रणनीति विचार

लागत औसत

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रोहित शर्मा से कप्तानी छिननी तय! इस दिग्गज को मिलेगी टीम की कमान, नाम सुनकर चौंक जाएंगे आप

नई दिल्लीः ऑस्ट्रेलिया में खेले गए आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप में भारतीय क्रिकेट टीम सेमीफाइनल में इंग्लैंड से हारने के बाद खिताबी जंग से बाहर हो गई थी। इसके बाद भारतीय टीम को हर जगह आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से भी खिलाड़ियों को जली कटी बातें सुननी पड़ रही है। इस बीच कोई खिलाड़ियों के बचाव में आ रहे हैं तो कोई कमियां निकालने में लगा है।

भारतीय क्रिकेट टीम के बतौर कप्तान रोहित शर्मा के खेल और फैसलों पर भी सवाल उठाया जा रहा है। ऐसे में चर्चा यह भी है कि रोहित शर्मा को कप्तान से हटाया जा सकता है। सबके मन में सवाल है कि अगर रोहित शर्मा को कप्तानी से वंचित कर दिया गया तो फिर टीम की कमान किसके हाथों सौंपी जाएगी।

वैसे तो कई नाम ऐसे हैं, जो भारतीय टीम की कप्तानी की रेस में बताएं जा रहे है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऐसे में हार्दिक पांड्या के नाम पर मुहर लगा सकता है। हार्दिक ने बीते आईपीएल सीजन में गुजरात टाइटंस की कप्तानी कर टीम को विजेता बनाया है। दूसरी वजह है कि पांड्या का करियर अभी लंबे चलने वाला है तो ऐसे में मैनेजमेंट यह फैसला ले सकते हैं। वैसे आधिकारिक तौर पर अभी ऐसा कोई बयान नहीं आया है, लेकिन मीडिया की रिपोर्ट्स में तमाम बड़े दावे किया जा रहे हैं।

  • टी-20 वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा ने बल्ले से लागत औसत भी किया निराश

भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने पूरे टी-20 मैचों में अपनी बल्लेबाजी से भी निराश किया है। शर्मा ने पहले ही मैच में कुल चार बनाए और आउट हो गए। नीदरलैंड के खिलाफ हिटमैन ने 53 रनों की पारी जरूरी खेली, लेकिन बाद में अफ्रीका, बांग्लादेश और जिम्बाब्वे के खिलाफ कोई कमाल नहीं कर सके। इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में भी रोहित का बल्ला नहीं चल। पूरे टूर्नामेंट में रोहित शर्मा ने 19.33 की औसत से 116 रन बनाए, जिनका स्ट्राइक रेट 106.42 का रहा।

  • न्यूजीलैंड दौरे के लिए इन खिलाड़ियों को मिली कप्तान

भारतीय क्रिकेट टीम अब न्यूजीलैंड दौरे पर गई है, जहां तीन वनडे और 3 टी-20 मैचों की सीरीज खेलनी है। न्यूजीलैंड के लिए रोहित शर्मा सहित लागत औसत कई सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया गया है। ऐसे में टी-20 प्रारूप का कप्तान हार्दिक पांड्या तो वनडे की कमान शिखर धवन को सौंपी गई है।

RSMSSB Forest Guard Answer Key 13 November 2022 Shift 1st

RSMSSB Forest Guard Answer Key 13 November 2022 Shift 1st: राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली फॉरेस्ट गार्ड भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन लागत औसत 12 -13 नवंबर 2022 को किया जाएगा।। RSMSSB Forest Guard Paper 1 st की परीक्षा सुबह 10:00 बजे से 12:00 बजे तक तथा RSMSSB Forest Guard Paper 2 nd की परीक्षा शाम 2:30 बजे से 04:30 बजे तक आयोजित की जाएगी.

