पूर्वानुमान 1000 व्यापारियों

पूर्वानुमान 1000 व्यापारियों
नयी दिल्ली: एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी का अडाणी समूह हरित ऊर्जा, डेटा केंद्र, हवाई अड्डे से लेकर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में 150 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करेगा। समूह का लक्ष्य 1,000 अरब डॉलर के मूल्यांकन वाली वैश्विक कंपनियों की विशिष्ट सूची में शामिल होने का है।
अडाणी समूह के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) जुगेशिंदर ‘रॉबी’ सिंह ने 10 अक्टूबर को वेंचुरा सिक्योरिटीज लि. द्वारा यहां आयोजित निवेशक बैठक में समूह की विकास योजनाओं का ब्योरा दिया। वर्ष 1988 में एक व्यापारी के रूप में कारोबार शुरू करने वाले समूह ने काफी तेजी से बंदरगाह, हवाई अड्डा, सड़क, बिजली, नवीकरणीय ऊर्जा, बिजली पारेषण, गैस वितरण और एफएमसजी क्षेत्र में पैर पसारे हैं। हाल के समय में समूह डेटा केंद्र, हवाई अड्डा, पेट्रोरसायन, सीमेंट और मीडिया जैसे क्षेत्रों में उतरा है।
उन्होंने कहा कि समूह की अगले 5-10 साल में हरित हाइड्रोजन कारोबार में 50-70 अरब डॉलर और हरित ऊर्जा में 23 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना है। यह बिजली पारेषण में सात अरब डॉलर, ‘ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी’ में 12 अरब डॉलर और सड़क क्षेत्र में पांच अरब डॉलर का निवेश करेगा।
समूह के क्लाउड सेवाओं के साथ डेटा केंद्र कारोबार में प्रवेश के लिए उसे एज कॉनेक्स के साथ साझेदारी में 6.5 अरब डॉलर का निवेश करना होगा और हवाई अड्डों के लिए 9-10 अरब डॉलर की योजना बनाई गई है। हवाई अड्डा क्षेत्र में समूह पहले ही सबसे बड़ा निजी परिचालक है। एसीसी और अंबुजा सीमेंट के अधिग्रहण के साथ सीमेंट क्षेत्र में प्रवेश के लिए समूह ने 10 अरब डॉलर का निवेश किया है।
समूह पेट्रोरसायन कारोबार में भी उतरा है। इसकी योजना दो अरब डॉलर के निवेश से 10 लाख टन सालाना का पीवीसी विनिर्माण संयंत्र लगाने की है। उन्होंने कहा कि अडाणी समूह एक अरब डॉलर के निवेश से पांच लाख टन सालाना का स्मेल्टर लगाएगा और इसके साथ तांबा क्षेत्र में उतरेगा।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रवेश के तहत बीमा, अस्पताल और डायग्नॉस्टिक और फार्मा में सात से 10 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। इसमें से कुछ राशि अडाणी फाउंडेशन से मिलेगी।
समूह का बाजार पूंजीकरण 2015 में 16 अरब डॉलर था। 2022 तक सात साल में यह 16 गुना होकर 260 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
उम्मीदों का मौसम मानसून
मानसून भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए तो बेहद अहम है हीं, भारत के लोक जीवन से भी गहरे जुड़ा है। यह गर्मी की तपिश से निजात दिलाता है और लोगों में उत्साह व खुशी का संचार करता है। मानसून से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विश्लेषण।
