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भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब

भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब
शेयर बाजार 18 जून 2022 ,15:15

क्रिप्टोकरेंसी बिल को दिया जा रहा है अंतिम रूप, जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा- सरकार

Cryptocurrency Bill: क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार जल्द ही बिल ला सकती है. वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा यह जानकारी दी.

क्रिप्टोकरेंसी बिल को दिया जा रहा है अंतिम रूप, जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा- सरकार

TV9 Hindi | Edited By: संजीत कुमार

Updated on: Feb 09, 2021 | 3:33 PM

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, सरकार एक क्रिप्टोकरेंसी बिल (Cryptocurrency Bill) को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. इसे जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) को भेजा जाएगा. साल 2018 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) से संबंधित लेनदेन बैंकों को प्रतिबंधित कर दिया था. हालांकि, पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध हटा दिया था. देश में क्रिप्टोकरेंसी के लिए पर्याप्त कानून नहीं है. ऐसे में सरकार क्रिप्टो करेंसी पर कुछ और कानून बनाने पर विचार कर रही है.

बता दें कि सरकार ने 17वीं लोकसभा के बजट सत्र में एक बिल सूचीबद्ध किया था, जिसमें भारत के सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकॉइन (Bitcoin), ईथर (Ether), Ripple को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव है.

क्यों लग रही है क्रिप्टोकरेंसी पर रोक?

25 जनवरी को जारी बुकलेट में आरबीआई ने कहा था कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी और उसके साथ आने वाले रिस्क को लेकर सावधान है. लेकिन मौजूदा समय में करेंसी के डिजिटलाइजेशन के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है.क्रिप्टोकरेंसी एक विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली है. इसका मतलब ये पारंपरिक मुद्रा की तरह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा रेगयुलेट नहीं की जाती. इस वजह से आरबीआई जैसे केंद्रीय बैंकों के लिए यह चिंता का विषय है. आरबीआई की तरह यूरोपियन सेंट्रल बैंक को भी क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ चेतावनी जारी की है.

कितने तरह की होती है क्रिप्टोकरेंसी

डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. बिटकॉइन के अलावा दुनिया में सैकड़ों अन्य क्रिप्टो करेंसी भी मौजूद हैं जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कॉइन, वॉइस कॉइन और मोनरो.

क्रिप्टोकरेंसी का मुनाफा काफी अधिक होता है, ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है, इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता. साल 2009 में जब बिटकॉइन को लांच किया गया था तब उसकी वैल्यू शून्य डॉलर थी. 2010 में भी इसकी वैल्यू 1 डॉलर तक नहीं पहुंची. लेकिन आज बिटकॉइन का रेट 44,000 डॉलर है.

भास्कर एक्सप्लेनर: कैसा होगा RBI का 'डिजिटल रुपया', क्या ये लेगा बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की जगह? जानिए सब कुछ

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022 में डिजिटल रुपया लॉन्च करने की घोषणा की है। यह सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, यानी CBDC होगी। RBI इस डिजिटल करेंसी को नए वित्त वर्ष की शुरुआत में लॉन्च करेगा। डिजिटल रुपया, या CBDC को डिजिटल इकोनॉमी के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। साथ ही भारत इस तरह से आधिकारिक तरीके से अपनी डिजिटल करेंसी लॉन्च करने वाला पहला बड़ा देश बन जाएगा।

ऐसे में आइए जानते हैं कि CBDC क्या है? सरकार को इसकी जरूरत क्यों पड़ी? आम लोगों के लिए यह कितना सुरक्षित और फायदेमंद होगा?

सवाल : डिजिटल करेंसी CBDC को कौन लॉन्च करेगा?

जवाब : RBI, जानिए कैसे होगी इसकी लॉन्चिंग.

  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, यानी RBI नए फाइनेंशियल ईयर में CBDC को लॉन्च करेगा। नई करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।
  • RBI की ओर से डिजिटल फॉर्म में जारी CBDC एक लीगल टेंडर होगा। सेंट्रल बैंक से जारी करेंसी की तरह ही CBDC भी होगा, लेकिन इसे नोट की तरह आप अपने जेब में नहीं रख सकेंगे।
  • यह करेंसी की तरह ही काम करेगा। साथ ही CBDC को नोट के साथ बदला भी जा सकेगा। यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में आपके अकाउंट में दिखाई देगी।
  • RBI की रिपोर्ट में पहले बताया गया था कि CBDC से आप कैश के मुकाबले आसानी से और सुरक्षित तरीके से कहीं पर भी खरीदारी कर सकेंगे।

सवाल : क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसी होगी?