RSMSSB Forest Guard Answer Key 13 November 2022 Shift 1st-https://myrpsc.in

Rajasthan Forest Guard Answer Key 2022

Exam: – RSMSSB वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2022

Exam Organizer: – Rajasthan Subordinate & Ministerial Services Selection Board (RSMSSB)

Exam Shift: – First Shift (Morning shift) – 10 AM to 12 PM

Exam Date: – 13/11/2022

Official Website: rsmssb.rajasthan.gov.in

Rajasthan Forest Guard Answer Key 13 November 2022

Q1. दो संख्याओं का अनुपात 7:11 है और उनका लघुत्तम समापवर्त्य 154 है। पहली संख्या है –

Q4. अरिहंत सिंह के 3 बच्चों की औसत आयु 12 वर्ष है और उनकी आयु का अनुपात 3:4:5 है। उसके सबसे छोटे और सबसे बड़े बच्चे की औसत आयु क्या होगी, यदि उसके केवल तीन बच्चे थे?

Q7. 16 व्यक्ति 6 दिनों में ⅕ वां खेत काट देते हैं। 8 दिनों में शेप खेत को काटने के लिए कितने व्यक्तियों (समान दक्षता के साथ) की आवश्यकता होगी?

Q8. त्रिभुज ABC में, यदि A – B = 15° और B-C = 30° है, तो A बराबर है –

Q9. एक ही कीमत पर दो मोवाइल फोन खरीदे गए। एक को 30% के लाम पर बेचा गया और दूसरे को प्रथम मोबाइल के विक्रय मूल्य से 2500₹ कम पर बेचा गया। यदि दोनों मोवाइल फोन पर अर्जित कुल लाम 5% था, तो एक मोबाइल फोन का लागत मूल्य क्या था?

Q10. छ: अंकों की वह छोटी से छोटी संख्या ज्ञात कीजिए जो 15, 21 और 28 से पूर्णतः विभाज्य हो –

Q11. राजीव जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में बचे हुये महीनों के औसत वेतन 600 ₹ प्रति महीना का 3/2 गुना कमाता है। उसकी जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर की बचत बचे हुये महीनों की बचत 400 ₹ प्रति महीना का 5/4 गुना है। उसका प्रति महीना औसत व्यय क्या है?

Q12. 100 मीटर लंबी एक ट्रेन 72 कि.मी./घंटे की दर से एक पुल को 25 सेकंड में पार करती है। पुल की लंबाई है–

Q14. एक राशि 3 वर्षों में 1344₹ हो जाती है और 7 वर्षों में यह 1536₹ हो जाती है। वह मूल राशि क्या है जहां साधारण ब्याज दर प्रभारित की जानी है?

कपास के किसानों के लिए एक नयी उम्मीद – पनामा

12 जुलाई 2021, कपास के किसानों के लिए एक नयी उम्मीद – पनामा – भारत में कपास उत्पादन का एक लंबा इतिहास रहा है, अंग्रेजों के भारत आने से पहले ही देश में कई तरह की कपास की किस्मों का उत्पादन किया जाता था। कपास भारत की आदि फसल है, जिसकी खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में की जाती है। भारत से ही 327 ई.पू. के लगभग यूनान में इस पौधे का प्रचार हुआ। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत से ही यह पौधा चीन और विश्व के अन्य देशों को ले जाया गया।

cotton

भारत को कपास की खेती के तहत सबसे बड़ा क्षेत्र होने का गौरव प्राप्त है जो कि 12.5 मिलियन हेक्टेयर से 13.0 मिलियन हेक्टेयर के बीच है। कपास की खेती के तहत विश्व क्षेत्र का लगभग 41प्रतिशत है। भारत विश्व में कपास के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, जो विश्व कपास उत्पादन का लगभग 26 प्रतिशत है।

फरवरी 2000 में भारत सरकार द्वारा कपास पर प्रौद्योगिकी मिशन की शुरूआत के बाद से उच्च उपज वाली किस्मों के विकास, प्रौद्योगिकी के उचित हस्तांतरण, बेहतर कृषि प्रबंधन प्रथाओं, बीटी कपास संकरों की खेती के तहत बढ़े हुए क्षेत्र आदि के माध्यम से उपज और उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं। इन सभी विकासों के परिणामस्वरूप पिछले 7 से 8 वर्षों से देश में कपास उत्पादन में बदलाव आया है। प्रति हेक्टेयर उपज जो इतने वर्षों से लगभग 300 किग्रा/हेक्टेयर पर स्थिर थी, वर्ष 2017-18 में बढक़र 506 किग्रा हो गई और वर्ष 2013-14 में 566 किग्रा प्रति हेक्टेयर के स्तर पर पहुंच गई थी। यद्यपि प्रति हेक्टेयर उपज अभी भी विश्व औसत लगभग 762 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले कम है, देश में कपास की खेती के क्षेत्र में जो मूलभूत परिवर्तन हो रहे हैं, वे वर्तमान उत्पादकता स्तर को दुनिया के करीब ले जाने की क्षमता रखते हैं।

