निश्चित या परिवर्तनीय आय?

परिवर्तनीय बांड (Convertible Bond) क्या हैं?
(A) चूंकि बांड को इक्विटी के लिए बदलने का विकल्प है, परिवर्तनीय बांड अपेक्षाकृत कम ब्याज दर का भुगतान करते हैं।
(B) इक्विटी के लिए बदलने का विकल्प बांड-धारक को बढ़ती हुई उपभोक्ता कीमतों से सहलग्नता (इंडेक्सेशन) की मात्रा प्रदान करता है।
(C) A और B
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer : A और B
Explanation : परिवर्तनीय बांड (Convertible Bond) एक निश्चित आय वाली कॉर्पोरेट ऋण सुरक्षा है, जो ब्याज भुगतान प्राप्त करती है। इसे सामान्य स्टॉक या इक्विटी शेयरों की पूर्व निर्धारित संख्या में बदलना सम्भव होता है। यह सीधे कॉर्पोरेट बांड की तुलना में कम ब्याज दरों का भुगतान करते हैं। इसलिए कंपनियां ऋण पर कम ब्याज दर तथा मंदन को कम करने के लिए यह परिवर्तनीय बांड जारी करती है। परिवर्तनीय बांड में इक्विटी के लिए बदलने का विकल्प बांड धारक को बढती हई उपभोक्ता कीमतों से सहलग्नता (इंडेक्सेशन) की मात्रा को प्राप्त करता है। यह निवेशकों के लिए आकर्षक भी होते हैं, जो बांड स्टॉक की कीमत को भविष्य में पूंजी अभिमूल्यन के माध्यम से विकास क्षमता प्रदान करते हैं। इससे निवेशकों को लाभ की संभावना होती है। इस प्रकार यह लाभ उठाने का अवसर भी प्रदान करता है।. अगला सवाल पढ़े
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भारत में मुद्रा की परिवर्तनीयता
प्रथम विश्व युद्ध से पहले पूरी दुनिया में स्वर्णमान (गोल्ड स्टैण्डर्ड) के मानक होते थे, जिसके तहत मुद्राओं का मूल्य सोने के रूप में एक स्थिर दर पर निश्चित किया जाता था । लेकिन 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली की विफलता के बाद इस प्रणाली को बदल दिया गया। मुद्रा की परिवर्तनीयता से तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा विदेशी मुद्रा में परिवर्तित हो जाती है और विलोमशः भी। 1994 के बाद से भारतीय रुपया चालू खाते के लेन-देन में पूरी तरह से परिवर्तनीय बना दिया गया।
प्रथम विश्व युद्ध से पहले पूरी दुनिया में स्वर्णमान (गोल्ड स्टैण्डर्ड) के मानक होते थे, जिसके तहत मुद्राओं का मूल्य सोने के रूप में एक स्थिर दर पर निश्चित किया जाता था । लेकिन 1971 में ब्रेटन वुड्स प्रणाली की विफलता के बाद इस प्रणाली को बदल दिया गया। मुद्रा की परिवर्तनीयता से तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा विदेशी मुद्रा में परिवर्तित हो जाती है और विलोमशः भी। 1994 के बाद से भारतीय रुपया चालू खाते के लेन-देन में पूरी तरह से परिवर्तनीय बना दिया गया।
सन 1971 में ब्रेटनवुड्स प्रणाली की विफलता के बाद बहुत से देशों ने गोल्ड आधारित विनिमय प्रणाली से हटकर अस्थायी विदेशी विनिमय दर प्रणाली की तरफ रुख कर लिया। अस्थायी या लचीली विनिमय दर प्रणाली के तहत, विभिन्न राष्ट्रीय मुद्राओं के बीच विनिमय दरों को बाजार में मांग और आपूर्ति के माध्यम से निर्धारित किया जाता है।
रुपये की परिवर्तनीयता:
1992-93 में पहली बार केंद्रीय आम बजट ने भारतीय रुपये को आंशिक रूप से विदेशी मुद्रा में परिवर्तनीय बना दिया था । यह विश्व के साथ कि भारतीय अर्थव्यवस्था के तत्कालीक एकीकरण हेतु एक अनिवार्य कदम था। इसी क्रम में भुगतान संतुलन में चालू खाते के गंभीर संकट अथवा घाटे की स्थिति से उबरने के लिए भारत सरकार ने 1 मार्च, 1992 से रुपये की आंशिक विनिमयता की शुरुआत की।