जवाब : नहीं, तो फिर कैसी होगी, आइए जानते हैं…

  • CBDC क्रिप्टोकरेंसी नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक का CBDC एक लीगल टेंडर होगा।
  • इसे RBI जारी करेगा, इसलिए इसमें जोखिम नहीं होगा। इससे देश में आसानी से खरीदारी हो सकेगी।
  • ये प्राइवेट वर्चुअल करेंसी बिटकॉइन से एकदम अलग होगी।
  • प्राइवेट वर्चुअल करेंसी के साथ कई तरह की बाधाएं होती हैं और बिटकॉइन जैसी इन करेंसीज को सभी देशों में मान्यता नहीं मिली है।
  • साथ ही प्राइवेट वर्चुअल करेंसी के किसी सरकार से नहीं जुड़े होने की वजह से भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब इसमें जोखिम बहुत ज्यादा होता है।
  • प्राइवेट वर्चुअल करेंसी कमोडिटी नहीं हैं। साथ ही इनका कोई आंतरिक मूल्य भी नहीं होता है।

सवाल : क्या बिटकॉइन की ही तरह यह भी जोखिम भरी करेंसी होगी?

जवाब : नहीं, जानिए CBDC कितनी सुरक्षित है।

इन्वेस्टोपीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का लक्ष्य आम लोगों को एक लीगल और सुविधाजनक डिजिटल करेंसी मुहैया कराना है, ताकि उन्हें सुरक्षा संबंधी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़े।

सरकार की बजट में डिजिटल करेंसी की घोषणा बिटकॉइन और ईथर जैसी अन्य क्रिप्टो और वर्चुअल करेंसी को लेकर मंशा को व्यक्त करती है। RBI कई मौकों पर बिटकॉइन को लेकर चिंता जता चुका है, क्योंकि बिटकॉइन, ईथर जैसी क्रिप्टोकरेंसी के साथ मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग, टैक्स चोरी जैसा खतरा बना रहता है।

ऐसे में इसका इस्तेमाल आतंकवादी संगठन भी कर सकते हैं। इसलिए RBI ने अपनी खुद की डिजिटल करेंसी CBDC लाने की योजना की घोषणा की है।

सवाल : क्या सीबीडीसी अन्य डिजिटल पेमेंट्स से ज्यादा अच्छा है?

जवाब : हां, जानिए कैसे…

मान लीजिए आप एक यूपीआई सिस्टम से अपने बैंक अकाउंट के बजाय CBDC से लेनदेन करते हैं। इसमें कैश को हैंड ओवर करते ही इंटरबैंक सेटलमेंट की जरूरत नहीं रह जाती। इससे पेमेंट्स सिस्टम से लेनदेन ज्यादा रियल टाइम में और कम लागत में होगा। इससे भारतीय आयातक बिना किसी बिचौलिए के अमेरिकी निर्यातक को रियल टाइम में डिजिटल डॉलर का भुगतान कर सकेंगे।

सवाल : क्या RBI इसे सीधे लॉन्च कर सकेगा?

जवाब : नहीं, जानिए क्या कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी…

आरबीआई भले ही इसे लॉन्च करने को तैयार है। लेकिन यह तब तक नहीं हो सकेगा जबतक कि संसद में क्रिप्टो कानून पारित नहीं हो जाता। क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत मौजूदा प्रावधान मुद्रा को भौतिक रूप से ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट में भी संशोधन की आवश्यकता होगी।

सवाल : क्या सीबीडीसी के आने से बैंकों पर असर पड़ेगा?