इन दिनों दो समस्याओं से लोग परेशान हैं, एक गर्मी और दूसरी महंगाई। दोनों को काबू करने का इलाज मानसून के पास है। दरअसल हमारे देश के लिए मानसून समृद्धि का सूचक है। यह आर्थिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी भारतीय जीवनशैली में गहरे रचा-बसा है। मानसून हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है, क्योंकि देश में 65 फीसदी कृषि आज भी मानसून की बारिश पर निर्भर है। बारिश अच्छी होगी तो कृषि उपज बढ़ेगी और महंगाई काबू में रहेगी। यदि मानसून बिगड़ा तो अनाज कम पैदा होगा और महंगाई बढ़ेगी। पौराणिक ग्रंथों एवं कथाओं में भी मानसून का जिक्र है। इसलिए आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में संगीत, वेशभूषा, मकानों की बनावट व खान-पान पर मानसून का प्रभाव साफ दिखता है। तीसरे, मानसून जब देश में दस्तक देता है, उस समय करीब-करीब सारा भारत तप रहा होता है और मानसून की फुहारें तन-मन को राहत प्रदान करती हैं।
अरबी शब्द मौसिम से मानसून शब्द निकला, जिसका मतलब है हवाओं का मिजाज। मानसून का इतिहास काफी पुराना है। 16वीं शताब्दी में मानसून शब्द का सबसे पहले प्रयोग समुद्र मार्ग से होने वाले व्यापार के संदर्भ में हुआ। तब भारतीय व्यापारी शीत ऋतु में इन हवाओं के सहारे व्यापार के लिए अरब व अफ्रीकी देशों में जाते थे और ग्रीष्म ऋतु में अपने देश वापस लौटते थे। शीत ऋतु में हवाएं उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती हैं, जिसे शीत ऋतु का मानसून कहा जाता है, जबकि ग्रीष्म ऋतु में इसके विपरीत बहती हैं। इसे दक्षिण-पश्चिम मानसून या गर्मी का मानसून कहा जाता है। इन हवाओं से व्यापारियों को नौकायन में सहायता मिलती थी। इसलिए इन्हें ट्रेड विंड भी कहा जाता है।
ग्रीष्म ऋतु में जब हिन्द महासागर में सूर्य विषुवत रेखा के ठीक ऊपर होता है तो मानसून की स्थितियां बननी शुरू होती हैं। इससे समुद्र गरमाने लगता है और उसका तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है। उस समय धरती का तापमान 45-46 डिग्री तक पहुंच चुका होता है। तब हिन्द महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएं सक्रिय होती हैं। ये हवाएं आपस में क्रॉस करते हुए विषुवत रेखा पार कर एशिया की तरफ बढ़नी शुरू होती हैं। इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है। ये हवाएं समुद्र के जल के वाष्पन से उत्पन्न जल वाष्प को सोख लेती हैं तथा पृथ्वी पर आते ही ऊपर उठती हैं और वर्षा देती हैं। जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में झमाझम पानी बरसाने लगता है।
कृषि की प्राणवायु है मानसून
देश में खेती-बाड़ी का 65 फीसदी दारोमदार मानसूनी बारिश पर टिका है। सिंचाई की सुविधा सिर्फ 40 फीसदी क्षेत्र को उपलब्ध है। लेकिन इसके लिए भी बारिश चाहिए, क्योंकि बारिश न होने से नदियों का पानी घट जाता है, जिसका असर बांधों पर पड़ता है। बांधों में पानी की कमी होती है। भूजल भी तभी रिचार्ज होता है, जब बारिश होती है। बांधों में पानी की कमी से बिजली उत्पादन प्रभावित होता है। बिजली नहीं होगी तो नलकूप भी नहीं चल पाएंगे। इसी प्रकार नदियों का पानी घटने से नहरें सूखने लगती हैं। इस प्रकार कृषि के लिए मानसून की भूमिका अहम है। यहां एक बात और, जलवायु परिवर्तन से मानसून के भी प्रभावित होने की आशंका व्यक्त की जा रही है, जो भारत के लिए सर्वाधिक चिंताजनक स्थिति होगी।
