रणनीति विचार

निवेश क्या है

निवेश क्या है
Nivesh Kya Hai

निवेश क्या है? परिभाषा, अर्थ, प्रकार और उदाहरण

दोस्तों निवेश एक Financial शब्द जिसमें रुपयों को ऐसी जगह लगाया जाता है जहां से और पैसा बनाया जा सके। सिर्फ बैंक में पैसे जमा करना इंवेस्टमेंट नहीं होता है। निवेश का मतलब आपके पास जो धन हैं उसे लगा कर धन से धन कामना। अगर साधारण शब्दों में कहा जाए तो इनकम प्राप्त करने के लिए अपने धन का उपयोग ही इन्वेस्टमेंट कहलाता है।

What is Investment in Hindi

दोस्तों सही शब्दों में निवेश क्या है? (What is Investment?) हम किसी प्रॉपर्टी, घर, सोना – चांदी, म्यूच्यूअल फण्ड या शेयर खरीदने का मकसद उसे भविष्य में बेचकर उससे धन के रूप में लाभ कमाया जा सके, वही निवेश होता है। हमारा मकसद पैसा लगाकर उससे पैसे कमाना होता है। पैसे से पैसे या धन से धन कमाना ही सही शब्दों में निवेश होता है।

Investment and Assets

निवेश और संपत्ति (INVESTMENT AND ASSETS)

फाइनेंसियल स्टेटमेंट यानी बैलेंस शीट में निवेश को संपत्ति वाले कॉलम में रखा जाता है क्यों कि वह हमारी सम्पति हैं जिनसे हमें इनकम प्राप्त होता है।

इंवेस्टिंग अपने आप में एक प्रोसेस है जो भविष्य में इनकम या लाभ कमाने के लिए खरीदने का प्रोसेस ही Investing है। और इन्वेस्टमेंट पर होने वाला लाभ या हानी Return on Investment (ROI) कहलाता है।

ROI

ROI = Total Value of Investment – Investment Value

यहाँ Total Value of Investment, का मतलब हमारे द्वारा खरीदी गयी सम्पति को बेचकर उससे प्राप्त होने वाला Current या Future Value है। और Investment Value हमारा लगाया हुआ पैसा है। जो हमने शुरू में सम्पति को ख़रीदा था।

जैसे : अगर हमें एक लाख रुपए की FD पर 5 साल में दो लाख रूपये प्राप्त होते हैं तो हमारा Return on Investment (ROI) एक लाख रुपए होगा।

निवेश एक धन से धन कमाने की कला है। हमें सही जगह पर धन को निवेश करके फायदा प्राप्त करना चाहिए। वैसे बाजार में लाखों लोग निवेश करके अच्छी कमाई कर रहे है परन्तु इसके लिए हमें सावधानी से निवेश करना पड़ता है। आपको तो पता है की बाजार में बहुत कुछ होता है और हमें उनमे अपना अमूल्य समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।

दोस्तों बहुत सी सरकारी योजनाएं भी है जहां पर आप अपना पैसा लम्बे समय तक लगा कर अच्छा – खासा मुनाफा कमा सकते हो।

Nivesh kab shuru karna chahiye

निवेश कब शुरू करना चाहिए?

दोस्तों किसी कार्य को करने के का कोई समय नहीं होता है। परन्तु आपको पता होना चाहिए की निवेश जितना जल्दी शुरू किया जाये उतना ही अच्छा माना जाता है क्यों कि अगर छोटी उम्र में एक छोटा सा निवेश शुरू करेंगे तो आपके बड़े होने तक निवेश छोटा नहीं रहेगा वो निवेश भी बड़ा हो जायेगा जो आपकी जिंदगी को ओर आसान बना देगा।

दोस्तों वारेन बफे का नाम तो सुना होगा जो विश्व में पांच सबसे अमीरों में जाने जाते है उन्होंने अपनी 11 वर्ष की उम्र में निवेश शुरू कर दिया था। इसलिए आज वे विश्व के सबसे अमीरों में जाने जाते है।

Nivesh Kya Hai

Nivesh Kya Hai

अब आप ही सोचो की आपको निवेश कब शुरू करना चाहिए। आपका फैसला ही आपके लिए सर्वश्रष्ठ होगा।

निवेश को समझने के लिए आपको बाजार में उपलब्ध प्रशिद्ध पुस्तकों को पढ़ना चाहिए। आपने सुना होगा की धनी लोग हमेशा किताबें पढ़ते है। इसका मतलब है की आपको भी किताबों से अपने आपको जुड़ा रहना है। किताबें सबसे अच्छी दोस्त भी होती है। निवेश की किताबें पढ़ने से आपको जो ज्ञान मिलेगा वो ज्ञान कार्य के अनुभव से मिलता है इसलिए किताबों को पढ़कर आप अपना अनुभव बढ़ा सकते है।

