वित्तीय शब्दावली

बैंकिंग एवम वित्तीय शब्दावली : / Dictionary of Banking and Financial Terms : प्रशासनिक, विधिक एवं कम्प्युटर संबंधी शब्द समाविष्ट / Includes administrative, legel and computer terms
Material type: Book Publisher: नई दिल्ली / New Delhi यूनिकॉर्न बुक्स / Unicorn Books 2014 Description: 236p . ISBN: 9788178063515. Subject(s): Banking and Financial | Banking and Financial-- Dictionary Summary: इंग्लिश-हिन्दी/ English-Hindi
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वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology in Hindi)
वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology)
आपका, answerduniya.com में स्वागत है। इस लेख में वित्तीय प्रबन्ध से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दावली दिया गया है। इन पारिभाषिक शब्दावली में उनके साथ उसके अर्थ भी दिए गए है। किसी विषय विशेष से सम्बंधित विशिष्ट शब्दों की परिभाषा सहित सूची को पारिभाषिक शब्दावली कहा जाता है। इस लेख में वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology) दिया जा रहा है। जो अर्थव्यवस्था से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण शब्द है।
Vittiya Prabandh Paribhashik Shabdavali
1.वित्तीय प्रबन्ध(Financial Management)- वित्तीय प्रबन्ध का आशय - वित्त के साधनों व उपयोग के मध्य उचित सामन्जस्य बनाये रखना है, ताकि उपलब्ध वित्त का अधिकतम उपयोग, उपभोग एवं विनियोग समय - समय पर किया जा सके।
2.वित्तीय प्रबन्ध(Financial Management)- वेस्टन एवं ब्राइघम के अनुसार वित्तीय शब्दावली - वित्तीय प्रबन्ध वित्तीय निर्णय लेने की वह क्रिया है जो व्यक्तिगत उद्देश्यों और उपक्रम के उद्देश्यों में समन्वय स्थापित करती है।
3.रोकड़ा प्रबन्ध (Cash Management)- रोकड़ा का आना या रोकड़ा का जाना रोकड़ा प्रबन्ध कहलाता है। रोकड़ा किसी व्यवसाय का धड़कन है।
4.वित्तीय नियोजन (Financial Planning)- वॉकर एवं बॉगन के अनुसार - वित्तीय नियोजन वित्त कार्य से सम्बधित है,जिसमें फर्म के वित्तीय लक्ष्यों का निर्धारण, वित्तीय नीतियों का निर्माण एवं अनुमान तथा वित्तीय प्रविधियों का विकास सम्मिलित है।
5.अल्पकालीन वित्तीय नियोजन ( Short - Financial Planning )- एक व्यवसाय में एक वर्ष की अवधि के लिए जो वित्तीय योजना बनाई जाती है, वह अल्पकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।
6. मध्यकालीन वित्तीय नियोजन (Medium - Financial Planning)- एक व्यवसाय में एक वर्ष से अधिक की अवधि तथा पाँँच वर्ष से कम की अवधि के लिए जो वित्तीय योजना बनाई जाती है उसे मध्यकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।
7.दीर्घकालीन वित्तीय नियोजन (Long -terms - Financial Planning)-एक व्यवसाय में पाँच वर्ष अथवा अधिक अवधि के लिए बनाई गई वित्तीय योजना दीर्धकालीन वित्तीय नियोजन कहलाती है।
8.पूँजी संरचना(Capital Structure)- बैस्टन एवं वित्तीय शब्दावली ब्राइन के अनुसार - पूंजी संरचना किसी फर्म का स्थायी वित्त प्रबन्धन होता है जो दीर्घकालीन ऋणों, अधिमान अंशो तथा शुद्ध मूल्य से प्रदर्शित होता है।
9.परिचालन अनुपात (Operating ratio)- किसी व्यवसाय में कुल आय का जितने प्रतिशत भाग परिचालन व्ययों में प्रयुक्त होता है उसे परिचालन अनुपात कहा जाता है।
10.पूँजीकरण (Capitalization)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार - व्यावहारिक दृष्टिकोण से पूँजीकरण का तात्पर्य व्यापार के लिये नियमित रूप से लगी कुल पूंजी के लेखांकन मूल्य से है।
