रणनीति विचार

बाजार विभक्तिकरण का महत्व

बाजार विभक्तिकरण का महत्व
इसे सुनेंरोकेंअंत में, हम कह सकते हैं: ग्रामीण विपणन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ग्राहकों के लिए विपणन है। इसमें ग्रामीण ग्राहकों के साथ वांछित विनिमय पर पहुंचने के लिए विपणन कार्यक्रम (4 पी) डिजाइन करना शामिल है जो बाजार विभक्तिकरण का महत्व उनकी जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करता है।

ग्राहकों के साथ संपर्क के महत्व क्या है?

इसे सुनेंरोकेंCRM संतुष्ट वफादार ग्राहक को प्राप्त करने, विकसित करने और बनाए रखने, लाभदायक विकास प्राप्त करने और एक कंपनी के ब्रांड में आर्थिक मूल्य बनाने के बारे में है। सीआरएम कंपनियों को ग्राहकों के साथ दीर्घकालिक संबंधों को समझने, स्थापित करने और पोषण करने में मदद करता है, साथ ही वर्तमान ग्राहकों को बनाए रखने में मदद करता है।

इसमें ग्राहकों के फ़ोन कॉल और ई-मेल से निपटने पर बल दिया जाता है, हालांकि CRM सॉफ्टवेयर द्वारा एकत्रित जानकारी को बढ़ावा देने और ग्राहक संतुष्टि के लिए मतदान जैसे सर्वेक्षणों के लिए भी इसे इस्तेमाल कर सकते हैं।…बाजार संरचनाएं

विक्रेता अन्य
2008 राजस्व 3,620
2008 अंश (%) 39

बिक्री के बाद सेवा का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंइस लक्ष्य को पूरा करने के बाद, बिक्री पश्चात सेवा कंपनी की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक है, जहां ग्राहकों को प्राथमिक महत्व देने की नीति का सख्ती से पालन किया जाता है और ग्राहकों की जरूरतों को समर्पित, अनुभवी और अच्छी तरह से प्रशिक्षित कर्मियों के देशव्यापी नेटवर्क द्वारा देखा जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक उपभोक्ता सम्बन्ध के प्रबंधन की अवधारणा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंई-कॉमर्स या इ-व्यवसाय इंटरनेट के माध्यम से व्यापार का संचालन है; न केवल खरीदना और बेचना, बल्कि ग्राहकों के लिये सेवाएं और व्यापार के भागीदारों के साथ सहयोग भी इसमें शामिल है। बुनियादी ढांचे, उपभोक्ता और मूल्य वर्धित प्रकार के व्यापारों के लिए इंटरनेट कई अवसर प्रस्तुत करता है।

इसे सुनेंरोकेंअंतर्राष्ट्रीय मूल्य कंपनी के विदेशी बाजार के उद्देश्यों, उत्पाद से संबंधित लागत, बाजार की मांग, प्रतिस्पर्धा और परिवहन लागत, कर और शुल्क, बिक्री आयोग, बीमा और वित्तपोषण जैसे अन्य कारकों का आकलन करके निर्धारित किया जाता है

प्रभावी ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंबैक-अप प्लान तैयार रखें उन मामलों में जहां ऑर्डर पूर्ति प्रक्रिया के दौरान किसी ग्राहक का उत्पाद खराब हो जाता है या खो जाता है, बैक-अप प्लान का होना एक पूर्ण आवश्यकता है। अपने वेयरहाउसिंग सिस्टम को बेहतर बनाने के प्रयासों को रखना ग्राहकों को दिखाता है कि आप देखभाल करते हैं

बाजार विभक्तिकरण की परिभाषा (bazar vibhakti karan ki paribhasha)

आर.एस.डाबर के शब्‍दों में," बाजार विभक्तिकरण का महत्व ग्राहकों का समूहीकरण अथवा बाजार को टुकडों में बांटना ही बाजार विभक्तिकरण कहलाता है।''

राबर्ट के अनुसार,'' बाजार विभक्तिकरण बाजारों को टुकडों में बांटने की रीति-नीति है ताकी उस पर विजय प्राप्‍त की जा सकें।''