इस प्रणाली के तहत, जिसमें एक वर्ष की अवधि के लिए संचालन में बने रहने हेतु, मुद्रा आय का 60 फीसदी भाग बाजार से निर्धारित विनिमय दर पर रुपये में परिवर्तनीय था और शेष 40 प्रतिशत आय आधिकारिक तौर पर तय की गई विनिमय दर के आधार पर रुपये में परिवर्तनीय थी। एक मुद्रा की परिवर्तनीयता यह इंगित करती है कि इसे स्वतंत्र रूप से किसी भी अन्य विदेशी मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है। परिवर्तनीयता का निर्धारण बाजार में मुद्रा की माँग और पूर्ति के आधार पर होता है।
चालू खाता परिवर्तनीयता: अर्थ
चालू खाते की परिवर्तनीयता का मतलब है कि मुद्रा की सीमा पार आवाजाही पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है।चालू खाता विनिमयता, लक्ष्यों, सेवाओं और आय के साधनों के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा से संबंधित भुगतान पर प्रतिबंध हटाने से संबंधित है, जबकि पूंजी खाता परिवर्तनीयता का तात्पर्य यह है कि यदि कोई निवेशक (माना कि भारतीय) विदेशों में कोई संपत्ति खरीदना चाहता है तो उसको अपनी सरकार से उसके रुपया को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित करना पड़ता है। यदि सरकार रुपया को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कर देती है तो वह विदश में संपत्ति खरीद सकता है अन्यथा नहीं ।
चालू खाता परिवर्तनीयता को निम्न अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा बेचने अथवा खरीदने की स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित किया गया है:
(क) इसमें मुख्य रूप से आयत, निर्यात तथा अदृश्य व्यवहार आते हैं ।
(ख) अर्थात सभी चालू व्यापारिक लें देनों जिसमें यात्रा , शिक्षा, चिकित्सा, सम्बन्धी व्यय होते हैं
पूंजी खाता की परिवर्तनीयता- इसके अंतर्गत विदेशी सहायता (निवल) बाजार उधारी (निवल), अनिवाशी जमा तथा अन्य पूंजी मदें आती हैं इस प्रकार पूंजी खाते की परिवर्तनीयता का अर्थ हुआ प्रत्येक विदेशी व्यव्हार के लिए बाजार की शक्तियों द्वारा निर्धारित विदेशी विनिमय दर पर विदेशी की आपूर्ति ।
रुपये की पूर्ण परिवर्तनीयता का अर्थ- चालू खाते और पूंजी खाते पर होने वाले सभी व्यवहारों को पूरा करने के लिए रुपये को किसी भी स्वीकृत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में परिवर्तित करने कि स्वतंत्रता से है। पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता का अर्थ हुआ पूंजी के अन्त्रप्रवाह तथा बहिर्गमन , भारतियों द्वारा भारत में संपत्ति को बेचना तथा प्राप्त रुपया को देश के बाहर ले जाने पर या किसी विदेशी मुद्रा में अपना जमा रखने पर पूर्ण स्वतंत्रता । इस प्रकार पूंजी खाता की परिवर्तनीयता का अर्थ घरेलू वित्तीय संपत्तियों तथा विदेशी संपत्तियों को विदेशी संपत्तियों में बाजार निर्धारित विदेशी विनिमय दर पर बदलने की स्वतंत्रता से है ।
पूंजी खाता विनिमयता की वर्तमान स्थिति-
(क) भारत में प्रत्यक्ष और पोर्टफोलियो निवेश शुरू करने के लिए विदेशी निवेशकों और अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए पूंजी खाता विनिमयता मौजूद है।
(ख) विदेशों में 4 मिलियन अमेरिका डालर से अधिक के भारतीय निवेश को स्वत: ही कुछ शर्तों के साथ भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी मिल जाती है।
(ग) सितंबर 1995 में, भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशों में 4 लाख डॉलर से अधिक के विदेशी निवेश या फास्ट ट्रैक मंजूरी के लिए अयोग्य लोगों के निवेश से जुड़े सभी आवेदनों की प्रक्रिया के लिए एक विशेष समिति का गठन किया था।
पूंजी खाता पर परिवर्तनीयता के सम्बन्ध में रिज़र्व बैंक द्वारा s s तारापोर कि अध्यक्षता में गठित समिति ने जून 1997 में कुछ निश्चित दशाओं की पूर्ति पर क्रमिक ढंग से पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता कि सिफारिस की है समितीने जिन शर्तों का उल्लेख किया है वे हैं.