जवाब : हां, जानिए किस तरह का असर होगा…

सीबीडीसी के आने से बैंक में जमा के लिए लेनदेन की मांग कम होगी। साथ ही सेटलमेंट रिस्क भी कम होगा। रिस्क फ्री होने के चलते सीबीडीसी बैंक डिपॉजिट को कम करेगा। साथ ही जमा पर सरकारी गारंटी में कटौती करेगा। वहीं यदि बैंक जमा राशि खो देते हैं, तो क्रेडिट बनाने की उनकी क्षमता सीमित हो जाएगी। क्योंकि केंद्रीय बैंक निजी क्षेत्र को लोन प्रदान नहीं कर सकते हैं।

सवाल : क्या अमेरिका, चीन और UK की अपनी डिजिटल करेंसी है

जवाब : नहीं, आइए जानते हैं किन देशों के पास अपनी खुद की डिजिटल करेंसी है।

CBDC किसी भी देश की आधिकारिक करेंसी का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डिजिटल टोकन होगा। यह पैसों के लेनदेन, आवश्यक सामानों की खरीदारी के पेमेंट्स में भी काम आएगा।

दिसंबर 2021 तक 87 देश (जिनकी वैश्विक GDP में 90% से अधिक की हिस्सेदारी है) CBDC के बारे में रिसर्च कर जानकारी जुटा रहे थे। इनमें से 35 देश मई 2020 में CBDC लाने के प्रोजेक्ट पर विचार कर रहे थे।

इनमें से 9 देश पहले ही CBDC को पूरे तरीके से लॉन्च कर चुके हैं। इनमें बहामास, 7 इस्टर्न कैरिबियन और नाइजीरिया शामिल हैं। कैरिबियन देशों से बाहर नाइजीरिया ने भी हाल में अपनी CBDC ई-नायरा लॉन्च की है। हालांकि, 4 सबसे बड़े केंद्रीय बैंकों (अमेरिका, यूरोप, जापान और UK) वाले प्रमुख देश अपनी CBDC लॉन्च करने में सबसे पीछे हैं।

चीन और दक्षिण कोरिया सहित 14 देश ऐसे हैं जो अब अपने CBDC के साथ प्रायोगिक चरण में हैं और जल्द ही इसे लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं।

सवाल : क्या डिजिटल करेंसी आम लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगी?

जवाब : हां, जानिए कैसे।

डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। जैसे UAE में एक वर्कर को सैलरी का 50% हिस्सा डिजिटल मनी के रूप में मिलता है। इससे ये लोग अन्य देशों में मौजूद अपने रिश्तेदारों को आसानी से और बिना ज्यादा शुल्क दिए पैसे भेज सकते हैं।

वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि अभी इस तरह दूसरे देशों में पैसे भेजने पर 7% से अधिक का शुल्क चुकाना पड़ता है, जबकि डिजिटल करेंसी के आने से इसमें 2% तक की कमी आएगी। इससे लो इनकम वाले देशों को हर साल 16 अरब डॉलर (1.2 लाख करोड़ रुपए) से ज्यादा पैसे मिलेंगे।

क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन पर कितना और कैसे कटेगा टैक्स? CBDT ने सबकुछ किया साफ

मोटे तौर पर, टीडीएस काटने की जिम्मेदारी एक्सचेंज पर डाल दी गई है, जिससे उनके लिए रेगुलेटरी और उसके अनुपालन (Compliance) का बोझ बढ़ जाएगा.

मोटे तौर पर, टीडीएस काटने की जिम्मेदारी एक्सचेंज पर डाल दी गई है, जिससे उनके लिए रेगुलेटरी और उसके अनुपालन (Compliance) का बोझ बढ़ जाएगा.

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) अथवा क्रिप्टो एसेट्स पर टैक्स (TDS) को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. टैक्स काटने जिम्मेदारी प्राथमिक तौर पर खरीदार की है, लेकिन एक्सचेंज को तिमाही ब्यौरा देना होगा. वह खरीदार से कॉन्ट्रैक्ट करके टैक्स काटेगी.

  • News18Hindi
  • Last Updated : June 23, 2022, 11:29 IST

नई दिल्ली. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes – CBDT) ने वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) अथवा क्रिप्टो एसेट्स पर टैक्स (TDS) को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. एक जुलाई 2022, मतलब अगले महीने की एक तारीख से, ये लागू हो जाएंगे.

अब वर्चुअल एसेट्स की बिक्री के लिए किए गए भुगतान पर 1 फीसदी का टीडीएस (Tax Deducted at Source) लगाया जाएगा. यह टैक्स एक साल में 10,000 रुपये से ज्यादा की क्रिप्टोकरेंसी के लिए की गई पेमेंट पर लागू होगा. इस बार का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की थी. इसे फाइनेंस एक्ट 2022 के सेक्शन 194एस के तहत पेश किया गया था.