कपास का वर्तमान परिदृश्य

कपास पर बोलवर्म (इल्लियाँ) कॉम्प्लेक्स, रस चूसने वाले (सकिंग पेस्ट कॉम्प्लेक्स) जैसे कीटों का हमला होता है। रस चूसने वाले कीटों को बहुत गंभीर रूप से देखा जाना चाहिये और कभी-कभी उनके अत्यधिक प्रकोप से फसल की पैदावार बहुत कम हो जाती है। रस चूसने वाले कीटों के अवशोषण से अनुमानित नुकसान 35 प्रतिशत तक है। अन्य रस चूसने वाले कीटों में माहू (एफिड्स), तेला (जैसिड्स), चूरड़ा (थ्रिप्स) और सफेद मक्खी हैं। वे सभी अलग-अलग तरीकों से फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।

माहू के खराबी के लक्षण
  • माहू (एफिड्स) की कॉलोनियां नये तनों, छोटी पत्तियों और कलियों पर गुच्छित होती हैं।
  • पत्तियों और युवा टहनियों का मुरझाना और विकृत होना।
  • पत्तियों का पीला पडऩा और नये पौधों की अकाल मृत्यु होना।
  • हनीड्यू पत्तियों और फलों को चिपचिपा बनाता है और ब्लॅक सूटी मोल्ड कवक के विकास को बढ़ावा देते हैं।
  • वायरल रोग के लक्षण (जो फसल के पौधे के प्रकार और वायरस के प्रकार के साथ भिन्न होते हैं)।
तेला (जैसिड्) के खराबी के लक्षण
  • कोमल पत्तियाँ पीली हो जाती हैं।
  • पत्तियों का किनारा नीचे की ओर मुडऩे लगता है और लाल होना शुरू हो जाता है
  • गंभीर संक्रमण के मामले में पत्तियां कांसे या ईंट के लाल रंग जैसी हो जाती है जो विशिष्ट ‘हॉपर बर्न’ लक्षण है।
  • पत्तियों का किनारा कडक़ और कुचलने पर टुकड़ों में टूट जाता है।
    आईपीएम (ढ्ढक्करू) द्वारा सिफ़ारिश की गई रणनीतियाँ
  • सिफ़ारिश की गई किस्मों का प्रयोग करें।
  • रस चूसने वाले कीटों के सफल प्रबंधन में प्राकृतिक शत्रु महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • अत्यधिक चयनात्मक कीटनाशकों का प्रयोग करें जिनकी क्रिया अलग-अलग होती है और यह पौधों पे पूर्ण कवरेज सुनिश्चित करते हैं।
  • ऐसे कीटनाशक का चयन करें जिसका प्राकृतिक शत्रुओं पर कम से कम प्रतिकूल प्रभाव हो। पनामा (स्नद्यशठ्ठद्बष्ड्डद्वद्बस्र) उपलब्ध सर्वोत्तम आईपीएम (ढ्ढक्करू) अनुपालन विकल्पों में से एक है।
  • शुरुआती समय से ही पनामा का छिडक़ाव करें ताकि फसल रहे रस चूसक कीट मुक्त।
सफेद मक्खी के प्रकोप के संभावित कारण
  • कीड़ों के लिए अनुकूल मौसम।
  • उर्वरकों का अनुचित उपयोग- एन (नाईट्रोजन) का ज्यादा और पी (फॉस्फोरस) और के (पोटैशियम) का कम उपयोग।
  • उपयोगकर्ता के स्तर पर ईटीएल का अपर्याप्त ज्ञान और देर से कीटनाशक का प्रयोग।
  • कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग-
  • अ) समान कीटनाशकों के लिए उच्च जोखिम।
    ब) कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण प्राकृतिक शत्रुओं के विनाश के कारण सफेद मक्खियों का पुनरुत्थान।
    स) नियोनिकोटिनोइड्स के बार-बार संपर्क में आने से प्रतिरोध और पुनर्जनन होता है।
  • सफेद मक्खी में प्रतिरोध का विकास।
  • आईपीएम उपायों और प्रतिरोध प्रबंधन रणनीतियों का सीमित उपयोग।

