुपचाप और उदासीन रहने वाले ईश्वर को रिझाने का प्रयास है। यहाँ हम वार्ता को नहीं पाते हैं। केवल येसु में, केवल रहस्य के उद्भेदन में ईश्वर को हम मूसा और येसु में अभिव्यक्त पाते हैं। हम धर्मग्रंथ बाईबल में ईश्वर को मानव के साथ वार्ता करते हुए पाते हैं।

8 संकेत जिनसे पता चलता है कि ईश्वर आपके साथ है या नहीं?

मित्रों ईश्वर का साथ कौन नहीं चाहता? सभी लोगों की परम इच्छा होती है कि ईश्वर का हाथ उन पर सदा बना रहे. ईश्वर सभी प्राणियों से प्रेम करते हैं लेकिन कभी-कभार हमारे जीवन में ऐसी स्थिति आ जाती है कि हमें मन में संशय हो जाता है कि आखिर ईश्वर हमारे साथ है या नहीं? आज हम ऐसे ही संकेतों के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनसे पता चलता है कि ईश्वर आपके साथ है या नहीं.

जानिए ऐसे संकेत कौन-कौन से है?

1-आप जो भी करेंगे उसमें विफलता प्राप्त होगी- जी हां यदि ईश्वर आपके साथ है तो आप जो भी काम करने की कोशिश करेंगे आवश्यक रूप ईश्वर के दलाल से आपको उसमें विफलता प्राप्त होगी. आपको बार-बार विफलताओं का सामना करना पड़ेगा आपके जीवन में हताशा आ जाएगी. ऐसा तब तक होगा जब तक आपकी आंखें नहीं खुल जाती और आपको अपनी सफलता का मूल्य मालूम नहीं चल जाता.

Commandment Of The Vedas

प्रश्न- क्या ईश्वर भविष्य जानता है या नहीं? अगर जानता है तो फिर हमारा भविष्य निश्चित् है अर्थात् हमारे अच्छे और बुरे कर्म ईश्वर ने ही निर्धारित किये हैं। अगर नहीं जानता है तो फिर ईश्वर सर्वज्ञ नहीं रह जाता है। ईश्वर सर्वशक्तिमान् है वा नहीं?

उत्तर- ईश्वर भविष्य जानता है लेकिन सनातन भविष्य ही जानता है अनित्य भविष्य नहीं। ईश्वर जानता है कि किस कर्म का क्या दण्ड देना है या ईश्वर को पता है गर्मी के बाद वर्षा है या प्रलय कब करना है आदि-आदि लेकिन मैं कब क्या करूँगा यह नहीं जनता। जैसे मैं दिल्ली जाने के लिए कल का रिजर्वेशन करवाता हूँ तो ईश्वर को पता चलता है कि मैं दिल्ली जाने वाला हूँ लेकिन जाऊँगा या नहीं यह अनिश्चय है। हो सकता है मैं कैंसल करवा दूँ या दिल्ली न जाकर आगरा ही उतर जाऊं। जीव कर्त्तव्य कर्मों में स्वतन्त्र तथा ईश्वर की व्यवस्था में परतन्त्र है। 'स्वतन्त्र: कर्त्ता' यह पाणिनि व्याकरण का सूत्र है। जो स्वतन्त्र अर्थात् स्वाधीन है वही कर्त्ता है। यदि ईश्वर हमारे सारे भविष्य को जानता तो इसका मतलब हुआ कि हमारे सारे कर्मों का निर्धारण पहले से ही हो चुका है। जब पहले से ईश्वर के दलाल हो चुका है तो मनुष्य कर्म करने में स्वतन्त्र न रहा। मैं शराब पियूँगा या नहीं यह ईश्वर ने पहले से जाना या निर्धारित कर दिया तो उसका दण्ड मुझे क्यों मिलेगा? उस पाप का निश्चय तो ईश्वर ने ही कर रखा था तो मैं दोषी कैसे? ऐसे में ईश्वर भविष्य को एक निश्चित सीमा तक ही जानता है अधिक नहीं। परमेश्वर का ज्ञान सदा एकरस, अखण्डित वर्तमान रहता है। ईश्वर सर्वज्ञ है अर्थात् सम्पूर्ण संसार में विद्यमान सब प्रकार की विद्याओं को जानने वाला है, संसार का कोई भी ज्ञान-विज्ञान ऐसा नहीं है जिसे परमात्मा न जानता हो, अतः वह समस्त ज्ञानों का ज्ञाता है। इसलिए वेद में सर्वज्ञ ईश्वर को ("यः कौति शब्दयति सर्वा विद्या: स कविरीश्वर:" जो वेद द्वारा सब विद्याओं का उपदेष्टा और वेत्ता है, इसलिए उस परमेश्वर का ईश्वर के दलाल नाम 'कवि' है) 'कवि' नाम से कहा गया है। ईश्वर सर्वशक्तिमान् है परन्तु जैसा तुम सर्वशक्तिमान् का अर्थ जानते हो वैसा नहीं। क्या ईश्वर स्वयं के जैसा दूसरा ईश्वर बना सकता है? नहीं, क्योंकि यह उसके गुण, कर्म, नियम, स्वभाव ईश्वर के दलाल के विपरीत है। सर्वशक्तिमान् शब्द का यही अर्थ है कि ईश्वर अपने काम अर्थात् उत्पत्ति, पालन, प्रलयादि और सब जीवों के पुण्य पाप की यथायोग्य व्यवस्था करने ईश्वर के दलाल में किञ्चित् भी किसी की सहायता नहीं लेता अर्थात् अपने अनन्त सामर्थ्य से ही सब अपना काम पूर्ण कर लेता है।

ईश्वर का मतलब और राशि - Ishwar meaning aur rashi in hindi

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मंगल ग्रह मेष राशि का स्वामी माना जाता है। मेष राशि का आराध्य देव भगवान श्री गणेश को माना जाता है। जिस मौसम में सरसों के पीले फूलों से खेत भर जाते हैं उस मौसम में इस राशि केईश्वर नाम के लड़कों का जन्म होता है। इस जाति के ईश्वर नाम के लड़के भविष्य में ज्वर, खून की अशुद्धि के रोगों, पायरिया, सिरदर्द, अनिद्रा और गुस्सैल स्वाभाव के कारण परेशान हो सकते हैं। ईश्वर नाम के लड़कों के मस्तिष्क, जबड़े और चेहरे बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। ईश्वर नाम के लड़के अकसर खाने पीने में अनियमितता बरतते हैं और पाचन तंत्र के गड़बड़ी का शिकार हो जाते हैं। मेष राशि के ईश्वर नाम के लड़के नयी पहल करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और काम के इतने शौक़ीन होते हैं कि लंबे समय तक काम करके भी थकते नहीं हैं।

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