टैक्स रिटर्न में करना होगा खुलासा

विभाग ने कठिनाइयों को दूर करने के लिए छह प्रश्नों के माध्यम से अलग-अलग परिदृश्यों के बारे में जानकारी दी है. नई व्यवस्था के तहत, टैक्स रिटर्न में लेनदेन का खुलासा करना होगा और एक पेपर ट्रेल बनाए रखना होगा.

यह खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के लिए मददगार होगा, क्योंकि वे वर्चुअल एसेट ट्रांसफर अथवा अन्यथा पर भी अपनी ओर से टैक्स काटने की जिम्मेदारी सौंपने के लिए एक्सचेंज के साथ कॉन्ट्रैक्ट कर सकते हैं.

TDS काटने की जिम्मेदारी एक्सचेंज पर

बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के अनुसार, टैक्स और कंसल्टिंग फर्म एकेएम ग्लोबल के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि CBDT ने व्यावहारिक परिदृश्यों को अच्छे तरीके से कवर किया है, ताकि VDAs के हस्तांतरण के लिए विचाराधीन विदहोल्डिंग के सुचारू कार्यान्वयन की सुविधा मिल सके. मोटे तौर पर, टीडीएस काटने की जिम्मेदारी एक्सचेंज पर डाल दी गई है, जिससे उनके लिए रेगुलेटरी और उसके अनुपालन (Compliance) का बोझ बढ़ जाएगा.

एक्सचेंज कर सकते हैं खरीदार या ब्रोकर के साथ कॉन्ट्रैक्ट

ऐसे मामलों में जहां VDAs का हस्तांतरण एक्सचेंज पर या उसके माध्यम से होता है और जो वीडीए ट्रांसफर किया जा रहा है, वह एक्सचेंज का ही है, तो इस मामले में अधिनियम की धारा 194एस के तहत टैक्स कटौती की प्राथमिक जिम्मेदारी खरीदार या उसके ब्रोकर की होगी. इसके एक विकल्प के रूप में एक्सचेंज खरीदार या उसके ब्रोकर के साथ एक लिखित समझौता कर सकता है कि ऐसे सभी लेनदेन के संबंध में एक्सचेंज तिमाही के लिए एक फिक्स्ड तारीख को या उससे पहले टैक्स का भुगतान करेगा.

एक्सचेंज को आयकर नियमों में निर्धारित तारीख को या उससे पहले तिमाही के ऐसे सभी लेनदेन के लिए एक तिमाही विवरण (फॉर्म संख्या 26QF में) प्रस्तुत करना होगा.

FAQ पर काम कर रहा मंत्रालय

वित्त मंत्रालय क्रिप्टोकरेंसी के टैक्सेशन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (FAQ) पर भी काम कर रहा है, जो वर्चुअल डिजिटल एसेट्स पर इनकम टैक्स के संबंध में अधिक विस्तार से जानकारी प्रदान करेगा.

वर्चुअल करेंसीज़ के लिए 10,000 रुपये से अधिक के भुगतान पर 1 प्रतिशत टीडीएस भी पेश किया गया है. कुछ विशिष्ट व्यक्तियों के लिए टीडीएस की सीमा 50,000 रुपये प्रति वर्ष होगी, जिसमें ऐसे व्यक्ति/HUFs शामिल हैं, जिन्हें आयकर अधिनियम के तहत अपने खातों का ऑडिट कराना आवश्यक है.

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Cryptocurrency: लोगों में कम होता जा रहा है क्रिप्टो का क्रेज? बाजार की हालत में हो सकते हैं ये बड़े उलटफेर, आप भी हो जाएं सावधान

Cryptocurrency: अगर यही हाल रहा तो इस साल बिटकॉइन की कीमत 14,000 डॉलर तक भी लुढ़क सकती है। छोटी क्रिप्टोकरेंसी भी गिर गई हैं, जो बिटकॉइन के साथ मिलकर चलती हैं। दूसरा सबसे बड़ा डिजिटल टोकन, एथेरियम, 12 प्रतिशत गिरकर 1,045 डॉलर पर आ गया है, जो 15 महीने का नया निचला स्तर है।

नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजार से पैसा निकालना जारी रखा है और इसी बीच वैश्विक आर्थिक मंदी के मद्देनजर क्रिप्टो बाजार और डिजिटल परिसंपत्ति क्षेत्र में बिकवाली भी तेज हो गई है। कॉइनमार्केटकैप के आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह पूरे क्रिप्टोकरेंसी बाजार से 200 अरब डॉलर से अधिक का सफाया हो गया और फरवरी 2021 के बाद पहली बार वैश्विक क्रिप्टो बाजार पूंजीकरण 1 खरब डॉलर से नीचे गिर गया। उच्च महंगाई दर, बढ़ती ब्याज दरों, रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन के लॉकडाउन जैसे कारकों से उत्पन्न अस्थिर बाजार स्थितियों के बीच बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में गिरावट के कारण भारत में पहले से ही डूबते नजर आ रहे क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी भारी बिकवाली देखी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में क्रिप्टो निवेशक और व्यापारी वर्तमान में सावधानी बरत रहे हैं और क्रिप्टो खरीदारी में एक खास गिरावट देखी गई है। क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स के सह-संस्थापक निश्चल शेट्टी ने कहा, भारतीय निवेशक सतर्क हैं और वेट एंड वॉच (बाजार पर नजर रखते हुए इंतजार) ²ष्टिकोण अपना रहे हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (बीटीसी) पिछले साल नवंबर में 69,000 डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर के बाद से लगभग 70 प्रतिशत गिर चुकी है। इस सप्ताह यह 20,000 रुपये से 21,000 रुपये प्रति कॉइन के आसपास मंडरा रहा है। विश्लेषकों के मुताबिक, अगर यही हाल रहा तो इस साल बिटकॉइन की कीमत 14,000 डॉलर तक भी लुढ़क सकती है। छोटी क्रिप्टोकरेंसी भी गिर गई हैं, जो बिटकॉइन के साथ मिलकर चलती हैं। दूसरा सबसे बड़ा डिजिटल टोकन, एथेरियम, 12 प्रतिशत गिरकर 1,045 डॉलर पर आ गया है, जो 15 महीने का नया निचला स्तर है। वर्तमान गिरावट का मतलब है कि नवंबर 2021 से एथेरियम ने अपने मूल्य का 77 प्रतिशत खो दिया है।

एथेरियम की बिक्री इस सप्ताह फिर से शुरू हुई, इसकी कीमत में जून में एक और 25 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, ऐसे निराशाजनक परि²श्य में शॉर्ट-वीडियो मेकिंग ऐप चिंगारी द्वारा भारत का अपना गैरी डिजिटल टोकन लगभग 40 फीसदी बढ़ गया है। सबसे तेजी से बढ़ते ब्लॉकचैन सोशल ऐप, चिंगारी ने इस सप्ताह 4 करोड़ मासिक औसत यूजर्स (एमएयू) को सशक्त बनाने के लिए गारी (जीएआरआई) माइनिंग प्रोग्राम की घोषणा की, जो अपने प्लेटफॉर्म पर अपने क्रिएटर्स और यूजर्स को क्रिप्टो की पेशकश करने वाला दुनिया का पहला सोशल ऐप बन गया है।

चिंगारी और गारी टोकन के सह-संस्थापक और सीईओ सुमित घोष ने कहा, यह कार्यक्रम बड़े और विनम्र क्रिएटर्स के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित करेगा। अब, ऐप पर क्रिएटर्स और यूजर्स गारी टोकन कमा सकते हैं, जिन्हें पैसे के लिए एक्सचेंजों पर कारोबार किया जा सकता है और क्रिएटर अपनी आय के एकमात्र स्रोत के रूप में ब्रांड सहयोग की दया पर ही निर्भर नहीं रहेंगे। इस बीच, भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भाग्य अभी भी अधर में लटका हुआ है और बहुप्रतीक्षित क्रिप्टो बिल को अभी तक स्पष्ट तौर पर नहीं देखा गया है। अप्रैल में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी बाजार के आकार के बारे में अपनी शंकाओं को दोहराया था और सभी देशों के लिए स्वीकार्य एक नियामक तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया था, ताकि धन को लूटने और आतंकवाद को निधि देने के लिए इसके उपयोग को रोका जा सके। उन्होंने इस मुद्दे को चिंताजनक करार दिया था।