राजकोषीय घाटा का सकल घरेलु उत्पाद का 3.5% होना, स्फीति की दर का 5% होना , कुशल वित्तीय प्रणाली तथा विदेशी मुद्रा भंडार का कम से कम 26 बिलियन डॉलर का होना । समिति ने सुझाव दिया कि अभी पूंजी खाते पर परिवर्तनीयता के लिए उपयुक्त समय नहीं है ।
पूंजी खाता परिवर्तनीयता (जुलाई 2006) पर तारापोर समिति की दूसरी रिपोर्ट:
1991 के बाद की अवधि में भुगतान संतुलन की बढ़ती ताकत के साथ और मजबूत बाह्य क्षेत्र और प्रत्येक वर्ष शक्ति में वृद्धि तथा उच्च विकास पूंजी नियंत्रण के लिए अनुकूल वातावरण में छूट मिलने के साथ के सापेक्ष मैक्रो आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री निश्चित या परिवर्तनीय आय? निश्चित या परिवर्तनीय आय? की घोषणा के बाद आरबीआई ने 20 मार्च 2006 को एक कमेटी का गठन किया जिसका अध्यक्ष श्री एस.एस तारापोर को बनाया गया था । कमेटी ने 31 जुलाई, 2006 को रिजर्व बैंक को अपनी रिपोर्च सौंपी।
समिति ने मौजूदा पूंजीगत अवरोधों की समीक्षा के बाद तीन चरणों में पूंजी परिवर्तनीयता की तरफ बढ़ने के लिए एक व्यापक पंचवर्षीय योजना तैयार की ।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवेचन से यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत के पास अब तक का सर्वाधिक 360 बिलियन का मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार है। जो कि एक आरामदायक स्तिथि है परन्तु इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अभी भी भारत की अर्थव्यस्था दुनिया की अन्य बड़ी और मजबूत अर्थव्यस्थाओं के मुकाबले काफी कमजोर है इसलिए इसे पूंजी खाते में पूर्ण परिवर्तनीयता की अनुमति नहीं दी चाहिए ।
कर्मचारी नौकरी की असुरक्षा, कम मूलभूत वेतन, ईंधन की बढ़ती कीमतों और प्रोत्साहन भुगतान में असंगति से जूझ रहे हैं.
ज़ोमैटो के डिलीवरी वर्कर्स के लिए अपनी वेबसाइट के विरोधाभासों को नजरअंदाज़ कर पाना कठिन है. 'राइड विथ प्राइड' के आश्वासन के साथ उनकी वेबसाइट 'एक लाख से अधिक हैप्पी पार्टनर्स' होने और '10 करोड़ से अधिक हैप्पी डिलीवरी' करने का दावा करती है.
वह भी ऐसे समय में जब देश भर में 'डिलीवरी पार्टनर्स' खुश नहीं हैं.
पिछले दो हफ्तों से ज़ोमैटो और स्विगी के डिलीवरी कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर दोनों कंपनियों की कथित शोषणकारी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. हालांकि इस विरोध की पृष्ठभूमि बहुत पहले से तैयार हो रही थी.
इसकी शुरुआत दो डिलीवरी कर्मचारियों, SwiggyDE और DeliveryBhoy, ने गुमनाम रूप से ट्वीट करके की, कि कैसे डिलीवरी कंपनियां उनका शोषण कर रही हैं. इसके बाद ही कई अन्य स्विगी और ज़ोमैटो डिलीवरी पार्टनर्स भी उनके साथ आ गए.
Despite many sincere appeals to @harshamjty and @deepigoyal to engage in a productive and relevant discussion to address the real dangers faced by the delivery community in our country, they & their official handles have ignored on our collective voices. It's time to up the ante.
— Delivery Bhoy (@DeliveryBhoy) July 29, 2021
डिलीवरी कर्मचारी लंबे समय से नौकरी की असुरक्षा, कम वेतन, लंबी दूरी के रिटर्न बोनस में कमी और 'फर्स्ट माइल पे' की कथित अनुपस्थिति से जूझ रहे हैं. वहीं महामारी के दौरान ईंधन की बढ़ती कीमतों, प्रोत्साहनों में असंगति, और खर्चों के लिए पैसे कम पड़ने के कारण निश्चित या परिवर्तनीय आय? निश्चित या परिवर्तनीय आय? उनमें से कुछ अपनी चुप्पी तोड़ने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
गुजरात में स्विगी और ज़ोमैटो दोनों के लिए काम करने वाले 43 वर्षीय जमशेद कहते हैं, "वह हमें पार्टनर कहते हैं लेकिन हमारे साथ ऐसा व्यवहार नहीं करते. हम उनके लिए ग़ुलाम हैं. हम उनके लिए कर्मचारी नहीं मज़दूर हैं, इसलिए वह हमसे आवाज़ उठाने या सवाल पूछने की उम्मीद नहीं करते. लेकिन बिना नौकरी की सुरक्षा के हमारा गुज़ारा कैसे चलेगा?"