सुधर रही है मानसून की भविष्यवाणी
गर्मी शुरू होते ही किसान मानसून का इंतजार करने लगते हैं। मानसून विभाग अप्रैल मध्य में मानसून को लेकर दीर्घावधि पूर्वानुमान जारी करता है। इसके बाद फिर मध्यम अवधि और लघु अवधि के पूर्वानुमान जारी होते हैं। मौसम विभाग की भविष्यवाणियों में हाल के वर्षो में सुधार हुआ है। इधर, देश भर में कई जगहों पर डॉप्लर राडार लगाए जा रहे हैं, जिससे आगे स्थिति और सुधरेगी। अभी मध्यम अवधि की भविष्यवाणी, जो 15 दिन से एक महीने की होती है, 70-80 फीसदी तक सटीक निकलती है। हां, लघु अवधि की भविष्यवाणी, जो अगले 24 घंटों के लिए होती है, करीब 90 फीसदी तक सही होती है। अलबत्ता नावकास्ट की भविष्यवाणी करीब-करीब 99 फीसदी सही निकलती है।
अल-नीनो व लॉ-नीनो असर डालते हैं मानसून पर
प्रशांत महासागर में दक्षिण अमेरिका के निकट खासकर पेरू वाले क्षेत्र में यदि विषुवत रेखा के इर्द-गिर्द समुद्र की सतह अचानक गर्म होनी शुरू हो जाए तो अल-नीनो सिस्टम बनता है। लेकिन इसका मानसून पर असर तभी होता है, जब तापमान में यह बढ़ोत्तरी .5 डिग्री से 2.5 डिग्री के बीच हो। इस तापमान वृद्धि से मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागर में हवा के दबाव में कमी आने लगती है। असर यह होता है कि विषुवत रेखा के इर्द-गिर्द चलने वाली ट्रेड विंड कमजोर पड़ने लगती हैं। यही हवाएं मानसूनी हवाएं हैं। इससे मानसून कमजोर पड़ जाता है। कभी-कभी यहां पर ठीक इसके उलट मौसमी घटना होती है। समुद्र की सतह ठंडी होने लगती है, जिसे लॉ-नीनो कहा जाता है। इससे पैदा होने से हवा के दबाव में तेजी आती है और ट्रेड विंड को गति मिलती है, जो भारतीय मानसून के लिए अच्छी स्थिति होती है।
मानसून का विकल्प हो सकती है क्लाउड सीडिंग
मानसून का विकल्प अभी तो नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक इस मोर्चे पर चुप नहीं बैठे हैं। क्लाउड सीडिंग इसका विकल्प हो सकता है। भारत में इस विषय को उठाया जा चुका है। इस दिशा में अभी कुछ अरसे पूर्व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी, पुणे (आईआईटीएम) के वैज्ञानिकों ने क्लाउड सीडिंग को लेकर स्टडी शुरू की है। स्टडी में यह पता लगाया जा रहा है कि देश में ऐसे कौन-कौन से इलाके हैं, जहां बादल तो बनते हैं, लेकिन अक्सर मानसून धोखा दे जाता है। क्लाउड सीडिंग से पूर्व कई और पैरामीटर देखे जाते हैं। इन स्थानों में मौजूद धूल कणों तथा अन्य तत्वों को भी मापा जा रहा है। ऐसे सभी क्षेत्रों की पहचान कर उन्हें क्लाउड सीडिंग के लिए चिन्हित किया जाएगा। क्लाउड सीडिंग में यदि आसमान में बादल छाए हैं और हवा में नमी है तो वायुयान से बादलों के ऊपर सिल्वर आयोडाइड रसायन का छिड़काव किया जाता है, जिससे बादल बरसने लगते हैं। पूर्व में कुछ राज्य सरकारों ने ऐसे उपाय किए, लेकिन वे खास सफल नहीं हो पाए। अर्थ साइंस मंत्रालय इसके सभी पहलुओं की स्टडी कर रहा है। यह बेहद महंगी प्रक्रिया है तथा इसके मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर कुछ बुरे प्रभाव भी हैं, लेकिन सूखे के खतरे के सामने वे नगण्य हैं।
