मौद्रिक प्रवाह

यूएई ने 2022 के लिए G20 फाइनेंस ट्रैक के भीतर आईएफए वर्किंग ग्रुप की बैठक में भाग लिया
अबू धाबी, 26 सितंबर, 2022 (डब्ल्यूएएम) -- यूएई ने हाल ही में 2022 के लिए G20 फाइनेंस ट्रैक के भीतर पांचवीं इंटरनेशनल फाइनेंसियल आर्किटेक्चर (IFA) वर्किंग ग्रुप की बैठक में भाग लिया, जो 22 और 23 सितंबर 2022 को हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित की गई थी। G20 इंडोनेशियाई प्रेसीडेंसी के मौद्रिक प्रवाह तहत आयोजित बैठक में वैश्विक वित्तीय विकास और स्थिरता से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक वित्तीय लचीलापन, पूंजी प्रवाह और वैश्विक वित्तीय सुरक्षा जाल पर प्रकाश डाला गया। इसने वैश्विक वित्तीय जोखिमों और अवसरों से संबंधित प्रमुख वित्तीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करने की भी मांग की। वित्त मौद्रिक प्रवाह मंत्रालय में कर सूचना अनुभाग के प्रमुख अस्मा अल जरोनी और यूएई के सेंट्रल बैंक में मौद्रिक संचालन के निदेशक खलीफा अल फहीम ने G20 सदस्यों, आमंत्रित देशों, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और आर्थिक सहयोग व विकास संगठन (ओईसीडी) सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में भाग लिया। बैठक के दौरान यूएई की टीम ने देश के प्रमुख वित्तीय स्थिरता घटकों और विकास की समीक्षा की। टीम ने केंद्रीय डिजिटल मुद्राओं के लिए एक व्यापक नियामक ढांचे पर काम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। यूएई की टीम ने वैश्विक ऋण में निरंतर वृद्धि और कम आय वाले देशों की मौद्रिक स्थिरता को बढ़ाने की आवश्यकता के आलोक में स्थानीय मुद्रा मौद्रिक प्रवाह बांड (टी-बॉन्ड) जारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बैठक में वैश्विक विकास वित्त और सॉवरेन ऋण संबंधी मुद्दों पर नई अपडेट का पूर्वावलोकन किया गया। उपस्थित लोगों ने सीमा पार से भुगतान के लिए केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्राओं और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली और पूंजी प्रवाह पर प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने स्थानीय मुद्रा बांड बाजारों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वित्त समझौतों में बहुमुद्रा बस्तियों के अपेक्षित लाभों पर भी विचार-विमर्श किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच पूंजी प्रवाह के साथ आईएमएफ और विश्व बैंक के साथ साझा किए गए ऋण पारदर्शिता पर मौजूदा स्टॉक लेने की कवायद सहित ऋण पारदर्शिता और सूचना साझाकरण में सुधार के तरीकों के बारे में संभावित सहयोग मौद्रिक प्रवाह के अवसरों का पता लगाया। बैठक के दौरान नव विकसित पूंजी पर्याप्तता ढांचे के आकलन और मूर्त प्रगति हासिल करने के लिए अगले कदमों पर भी विचार-विमर्श किया गया। बैठक के अंत में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सदस्यों और प्रतिनिधियों ने अक्टूबर 2022 में आगामी G20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स की बैठक के दौरान समूह के योगदान को प्रस्तुत करने पर सहमति व्यक्त की। वे 2023 में भारत की आगामी G20 प्रेसीडेंसी की तैयारी में नई वैश्विक वित्तीय विकास के आधार पर चर्चा जारी रखने पर भी सहमत हुए। अनुवादः एस कुमार.
RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 11वीं बार नहीं किया बदलाव, लेकिन महंगाई फेर सकती है राहत पर पानी
rbi monetary policy live updates Reserve Bank Of India Shaktikant das repo rate reverse repo
Edited by: India TV News Desk
Updated on: April 08, मौद्रिक प्रवाह 2022 11:36 IST
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Highlights
- रिजर्व बैंक ने FY2022 की अपनी पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा कर दी है
- रिजर्व बैंक ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया
- ईंधन के ऊंचे दामों की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI-Reserve Bank of India) ने शुक्रवार को आर्थिक नीति की घोषणा कर दी है। आरबीआई ने लगातार 11वीं बार प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4% रहेगा। एमएसएफ रेट और बैंक रेट बिना किसी बदलाव के साथ 4.25% रहेगा। रिवर्स रेपो रेट भी बिना किसी बदलाव के साथ 3.35% रहेगा। हालांकि आरबीआई गवर्नर ने महंगाई को लेकर चिंता जरूर व्यक्त की। दास ने कहा, फिलहाल हमने रेपो रेट को 4 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा है। इससे कर्ज का प्रवाह बढ़ाने में मदद मिलेगी और महामारी के दबाव से अर्थव्यवस्था को बाहर लाया जा सकेगा।
गवर्नर दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक किसी नियम से बंधा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था के ‘संरक्षण’ के लिए रिजर्व बैंक सभी उपलब्ध साधनों का मौद्रिक प्रवाह इस्तेमाल करेगा।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था नई एवं बहुत बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है और रिजर्व बैंक इसे सभी चुनौतियों से बचाकर रखने के लिए काम करेगा। हालांकि दास ने कहा कि मौद्रिक प्रवाह ओमीक्रोन लहर कमजोर पड़ने से होने वाले अनुमानित लाभों को बढ़े हुए भू-राजनीतिक तनावों ने निष्प्रभावी कर दिया है।
घटाया ग्रोथ का अनुमान
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है जबकि मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ा दिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को काबू में रखने के साथ आर्थिक वृद्धि को बरकरार रखने के लिए केंद्रीय बैंक अपने नरम रुख में थोड़ा बदलाव करेगा।
रेपो रेट (Repo Rate)
रेपो रेट को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और मौद्रिक प्रवाह उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।
रिवर्स रेपो मौद्रिक प्रवाह रेट (Reverse Repo Rate)
यह रेपो रेट से उलट होता है। बैंकों के पास जब दिन-भर के कामकाज के बाद बड़ी रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को रिजर्व बैंक में रख देते हैं। इस रकम पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है। रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।
रिवर्स रेपो रेट का आम आदमी पर ऐसे पड़ता है प्रभाव
जब भी बाजारों में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें। इस तरह बैंकों के कब्जे में बाजार में छोड़ने के लिए कम रकम रह जाएगी।
जानिए क्या होता है नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio/CRR)
बैंकिंग नियमों के तहत हर बैंक को अपने कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है, जिसे कैश रिजर्व रेश्यो अथवा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है। यह नियम इसलिए बनाए गए हैं, ताकि यदि किसी भी वक्त किसी भी बैंक में बहुत बड़ी तादाद में जमाकर्ताओं को रकम निकालने की जरूरत पड़े तो बैंक पैसा चुकाने से मना न कर सके।
आम आदमी पर सीआरआर का ऐसे पड़ता है प्रभाव
अगर सीआरआर बढ़ता है तो बैंकों को ज्यादा बड़ा हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होगा और उनके पास कर्ज के रूप में देने के लिए कम रकम रह जाएगी। यानी आम आदमी को कर्ज देने के लिए बैंकों के पास पैसा कम होगा। अगर रिजर्व बैंक सीआरआर को घटाता है तो बाजार नकदी का प्रवाह बढ़ जाता है।
