रणनीति विचार

फाइनेंस का महत्त्व

फाइनेंस का महत्त्व

बरगद पीपल और हरसिंगार पौधे का महत्व

बरगद का धार्मिक और औषधीय महत्व है। आयुर्वेद के अनुसार बरगद की पत्तियों, छाल आदि से कई बीमारियों का इलाज संभव है। इसका काढ़ा बनाकर पीने से इम्युनिटी बढ़ती है। इसी तरह एंटीबायोटिक तत्वों से भरपूर नीम को सर्वोच्च औषधि के रूप में जाना जाता है। मौलश्री औषधीय वृक्ष है, जिसका सदियों से आयुर्वेद में उपयोग होता आ रहा है।

पीपल का धार्मिक और औषधीय महत्व

पीपल छायादार वृक्ष है। यह पर्यावरण शुद्ध करता है। इसका धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व है। एंटीबायोटिक तत्वों से भरपूर नीम को सर्वोच्च औषधि के रूप में जाना जाता है। बेल का पूजा-अर्चना में महत्वपूर्ण स्थान है। बेल पत्र को बिल्व का वृक्ष भी कहा जाता है। अनुसंधान में इसके विभिन्न औषधीय गुणों के बारे में जानकारी मिली है।

हरसिंगार पौधे का महत्व

हरसिंगार का पौधा ( Parijat tree ) एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी बैक्टीरियल गुणों से लैस माना जाता है। हरसिंगार के पत्ते का पानी पीने से बुखार, सर्दी, खांसी और साइनस जैसे रोगों में राहत मिलती है। इसके पत्ते को पानी उबालकर इसकी चाय पियें, यह बहुत फायदेमंद मानी जाती है।

धनतेरस पर आटो सेक्‍टर में होगी धनवर्षा: छत्‍तीसगढ़ में आठ हजार से अधिक दोपहिया व 1500 कारों की हो चुकी है बुकिंग

Dhanteras 2022: हिंदू धर्म में दीपावली पर्व का विशेष महत्‍व होता है। लेकिन एक दिन पहले धनतेरस का त्‍योहार मनाया जाता है। धनतेरस को लेकर बाजार पूरी तरह से तैयार है। अगल हफ्ते से बाजार में धन की वर्षा होने वाली है।

धनतेरस पर आटो सेक्‍टर में होगी धनवर्षा: छत्‍तीसगढ़ में आठ हजार से अधिक दोपहिया व 1500 कारों की हो चुकी है बुकिंग

रायपुर। Dhanteras 2022: हिंदू धर्म में दीपावली पर्व का विशेष महत्‍व होता है। लेकिन एक दिन फाइनेंस का महत्त्व पहले धनतेरस का त्‍योहार मनाया जाता है। धनतेरस को लेकर बाजार पूरी तरह से तैयार है। अगल हफ्ते से बाजार में धन की वर्षा होने वाली है। व्यापारियों के साथ आम लोगों को भी साल भर तक जिस दिन का इंतजार रहता है, वह शुभ दिन पुष्य नक्षत्र व धनतेरस अगले हफ्ते ही है। आटोमोबाइल संस्थानों में इसे लेकर जबरदस्त बुकिंग चल रही है। पुष्य नक्षत्र को अभी छह फाइनेंस का महत्त्व दिन का समय है और प्रदेश भर में अभी तक की स्थिति में आठ हजार से अधिक दोपहिया व 1500 से अधिक कारों की बुकिंग हो चुकी है।

आटोमोबाइल कारोबारियों का कहना है कि अगर बुकिंग को देखा जाए तो पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत ज्यादा बुकिंग हो गई है। इसे देखकर निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष काफी ज्यादा कारोबार होगा। कारोबारियों का कहना है कि इतनी जबरदस्त बुकिंग को देखकर कहा जा सकता है कि पुष्य व धनतेरस में प्रदेश में 25 हजार से अधिक दोपहिया व 25 सौ से अधिक कारें सड़कों पर उतरेंगी।

रायपुर आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन(राडा) के सचिव कैलाश खेमानी ने बताया कि लोगों के रिस्पांस को देखते हुए लगता है कि इस वर्ष रिकार्ड कारोबार होगा। कंपनियों के आफरों व फाइनेंस स्कीम को उपभोक्ता काफी पसंद कर रहे है।

संस्थानों में गाड़ी बुकिंग के लिए अलग से काउंटर बना दिए गए है और साथ ही फाइनेंस संबंधी औपचारिकताएं भी पूरी करवाई जा रही है। इसके साथ ही सर्विस सेंटरों में इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि बुकिंग हुई गाड़ी पुष्य नक्षत्र व धनतेरस के दिन पूरी तरह से उपभोक्ता को तैयार मिले। इसके लिए संचालकों द्वारा अपने कर्मचारियों की बैठक भी ली जा रही है।