सफेद मक्खियों से होने वाले खराबी के लक्षण
  • पत्तियों पर क्लोरोटिक धब्बे आते है जो बाद में पत्तियों पर जमा हो जाते हैं और पत्ती के ऊतकों का अनियमित पीला रंग बनाते हैं जो शिराओं से शुरू होकर पत्तियों के बाहरी किनारों तक फैल जाते हैं।
  • तीव्र प्रकोप लागत औसत के परिणामस्वरूप समय से पहले पतझड़ हो जाता है।
  • काली, मोटी फफूंदी का विकास।
  • कलियों और घेंटे या टिंडे का गिरना और बीजकोषों का खराब खुलना।
  • यह फसल को लीफ कर्ल वायरस जैसे रोगों से भी संक्रमित करता है।
सफेद मक्खी का जीवन चक्र

सफेद मक्खी का जीवनचक्र मौसम के आधार पर 14 दिनों जितना छोटा और 107 दिनों तक लंबा हो सकता है। यदि लागत औसत जीवित रहने के लिए आवश्यक हो तो सफेद मक्खी पार्थेनोजेनेटिक रूप से प्रजनन करने में सक्षम है, जिसमें अनिशेचित अंडे निम्फ में बदलते है।

एडिटोरियल

पिछले वर्ष ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) के क्रम में कई विकसित देशों ने वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (Net-Zero Emissions) का लक्ष्य प्राप्त करने की अपनी मंशा की घोषणा की थी। यद्यपि ये घोषणाएँ ‘1.5 डिग्री सेल्सियस को बनाए रखने’ की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं थीं।

  • वैश्विक कार्बन बजट का 4/5 हिस्सा पहले ही उपयोग किया जा चुका है। विकसित देश वैश्विक CO2 उत्सर्जन के आधे से अधिक भाग के लिये ज़िम्मेदार हैं। लेकिन वैश्विक ऊर्जा निर्धनता (global energy poverty) विकासशील देशों में संकेंद्रित है।
  • इसके अतिरिक्त, 20 सबसे गरीब देशों की तुलना में 20 लागत औसत सबसे अमीर देशों का औसत प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपयोग 85 गुना अधिक है।
  • इस पृष्ठभूमि में, COP27 ऊर्जा तक पहुँच से संबंधित चिंताओं को चिह्नित करने और उनका समाधान करने तथा ऊर्जा असमानता पर अंकुश रखने के दृष्टिकोण से एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

ऊर्जा निर्धनता क्या है?

  • विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) के अनुसार ऊर्जा निर्धनता (Energy लागत औसत Poverty) सतत्/संवहनीय आधुनिक ऊर्जा सेवाओं तक पहुँच की कमी की स्थिति है।
    • यह उन सभी परिस्थितियों में पाया जा सकता है जहाँ विकास का समर्थन कर सकने के लिये पर्याप्त, सस्ती, विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण, सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त ऊर्जा सेवाओं की कमी है।

    ऊर्जा असमानता का वैश्विक व्यवस्था से संबंधित:

    • ऊर्जा असमानता (Energy Inequality) वैश्विक दक्षिण (Global South) पर असंगत रूप से अधिक बोझ रखती है।
    • वैश्विक दक्षिण के ऊर्जा आयातक देशों के गरीब और कमज़ोर समुदाय इससे सबसे अधिक पीड़ित हैं।
      • एशिया और अफ्रीका के लगभग 90 मिलियन लोग, जिन्हें हाल ही में बिजली की सुविधा प्राप्त हुई, अपने ऊर्जा बिलों का भुगतान कर सकने में असमर्थ हैं।
      • वैश्विक असमानता की वास्तविकता कोविड-19महामारी के दौरान स्पष्ट रूप से उजागर हुई। उत्तर-कोविड अवधि में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के कई देश गंभीर कृषि एवं औद्योगिक मंदी का सामना कर रहे हैं।