मानसून: कुछ तथ्य
- मानसून हिन्द महासागर में पैदा होता है और मई के दूसरे सप्ताह में बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान निकोबार द्वीप समूह में दस्तक देता है। 1 जून को केरल में इसकी एंट्री होती है।
- देश में मानसून के चार महीनों में 89.0 सेंटीमीटर औसत बारिश होती है। 80 फीसदी बारिश मानसून के चार महीनों जून-सितंबर के दौरान होती है।
- देश की 65 फीसदी खेती-बाड़ी मानसूनी बारिश पर निर्भर है। बिजली उत्पादन, भूजल रिचार्ज, नदियों का पानी भी मानसून पर निर्भर है।
- पश्चिमी तट और पूर्वोत्तर के राज्यों में 200 से 1000 सेमी बारिश होती है, जबकि राजस्थान और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा सिर्फ 10-15 सेमी होती है।
- केरल में मानसून जून के शुरू में दस्तक देता है और अक्टूबर तक करीब पांच महीने रहता है, जबकि राजस्थान में सिर्फ डेढ़ महीने ही मानसूनी बारिश होती पूर्वानुमान 1000 व्यापारियों है। वहीं से मानसून की विदाई होती है।
सूरत : उकाई बांध में 1,000 क्यूसेक की आय के साथ नया पानी पहुंचा, सतह में सामान्य वृद्धि
उपरीक्षेत्र में हथनूर बांध से 3,500 क्यूसेक और प्रकाशा बांध से 7,000 क्यूसेक पानी छोडा गया
सूरत के नागरिकों की मानसून में चार महीने जिस पर नजर रहती है वह दक्षिण गुजरात की लाईफालाईन समान उकाई बांध में उपरी क्षेत्र से 1,000 क्यूसेक पानी के नए प्रवाह के साथ, बांध की सतह पिछले दो दिनों में सामान्य वृध्दी के साथ जलस्तर 315.66 फीट होने पर डेम ओथोरिटी सावधान हो गई है।
उकाई बांध के जलग्रहण क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से कम बारिश हो रही थी। लेकिन पूर्वानुमान 1000 व्यापारियों पिछले दो दिनों के दौरान उपरी क्षेत्र में धीमी गति से बारीश होने के कारण बांध में नए पानी की आय शुरू हो गई है। उकाई बांध के उपरी क्षेत्र महाराष्ट्र के केचमेन्ट एरिया में मेघराजा की रफ्तार धीमी हो गई है और 110 मिमी बारिश का पानी गिर चुका है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में तापी नदी के मध्यप्रदेश राज्य में जलग्रहण क्षेत्र में हुई अच्छी बारिश के कारण हथनूर बांध के गेट खोल दिए गए और चार हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया।जैसे ही पानी प्रकाश वियर कम कोजवे में आया तो वहा के स्थानिय क्षेत्र की बारिश के साथ कुल 7000 क्यूसेक पानी तापी नदी में छोड़ा जा रहा है। जिसके चलते उकाई बांध को मानसून के इस सिजन में पहली बार नया पानी मिलना शुरू हो गया। उस समय उकाई बांध की सतह 312.5 फीट थी। लगातार दो दिनों तक पानी का बहाव जारी रहने से रविवार शाम उकाई बांध में जलस्तर बढ़कर 315.54 फीट हो गया। इस समय, उकाई बांध में 1,000 अंतर्वाह और 1,000 बहिर्वाह दर्ज किए गए थे। उकाई बांध का रूल लेवल से 6 फीट दुर है। और डरावनी सतह 40 फीट दुर है। सतधिशो ने जून के अंत और पूर्वानुमान 1000 व्यापारियों जुलाई की शुरुआत से उकाई बांध के पूर्वानुमान पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।