जमशेद की बातों में उन तमाम डिलीवरी कर्मचारियों की भावनाएं झलकती हैं जिन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि कैसे वह कम, परिवर्तनीय आय के लिए दिन में 12 से 14 घंटे काम करते हैं.
ज़ोमैटो के अनुसार, कर्मचारियों के लिए कोई निर्धारित औसत आधारभूत वेतन नहीं है; यह रोजगार के क्षेत्र और शहर पर निर्भर करता है.
ज़ोमैटो के प्रवक्ता ने दावा किया कि डिलीवरी वर्कर्स का प्रति ऑर्डर औसत वेतन पिछले एक साल में 20 प्रतिशत बढ़ गया है. जबकि ज़ोमैटो के डिलीवरी वर्कर्स ने हमें बताया कि उन्हें चार किलोमीटर के भीतर डिलीवरी के लिए लगभग 20 रुपए मिलते हैं, जिसके बाद उन्हें पांच रुपए प्रति किमी मिलते हैं.
वहीं स्विगी के प्रवक्ता ने कहा कि एक डिलीवरी वर्कर की कमाई में तीन मुख्य घटक शामिल होते हैं: प्रति ऑर्डर पेआउट- जो तय की गई दूरी और उसमें लगने वाले समय आदि पर निर्भर होता है. सर्ज पे (व्यस्ततम समय के दौरान काम करने के लाभ स्वरूप) और इंसेंटिव पे (प्रोत्साहन के तौर पर मिला वेतन). स्विगी ने यह भी कहा कि जुलाई 2021 में उनके डिलीवरी कर्मचारियों की कमाई जनवरी 2020 की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़ गई.
इसलिए एक पूर्णकालिक डिलीवरी ब्वॉय, जो दिन में कम से कम 12 घंटे काम करता है, वह प्रतिदिन 700 से 1,000 रुपए कमा सकता है. लेकिन फिर उसे मुंबई जैसे शहर में ईंधन पर कम से कम 400 रुपए खर्च करने पड़ते हैं.
एक डिलीवरी ब्वॉय के अनुसार, अगर वे एक दिन में कम से कम 575 रुपए कमाते हैं तो ज़ोमैटो उन्हें लगभग 200 रुपए प्रोत्साहन के रूप में देता है. वहीं एक पार्ट टाइम वर्कर को 275 रुपये की न्यूनतम कमाई के लिए 100 रुपए मिलते हैं.
अधिकांश डिलीवरी कर्मचारी ज़ोमैटो और स्विगी से यह सोचकर जुड़ते हैं कि वह अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं. लेकिन उन्हें कम आधारभूत वेतन जैसी कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. बिना किसी फायदे के अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते हैं, लक्ष्यों को पूरा करने और इंसेंटिव प्राप्त करने के लिए अस्वस्थ होने के दौरान भी काम करना पड़ता है. इसके बाद उनकी कमाई की सीमा तय होती है.
डिलीवरी कर्मचारियों को अपने वाहनों का उपयोग करना होता है और उसके ईंधन, मरम्मत और रखरखाव का खर्च भी वहन करना होता है. साथ ही फोन, डेटा प्लान, और कंपनी के सामान जैसे टी-शर्ट, फोन स्टैंड और फोन कवर आदि के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं.
इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि उन्हें प्रतिदिन कितने ऑर्डर मिल सकते हैं; मुंबई में एक डिलीवरी ब्वॉय ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "वह औसतन दिन में 20 ऑर्डर डिलीवर करते हैं."
वहीं अहमदाबाद के एक डिलीवरी ब्वॉय ने कहा, "वह पूरे दिन ऐप में लॉग इन होने के बावजूद उन्हें प्रतिदिन केवल पांच ऑर्डर मिलते हैं."
यह पहली बार नहीं है जब ज़ोमैटो और स्विगी के डिलीवरी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. पिछले साल महामारी के दौरान स्विगी द्वारा चार शहरों में डिलीवरी वर्कर्स के भुगतानों में कटौती के बाद भी उन्होंने आंदोलन किया था.
तब कारवां ने एक रिपोर्ट में बताया था कि इन विरोधों के परिणामस्वरूप स्विगी ने पार्टनर्स को निलंबित करने की धमकी दी थी. इसी तरह का विरोध 2019 में ज़ोमैटो के डिलीवरी वर्कर्स द्वारा उनके प्रोत्साहन वेतन में कटौती के बाद किया गया था.