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कार व दोपहिया में 90 प्रतिशत तक फाइनेंस की सुविधा है। ब्याज दर भी कम से कम रखी जा रही है। कार कंपनियों द्वारा विभिन्ना माडलों में 70 हजार तक छूट भी दी जा रही है। आटोमोबाइल कारोबारियों द्वारा इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि जो भी फाइनेंस के समय ही सारी औपचारिकताएं पूरी हो जाए। ताकि पुष्य नक्षत्र या धनतेरस के दिन गाड़ी तैयार रहे और उपभोक्ता घर लेकर जाएं।

अनंत चतुर्दशी का अध्यात्मशास्त्रीय महत्व

कुणाल सारंगी

पूर्व का वैभव प्राप्त करने के लिए श्री विष्णु देवता का अनुसरण कर किये जाने वाले इस व्रत में शेष नाग और यमुना जी का भी पूजन किया जाता है। किसी के द्वारा बताए जाने पर या अनंत का धागा प्राप्त होने पर किए जाने वाले इस व्रत के विषय में अध्यात्म शास्त्रीय जानकारी इस लेख के माध्यम से जान कर लेंगे। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी का व्रत 9 सितंबर के दिन किया जाएगा।

1.तिथि : भाद्रपद शुद्ध चतुर्दशी इस तिथि को अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है।

2.अर्थ : अनंत का अर्थ है जो कभी भी अस्त ना हो जो कभी भी समाप्त न हो और चतुर्दशी अर्थात चैतन्य रूपी शक्ति।

3.उद्देश्य : प्रमुखता से यह व्रत पूर्व वैभव प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

4.व्रत करने की पद्धति : इस व्रत के प्रमुख देवता अनंत अर्थात श्री विष्णु होते हैं तथा फाइनेंस का महत्त्व शेष और यमुना यह कनिष्ठ देवता है। इस व्रत की कालावधि 14 वर्ष है। इस व्रत की शुरुआत यदि कोई बताता है तो किया जाता है या फिर अनंत का धागा आसानी से मिलने पर किया जाता है और फिर यह व्रत उस कुल में चालू ही रहता है। अनंत की पूजा में 14 गांठ किए हुए पीले रेशमी धागे (लाल + पीला मिलकर बना रंग) की पूजा की जाती है पूजा के पश्चात धागे को यजमान के दाएं हाथ में बांधा जाता है। चतुर्दशी पूर्णिमा युक्त होने पर विशेष लाभदायक होती है।