निवेश क्या है? निवेश को समझने के लिए आपको अनुभव की जरुरत होती है। यदि अनुभवी व्यक्ति से निवेश के बारें में सीखने को मिले तो जरूर सीखना चाहिए। उनका अनुभव आपको कुछ रूपये खर्च करने से मिल जाता है जो उन्होंने कई वर्षों तक कार्य करके अनुभव प्राप्त किया है। आपके लिए यही सुनहरा अवसर है जिसको प्राप्त करने में कोई संकोच नही करना चाहिए।

निवेश क्या है? से लेकर निवेश करने तक का सफर, आपको तय करना है। कहते है पैसा पैसे से बनता है। आपको भी पैसे से पैसा बनाना आना चाहिए। पैसे से पैसा बनाने के लिए आपको अपनी कमाई के साथ – साथ निवेश को ध्यान रखना चाहिए। निवेश ही एक ऐसा साधन है जो एक छोटे से व्यवसाय की कमाई को दोगुना या तीन गुना कर सकता है। यही अवसर है जो आपके जीवन को सरल और आसान बना सकता है।

मैं इस लेख के माध्यम से निवेश क्या है? निवेश की परिभाषा, निवेश का अर्थ, निवेश के प्रकार, निवेश का उद्देश्य और निवेश के उदाहरण के बारे में बताने जा रहा हूँ। आप सभी से विनम्र निवेदन है कि इस ब्लॉग पर निवेश से सम्बंधित सभी लेखों को जरूर पढ़ें। इस लेख को पढ़ने और प्यार देने के लिए दिल से बहुत – बहुत धन्यवाद।

निवेश की शुरुआत करने जा रहे हैं? जानिए कैसे उठाएं एक-एक कदम

ईटीएफ नए निवेशकों के लिए अच्‍छा विकल्‍प है. इसके लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत होगी.

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निवेश की शुरुआत करने से पहले आकांक्षा के मन में सवाल उठ सकता है कि वह अपने पोर्टफोलियो को मैनेज कैसे करेंगी. उनके पास न तो मार्केट के बारे में अध्ययन करने का समय है, न ही चार्ट पैटर्न और कंपनियों के बिजनेस मॉडल समझने का. लिहाजा, शायद उन्‍हें कोई निर्णय लेने में दिक्‍कत हो. इसका समाधान है. उन्‍हें इंडेक्‍स में निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए और बाजार के उतार-चढ़ाव के बारे में भूल जाना चाहिए.

निवेश की रणनीति पर फैसला उनके विवेक पर निर्भर करता है. निवेश से पहले उन्‍हें अपनी जोखिम लेने की क्षमता का पता लगा लेना चाहिए. व‍ह निवेश पर कैसे नजर रखेंगी, इसे भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए.

यह उन्‍हें फैसला लेने में मदद करेगा कि आकांक्षा एक्टिव मैनेजमेंट रूट का इस्‍तेमाल करना चाहती हैं या उनका भरोसा बेंचमार्क इंडेक्‍स या ईटीएफ पर है. सक्रिय रूप से प्रबंधित की जाने वाली म्‍यूचुअल फंड स्‍कीमों के उलट ईटीएफ बाजार से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश नहीं करते हैं. बजाय इसके इन्‍हें मार्केट ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है. इन्‍हें आमतौर पर अपेक्षाकृत सुरक्षित और लागत प्रभावी माना जाता है. ईटीएफ नए निवेशकों के लिए अच्‍छा विकल्‍प है. इसके लिए आकांक्षा को सिर्फ डीमैट अकाउंट की जरूरत होगी.

आकांक्षा निवेश की निवेश क्या है शुरुआत जितनी जल्दी कर देंगी, उतना अच्‍छा होगा. उन्‍हें अपनी निवेश रणनीति के साथ बने रहना चाहिए. किसी भी हालत में भावनाओं को हावी नहीं होने देना चाहिए. बाजार की दैनिक उठापटक से उनका लक्ष्‍य प्रभावित नहीं होना चाहिए. कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि छोटी रकम से निवेश की शुरुआत करें. पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करें. धैर्य रखें. स्मार्ट फैसले लें.

इस पेज की सामग्री सेंटर फॉर इंवेस्टमेंट एजुकेशन एंड लर्निंग (सीआईईएल) के सौजन्य से. गिरिजा गादरे, आरती भार्गव और लब्धि मेहता का योगदान.