भारत में वैसे भी गिग वर्कर्स के लिए कोई औपचारिक सुरक्षा नहीं है. हांलांकि सरकार ने सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत श्रम कानून सुधारों के मसौदे में गिग वर्कर्स को शामिल किया है, लेकिन उन्हें मजदूरी, नौकरी की सुरक्षा और औद्योगिक संबंधों आदि से संबंधित प्रावधानों में जगह नहीं दी गई है.
"आप मुझे बताएं, क्या 20 रुपए के ऑर्डर के लिए मुझे निश्चित या परिवर्तनीय आय? जान जोखिम में डालनी चाहिए?" मुंबई के स्विगी डिलीवरी ब्वॉय प्रकाश ने पूछा. महामारी के कारण एक मॉल में ड्यूटी मैनेजर का पद गंवाने के बाद उन्होंने एक साल पहले यह नौकरी शुरू की थी. 20 रुपए प्रति डिलीवरी के आधार पर प्रकाश एक डिलीवरी के लिए औसतन लगभग 32 रुपए कमाते हैं जिसके लिए उन्हें छह किमी की यात्रा करनी पड़ती है.
"अगर हम 20 रुपए में यह नहीं करेंगे तो वह किसी ऐसे को खोज लेंगे जो 15 रुपए में यह करने को तैयार होगा," उन्होंने कहा.
स्विगी के प्रवक्ता ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "डिलीवरी कर्मचारी अपनी इच्छानुसार लॉग-इन और लॉग-ऑफ करने के लिए स्वतंत्र हैं. लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है."
यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स में पीएचडी स्कॉलर कावेरी मेडप्पा कालियांदा प्लेटफॉर्म-आधारित ड्राइवरों और डिलीवरी वर्कर्स की कार्य-स्थितियों का अध्ययन कर रही हैं. उन्होंने कहा, "यह दावा झूठ है कि वर्कर्स जब चाहें लॉग-इन और लॉग-ऑफ कर सकते हैं."
"स्वतंत्रता और नरमी बरतने के तमाम दावों के बावजूद वर्कर्स को 'लॉग-इन शिफ्ट', अनिवार्य पीक-टाइम लॉग-इन, सप्ताहांत कार्य और ऑर्डर रद्द करने पर बेहद सख्त दंड का पालन करना होता है," उन्होंने कहा. "वर्कर्स अपनी इच्छानुसार लॉग-इन और लॉग-ऑफ नहीं कर सकते, क्योंकि प्रोत्साहन वेतन इन सभी शर्तों को पूरा करने के साथ जुड़ा होता है."
डिलीवरी वर्कर्स को अपने मुद्दे सोशल मीडिया पर उठाने की भी मनाही है.
"उनका ध्यान सिर्फ पैसे कमाने पर है, निचले स्तर के राइडर्स को वह प्राथमिकता नहीं देते हैं," प्रकाश ने कहा. "अगर मैं अकेले आवाज़ उठाऊंगा तो वे मेरे विरुद्ध कार्रवाई करेंगे. लेकिन अगर हम सब एक साथ बोलें तो शायद कुछ हो सकता है."
न्यूज़लॉन्ड्री डाक
न्यूज़लॉन्ड्री हिन्दी के साप्ताहिक संपादकीय, चुनिंदा बेहतरीन रिपोर्ट्स, टिप्पणियां और मीडिया की स्वस्थ आलोचनाएं.
वे क्या होते हैं, वर्गीकरण और उदाहरणों में परिवर्तनीय व्यय
परिवर्तनशील व्यय वे कॉर्पोरेट व्यय हैं जो उत्पादन के अनुपात में बदलते हैं। किसी कंपनी के उत्पादन की मात्रा के अनुसार वृद्धि या कमी; उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ उत्पादन घटता है और बढ़ता जाता है.
इसलिए, किसी उत्पाद के घटकों के रूप में उपयोग की जाने वाली सामग्रियों को परिवर्तनीय व्यय माना जाता है, क्योंकि वे सीधे निर्मित उत्पाद की इकाइयों की मात्रा के साथ भिन्न होते हैं।.
किसी भी व्यवसाय द्वारा किए गए कुल व्यय में निश्चित व्यय और परिवर्तनीय व्यय शामिल हैं। किसी व्यवसाय में परिवर्तनीय खर्चों के अनुपात को समझना उपयोगी है, क्योंकि उच्च अनुपात का मतलब है कि एक व्यवसाय अपेक्षाकृत कम आय के स्तर पर काम करना जारी रख सकता है।.
इसके विपरीत, निश्चित खर्चों के एक उच्च अनुपात के लिए आवश्यक है कि कंपनी व्यवसाय में बने रहने के लिए उच्च स्तर की आय बनाए रखे.