11.अति पूँजीकरण ( Over- Capitalization)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार - एक निगम को उस समय अति- पूँजीकृत कहा जाता है जब इसकी आय निर्गमन अ अंशो एवं बाण्डों पर एक उचित दर से प्रत्याय देने के लिए अपर्याप्त हो अथवा जब देय प्रतिभूतियों का पुस्तकीय मूल्य सम्पतियों के वर्तमान मूल्य से अधिक हो।
12.अल्प पूँजीकरण (Under- Capitalization)- हॉगलैण्ड के अनुसार - अल्प पूँजीकरण का आशय व्यवसाय में लगी हुई संपतियों का कुल पूँजी से मिलान करने पर सम्पतियों के अधिक होने से है।
13.द्रवित या जलयुक्त पूँजी (Water Capital)- हॉगलैण्ड के अनुसार - जब कम्पनी की सम्पतियों का वास्तविक मूल्य से कम हों जाता है तो उसे जलयुक्त पूँजी कहते है।
14.स्थायी पूँजी (Fixed Capital)- स्थायी पूँजी व्यापार का वह भाग है जिसके द्वारा व्यापार स्थापित किया जाता है।
15.वास्तविक स्थायी पूँजी (Real Fixed Capital)- व्यापार में भूमि, भवन, फर्नीचर, मशीनरी, औजार आदि आवश्यक है इन पर व्यय की गई पूँजी को वास्तविक स्थायी पूँजी कहते है।
16. अवास्तविक स्थायी पूँजी (Unreal Fixed वित्तीय शब्दावली Capital)- व्यापार में पेटेण्ट, कापीराइट, ख्याति,प्रारम्भिक व्यय प्रवर्तन, प्रबन्धन आवश्यक है इन पर व्यय की गई पूँजी को वास्तविक स्थायी पूँजी कहते है।
17.कार्यशील पूँजी(Working Capital)- गस्टर्नबर्ग के अनुसार - कार्यशील पूँजी सामान्यत: चालू सम्पतियों के आधिक्य के रूप में परिभाषित किया जाता है।
18.नियमित अथवा स्थायी कार्यशील पूँजी(Regular or Fixed Working Capital)- कार्यशील पूँजी ऐसी होती है जिसकी आवश्कता सम्पूर्ण वर्ष भर लगातार होती है। ऐसी पूँजी व्यवस्था को दीर्घकालीन ऋण से की जाती है।
19.मौसमी अथवा परिवर्तन कार्यशील पूँजी(Seasonal or variable Working Capital)- यह एक ऐसी पूँजी ही जिसका उपयोग वर्ष में किसी निश्चित मौसम में किया जाता है साथ ही यह व्यय परिवर्तनशील होता है।
20.लाभांश (Dividend)- लाभांश का शाब्दिक अर्थ लाभ का अंश से है अर्थात ऐसा अंश जिसे वितरित किया जाता है।
इस आर्टिकल में हमने वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology in Hindi) के बारे में जाना । विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology in Hindi) से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं।
उम्मीद करता हूँ कि वित्तीय प्रबन्ध - पारिभाषिक शब्दावली (Financial Management - Terminology in Hindi) की यह पोस्ट आपके लिये उपयोगी साबित होगी, अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस पोस्ट को शेयर जरुर करें।
'भारत में 76% लोग आर्थिक शब्दावली नहीं समझते'
भारत में वैश्विक औसत के मुकाबले वित्तीय साक्षरता कम है और वे मुद्रास्फीति तथा ब्याज दर जैसी प्रमुख धारणाओं को नहीं समझते। एसएंडपी रेटिंग सर्विसेज ने मंगलवार को एक सर्वे में यह कहा।
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नयी दिल्ली : भारत में वैश्विक औसत के मुकाबले वित्तीय साक्षरता कम है और वे मुद्रास्फीति तथा ब्याज दर जैसी प्रमुख धारणाओं को नहीं समझते। एसएंडपी रेटिंग सर्विसेज ने मंगलवार को एक सर्वे में यह कहा।
स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) रेटिंग सर्विसेज के वैश्विक वित्तीय साक्षरता वित्तीय शब्दावली सर्वे में कहा गया है कि एशिया में सिंगापुर में वित्तीय रूप से साक्षर वयस्क 59% हैं। उसके बाद हांगकांग तथा जापान (दोनों 43%) का स्थान है। चीन में एक तिहाई (28%) वयस्क वित्तीय साक्षर हैं। सर्वे में पाया गया कि 76% भारतीय वयस्क मुद्रास्फीति, जोखिम विविधीकरण तथा चक्रवृद्धि ब्याज जैसी प्रमुख वित्तीय धारणाओं को नहीं समझते।