विलियम जे. स्‍टेण्‍टन के अनुसार,'' बाजार विभक्तिकरण से आशय कि‍सी उत्‍पाद के सम्‍पूर्ण विजातिय बाजार को अनेक उप-बाजार या उप-खण्‍डों में इस प्रकार विभाजित करने से है। कि‍ प्रत्‍येक उप-बाजार उप-खण्‍डों में सभी महत्‍वपूर्ण पहलूओं में समजातीयता हो।''

अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन के अनुसार ,'' बाजार विभक्तिकरण से आशय एक विजातीय बाजार के सापेक्षिक समजातीय लक्षणों वाले छोटे ग्राहक खण्‍डों में जिन्‍हें फर्म सन्‍तुष्‍ट कर सकती है विभक्‍त करने से है।''

बाजार विभक्तिकरण के उद्धेश्‍य (bazar vibhakti karan ke uddeshya)

बाजार विभक्तिकरण के उद्देश्य इस प्रकार से है--

1. ग्राहकों की रूचियां क्रय आदतों आवश्‍यकताओं प्राथमिकताओं का पता लगाना।

2. विपणन रीति-नीतियां एवं लक्ष्‍य निर्धारित करना।

3. फर्म के कार्यो को ग्राहकोन्‍मुखी बनाना।

4.बाजार विभक्तिकरण का चौथा उद्धेश्‍य यह पता लगाना है कि‍ किन क्षेत्रों पर प्रयास करने पर नये ग्राहक बाजार विभक्तिकरण का महत्व बनाये जा सकते है।

5. बाजार विभक्तिकरण में विभिन्‍न ग्राहक समूहो के क्रय सम्‍भाव का पता लगाना है जिसके अध्‍ययन से विपणन लक्ष्‍य निर्धारित कि‍ये जा सकते है।

6. ग्राहकों को उनकी समान प्रकृति स्‍वभाव व गुणों के आधार पर समजातीय वर्गों में बांटना जिससे कि‍ प्रत्‍येक वर्ग के लिए उपयुक्‍त विपणन कार्यक्रम बनाये जा सकते है।

7. बाजार विभक्तिकरण का अंतिम उद्धेश्‍य संस्‍था को अभिमुखी बनाना है। जिससे ग्राहकों को सन्‍तुष्‍ट करना व लाभ प्राप्‍त करना है।

बाजार विभक्तिकरण का महत्व (bazar vibhakti karan ka mahatva)

1. प्रतिस्‍पर्धा में सहायक

संस्‍था बाजार विभक्तिकरण के द्वारा अलग-अलग खण्‍डों में प्रतिस्‍पर्धियों की नीतियों का अध्‍ययन करके उसके प्रत्‍युतर में अपनी प्रभावी विपणन रीति-नीतियां निर्धारित कर सकती है। यह बाजार विभक्तिकरण प्रतिस्‍पर्धा की स्थिति में सहायक होती है।

2. विपणन क्रि‍याओं का मूल्‍यांकन

बा‍जार विभक्तिकरण के द्वारा प्रत्‍येक उप-खण्‍डों के लिए पृथक विपणन कार्यक्रम बनाया जा सकता है, और उसके बाद विपणन क्रि‍याओं की प्रभावशीलता का आसानी से मूल्‍यांकन कि‍या जा सकता है। अन्‍य विपणन क्रि‍यायें कैसे असफल रही है। किन बाजारों उप-खण्‍डों में विपणन क्रि‍यायें असफल रही है।

3. उत्‍पाद निष्‍ठा

विपणन जो कि‍सी बाजार विभक्तिकरण के लिए आवश्‍यकतानुसार विपणन मिश्रण तैयार करता है। वह ग्राहकों बाजार विभक्तिकरण का महत्व में उत्‍पाद-निष्‍ठा उत्‍पन्‍न करने में सफल होते है। इस प्रकार वे प्रतिस्‍पर्धा उत्‍पादों के सामने ठहर पाते है।

बाजार विभक्तिकरण के उद्देश्य - Objectives of Market Segmentation

उपर्युक्त विवेचना के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि बाजार विभक्तिकरण के निम्न उद्देश्य है।