      वैश्विक उत्तर का ऊर्जा पाखंड

      • डीकार्बोनाइज़ेशन के लिये प्रतिबद्धता: मानवजनित ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को स्वीकार करने और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) में जलवायु परिवर्तन शमन हेतु प्रतिबद्धता जताने के 30 वर्षों बाद की वस्तुस्थिति यह है कि वैश्विक उत्तर में डीकार्बोनाइजेशन का स्तर अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है।
        • अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में ही प्राथमिक ऊर्जा का 81% जीवाश्म ईंधन से प्राप्त किया जाता है।
        • इसके अतिरिक्त, वर्ष 2022 में अमेरिका और यूरोपीय संघ देशों में कोयले की खपत में भी क्रमशः 3% और 7% की वृद्धि होने का अनुमान किया गया है।
        • यूरोप की ऊर्जा खपत: यूरोप में जीवाश्म ईंधन ऊर्जा खपत में 76% (कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस का योगदान क्रमशः 11%, 31% और 34%) की हिस्सेदारी रखता है।
          • नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन यूरोपीय संघ के देशों को रूस से आयात होने वाली कुल गैस के लगभग 35% की आपूर्ति करती है।
          • यदि यूरोपीय देश ऊर्जा सौदों को इस तरह से प्रबंधित करते हैं जो उनकी अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के अनुरूप होता है तो यह स्वतंत्रता या विकल्प अन्य देशों के लिये भी मौजूद हो।
          • भारत वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों में तीव्र अस्थिरता के बीच अपने नागरिकों के लिये सबसे अच्छा सौदा पाने हेतु कार्यरत है और ‘‘इसका कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिये।’’

          भारत की ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ

          • आयात पर अत्यधिक निर्भरता: आयातित तेल पर अपनी बढ़ती निर्भरता के साथ भारत की ऊर्जा सुरक्षा गंभीर दबाव की शिकार है और वर्तमान में अवरुद्ध वैश्विक आपूर्ति शृंखला इस समस्या को और गंभीर बना रही है।
          • विलंबित घरेलू उत्पादन: कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस भारत में ऊर्जा के सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। अपर्याप्त घरेलू आपूर्ति का एक प्रमुख कारण नियामक और पर्यावरण मंज़ूरी से संबंधित देरी लागत औसत है (जिससे कोयले का खनन सबसे अधिक प्रभावित होता है)।
          • वहनीयता संबंधी चिंता: तेल के लिये उच्च सब्सिडी के दावों के बावजूद भारत पेट्रोल की वहनीयता के मामले में निम्न रैंकिंग रखता है।
            • पेट्रोलियम उत्पादों के उच्च मूल्य प्रत्यक्ष रूप से उच्च खुदरा मुद्रास्फीति में योगदान करते हैं।
              • डीजल मूल्य भारत में माल ढुलाई लागत में 60-70% हिस्सेदारी रखते हैं। माल ढुलाई की उच्च लागत हर क्षेत्र में उत्पादों के मूल्य वृद्धि में योगदान करती है।

              आगे की राह

              • नवीकरणीयऊर्जा स्रोतों की ओर ध्यान केंद्रित करना: नवीकरणीय स्रोतों से उत्पन्न ऊर्जा स्वच्छ, हरित और अधिक संवहनीय है।
                • नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाएँ निम्न-कार्बन विकास रणनीतियों में योगदान देने के अलावा भारतीय कार्यबल के लिये रोज़गार के अवसर पैदा कर सकती हैं।
                • ऊर्जा संवहनीयता को उपयुक्त प्रकार से कार्यान्वित करने के लिये ऊर्जा संसाधनों के प्रभावी उपयोग हेतु प्रौद्योगिकी विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिये।
                • इसके साथ ही, नीतियों के सही मायने में क्रियान्वयन की निगरानी के लिये स्थानीय स्तर पर एक निगरानी तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।
                • इसके साथ ही, ऊर्जा समता की दिशा में आगे बढ़ने के लिये न्यायसंगत ऊर्जा संक्रमण, ऊर्जा पहुँच और ऊर्जा न्याय पर समर्पित एक वैश्विक अंतर सरकारी संगठन की स्थापना की जानी चाहिये।