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What is ESG theme Investment: ईएसजी थीम निवेश क्या है

ईएसजी ESG

ESG Investments: ईएसजी इन्वेस्टमेंट (ESG Investment) नए जमाने निवेश क्या है के नए निवेश का एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रहा है। ईएसजी का मतलब है एनवायरनमेंटल सोशल और कॉर्पोरेट गवर्नेंस। जैसा कि देखा गया है निवेशकों की रुचि थीम पर आधारित निवेश की ओर बढ़ रही है, ऐसे में ईएसजी थीम निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। कई म्यूचुअल फंड कंपनियों ने भी ईएसजी के प्रति अपनी रुचि दिखाई है। कॉर्पोरेट क्षेत्र में पर्यावरण से संबंधित विषयों के बारे में जागरूकता बढ़ी है। वहीं सोशल और गवर्नेंस के सिद्धांत भी मुख्यधारा में आ रहे हैं। अब ज्यादातर कंपनियाँ और कॉर्पोरेट क्षेत्र ईएसजी के नियमों के आधार पर क्षेत्र में बिज़नेस बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

बाजार में माना जा रहा है कि वे कंपनियाँ जिनमें भविष्य में अच्छे प्रदर्शन की योग्यता है वे इन सिद्धांतों को अपनाती हैं। ईएसजी निवेश क्या है में निवेश का मतलब है कि उन कंपनियों में निवेश करना जो एनवायरमेंटल सोशल और गवर्नेंस संबंधी उच्च मानदंडों को पूरा करती हैं। इसमें वित्तीय जोखिम की संभावना भी कम होती है।

ईएसजी के फायदे

ईएसजी के ऊँचे मानदंडों को पूरा करने वाली कंपनियाँ अक्सर मजबूत होती हैं। इन कंपनियों में निवेश करने से बेहतर रिटर्न की संभावना बहुत अधिक हो जाती है। वहीं जिन कंपनियों में ये मानदंड स्तरीय नहीं होते वहाँ जोखिम ज्यादा होता है।

म्यूचुअल फंड का भी भरोसा

किसी भी कंपनी के प्रदर्शन और जोखिम का जब आकलन किया जाता है तो जिम्मेदारी, नैतिक मूल्य और स्टेबिलिटी पर ध्यान दिया जाता है। ये सभी कंपनियाँ जो ईएसजी के मानदंड ऊँचे रखती हैं वे इसी श्रेणी में गिनी जाती हैं। इसके चलते एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ इन कंपनियों में सक्रिय निवेश कर रही हैं।

ईएसजी थीम से जुड़ी कंपनियाँ बैंकिंग और नॉन बैंकिंग सेक्टर के लिए भी महत्त्वपूर्ण हो चली हैं। ये दोनों ही सेक्टर क्रेडिट मूल्यांकन करते समय इस बात पर ध्यान रखते हैं कि किस प्रकार रिस्क या जोखिम कम किया जाए, सही मूल्यांकन हो सके, और लोन अग्रीमेंट और अवधि के निर्धारण सही तरीके से लागू किया जा सके।

ईएसजी थीम अपनाने से कंपनियों को भी खासा फायदा

इन सिद्धांतों के अपनाने से संसाधनों का इस्तेमाल बेहतर तरीके से होता है जिससे टॉपलाइन ग्रोथ बढ़ती है और पूंजी भी बढ़ाई जा सकती है। कुल मिलाकर ये सिद्धांत कॉर्पोरेट ग्रोथ के लिए फ़ायदेमंद हैं। वहीं इनका अप्रत्यक्ष रूप से फायदा भी मिलता है। कंपनी की छवि निवेशकों के बीच बेहतर होती है। यह भी देखा गया है कि यदि ईएसजी से संबंधित गलत खबरें आने से कंपनी के कीमतों निवेश क्या है पर इसका उल्टा असर पड़ता है। साथ ही, ईएसजी थीम वित्तीय प्रणाली और बैंकिंग नेटवर्क मजबूत होने में भी सहायक है।

ईसीजी अभी प्रारंभिक चरण में

वैश्विक संस्थागत निवेशकों ने अपनी ईएसजी पॉलिसी और कल्चर को बहुत अच्छी तरह परिभाषित कर लिया है। वहीं म्यूचुअल फंड ने भी ईएसजी टीम पर भरोसा दिखाया है। हालांकि भारत में निवेशकों का एक बड़ा समूह अभी भी ईएसजी के प्राथमिक चरण में ही है। हालांकि हालिया रुझान में ऐसा देखा गया है कि निवेशक उन कंपनियों में निवेश से बच रहे हैं जिनका ईएसजी मापदंड अच्छा नहीं है।