5.अनंत व्रत के दिन का महत्व : अनंत का व्रत करने का दिन अर्थात देह की चेतना स्वरूप क्रियाशक्ति श्री विष्णु रूपी शेष गणों के आशीर्वाद से कार्यरत करने का दिन। ब्रहांड में इस दिन श्री विष्णु के पृथ्वी, जल और तेज स्तर की क्रिया शक्ति रुपी लहरी क्रियाशील रहती हैं। श्री विष्णु तत्व की उच्च अधिष्ठित लहरी सर्वसामान्य भक्तों को ग्रहण करना संभव न होने के कारण कम से कम कनिष्ठ रूप की लहरियों का सर्वसामान्य को लाभ होने के लिए इस व्रत की हिंदू धर्म में योजना बनाई गई है।
शेष देवता का कार्य :शेष देवता श्री विष्णु तत्व से संबंधित पृथ्वी, जल और तेज इन लहरी का उत्तम वाहक जाने जाते है; इसलिए शेष को इस विधि में अग्रगण्य स्थान दिया है। इस दिन ब्रह्मांड में कार्यरत क्रिया शक्ति की लहरें सर्प आकार के रूप में होने के कारण शेष रूपी देवता की पूजा के विधान से यह लहरी उसी रूप में जीव को मिलने में सहायक होती है।
6 व्रत के धागे के 14 गांठों का महत्त्व : मनुष्य देह में 14 प्रमुख ग्रंथियां होती हैं। इस ग्रंथि के फाइनेंस का महत्त्व प्रतीक स्वरूप धागे में 14 गांठें रहती हैं। प्रत्येक ग्रंथि के विशिष्ट देवता रहते हैं। इन देवताओं का इन गांठों पर आवाहन किया जाता है। धागों का बल (मरोड़) शरीर से एक ग्रंथि से दूसरे ग्रंथि तक प्रवाहित होने वाली क्रिया शक्ति रुपी चैतन्यता के प्रवाह का प्रतीक है। 14 गांठों वाले धागे को मंत्र की सहायता से प्रतीकात्मक रूप से पूजा करके ब्रह्मांड के श्री विष्णु रूपी क्रिया फाइनेंस का महत्त्व शक्ति के तत्व की धागे में स्थापना करके ऐसी क्रिया शक्ति से और उसको भारित कर वह धागा बाजू में बांधने से देह पूर्णता शक्ति से भारित हो जाता है। इस कारण चेतना के प्रवाह को गति मिल कर देह का कार्य बल बढ़ने में सहायता मिलती है। हर वर्ष पुराना धागा विसर्जित कर क्रिया शक्ति से भारित नये धागे को बांधा जाता है। इस रीति से जीवन फाइनेंस का महत्त्व में चेतना को निरंतर श्री विष्णु की क्रिया शक्ति रूपी आशीर्वाद से कार्यरत रखकर जीवन आरोग्य संपन्न और प्रत्येक कार्य और कृति सफल बनाई जाती है’।
7अनंत व्रत में यमुना जी के पूजन का महत्व : यमुना की गहराई में श्री कृष्ण जी ने कालिया रूपी क्रिया शक्ति के स्तर की रज और तम ऐसी आसुरी लहरियो का नाश किया। यमुना जी के पानी में श्रीकृष्ण तत्व अधिक प्रमाण में है। इस व्रत में कलश के पानी में यमुना जी का आवाहन कर पानी में विद्यमान श्री फाइनेंस का महत्त्व कृष्ण तत्व रूपी लहरों को जागृत किया जाता। इस लहरी के जागृत करने से देह की कालिया रूपी सर्प के आकार की रज और तम लहरी का नाश करके जल तत्व से देह शुद्धि करके फिर आगे की विधि प्रारंभ की जाती है। इस कलश पर शेष रूपी तत्व की पूजा की जाती है और विष्णु रुपी श्री कृष्ण तत्व को जागृत रखा जाता है।

MSME Day 2022: एमएसएमई क्या है? इसकी नई परिभाषा क्या है?

MSME Day 2022: एमएसएमई भारतीय इकोनॉमी की रीढ़ हैं. करीब 12 करोड़ लोगों की आजीविका इस क्षेत्र पर निर्भर करती है. ये उद्यम देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं.

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एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. करीब 12 करोड़ लोगों की आजीविका इस क्षेत्र पर निर्भर करती है. ये उद्यम देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 29 फीसदी का योगदान करते हैं.

एमएसएमई की नई परिभाषा
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को संक्षिप्त में MSME कहा जाता है. एमएसएमई दो प्रकार के होते हैं. मैनुफैक्चरिंग उद्यम यानी उत्पादन करने वाली इकाई. दूसरा है सर्विस एमएसएमई इकाई. यह मुख्य रुप से सेवा देने का काम करती हैं. हाल ही में सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा बदली है. नए बदलाव के निम्न श्रेणी के उद्यम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में आएंगे.

सूक्ष्म उद्योग: सूक्ष्म उद्योग के अंतर्गत रखा अब वह उद्यम आते हैं जिनमें एक करोड़ रुपये का निवेश (मशीनरी वगैरह में) और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो. यहां निवेश से मतलब यह है कि कंपनी ने मशीनरी वगैरह में कितना निवेश किया है. यह मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर दोनों क्षेत्र के उद्यमों पर लागू होता है.

लघु उद्योग: उन उद्योगों को लघु उद्योग की श्रेणी में रखते है जिन उद्योगों में निवेश 10 करोड़ और टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक है. यह निवेश और टर्नओवर की सीमा मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर में लागू होती है.

मध्यम उद्योग: मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के ऐसे उद्योग जिनमें 50 करोड़ का निवेश और 250 करोड़ टर्नओवर है वह मध्मम उद्योग में आएंगे . इससे पहले वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर पैकेज फाइनेंस का महत्त्व का ऐलान करते हुए एमएसएमई की परिभाषा बदली थी. वित्त मंत्री ने 20 करोड़ रुपये का निवेश और 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर वाले उद्यमों को मध्यम उद्योग में रखा था. लेकिन उद्यमी सरकार के इस नए बदलाव से भी खुश नहीं था. इसके बाद 1 जून 2020 को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने उद्यमियों की मांग को पूरा करते हुए यह बदलाव किया है. अब मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के ऐसे उद्योग जिनमें 50 करोड़ का निवेश (मशीन और यूनिट लगाने का खर्च आदि) और 250 करोड़ टर्नओवर है वह मध्मम उद्योग में आएंगे .

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