लाभ के अनुमानों और कंपनी या परियोजना के लिए ब्रेक-ईवन बिंदु की गणना में परिवर्तनीय व्यय को ध्यान में रखा जाता है.
- 1 चर खर्च क्या हैं??
- १.१ व्यय और आय
- 1.2 चर और निश्चित खर्चों की सूची
- 2.1 निश्चित और परिवर्तनीय खर्चों का विश्लेषण
- 3.1 शुद्ध लाभ
चर खर्च क्या हैं??
परिवर्तनीय व्यय उत्पादन पर निर्भर करते हैं। यह एक निरंतर मात्रा में प्रति यूनिट उत्पादन होता है। इसलिए, जैसे-जैसे उत्पादन की मात्रा बढ़ेगी, चर खर्च भी बढ़ेगा.
दूसरी ओर, जब कम उत्पाद तैयार किए जाते हैं, तो उत्पादन से जुड़े परिवर्तनीय खर्चों में उसी हिसाब से कमी आएगी.
परिवर्तनीय खर्चों के उदाहरण बिक्री आयोग, कच्चे माल की लागत और सार्वजनिक उपयोगिता खर्च हैं। कुल परिवर्तनीय व्यय का सूत्र है:
कुल चर व्यय = आउटपुट x की मात्रा प्रति आउटपुट यूनिट का परिवर्तनीय व्यय.
व्यय और आय
आय स्टेटमेंट का विश्लेषण करते समय, यह याद रखना चाहिए कि खर्चों में वृद्धि जरूरी चिंता का कारण नहीं है.
जब भी बिक्री में वृद्धि होती है, तो पहले अधिक इकाइयों का उत्पादन होना चाहिए (उच्च मूल्य के प्रभाव को छोड़कर), जिसका अर्थ है कि परिवर्तनीय व्यय भी बढ़ना चाहिए.
इसलिए, आय बढ़ाने के लिए, खर्चों में भी वृद्धि होनी चाहिए। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि राजस्व खर्चों की तुलना में तेज दर से बढ़े.
उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी 8% की मात्रा में वृद्धि की रिपोर्ट करती है, जबकि उसी अवधि में बेचे गए माल की लागत में केवल 5% की वृद्धि होती है, तो संभवतः यूनिट के आधार पर खर्च कम हो गए हैं.
व्यवसाय के इस पहलू की जांच करने का एक तरीका यह है कि बिक्री के प्रतिशत के रूप में खर्चों की गणना करने के लिए, कुल राजस्व के बीच परिवर्तनीय खर्चों को विभाजित किया जाए।.
परिवर्तनीय और निश्चित व्यय का अनुपात
स्थिर खर्चों की तुलना में बड़ी संख्या में परिवर्तनीय व्यय वाली कंपनी, अधिक संगत इकाई व्यय दिखा सकती है और इसलिए, कम परिवर्तनीय व्यय वाली कंपनी की तुलना में प्रति यूनिट अधिक अनुमानित लाभ मार्जिन।.
हालांकि, कम परिवर्तनीय खर्चों वाली कंपनी और इसलिए, निश्चित खर्चों की एक बड़ी राशि, संभावित लाभ या हानि को बढ़ा सकती है, क्योंकि आय में वृद्धि या घटती है, खर्चों के अधिक निरंतर स्तर पर लागू होती है।.
वर्गीकरण
खर्च एक ऐसी चीज है जिसे कई तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है, जो इसकी प्रकृति पर निर्भर करता है। सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक उन्हें निश्चित लागत और चर खर्चों में वर्गीकृत करना है.
कुछ लेखकों में अर्ध-परिवर्तनीय व्यय भी शामिल हैं, जो कि व्यय का प्रकार है जिसमें निश्चित व्यय और परिवर्तनीय व्यय की विशेषताएं हैं।.
उत्पादित इकाइयों की मात्रा में वृद्धि या घटने के साथ निश्चित व्यय नहीं बदलते हैं, जबकि परिवर्तनीय व्यय केवल उत्पादित इकाइयों की मात्रा पर निर्भर करते हैं.
परिवर्तनीय या निश्चित के रूप में खर्चों का वर्गीकरण प्रबंधन लेखांकन में कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे वित्तीय विवरणों के विश्लेषण के विभिन्न रूपों में उपयोग किए जाते हैं।.
निश्चित और परिवर्तनीय खर्चों का विश्लेषण
निश्चित और परिवर्तनीय लागतों की मात्रा का विश्लेषण करके, कंपनियां संपत्ति, पौधों और उपकरणों में निवेश करने के बारे में बेहतर निर्णय ले सकती हैं.
उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी अपने उत्पादों के निर्माण में उच्च प्रत्यक्ष श्रम लागत लगाती है, निश्चित या परिवर्तनीय आय? तो वह इन उच्च परिवर्तनीय लागतों को कम करने के लिए मशीनरी में निवेश करना चाहती है और अधिक निश्चित लागतों को खर्च कर सकती है।.
हालाँकि, इन निर्णयों पर भी विचार करना चाहिए कि वास्तव में कितने उत्पाद बेचे गए हैं.
यदि कंपनी ने मशीनरी में निवेश किया है और उच्च निश्चित लागत लगाई है, तो यह केवल उस स्थिति में फायदेमंद होगा जहां बिक्री अधिक थी, इस हद तक कि सामान्य निश्चित खर्च कुल प्रत्यक्ष श्रम लागत से कम हो अगर यह नहीं है मैंने मशीन खरीदी होगी.
यदि बिक्री कम थी, भले ही इकाई श्रम लागत अधिक बनी रहे, तो बेहतर होगा कि मशीनरी में निवेश न करें, उच्च निश्चित लागतों को लागू करें, क्योंकि उच्च इकाई श्रम लागतों से कई गुना कम बिक्री इकाई के सामान्य निश्चित खर्च से भी कम होगी। मशीनरी.
उदाहरण
मान लीजिए कि एक केक को बेक करने के लिए बेकरी की लागत $ 15 है: कच्चे माल के लिए $ 5, जैसे कि चीनी, दूध, मक्खन, और आटा, और केक को पकाने में शामिल प्रत्यक्ष श्रम के लिए $ 10.
निम्न तालिका से पता चलता है कि पके हुए केक की संख्या भिन्न होने के साथ परिवर्तनीय लागत कैसे बदलती है.
जैसे-जैसे केक का उत्पादन बढ़ता है, बेकरी के परिवर्तनीय खर्च भी बढ़ते हैं। जब बेकरी किसी केक को बेक नहीं करता है, तो इसका परिवर्तनीय खर्च शून्य है.
निश्चित व्यय और परिवर्तनीय व्यय कुल व्यय को पूरा करते हैं। यह एक कंपनी के लाभ का एक निर्धारक है, जिसकी गणना इस प्रकार की जाती है:
लाभ = बिक्री - कुल व्यय.
एक कंपनी अपने कुल खर्चों में कमी करके अपना मुनाफा बढ़ा सकती है। चूंकि निश्चित लागत को कम करना अधिक कठिन होता है, इसलिए अधिकांश व्यवसाय अपने परिवर्तनीय खर्चों को कम करना चाहते हैं.
इसलिए, यदि बेकरी प्रत्येक केक को $ 35 में बेचता है, तो प्रति केक पर उसका सकल लाभ $ 35 - $ 15 = $ 20 होगा.
शुद्ध लाभ
शुद्ध लाभ की गणना करने के लिए, सकल लाभ के निश्चित खर्चों को घटाया जाना चाहिए। मान लें कि बेकरी में मासिक खर्च $ 900 है, तो आपका मासिक लाभ होगा:
एक कंपनी नुकसान का सामना करती है जब निश्चित लागत सकल लाभ से अधिक होती है। बेकरी के मामले में, जब आप प्रति माह केवल 20 केक बेचते हैं तो आपको $ 700 की सकल आय होती है - $ 300 = $ 400.
चूँकि आपका $ 900 का निश्चित व्यय $ 400 से अधिक है, इसलिए आपको बिक्री में $ 500 का नुकसान होगा। संतुलन बिंदु तब होता है जब निश्चित व्यय सकल मार्जिन के बराबर होते हैं, जो लाभ या हानि उत्पन्न नहीं करता है। इस मामले में यह तब होता है जब बेकरी $ 675 के कुल परिवर्तनीय व्यय के साथ 45 केक बेचता है.
एक कंपनी जो परिवर्तनीय खर्चों में कमी करके अपना मुनाफा बढ़ाना चाहती है, उसे कच्चे माल, प्रत्यक्ष श्रम और विज्ञापन की उतार-चढ़ाव लागत को कम करने की आवश्यकता हो सकती है।.