परिणामस्वरूप भारत क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो संपत्ति के बीच अंतर करता है और मंत्री ने फरवरी में इन लेनदेन से आय पर 30 प्रतिशत कर की घोषणा की थी, जिसमें स्रोत पर 1 प्रतिशत की कटौती शामिल है। देश अगले साल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अपनी डिजिटल मुद्रा रखने की ओर अग्रसर है जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगी यूनोकॉइन के सह-संस्थापक और सीईओ सात्विक विश्वनाथ के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है और इसलिए इसे लगातार अपडेट करने के लिए नियमों की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, अगर हम क्रिप्टो के लिए दिशानिर्देश लाने की कोशिश करते हैं तो यह सफल होने की संभावना नहीं है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि केवल क्रिप्टोकरेंसी ही नहीं, डीआईएफआई (विकेंद्रीकृत वित्त) प्लेटफॉर्म के निवेशकों को भी इस विशेष प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी सेवा की लिक्विडिटी के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच सावधानी और जांच करने की आवश्यकता है। डेफी प्लेटफॉर्म और सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी उधारदाताओं में से एक, सेल्सियस नेटवर्क ने चेताते हुए घोषणा की है कि यह अपने 17 लाख ग्राहकों के लिए सभी निकासी, स्वैप और खातों के बीच हस्तांतरण को रोक रहा है। दुनिया के सबसे बड़े स्वतंत्र वित्तीय सलाहकारों में से एक, डेवीरे ग्रुप के सीईओ, निगेल ग्रीन ने कहा, व्यापक क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से हिला दिया गया है – बिटकॉइन जैसी वास्तविक क्रिप्टोकरेंसी द्वारा नहीं, बल्कि डेफी द्वारा।

खत्म हो रही क्रिप्टो में लोगों की दिलचस्पी? बड़ी बिकवाली जारी रहने से भारतीय निवेशक सावधान

शेयर बाजार 18 जून 2022 ,15:15

खत्म हो रही क्रिप्टो में लोगों की दिलचस्पी? बड़ी बिकवाली जारी रहने से भारतीय निवेशक सावधान

खत्म हो रही क्रिप्टो में लोगों की दिलचस्पी? बड़ी बिकवाली जारी रहने से भारतीय निवेशक सावधान

में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:

में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:

निशांत अरोड़ानई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजार से पैसा निकालना जारी रखा है और इसी बीच वैश्विक आर्थिक मंदी के मद्देनजर क्रिप्टो बाजार और डिजिटल परिसंपत्ति क्षेत्र में बिकवाली भी तेज हो गई है।

कॉइनमार्केटकैप के आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह पूरे क्रिप्टोकरेंसी बाजार से 200 अरब डॉलर से भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब अधिक का सफाया हो गया और फरवरी 2021 के बाद पहली बार वैश्विक क्रिप्टो बाजार पूंजीकरण 1 खरब डॉलर से नीचे गिर गया।

उच्च महंगाई दर, बढ़ती ब्याज दरों, रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन के लॉकडाउन जैसे कारकों से उत्पन्न अस्थिर बाजार स्थितियों के बीच बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में गिरावट के कारण भारत में पहले से ही डूबते नजर आ रहे क्रिप्टोकरेंसी बाजार में भी भारी बिकवाली देखी जा रही है।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में क्रिप्टो निवेशक और व्यापारी वर्तमान में सावधानी बरत रहे हैं और क्रिप्टो खरीदारी में एक खास गिरावट देखी गई है।

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स के सह-संस्थापक निश्चल शेट्टी ने कहा, भारतीय निवेशक सतर्क हैं और वेट एंड वॉच (बाजार पर नजर रखते हुए इंतजार) ²ष्टिकोण अपना रहे हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन (बीटीसी) पिछले साल नवंबर में 69,000 डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर के बाद से लगभग 70 प्रतिशत गिर चुकी है।

इस सप्ताह यह 20,000 रुपये से 21,000 रुपये प्रति कॉइन के आसपास मंडरा रहा है।

विश्लेषकों के मुताबिक, अगर यही हाल रहा तो इस साल बिटकॉइन की कीमत 14,000 डॉलर तक भी लुढ़क सकती है।

छोटी क्रिप्टोकरेंसी भी गिर गई हैं, जो बिटकॉइन के साथ मिलकर चलती हैं।

दूसरा सबसे बड़ा डिजिटल टोकन, एथेरियम, 12 प्रतिशत गिरकर 1,045 डॉलर पर आ गया है, जो 15 महीने का नया निचला स्तर है।