क्या है एसएलआर (Statutory liquidity ratio/वैधानिक तरलता अनुपात)
जिस रेट पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते हैं, उसे एसएलआर कहते हैं। नकदी को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है, जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है।
मौद्रिक प्रवाह
घरेलू मांग में अच्छी तरह से सुधार हो रहा है, जैसा कि कई उच्च आवृत्ति संकेतकों के प्रदर्शन से पता चलता है।
हालांकि, वैश्विक सुस्ती का असर भारत की ग्रोथ संभावनाओं पर भी पड़ सकता है। मुख्य रूप से वैश्विक अनिश्चितताओं से उत्पन्न घरेलू विकास की बाधाओं को देखते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को पहले के 50 आधार अंकों से अपनी मौद्रिक सख्ती की गति को कम करने पर विचार करना चाहिए। यह बात सीआईआई ने आरबीआई को आगामी मौद्रिक नीति पर अपेक्षाओं के संबंध में कही।
जबकि सीआईआई इस तथ्य से अवगत है कि इस वित्तवर्ष में अब तक आरबीआई की ब्याज दर में 190 आधार अंकों की बढ़ोतरी मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए जरूरी है, कॉर्पोरेट क्षेत्र ने अब इसके प्रतिकूल प्रभाव को महसूस करना शुरू कर दिया है।
दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2022) में 2000-विषम कंपनियों के परिणामों के सीआईआई के विश्लेषण से पता चलता है कि टॉप-लाइन और बॉटम-लाइन दोनों क्रमिक और वार्षिक आधार पर मॉडरेट हुए हैं। इस प्रकार, मौद्रिक सख्ती की गति में संयम समय की जरूरत है।
हालांकि, स्टिकी कोर मुद्रास्फीति को लगभग 6 प्रतिशत अंक पर देखते हुए आरबीआई मुद्रास्फीति को कम करने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में अतिरिक्त 25 से 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी पर विचार कर सकता है। अक्टूबर 2022 में सीपीआई हेडलाइन प्रिंट में हालिया मॉडरेशन के बावजूद, हेडलाइन प्रिंट लगातार 10 महीनों तक आरबीआई की लक्ष्य सीमा से बाहर रहा। इसके अलावा, क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ के बीच मौजूद जम्हाई के अंतर के साथ, एक अतिरिक्त दर वृद्धि बचतकर्ताओं को प्रोत्साहित करेगी, इस प्रकार डिपॉजिट ग्रोथ को प्रोत्साहन प्रदान करेगी और क्रेडिट-डिपॉजिट वेज को कम करने में मदद करेगी।
सीआईआई ने कहा कि इसके अलावा, बढ़ते वैश्विक जोखिम से बचने के कारण हमारे विदेशी पूंजी प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, यह हमारे चालू खाता घाटे के वित्तपोषण के लिए चुनौतियां पेश करता है। वास्तव में, हमें तीनों बकेट में पूंजी प्रवाह पर नजर रखने की जरूरत है, यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), एनआरआई प्रवाह और विदेशी पोर्टफोलियो प्रवाह (एफपीआई)। केवल एफपीआई संख्या पर अधिक ध्यान देना हमेशा पूरी तस्वीर नहीं दे सकता है।
सीआईआई ने कहा, घरेलू रिकवरी के प्रारंभिक संकेतों को सामान्य विकास परि²श्य की ओर गति में तेजी लाने में मदद करने के लिए संरक्षित करने की जरूरत है। अतीत की तरह, आरबीआई को अपने शस्त्रागार में सभी हथियारों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए करना चाहिए कि अपने कार्यो के माध्यम से मुद्रास्फीति की उम्मीदों को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जाता है, इसे किसी भी तरह से विकास की गति को कम नहीं करना चाहिए।
बाजार नई ऊंचाई पर; सेंसेक्स 123 अंक चढ़ा, आरबीआई का मौद्रिक नीति समीक्षा पर नजर
मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) शेयर बाजारों में बृहस्पतिवार को लगातार चौथे दिन तेजी रही और बीएसई सेंसेक्स 123.07 अंक की मजबूती के साथ नये रिकार्ड स्तर पर बंद हुआ। निवेशकों के आईटी, मौद्रिक प्रवाह दूरसंचार और दैनिक उपयोग का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बाजार चढ़ा। डालर के मुकाबले रुपये में तेजी और विदेशी पूंजी प्रवाह से बाजार धारणा को बल मिला। तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स कारोबार के दौरान 54,717.24 अंक के अबतक के उच्चतम स्तर तक चला गया था। लेकिन अंत में यह 123.07 अंक यानी 0.23 प्रतिशत की बढ़त के साथ 54,492.84 अंक पर
डालर के मुकाबले रुपये में तेजी और विदेशी पूंजी प्रवाह से बाजार धारणा को बल मिला।
तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स कारोबार के दौरान 54,717.24 अंक के अबतक के उच्चतम स्तर तक चला गया था। लेकिन अंत में यह 123.07 अंक यानी 0.23 प्रतिशत की बढ़त के साथ 54,492.84 अंक पर बंद हुआ।
इसी प्रकार, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 35.80 अंक यानी 0.22 प्रतिशत मजबूत होकर नये रिकार्ड स्तर 16,294.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 16,349.मौद्रिक प्रवाह 45 के उच्चतम स्तर तक चला गया था।
सेंसेक्स के शेयरों में 4.30 प्रतिशत की तेजी के साथ सर्वाधिक लाभ में भारती एयरटेल का शेयर रहा। इसके अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज में 1.41 प्रतिशत की मजबूत आयी। इसका कारण निवेशकों ने कुमार मंगलम बिड़ला के कर्ज में फंसी वोडाफोन आइडिया के चेयरमैन पद से हटने के बाद संभावित दो कंपनियों वाले दूरसंचार बाजार पर दांव लगाया।
आईटीसी, टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, एचसीएल टेक और एचडीएफसी बैंक में भी 3.14 प्रतिशत तक की तेजी आयी।
दूसरी तरफ, गिरावट वाले शेयरों में भारतीय स्टेट बैंक, इंडसइंड बैंक, बजाज फाइनेंस, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फिनसर्व और अल्ट्राटेक सीमेंट शामिल हैं। इनमें 3.33 प्रतिशत तक की गिरावट आयी।
रिलायंस सिक्योरिटीज के रणनीति प्रमुख विनोद मोदी ने कहा, ‘‘आईटी और धातु शेयरों में तेजी से घरेलू मानक सूचकांकों में मजबूती बनी रही और वे नई ऊंचाई पर पहुंचे। इसके अलावा, दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेजी से भी बाजार को समर्थन मिला।’’
उन्होंने कहा कि हालांकि तेजी कोई चौतरफा नहीं रही और मझोले तथा छोटी कंपनियों के शेयरों में मुनाफावसूली देखी गयी।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर के अनुसार, ‘‘शुरूआती कारोबार में बाजार में कुछ सुधार दिखने के बावजूद बड़ी कंपनियों के शेयरों के दम बाजार में तेजी रही। आईटी, धातु और एफएमसीजी शेयरों से बाजार को समर्थन मिला।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले बैंक शेयरों में दबाव रहा. साल के दौरान जोरदार तेजी के बाद मझोली और छोटी कंपनियों के प्रदर्शन को देखते हुए निवेशकों को अल्पकाल के लिये सतर्क रहना चाहिए।’’
रिजर्व बैंक शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करेगा। ऐसी संभावना है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति दबाव को देखते हुए नीतिगत दर के मामले में यथास्थिति बनाये रख सकता है।
क्षेत्रवार बीएसई दूरसंचार, धातु, प्रौद्योगिकी, ऊर्ज और आईटी शेयर 3.39 प्रतिशत तक चढ़े जबकि रियल्टी, बैंक और वित्तीय सूचकांक नुकसान में रहे।
मझोली कंपनियों से जुड़ा सूचकांक 0.10 प्रतिशत चढ़ा जबकि छोटी कंपनियों का सूचकांक 0.43 प्रतिशत नीचे आया।
एशिया के अन्य बाजारों में शंघाई, हांगकांग और सियोल नुकसान में रहे जबकि टोक्यो में तेजी रही। यूरोप के प्रमुख बाजारों में मध्याह्न कारोबार में सकारात्मक रुख रहा।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.72 प्रतिशत की बढ़त के साथ 70.89 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 2 पैसे चढ़कर 74.17 पर बंद हुआ।
शेयर बाजारों में उपलब्ध आंकड़े के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में बुधवार को शुद्ध लिवाल रहे। उन्हेंने 2,828.57 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।