इसमें कहा गया है, यह वित्तीय साक्षरता के वैश्विक औसत से भी कम है। लेकिन मोटे तौर पर अन्य ब्रिक्स देशों तथा दक्षिण एशियाई देशों के अनुरूप है। वैश्विक स्तर पर 66% वयस्क वित्तीय रूप से साक्षर नहीं हैं। सर्वे के अनुसार इस मामले में पुरुष और महिलाओं के बीच अंतर लगभग हर देश में है। वैश्विक स्तर पर जहां 65% पुरुष वित्तीय रूप से साक्षर वित्तीय शब्दावली नहीं हैं वहीं 70% महिलाएं वित्तीय धारणाओं को नहीं समझती हैं। भारत में यह अंतर और भी अधिक है। जहां 73% पुरुष वित्तीय शब्दों को नहीं समझते वहीं 80% महिलाएं वित्तीय रूप से साक्षर नहीं हैं।
वित्तीय शब्दावली
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बृहत् हिंदी कोश और अभिनव हिंदी कोश
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1.बृहत् हिंदी कोश
हिंदी चूँकि एक जीवंत भाषा है, अत: इसकी शब्दावली का भी निरंतर विकास हो रहा है।यद्यपि बाजार में आज अनेक बृहत् हिंदी कोश निर्मित एवं प्रकाशित किए गए हैं, किंतु विभिन्न विषयों में नई शिक्षण व्यवस्थाओं के कारण पिछले लगभग पचास वर्षों में जो नई शब्दावली बोल-चाल और लेखन में अवतरित हुई है, हिंदी-कोशों में उसका अभाव है। इसी कारण ये कोश आधुनिक पाठकों की वांछित आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस प्रकार के कोश की आवश्यकता को दीर्घकाल से अनुभव किया जाता रहा है। उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने एक 'बृहत् हिंदी कोश' के निर्माण की परियोजना पर 'विशिष्ट कोश योजना' के अंतर्गत कार्यारंभ किया है।
इस कोश में हिंदी के सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रयुक्त नवीन शब्दों एवं विभिन्न विषयों जैसे जनसंचार, आयुर्वेद, खेलकूद, जीवविज्ञान, रसायन, कंप्यूटर विज्ञान आदि को समाहित किया जा रहा है। इसमें मानक उच्चारण, व्याकरणिक कोटि, कुछ प्रचलित वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों के पर्याय, संक्षिप्त परिभाषा, मुहावरे, लोकोक्तियाँ तथा उनके स्रोत आदि दिए जा रहे हैं। यह कोश दो खंडों में प्रकाशित किया जा रहा हैं।
2. अभिनव हिंदी कोश
नित नूतन अनुसंधानों और वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण नई-नई विधाओं और विद्याशाखाओं का निर्माण हो रहा है। हिंदी चूँकि एक जीवंत भाषा है, अत: इसकी शब्दावली का भी निरंतर विकास हो रहा है। यद्यपि बाज़ार में आज अनेक 'हिंदी-हिंदी कोश' उपलब्ध हैं, परंतु वे हिंदी की अद्यतन शब्दावली से युक्त नहीं है और इसी कारण सजग पाठकों, मुख्यत:विद्यार्थियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। एकअद्यतन प्रामाणिक हिंदी कोश के अभाव में शब्दों के सही अर्थ समझने और उनके विषयगत प्रयोग की समस्या भी बनी रहती है। विद्यालय-स्तर पर इस प्रकार के कोश की आवश्यकता को दीर्घकाल से अनुभव किया जाता रहा है। उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने 'अभिनव हिंदी कोश' के निर्माण की परियोजना पर जनवरी, 2002 से कार्यारंभ किया।