सूरत : शांतिपूर्ण माहौल में मतदान संपन्न, 16 सीटों पर 168 प्रत्याशी का भविष्य ईवीएम में सील
100 साल से अधिक उम्र वाले शतायु मतदारों ने भी मतदान केन्द्र पर पहुंचकर मतदान किया, साधु संतो, गर्भवती महिला ने भी अपने मताधिकार का उपयोग किया
सूरत : सैनिक का ड्रेस पहनकर मतदान केन्द्र पर बच्चा सुरक्षा में शामिल हुआ
चार वर्षीय स्वयं पटेल ने रांदेर के लोकमान्य स्कूल में चल रही मतदान प्रक्रिया में सैनिक का ड्रेस पहनकर सुरक्षा प्रदान की
सूरत : लोकशाही के असली बादशाह 'मतदाता' भाई-बहन ने 'शाही ठठ' से डाला वोट
पहले मतदान की खुशी में घोड़ों की सवारी, भाई-बहन घोड़े पर सवार होकर वोट देने निकले
सूरत : कतारगाम में ईवीएम मशीन में खराबी, कुछ देर के लिए बिजली आपूर्ति बाधित हुई
कतारगाम और उत्तर विधानसभा क्षेत्र में टेक्नीकल कारणों से ईवीएम मशीन और बिजली आपूर्ति बाधित हुई थी
बांग्लादेश -यात्रियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी 2022
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बांग्लादेश गणतन्त्र (बांग्ला) ("गणप्रजातन्त्री बांग्लादेश") दक्षिण जंबूद्वीप का एक राष्ट्र है। देश की उत्तर, पूर्व और पश्चिम सीमाएँ भारत और दक्षिणपूर्व सीमा म्यान्मार देशों से मिलती है; दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल एक बांग्लाभाषी अंचल, बंगाल हैं, जिसका ऐतिहासिक नाम “বঙ্গ” बंग या “বাংলা” बांग्ला है। इसकी सीमारेखा उस समय निर्धारित हुई जब 1947 में भारत के विभाजन के समय इसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पाकिस्तान का पूर्वी भाग घोषित किया गया।पूर्व और पश्चिम पाकिस्तान के मध्य लगभग 1600 किमी (1000 मील) की भौगोलिक दूरी थी। पाकिस्तान के दोनों भागों की जनता का धर्म (इस्लाम) एक था, पर उनके बीच जाति और भाषागत काफ़ी दूरियाँ थीं। पश्चिम पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार के अन्याय के विरुद्ध 1971 में भारत के सहयोग से एक रक्तरंजित युद्ध के बाद स्वाधीन राष्ट्र बांग्लादेश का उदभव हुआ। स्वाधीनता के बाद बांग्लादेश के कुछ प्रारंभिक वर्ष राजनैतिक अस्थिरता से परिपूर्ण थे, देश में 13 राष्ट्रशासक बदले गए और 4 सैन्य बगावतें हुई। विश्व के सबसे जनबहुल देशों में बांग्लादेश का स्थान आठवां है। किन्तु क्षेत्रफल की दृष्टि से बांग्लादेश विश्व में 93वाँ है। फलस्वरूप बांग्लादेश विश्व की सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। मुसलमान- सघन जनसंख्या वाले देशों में बांग्लादेश का स्थान 4था है, जबकि बांग्लादेश के मुसलमानों की संख्या भारत के अल्पसंख्यक मुसलमानों की संख्या से कम है। गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित यह देश, प्रतिवर्ष मौसमी उत्पात का शिकार होता है और चक्रवात भी बहुत सामान्य हैं। बांग्लादेश दक्षिण एशियाई आंचलिक सहयोग संस्था, सार्क और बिम्सटेक का प्रतिष्ठित सदस्य है। यह ओआइसी और डी-8 का भी सदस्य है।