What is ESG Investing

ESG Investments: ईएसजी इन्वेस्टमेंट (ESG Investment) नए जमाने के नए निवेश का एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभर रहा है। ईएसजी का मतलब है एनवायरनमेंटल सोशल और कॉर्पोरेट गवर्नेंस। जैसा कि देखा गया है निवेशकों की रुचि थीम पर आधारित निवेश की ओर बढ़ रही है, ऐसे में ईएसजी थीम निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। कई म्यूचुअल फंड कंपनियों ने भी ईएसजी के प्रति अपनी रुचि दिखाई है। कॉर्पोरेट क्षेत्र में पर्यावरण से संबंधित विषयों के बारे में जागरूकता बढ़ी है। वहीं सोशल और गवर्नेंस के सिद्धांत भी मुख्यधारा में आ रहे हैं। अब ज्यादातर कंपनियाँ और कॉर्पोरेट क्षेत्र ईएसजी के नियमों के आधार पर क्षेत्र में बिज़नेस बढ़ाने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

बाजार में माना जा रहा है कि वे कंपनियाँ जिनमें भविष्य में अच्छे प्रदर्शन की योग्यता है वे इन सिद्धांतों को अपनाती हैं। ईएसजी में निवेश का मतलब है कि उन कंपनियों में निवेश करना जो एनवायरमेंटल सोशल और गवर्नेंस संबंधी उच्च मानदंडों को पूरा करती हैं। इसमें वित्तीय जोखिम की संभावना भी कम होती है।

ईएसजी के फायदे

ईएसजी के ऊँचे मानदंडों को पूरा करने वाली कंपनियाँ अक्सर मजबूत होती हैं। इन कंपनियों में निवेश करने से बेहतर रिटर्न की संभावना बहुत अधिक हो जाती है। वहीं जिन कंपनियों में ये मानदंड स्तरीय नहीं होते वहाँ जोखिम निवेश क्या है ज्यादा होता है।

म्यूचुअल फंड का भी भरोसा

किसी भी कंपनी के प्रदर्शन और जोखिम का जब आकलन किया जाता है तो जिम्मेदारी, नैतिक मूल्य और स्टेबिलिटी पर ध्यान दिया जाता है। ये सभी कंपनियाँ जो ईएसजी के मानदंड ऊँचे रखती हैं वे इसी श्रेणी में गिनी जाती हैं। इसके चलते एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ इन कंपनियों में सक्रिय निवेश कर रही हैं।

ईएसजी थीम से जुड़ी कंपनियाँ बैंकिंग और नॉन बैंकिंग सेक्टर के लिए भी महत्त्वपूर्ण हो चली हैं। ये दोनों ही सेक्टर क्रेडिट मूल्यांकन करते समय इस बात पर ध्यान रखते हैं कि किस प्रकार रिस्क या जोखिम कम किया जाए, सही मूल्यांकन हो सके, और लोन अग्रीमेंट और अवधि के निर्धारण सही तरीके से लागू किया जा सके।

ईएसजी थीम अपनाने से कंपनियों को भी खासा फायदा

इन सिद्धांतों के अपनाने से संसाधनों का इस्तेमाल बेहतर तरीके से होता है जिससे टॉपलाइन ग्रोथ बढ़ती है और पूंजी भी बढ़ाई जा सकती है। कुल मिलाकर ये सिद्धांत कॉर्पोरेट ग्रोथ के लिए फ़ायदेमंद हैं। वहीं इनका अप्रत्यक्ष रूप से फायदा भी मिलता है। कंपनी की छवि निवेशकों के बीच बेहतर होती है। यह भी देखा गया है कि यदि ईएसजी से संबंधित गलत खबरें आने से कंपनी के कीमतों पर इसका उल्टा असर पड़ता है। साथ ही, ईएसजी थीम वित्तीय प्रणाली और बैंकिंग नेटवर्क मजबूत होने में भी सहायक है।

ईसीजी अभी प्रारंभिक चरण में

वैश्विक संस्थागत निवेशकों ने अपनी ईएसजी पॉलिसी और कल्चर को बहुत अच्छी तरह परिभाषित कर लिया है। वहीं म्यूचुअल फंड ने भी ईएसजी टीम पर भरोसा दिखाया है। हालांकि भारत में निवेशकों का एक बड़ा समूह अभी भी ईएसजी के प्राथमिक चरण में ही है। हालांकि हालिया रुझान में ऐसा देखा गया है कि निवेशक उन कंपनियों में निवेश से बच रहे हैं जिनका ईएसजी मापदंड अच्छा नहीं है।

निवेश करना सीखें

निवेश खरीदने के लिए बहुत सारे साहित्य और रणनीतियाँ हैं और खरीदने के लिए सही निवेश क्या हैं। हालांकि, निवेशकों को अक्सर यह जानना मुश्किल होता है कि किसी उपकरण से बाहर कब निकलना है। इस प्रकार का निर्णय उन निवेशकों को लेना है जिन्होंने निम्नलिखित उपकरणों में निवेश किया है:

वायदा, विकल्प, स्वैप

निवेश कब बेचना है?

बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि निवेशक कब निवेश क्या है किसी साधन से बाहर निकलने का फैसला करता है। निवेशकों को लाभ कमाने के लिए उत्सुक होने के साथ-साथ निवेश करने में नुकसान उठाना पड़ता है। यह विपरीत व्यवहार किसी निवेशक के लिए यह भविष्यवाणी करना मुश्किल बनाता है कि निवेश कब बेचा जाना चाहिए।

निवेश बेचने के लिए कोई सही समय निर्धारित नहीं है। जब निवेशक निवेश बेचेंगे तो उसके कुछ कारण हैं:

नुकसान करने वाले निवेश से बाहर निकलें

निवेश अपने लक्ष्य पर पहुँच गया है

आइए इन तीन बिंदुओं की और विस्तार से जाँच करें:

किसी अपराध बोध के बिना नुकसान करने वाले निवेश को बेचें:

आपके द्वारा किए गए सभी निवेश लाभदायक नहीं होंगे। यदि आपने कुछ निवेशों के अच्छा नहीं करने पर ध्यान दिया है, तो अपने नुकसान को कम करना और वसूली की उम्मीद में उन्हें जमा करने के बजाय बाहर निकल जाना बेहतर है। इस तरह आप अपने नुकसान को रोकते हैं। निवेशकों के साथ समस्या यह है कि वे भविष्य में वसूली की उम्मीद में नुकसान करने वाले निवेश को रोके रखते हैं।

भावनाओं पर आधारित निर्णय लेने के बजाय, नियमित अंतराल पर अपने पोर्टफोलियो का विश्लेषण करना बेहतर है। यह आपको किसी विशेष निवेश की निवेश संभावनाओं को समझने में मदद करेगा। विशेष रूप से इक्विटी शेयरों और म्यूचुअल फंड के मामले में ऐसा है। यदि कंपनी के पास मध्यम से लंबी अवधि के लिए अच्छी संभावनाएं नहीं हैं, तो आप शेयर से बाहर निकल सकते हैं और अपने नुकसान में कटौती कर सकते हैं।

किसी निवेशक को बेचने से जो रोकता है वह उसका नुकसान के बारे में अपराध बोध है। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि ये नुकसान बढ़ गए होंगे अगर आपने निवेश को लंबे समय तक रखा होगा।

इक्विटी शेयर या म्यूचुअल फंड जैसी संपत्ति बेचना बेहद आसान है क्योंकि यह एक उच्च विनियमित बाजार है। हालांकि, यदि आप अचल संपत्ति से बाहर निकलना चाहते हैं, तो यह प्रक्रिया थोड़ा अधिक समय लेने वाली हो सकती है क्योंकि जब बाजार सुस्त होता है तो खरीदार विशेष रूप से कम होते हैं।

कई बार जब आपके पोर्टफोलियो में पूँजीगत लाभ होता है, तो इससे उस पूँजीगत लाभ को सेट ऑफ करने के लिए नुकसान देने वाले निवेश को सेट ऑफ करना समझदारी है। बजट 2018 ने सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों और म्यूचुअल फंडों को कर योग्य बनाया। इसका मतलब है कि इक्विटी शेयर और इक्विटी म्यूचुअल फंड पर नुकसान अब अन्य पूंजीगत लाभों के मुकाबले बंद हो सकता है।

नुकसान देने वाले निवेश से बाहर निकलने का एक कारण लाभदायक निवेशों पर कुछ पूंजीगत लाभ को सेट ऑफ करना है। यह न केवल आपको टैक्स बचाने में मदद करेगा बल्कि लाभहीन निवेश से आपके नुकसान को भी रोकेगा।

जब आपको कोष की जरूरत हो तो निवेश बेचना लोगों के बेचने निवेश क्या है का सबसे आम कारण है। कि लोग क्यों बेचते हैं। हालांकि, समय की एकअवधि के बाद उपकरणों को बेचना महत्वपूर्ण है। यदि आप एक सेवानिवृत्त व्यक्ति हैं, तो आप अपने खर्चों का उपयोग करने के लिए धीरे-धीरे अपने निवेश बेच सकते हैं। एक बार में अपने सभी निवेशों को बेचने का कोई मतलब नहीं है।

यदि आप किसी आपातकाल के लिए धन जुटाने के लिए निवेश बेच रहे हैं, तो लाभदायक निवेशों में से अपनी हिस्सेदारी का हिस्सा बेच दें। यह आपको अतिरिक्त आय देगा और आपको बेचने के लिए आवश्यक निवेशों की संख्या को कम करेगा।

प्राप्त किए गए निवेश लक्ष्य:

सभी निवेश लंबी अवधि के लिए नहीं किए जाते हैं। कभी-कभी, कुछ निवेशक छोटी अवधि के लिए इक्विटी शेयरों में निवेश करते हैं। एक बार जब शेयर अपने लक्ष्य पर पहुंच गया है, तो इससे बाहर निकलना बेहतर होता है जब तक कि शेयर कीमत में और वृद्धि के संकेत नहीं दिखाता है। कभी-कभी, शेयर असाधारण रूप से बढ़ते हैं और फिर गिर जाते हैं इसलिए इस उतार-चढ़ाव का लाभ उठाना और मूल्य से जल्दी बाहर निकलना सबसे अच्छा है। यदि आप अल्पावधि के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने निकास लक्ष्य से चिपके रहते हैं, भले ही कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव हो। कागज पर असंगठित लाभ के बारे में बुरा महसूस करने की तुलना में हाथ में मुनाफे का एहसास होना बेहतर है।

निवेश कैसे बेचें:

इक्विटी शेयर और म्यूचुअल फंड बेचना बेहद आसान है। चूंकि बाजार अत्यधिक विनियमित है, इसलिए खरीद और बिक्री एक ब्रोकर या ऑनलाइन के माध्यम से आसानी से की जा सकती है।

जब सोने जैसी संपत्ति की बात आती है, तो इसे बेचने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक जौहरी के पास होती है। आप किसी अवसर के लिए या तो सोने को आभूषण में परिवर्तित करवा सकते हैं या उसे नकद बेच सकते हैं। चूंकि सोना मूल्य से पहचाना जाता है, सोने के लिए मूल्य की खोज आसान है। यदि आपने सोने के बांड में निवेश किया है, तो रिडेम्पशन निर्दिष्ट नियमों के अनुसार होगा। फिर से, चूंकि यह विनियमित है, कीमत की खोज आसान है।

अचल संपत्ति बेचना चुनौतीपूर्ण हो निवेश क्या है सकता है क्योंकि एक खरीदार को ढूंढना आर्थिक स्थिति, संपत्ति के मूल्य आदि सहित कई शर्तों पर निर्भर करता है। हालांकि, यदि आप अचल संपत्ति बेचना चाहते हैं, तो आप कोई एजेंट पा सकते हैं या आप अपनी संपत्ति को विभिन्न बाजारों में सूचीबद्ध कर सकते हैं। यदि आपको संपत्ति बेचना मुश्किल लग रहा है, तो इसे किराये में बदलने और संपत्ति पर निष्क्रिय आय की एक स्थिर धारा अर्जित करने पर विचार करें। अपार्टमेंट और मकान बेचने की तुलना में भूखंड और जमीन बेचना आसान है।

निष्कर्ष: निवेश बेचने का कोई सही समय नहीं है। बेचना कई कारकों पर निर्भर करता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने पोर्टफोलियो का विश्लेषण करते रहें और निवेश के आधार पर बेचें।

निवेश करना सीखें

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड (एआईएफ) निवेश का अपेक्षाकृत नया साधन है और कुछ वर्षों में इसका प्रचलन काफी बढ़ा है. विगत तीन वर्षों में सरकार के विभिन्न नियामक सुधारों, जैसे कि कमोडिटी डेरिवेटिव्स में निवेश करने की इजाजत, केटेगरी 1 और 2 फंड्स के लिए टैक्स पास-थ्रू ढांचा का क्रियान्वयन और आटोमेटिक रूट के तहत फण्ड में विदेशी निवेशों का समावेश के कारण वैकल्पिक निवेशों की तेज वृद्धि हुयी है.

इस आलेख में हम आपको अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स और इससे सम्बंधित हर चीज के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे. तो चलिए हम सबसे पहले अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स यानी वैकल्पिक निवेश फंड्स को समझने निवेश क्या है के साथ शुरुआत करते हैं.

यह भी पढ़ें : निवेश क्या है ?

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स क्या हैं ?

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स भारत में स्थापित या निगमित निजी तौर पर समुच्चित निवेश साधन है. यह जानकार निवेशकों से फण्ड एकत्र करके उनका समुच्चय खडा करता है जिनमें भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं. इस तरह जमा फण्ड को अपारंपरिक विकल्पों, जैसे कि रियल एस्टेट फंड्स, हेज फंड्स, प्राइवेट इक्विटी आदि में निवेश कर दिया जाता है. निवेश के उत्पाद की व्यापक रेंज से निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो को व्यापक बनाने और विविधीकृत करने में मदद मिलती है.

ये फंड्स प्रचलित विधि वाले निवेश मद, जैसे कि इक्विटी, नियत आमदनी, और नकदी में निवेश नहीं करते और इसी कारण से वे निवेश के परम्परागत विकल्पों से भिन्न होते हैं. दूसरे शब्दों में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट किसी संपदा श्रेणी में किया गया निवेश है जो शेयर, बांड्स और नकदी का समावेश नहीं होता है. साधारण रूप से कहें तो निवेश के परम्परागत स्वरूप का कोई भी वैकल्पिक रूप अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट के श्रेणी में आता है.