1. ग्राहकों को उनकी समान प्रकृति, रुचियों, स्वभाव, गुणों आवश्यकताओं के अनुरूप समजातीय वर्गों में बाँटना होगा, ताकि प्रत्येक वर्ग के लिए उपयुक्त विपणन कार्यक्रम तैयार किया जा सके, जैसे पुस्तकों की बिक्री के लिए विज्ञापन अलग-अलग विषयों के विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग होगें।

2. ग्राहकों की रुचियों, क्रय आदतों, आवश्यक्ताओं तथा प्राथमिकताओं का पता लगाना ।

3. विपणन की नीतियाँ एवं लक्ष्य निर्धारित करना । 4. फर्म के कार्यों को ग्राहकोन्मुखी बनाना ।

5. उन क्षेत्रों का पता लगाना जिनमें प्रयत्न करने पर ग्राहक बनाए जा सकते हैं।

विपणन विभक्तिकरण के मुख्य उद्देश्य

(Main Objectives of Market Segmentation)

  1. बाजार के सही स्वरूप को समझना।
  2. बाजार में विद्यमान एवं भावी ग्राहकों में से एक समान आवश्यकताओं, विशेषताओं, व्यवहार वाले ग्राहकों के समूह बनाना।
  3. प्रत्येक समूह के ग्राहकों की रूचियों, आवश्यकताओं, वरीयताओं, पसन्द-नापसन्द की जानकारी करना ।
  4. उन नये बाजार क्षेत्रों को ज्ञात करना जिनमें संस्था की विपणन क्रियाओं का विस्तार किया जा सके।
  5. समुचित एवं सर्वोत्तम बाजार क्षेत्रों का चयन एवं विकास करना।
  6. संस्था के लिए सर्वश्रेष्ठ ग्राहक वर्ग को ज्ञात करना एवं उनके प्राप्ति लक्ष्य ग्राहकों के रूप में मानकर प्रयास करना।

उपभोक्ता व्यवहार की विशेषताएँ

(Characteristics of Consumer Behaviour)

उपभोक्ता व्यवहार की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नानुसार हैं जिनसे उसकी प्रकृति का अनुमान लगाया जा सकता है-

  1. क्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं से प्रकटीकरण- उपभोक्ता व्यवहार उपभोक्ता की उन क्रियाओं एवं प्रतिक्रियाओं से प्रकट होता है जो वह किसी उत्पाद या सेवा के क्रय करने से पहले या बाद में अथवा क्रय करने के दौरान करता है।
  2. शारीरिक, मानसिक, सामाजिक क्रियाएँ तथा प्रतिक्रियाएँ- क्रय व्यवहार व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक अथवा सामाजिक क्रियाओं तथा प्रतिक्रियाओं द्वारा अथवा इन सभी की सम्मिलित क्रियाओं तथा प्रतिक्रियाओं से प्रकट होता है।
  3. अनेक घटकों के प्रभावों का परिणाम- उपभोक्ता व्यवहार की एक विशेषता यह है कि यह उपभोक्ता से सम्बन्धित अनेक घटकों के प्रभावों का परिणाम है। उपभोक्ता का क्रय-व्यवहार उसके व्यक्तिगत, आर्थिक, मानसिक, सामाजिक, सांस्कृतिक घटकों तथा विभिन्न विपणन सूचनाओं के प्रभावों का सामूहिक परिणाम है। कुर्ज तथा बून (Kurtz and Boone) ने ठीक ही लिखा है कि, “उपभोक्ता व्यवहार उपभोक्ता के व्यक्तिगत प्रभावों तथा बाह्य वातावरण के घटकों के प्रभावों का परिणाम है।”
  4. क्रय-व्यवहार क्रय-निर्णयन प्रक्रिया- उपभोक्ता का व्यवहार उसके क्रय-व्यवहार की प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत वह किसी उत्पाद/सेवा के क्रय का निर्णय करता है। कुर्ज तथा बून(Kurtz and Boone) का कहना है कि “एक व्यक्ति का क्रय-व्यवहार उसकी सम्पूर्ण क्रय-निर्णयन प्रक्रिया है न कि केवल क्रय प्रक्रिया का एक चरण। इसमें न केवल क्रय से पहले एवं बाद के चरण सम्मिलित हैं बल्कि क्रय करने के दौरान आने वाले विभिन्न चरण भी सम्मिलित हैं।

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