जय बांग्ला (জয় বাংলা) बांग्लादेश का जातीय स्लोगाण है।
बांग्लादेश: संख्याएं और तथ्य 2022
जनसंख्या प्रति km2 : 1106
कुल क्षेत्रफल : 147,570 km²
प्रधानमंत्री : Sheikh Hasina
राष्ट्रगान : Amar Shonar Bangla
पूंजी : ढाका
बांग्लादेश बड़ा नक्शा दिखाएं
यात्रा सूचना
मुस्लिम रूपांतरण और निपटान क्षेत्र में अब बांग्लादेश के रूप में भेजा 10 वीं सदी में शुरू हुआ, मुख्य रूप से अरब और फारसी व्यापारियों और प्रचारकों से । गोरों ने 16 वीं सदी में क्षेत्र में व्यापार पदों की स्थापना शुरू की । अंततः बंगाल के रूप में जाना जाता क्षेत्र, पश्चिमी खंड में मुख्य रूप से हिंदू और पूर्वी आधे में ज्यादातर मुस्लिम, ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया । १९४७ में विभाजन पाकिस्तान के एक पूर्वी पंख में मुस्लिम-बहुसंख्यक क्षेत्र है, जो पूर्वी पाकिस्तान बन गया में हुई । एक बंगाली स्वतंत्रता आंदोलन के नेतृत्व में पाकिस्तान के पूर्वी और पश्चिमी पंखों के बीच अधिक से अधिक स्वायत्तता और दुश्मनी के लिए कॉल । यह आंदोलन, अवामी लीग (अल) के नेतृत्व में और भारत द्वारा समर्थित, १९७१ में बांग्लादेश के लिए स्वतंत्रता जीती है, हालांकि कम से ३००,००० नागरिकों की इस प्रक्रिया में मृत्यु हो गई । स्वतंत्रता के बाद, अल सरकार चुनौतीपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा और १९७५ में सैंय द्वारा उखाड़ फेंकना था, सैंय कूप कि एक सैंय समर्थित सरकार और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के बाद निर्माण के परिणामस्वरूप की एक श्रृंखला को ट्रिगर । कि सरकार भी १९८१ में एक तख्तापलट में समाप्त हो गया, सैंय द्वारा समर्थित १९९१ में डेमोक्रेटिक चुनाव तक शासन के बाद । बीएनपी और अल एकांतर से सत्ता में तब से आयोजित किया है, एक सैंय के अपवाद के साथ समर्थित, आपातकालीन कार्यवाहक शासन है कि संसदीय चुनाव २००७ जनवरी के लिए एक राजनीतिक प्रणाली और भ्रष्टाचार की जड़ में सुधार के प्रयास में स्थगित की योजना बनाई । कि सरकार ने अल और प्रधानमंत्री शेख हसीना के चुनाव के साथ २००८ दिसंबर में पूर्वानुमान 1000 व्यापारियों पूर्वानुमान 1000 व्यापारियों देश को पूरी तरह लोकतांत्रिक शासन के लिए लौटा दिया. अंतर्राष्ट्रीय विकास सहायता की मदद से, बांग्लादेश ने स्वतंत्रता के बाद से खाद्य सुरक्षा में काफी प्रगति की है, और अर्थव्यवस्था पिछले दो दशकों में लगभग 6 प्रतिशत की औसत से बढ़ी है ।
जैसे प्राकृतिक खतरों से सावधान रहें: सूखा, चक्रवात, देश की बहुत गर्मी मानसून के मौसम के दौरान नियमित रूप से बाढ़ ।
बांग्लादेश में भाषाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं: बांग्ला (सरकारी, भी बंगाली के रूप में जाना जाता है), अंग्रेजी ।
यदि आप एक छोटी यात्रा या भविष्य में बांग्लादेश में छुट्टी की योजना है, सुनिश्चित करें कि आप अपनी सूची में भूटान, म्यान्मार, नेपाल, भारत, थाईलैण्ड, laoPDR, चीन, कम्बोडिया, श्रीलंका, पाकिस्तान जोड़ें ।