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स भारी-भरकम राशि निवेश करने वाले धनी लोगों, कॉर्पोरेट और संस्थागत ग्राहकों के लिए एक आदर्श निवेश साधन है. ये प्राइवेट इन्वेस्टमेंट फंड्स है और प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आईपीओ) या किसी दूसरे तरह के सार्वजनिक निर्गम के माध्यम से नहीं मिलते हैं. इसलिए उनके विनियम दूसरे फण्ड प्रबंधन के विनियमों से भिन्न होते हैं.

यह भी पढ़ें : छोटी राशि में कैसे निवेश करें

भारत में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट्स का वर्गीकरण

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट में निम्नलिखित सम्मिलित हैं :

टैन्जबल रियल एस्टेट (भौतिक अचल संपत्ति)

इनमें भौतिक सम्पदाएँ शामिल हैं जिनका उनके स्वरुप या गुणों के कारण स्वाभाविक मूल्य होता है, निवेश क्या है जैसे कि बेशकीमती धातु की वस्तुओं, तेल, दुर्लभ सिक्के, कलाकृति, आभूषण आदि. निवेशक सीधे इन संपदाओं को खरीद सकते हैं या इस तरह की संपत्तियों में विशेषज्ञ फण्ड में निवेश कर सकते हैं.

हेज फंड्स (बचाव निधि)

इन फंड्स द्वारा जोखिमों में विविधता के उद्देश्य से विविध संपदा श्रेणियों में निवेश किया जाता है. फण्ड मैनेजर निधि संग्रह करते हैं, उन्हें सामूहिक लाभ कोष में डालते हैं और विविध वित्तीय विपत्रों में निवेश कर देते हैं. वे घरेलू और विदेशी दोनों बाज़ारों में एक से अधिक रणनीतियों, जैसे कि दीर्घ, अल्प, लाभ उठाया हुआ, व्युत्पन्न स्थितियों, आदि का प्रयोग करते हैं.

प्राइवेट इक्विटी और स्टॉक्स (निजी इक्विटी और शेयर)

प्राइवेट इक्विटी कम्पनियां अधिकांशतः संस्थागत और गैर-संस्थागत निवेशकों से निधियाँ एकत्र करती हैं. इसमें फण्ड द्वारा निवेश को संभावनाशील प्राइवेट कंपनियों में कंपनी के स्टॉक्स और शेयरों के बदले में लगा दिया जाता है. इससे आम तौर पर निवेशकों का जोखिम प्रोफाइल कम हो जाता है.

यह निवेश का मिश्रित रास्ता है. इसमें म्यूच्यूअल फण्ड और एक्सचेंज पर क्रय-विक्रय किये गए फंड्स होते हैं.

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स (आधारभूत संरचना फंड्स)

इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स द्वारा सड़क, बंदरगाह, पुल, जल मार्ग और बिजली उत्पादन जैसी आधारभूत संरंच्नाओं के निर्माण में संलग्न कंपनियों में निवेश किया जाता है.

स्टार्ट-अप या अर्ली स्टेज फंड्स (स्टार्ट-अप फंड्स या शुरुआती चरण के फंड्स)

इन फंड्स द्वारा सुदृढ़ वृद्धि की संभावना प्रदर्शित करने वाले स्टार्ट-अप तथा लघु एवं मंझोले आकार के उद्यमों में निवेश किया जाता है. ये फंड्स ज्यादा जोखिम, ज्यादा रिटर्न के सिद्धांत पर प्रदर्शन करते हैं.

डेब्ट फंड्स (ऋण फंड्स)

ये फंड्स मुख्यतः अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के घोषित उद्देश्यों के आधार पर सूचीबद्ध और असूचीबद्ध कंपनियों के ऋण विपत्रों में निवेश करते हैं.

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के विनियमों के अनुसार अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स को तीन वर्गों में बांटा गया है – श्रेणी 1, श्रेणी 2 और श्रेणी 3. श्रेणी 1 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (एआईएफ) में स्टार्ट-अप, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, और अर्ली स्टेट वेंचर फंड्स सम्मिलित हैं. श्रेणी 2 के एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी, डेब्ट फंड्स, रियल एस्टेट फंड्स और संकत्ग्रत संपत्तियां शामिल हैं. श्रेणी 3 के एआईएफ में हेज फंड्स, विविध व्यापार रणनीतियों वाले फंड्स, और अल्पकालिक रिटर्न वाले फंड्स आते हैं.

अब इनमें से एक-एक को विस्तार से समजिये.

यह भी पढ़ें : आप कहाँ निवेश कर सकते हैं ?