वर्तमान गिरावट का मतलब भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब है कि नवंबर 2021 से एथेरियम ने अपने मूल्य का 77 प्रतिशत खो दिया है।

कॉइनटेलीग्राफ के अनुसार, एथेरियम की बिक्री इस सप्ताह फिर से शुरू हुई, इसकी कीमत में जून में एक और 25 प्रतिशत की गिरावट आई है।

हालांकि, ऐसे निराशाजनक परि²श्य में शॉर्ट-वीडियो मेकिंग ऐप चिंगारी द्वारा भारत का अपना गैरी डिजिटल टोकन लगभग 40 फीसदी बढ़ गया है।

सबसे तेजी से बढ़ते ब्लॉकचैन सोशल ऐप, चिंगारी ने इस सप्ताह 4 करोड़ मासिक औसत यूजर्स (एमएयू) को सशक्त बनाने के लिए गारी (जीएआरआई) माइनिंग प्रोग्राम की घोषणा की, जो अपने प्लेटफॉर्म पर अपने क्रिएटर्स और यूजर्स को क्रिप्टो की पेशकश करने वाला दुनिया का पहला सोशल ऐप बन गया है।

चिंगारी और गारी टोकन के सह-संस्थापक और सीईओ सुमित घोष ने कहा, यह कार्यक्रम बड़े और विनम्र क्रिएटर्स के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित करेगा। अब, ऐप पर क्रिएटर्स और यूजर्स गारी टोकन कमा सकते हैं, जिन्हें पैसे के लिए एक्सचेंजों पर कारोबार किया जा सकता है और क्रिएटर अपनी आय के एकमात्र स्रोत के रूप में ब्रांड सहयोग की दया पर ही निर्भर नहीं रहेंगे।

इस बीच, भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भाग्य अभी भी अधर में लटका हुआ है और बहुप्रतीक्षित क्रिप्टो बिल को अभी तक स्पष्ट तौर पर नहीं देखा गया है।

अप्रैल में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी बाजार के आकार के बारे में अपनी शंकाओं को दोहराया था और सभी देशों के लिए स्वीकार्य एक नियामक तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया था, ताकि धन को लूटने और आतंकवाद को निधि देने के लिए इसके उपयोग को रोका जा सके। उन्होंने इस मुद्दे को चिंताजनक करार दिया था।

परिणामस्वरूप भारत क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो संपत्ति के बीच अंतर करता है और मंत्री ने फरवरी में इन लेनदेन से आय पर 30 प्रतिशत कर की घोषणा की थी, जिसमें स्रोत पर 1 प्रतिशत की कटौती शामिल है।

देश अगले साल भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अपनी डिजिटल मुद्रा रखने की ओर अग्रसर है जो ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगी।

यूनोकॉइन के सह-संस्थापक और सीईओ सात्विक विश्वनाथ के अनुसार, क्रिप्टोकरेंसी उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है और इसलिए इसे लगातार अपडेट करने के लिए नियमों की आवश्यकता होगी।

उन्होंने कहा, अगर हम क्रिप्टो के लिए दिशानिर्देश लाने की कोशिश करते हैं तो यह सफल होने की संभावना नहीं है।

विशेषज्ञों ने चेतावनी भारतीय खरीदारों के लिए क्या है क्रिप्टो करेंसी बिल का मतलब दी है कि केवल क्रिप्टोकरेंसी ही नहीं, डीआईएफआई (विकेंद्रीकृत वित्त) प्लेटफॉर्म के निवेशकों को भी इस विशेष प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी सेवा की लिक्विडिटी के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच सावधानी और जांच करने की आवश्यकता है।

डेफी प्लेटफॉर्म और सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी उधारदाताओं में से एक, सेल्सियस नेटवर्क ने चेताते हुए घोषणा की है कि यह अपने 17 लाख ग्राहकों के लिए सभी निकासी, स्वैप और खातों के बीच हस्तांतरण को रोक रहा है।

दुनिया के सबसे बड़े स्वतंत्र वित्तीय सलाहकारों में से एक, डेवीरे ग्रुप के सीईओ, निगेल ग्रीन ने कहा, व्यापक क्रिप्टो पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से हिला दिया गया है - बिटकॉइन जैसी वास्तविक क्रिप्टोकरेंसी द्वारा नहीं, बल्कि डेफी द्वारा।

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