इस कोश में माध्यमिक स्तर तथा स्नातक-पूर्व की पाठ्य पुस्तकों में प्रयुक्त विभिन्न विषयों से संबंधित शब्दावली को समाहित किया जा रहा है । इसके अतिरिक्त वित्तीय शब्दावली पिछले 50 वर्षों में जो नए (तकनीकी और गैर तकनीकी) शब्द विभिन्न विद्या शाखाओं तथा पत्र-पत्रिकाओं में प्रयुक्त होकर मानक रूप ग्रहण कर चुके हैं और प्राय: अन्य कोशों में नहीं मिलते, उन्हें विशेष रूप से इस शब्दकोश में सम्मिलित किया जा रहा है । इस कोश में इन शब्दों की व्याकरणिक कोटि, उनके सामान्य अर्थ तथा उनकी संक्षिप्त तकनीकी परिभाषा/ व्याख्या एवं तकनीकी शब्दों के अंग्रेजी समानक तथा पर्याय एवं विलोम शब्द भी दिए जा रहे हैं। इस कोश में कुल मिलाकर लगभग 13 हजार मूल प्रविष्टियाँ(कुल मिलाकर विषयवार 50 हजार से अधिक प्रविष्टियाँ) हैं। मूल्य रु 2256, पृष्ठ: 762
3. हिंदी-पारिभाषिक लघु कोश
नित्यप्रति होने वाले नवीन अनुसंधानों और वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण नई-नई विधाओं और शिक्षा व्यवस्थाओं का निर्माण हो रहा है। चूँकि हिंदी एक जीवंत भाषा है, अत: इसकी शब्दावली का भी निरंतर विकास होना स्वाभाविक है।यद्यपि बाजार में वित्तीय शब्दावली आज अनेक हिंदी-हिंदी कोश उपलब्ध हैं, परंतु वे हिंदी कीअद्यतन शब्दावली और परिभाषाओं से युक्त नहीं हैं और इसी कारण पूर्व माध्यमिक (कक्षा 8 तक के) स्तर के विद्यार्थियों की विद्या की आवश्यकताओं की पूर्ति में समर्थ नहीं हो पा रहे हैं। एकअद्यतन प्रामाणिक हिंदी कोश के अभाव में शब्दों के सही अर्थ समझने और उनके विषयगत प्रयोग की समस्या बनी वित्तीय शब्दावली रहती है। पूर्व-माध्यमिक विद्यालय स्तर पर इस प्रकार के कोश की आवश्यकता को दीर्घकाल से महसूस किया जा रहा है। उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए केंद्रीय हिंदी निदेशालय ने 'हिंदी पारिभाषिक लघु कोश' निर्माण परियोजना को सितंबर, 2008 में आरंभ किया।
इस कोश में पूर्व माध्यमिक कक्षाओं के स्तर की पाठ्य-पुस्तकों में प्रयुक्त विभिन्न विषयों से संबंधित शब्दावली को समाहित किया गया है। इसके अतिरिक्त पिछले 50 वर्षो में जो शब्द (तकनीकी और गैर-तकनीकी) पूर्व माध्यमिक स्तर की पाठ्य-पुस्तकों में समाविष्ट होकर मानक रूप ग्रहण कर चुके हैं, उन्हें विशेष रूप से इस कोश में सम्मिलित किया गया है ताकि छात्रों को सम्यक रूप से समझाए और ग्रहण कराए जा सकें। इस कोश में शब्दों के अर्थों को स्पष्ट करने हेतु उनकी अर्थ-तकनीकी परिभाषा/व्याख्या को विशेष रूप से दिया गया है। इसके साथ ही इन शब्दों की व्याकरणिक कोटि, उनके सामान्य वित्तीय शब्दावली अर्थ, आवश्यकतानुसार कहीं - कहीं उनके अंग्रेजी समानक पर्याय एवं विलोम भी दिये गये हैं। इस कोश में कुल मिलाकर लगभग वित्तीय शब्दावली 10,800 मूल प्रविष्टियों का समावेश किया गया है।
इस प्रकार यह कोश पूर्व माध्यमिक स्तर के छात्रों के लिए नई संकल्पनाओं वाला एक प्रामाणिक हिंदी पारिभाषिक लघु कोश है जो उन्हें शब्दों के अर्थ को स्पष्ट रूप से समझाने में विशेष सहायता करेगा । मूल्य रु० 306, पृष्ठ: 612
4. हिंदी व्युत्पत्ति कोश
केंद्रीय हिंदी निदेशालय की महत्वपूर्ण योजनाओं में से कोश निर्माण एक महत्वपूर्ण योजना है। इसी योजना के अंतर्गत निदेशालय द्वारा 'हिंदीव्युत्पत्ति कोश' का निर्माण मई 2013 में प्रारंभ किया गया। शब्दों की व्युत्पत्ति को भाषा के संदर्भ में विमर्श का गंभीर क्षेत्र माना गया है। इस कोश के निर्माण से विद्यार्थी वर्ग के साथ-साथ शिक्षकों, अनुवादकों, भाषा अनुसंधित्सुओं, शिक्षाविदों को भी लाभ होगा। इस हिंदी व्युत्पत्ति कोश में शब्दों के उत्स, व्याकरणिक कोटि, उनकी विकास-यात्रा और शब्दार्थ दिए जा रहे हैं। इस कोश के निर्माण में बाहरी एवं स्थानीय लब्ध प्रतिष्ठ विद्वानों की मदद ली जा रही है। इस कोश में लगभग एक लाख प्रविष्टियाँ होंगी। (यह कोश निर्माणाधीन है।)