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के प्रकार

श्रेणी 1 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स

प्रथम श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स का मुख्य लक्ष्य स्टार्ट-अप में, प्रारम्भिक चरण के उपक्रमों में, लघु एवं मंझोले उद्योगों में या सरकार की नज़र में आर्थिक और सामाजिक रूप से व्यावहारिक माने जाने वाले अन्य क्षेत्रों में निवेश करना होता है. ये फंड्स भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक और फायदेमंद है और विकास को रफ़्तार देते हैं, इसलिए इन्हें सरकार, सेबी और अन्य नियामकों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है. चूंकि इन फंड्स द्वारा सामाजिक रूप से वांछित व्यावसायिक क्षेत्रों में निवेश किये जाते हैं, इसलिए इसके पीछे मुनाफ़ा कमाने का इरादा हो भी सकता है, नहीं भी हो सकता है. श्रेणी 1 के एआईएफ में सोशल वेंचर फंड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड्स, एंजेल फंड्स, वेंचर कैपिटल फंड्स और एसएमई फंड्स सम्मिलित हैं.

श्रेणी 2 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स

द्वितीय श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स अपनी प्रकृति में अपेक्षाकृत क्लोज-एंडेड (सीमित अवधि के लिए) होते हैं. इन फंड्स में निवेश करने के लिए पूंजी पैदा करने के लिए ऋण लेने की मनाही है. किन्तु, इस नियम का एक अपवाद है कि ये एआइएफ अपने परिचालन की दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उधार जे सकते हैं या लाभ उठाने की रणनीति का इस्तेमाल कर सकते हैं. श्रेणी 2 के एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी फंड्स या डेब्ट फंड्स शामिल हैं. इसके अलावा इन एआईएफ फंड्स को सरकार, सेबी या किसी और विनियामक से प्रोत्साहन या रियायत नहीं मिलती है. यह एक विविध श्रेणी का फण्ड है और इसमें वैसे एआईएफ सम्मिलित है जो श्रेणी 1 और श्रेणी 3 के दायरे में नहीं आते हैं.

श्रेणी 3 के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स

तृतीय श्रेणी के अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स वैसे फंड्स होते हैं जिनकी खरीद-बिक्री अल्पकालिक रिटर्न अर्जित करने के इरादे से की जाती है. इनमें हेज फंड्स और पब्लिक इक्विटी में प्राइवेट निवेश (पीआइपीई) फंड्स शामिल हैं. ये ओपन-एंडेड (असीमित अवधि) फंड्स हैं और इन्हें सरकार, सेबी या किसी दूसरे विनियामक से प्रोत्साहन या रियायत नहीं मिलती है. इन फंड्स द्वारा मार्जिन ट्रेडिंग, आर्बिट्राज, फ्यूचर्स ट्रेडिंग, डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग आदि जैसी जटिल व्यापार रणनीतियों का प्रयोग किया जाता है. श्रेणी 3 के एआइएफ को सूचीबद्ध और असूचीबद्ध डेरिवेटिव्स पर निवेश करने के लिए लीवरिज के इस्तेमाल की इजाजत होती है.

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स के लिए फण्ड संग्रह और निवेश के प्रतिबन्ध

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स मुख्यतः निजी स्थापन के माध्यम से फंड्स एकत्र करते हैं. इसके अलावा उन्हें किसी निवेशक से 1 करोड़ रुपये के कम का निवेश स्वीकार करने की अनुमति नहीं होती है.

अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फण्ड या इसके अंतर्गत कोई योजना 1000 से अधिक निवेशकों को स्वीकार नहीं कर सकती. इन योजनाओं में न्यूनतम योग्य राशि 20 करोड़ रुपये है. दूसरे शब्दों में हरेक योजना में कम से कम 20 करोड़ रुपये का कोष रहना ही चाहिए. किन्तु एंजेल फंड्स को अपेक्षाकृत कम योग्य राशि की अनुमति है.

हाल के समय में भारत में अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट निवेश क्या है का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ा है. सीमित परम्परागत जोखिमों के साथ निवेश का यह शानदार माध्यम है. इसके अलावा, बाज़ार की परिस्थितियों का इस पर सीमित असर होता है.

आप भी अल्टरनेटिव फंड्स में निवेश करने का विचार कर सकते हैं. लेकिन, निवेश करने के पहले इसका पिछला रिकॉर्ड और इसका प्रबंधन करने वाले लोगों की विश्वसनीयता को लेकर पूरा संतुष्ट हो लेना ज़रूरी है. बेहतर होगा कि निवेश करने के पहले फण्ड प्रबंधक द्वारा अपनाई गयी रणनीतियों को एयर ओम फिम्ड्स से जुड़े जोखिमों को समझ लें.

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