                अभ्यास प्रश्न: अवरुद्ध वैश्विक आपूर्ति शृंखला के आलोक में वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा में व्याप्त प्रमुख अंतरालों की चर्चा कीजिये।

                UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

                प्रिलिम्स:

                1. प्रश्न: भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (2015)
                2. यह एक सार्वजानिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है।
                3. यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

                नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

                (A) केवल 1
                (B) केवल 2
                (C) 1 और 2 दोनों
                (D) न तो 1 और न ही 2

                उत्तर: (C)

                मेन्स:

                प्रश्न. "सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिये सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंँच अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

                दिलों पर राज करने आ रहा Vivo का गदर Smartphone, कीमत जान उछल पड़ोगे

                Smartphone Under 25K: Vivo बहुत जल्द धमाकेदार फीचर्स वाला स्मार्टफोन लॉन्च करने वाला है. डिवाइस में 6.58 इंच का फुल एचडी+ रिजॉल्यूशन वाला डिस्प्ले लागत औसत और वॉटरड्रॉप नॉच होगा. आइए जानते हैं Vivo Y76s के फीचर्स.

                दिलों पर राज करने आ रहा Vivo का गदर Smartphone, कीमत जान उछल पड़ोगे

                HR Breaking News (ब्यूरो) : वीवो (Vivo) ने हाल ही में थाईलैंड में वीवो वाई01ए (Vivo Y01A) लॉन्च किया था और अब ऐसा लगता है कि कंपनी के पास वाई-सीरीज का एक और हैंडसेट काम कर रहा है.

                विचाराधीन स्मार्टफोन को Vivo Y76s (t1 वर्जन) कहा जाता है और यह हाल ही में चाइना टेलीकॉम वेबसाइट पर इसके स्पेक्स, मेमोरी वेरिएंट और डिजाइन की पुष्टि करने वाले रेंडर के साथ दिखाई दिया.


                Vivo Y76s Specifications


                Vivo Y76s (t1 वर्जन) को चाइना टेलीकॉम वेबसाइट पर स्पॉट किया गया है. लिस्टिंग के मुताबिक, डिवाइस में 6.58 इंच का फुल एचडी+ रिजॉल्यूशन वाला डिस्प्ले और वॉटरड्रॉप नॉच होगा. हैंडसेट में कर्व्ड बैक और फ्रेम है, और डिस्प्ले पर बेजल्स पतले हैं. इसमें पॉलीकार्बोनेट बैक होने की संभावना है.


                हैंडसेट मीडियाटेक डायमेंसिटी 700 SoC (MT6833) से पावर लेगा और Android 11 आउट ऑफ द बॉक्स चलाएगा. यह एक 4100mAh बैटरी पैक करेगा, जो औसत मिड-रेंजर कम से कम 4500mAh बैटरी के साथ आता है, जो कि बहुत कम है. चार्जिंग स्पीड अभी सामने नहीं आई है लेकिन 30W से ज्यादा की उम्मीद न करें.


                Vivo Y76s Camera


                फोटोग्राफी के लिए, हैंडसेट में एक रेक्टेंगुलर कैमरा मॉड्यूल में दो रियर कैमरे संरेखित हैं. इसमें 2MP सेकेंडरी सेंसर लागत औसत और एक एलईडी फ्लैश के साथ 50MP का प्राइमरी कैमरा सेंसर है. Y76s (t1 वर्जन) में आगे की तरफ 8MP का सेल्फी शूटर है.


                Vivo Y76s Price In India


                चाइना टेलीकॉम ने खुलासा किया कि वीवो स्मार्टफोन तीन रंगों- स्टार डायमंड व्हाइट, गैलेक्सी व्हाइट और स्टाररी नाइट ब्लैक में पेश किया जाएगा. हैंडसेट में चार्जिंग के लिए एक प्यारा 3.5 मिमी हेडफोन जैक और एक यूएसबी टाइप-सी पोर्ट है.

                इसका वजन लगभग 175 ग्राम और माप 163.84 x 75.00 x 7.79 mm है. लिस्टिंग से पता चलता है कि वीवो Y76s (t1 वर्जन) कम से कम 12GB रैम और 256GB इंटरनल स्टोरेज के साथ लॉन्च होगा. इसकी कीमत 2199 युआन (करीब 25,400 रुपये) हो सकती है.

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