हालांकि, खर्चों में कमी का असर उत्पाद की गुणवत्ता पर नहीं होना चाहिए। इससे बिक्री पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
इन बातों पर देंगे ध्यान तो रिटायर होने के बाद ऐश करेंगे आप
आपने कभी सोचा है कि रिटायर (After Retirement) होने के बाद एक व्यक्ति के लिए सबसे ज़रूरी क्या होता है? आपको जवाब नहीं सूझ रहा है तो हम बताते हैं कि उनके लिए सबसे जरूरी होता है पैसा। मतलब कि नौकरी में जितनी आमदनी होती थी, उसे कैसे बरकरार रखा जाए। इसके साथ ही खुद को स्वस्थ रखना भी उनकी प्राथमिकता (Priority) होती है।
इन बातों पर देंगे ध्यान तो रिटायर होने के बाद ऐश करेंगे आप
पैसे से पैसे बनाना सीखिए
पहली अहम बात है आप जमा पूंजी से नियमित आय (Regular Income) बनाना सीखिए। आपको जानना होगा कि धन वृद्धि (Wealth Creation) कैसे की जाती है। आप भी अपनी जमा राशि जैसे प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी की एकमुश्त राशि का सही इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको हर महीना एक नियमित आय प्राप्त होने लगेगा। रिटायरमेंट फंड की एकमुश्त राशि एक बड़ी रकम होती है। इस रकम को बैंक में बहुत कम ब्याज पर रखना शायद उचित नहीं निश्चित या परिवर्तनीय आय? होगा।
मिलिए अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से
रिटायर होते वक्त (Time of Retirement) जो रकम आपको मिली है, उसे बैंक खाते (Bank Account) में रख कर ज्यादा रिटर्न (More return) का अवसर मत गंवाइए। इससे बेहतर है कि आप इस राशि को वित्तीय सलाहकार से विचार विमर्श करके पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम और गवर्नमेंट बांड्स जैसी स्कीम्स में लगाएं, ताकि आपको धन वृद्धि का लाभ हो।
SWP का सहारा ले सकते हैं
अगर आप अपने रिटायरमेंट फंड से नियमित आय (Regular Income) चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड में एसडब्लूपी (SWP - Systematic Withdrawal Plan) का सहारा ले सकते हैं। एसडब्लूपी, निवेशकों को अपनी जरूरतों के अनुसार हर महीने, पूर्व निर्धारित, छमाही या वार्षिक रूप से रकम निकालने की सुविधा देता है। इसमें निवेशक एक पूर्व निर्धारित तिथि पर अपनी म्यूचुअल फंड योजना से एक निश्चित या परिवर्तनीय (वेरिएबल) राशि निकाल सकते हैं। यह राशि सीधे निवेशक के अकाउंट में जाती है। लेकिन यहां एक बात गांठ बांध लें कि म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार की जोखिम के अधीन है।
SWP के लाभ
एसडब्ल्यूपी आपकी नकदी (liquidity) की जरूरत के आधार पर आपके निवेशित (invested) धन के निश्चित राशि (systematic redemption) पाने में आपकी मदद करता है। यह आपको अपने बैंक खाते में हर महीने निश्चित आय की अनुमति देता है। साथ ही, यह आपको समय-समय पर व्यवस्थित निकासी के माध्यम से अपने लक्ष्यों की योजना बनाने की अनुमति देता है।
अंतत: आपको तय करना है
यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतत: आपको यह सुनिश्चित करना है कि आपका पैसा वहां लगे जहां लिक्विडिटी बेहतर है और रिटर्न्स भी अच्छा मिल रहा है। बाजार में कुछ अच्छे गारंटीड रेगुलर इनकम प्लान्स (Guaranteed Regular Income Plan ) भी हैं, जो कि बीमा कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं। आप चाहे तो इन योजनाओं में भी निवेश कर सकते हैं। इस बारे में किसी फाइनेंसियल एडवाइजरी फर्म या एडवाइजर से विचार विमर्श करके इस पर भी विचार कर सकते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस कवर हो
एक और अहम बात यह सुनिश्चित करना है कि आपके हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) का कवर हो। यदि आपके पास अभी भी डिपेंडेंट है, तो प्रति डिपेंडेंट कम से कम 3 लाख का बेसिक इंश्योरेंस कवर हो। आपको यह भी भली भांति समझना होगा कि ढलती उम्र में बीमारी लगने के आसार ज्यादा होते हैं। आप अपनी जमा पूंजी हॉस्पिटल के बिल भरने में कतई खर्च नहीं होने देना चाहेंगे।
व्यस्तता बनाये रखें
रिटायरमेंट का अर्थ यह नहीं होता है कि आप अपने आने वाले जीवन को बेमतलब बना दें। आपके जीवन में पहले की तरह व्यस्तता बनी रहे और आपका स्वास्थ, आपके विचार पहले की ही तरह सकरात्मक रहे, इसका भी उपाय करना होगा। आपको करना ये है कि आपको किसी ऐसी हेल्थ एवं वेलबिइंग (Health & Wellbeing) कंपनी की तलाश करनी है जो आपको टोटल वेलबिइंग पर सलाह दे सके।
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