न्यूनतम निवेश राशि

Teji Mandi
निवेश शुरू करने वाले लोगों के लिए, निवेश एक मुश्किल भरा काम हो सकता है, रिस्क मैनेजमेंट इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपके निवेश की वृद्धि की संभावनाएं काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती हैं कि आप अपना पैसा किस तरह से लगा रहे हैं।
आप तेजी मंदी द्वारा सुझाए गए शेयर्स में दो तरीकों में निवेश कर सकते हैं, SIP या Lumpsum।
एक बार में एक बड़ा हिस्सा निवेश करने को एकमुश्त या Lumpsum कहा जाता है। या,
अपने निवेश को छोटे साइज में विभाजित करें और उन्हें समय-समय पर निवेश के लिए आवंटित करें। हर हफ्ते, महीने या तिमाही की तरह, इस निवेश की शैली को SIP के रूप में जाना जाता है।
Lumpsum
एकमुश्त (Lump Sum) निवेश का अर्थ है कि निवेशक अपनी पूंजी एक ही बार में निवेश करता है और आवश्यकता पड़ने पर ही दोबारा पूंजी लगाता है यानी टॉप अप करता है।
आप अपना न्यूनतम निवेश राशि निवेश न्यूनतम निवेश राशि के साथ शुरू कर सकते हैं, जो पोर्टफोलियो स्टॉक के मौजूदा वैल्यू के बराबर है यानी लगभग 21,000 -22,000 रुपए है। ऐप होम स्क्रीन पर निवेश करें बटन पर टैप करें और तेजी मंदी के साथ अपनी निवेश यात्रा शुरू करने के लिए आगे बढ़ें।
SIP
सिप या SIP कम बजट वाले उन निवेशकों के लिए एक बेहतरीन जरिया है, जो नियमित अंतराल पर कम मात्रा में निवेश करना चाहते हैं। निवेश साप्ताहिक, मासिक या वार्षिक आधार पर किया जा सकता है और धीरे-धीरे एक अच्छा अमाउंट बन जाता है।
तेजी मंदी का पोर्टफोलियो आपको पहली बार निवेश करते समय एक SIP निर्धारित करने की अनुमति देता है। पहला निवेश हमेशा न्यूनतम निवेश राशि के बराबर होगा, जो स्टॉक की कीमतों के आधार पर लगभग ~ 20,000-22,000 रुपए है। बाद के SIP में आप सिर्फ 6000 रुपये का निवेश कर सकते हैं।
नियमित रूप से निवेश करने का यह SIP माध्यम, निवेशकों को इस आर्टिकल में बताए गए लाभों का फायदा उठाने में मदद करता है, SIP: क्या है, कैसे निवेश किया जाए और कब निवेश किया जाए?
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"Duyunov की मोटरें" प्रोजेक्ट में निवेश क्राउडइन्वेस्टिंग के ज़रिए आकर्षित होता है, जिसे कलेक्टिव फ़ंडिंग भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि प्रोजेक्ट कार्यान्वयन के लिए फ़ंड छोटे और मध्य पैमाने के निवेशकों से आता है।
आज किसी भी देश का कोई भी व्यक्ति एक परियोजना निवेशक बन सकता है और नवाचार कारोबार में भाग प्राप्त कर सकता है। निवेशक डिवीडेंड्स में कंपनी के मुनाफ़े के भाग पर निर्भर हो सकते हैं या पूंजीकरण से मुनाफ़ा कमा सकते हैं।
आधुनिक टेक्नोलोजी और एक सुविधाजनक पीछे के कार्यालय के साथ, यह निवेश नए निवेशकों के लिए भी सुविधाजनक, सुरक्षित और उपयुक्त हैं।
किसान विकास पत्र (KVP) क्या है: निवेश, निकासी और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
‘किसान विकास पत्र’ या ‘KVP’ भारतीय डाक विभाग की एक निवेश योजना है जिसमें एकमुश्त जमा की गयी धनराशि ब्याज दर के आधार पर कुछ वर्षों में दोगुनी होने का प्रावधान है। यहाँ पर इस लेख में आपको किसान विकास पत्र में निवेश से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी दी जायेगी। अतः आएये जानते हैं कि किसान विकास पत्र (संक्षिप्त में KVP) क्या है, इसमें कौन और कैसे निवेश कर सकता है और इस से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
Table of Contents
किसान विकास पत्र (KVP) क्या है
‘किसान विकास पत्र’ भारतीय डाक विभाग की एक निवेश योजना है जिसमें निवेश के समय के ब्याज दर के आधार पर एकमुश्त जमा की गयी धनराशि कुछ वर्षों की अवधि में दोगुनी हो जाती है। ‘किसान विकास पत्र’ डाक विभाग द्वारा एकमुश्त जमा धनराशि के बदले न्यूनतम निवेश राशि जारी किया जाने वाला एक सर्टिफिकेट होता है, जिस पर जमाकर्ता का नाम, निवेश की गयी धनराशि, जारी करने की तिथि, जारी करने वाले डाकघर का नाम, परिपक्वता राशि आदि विवरण होते हैं।
जमाकर्ता या निवेशकर्ता भारत के लगभग सभी डाकघरों से ‘किसान विकास पत्र’ खरीद सकता है। वर्तमान में KVP खरीदने के लिए न्यूनतम निवेश राशि रु.1000/- और अधिकतम निवेश राशि असीमित है।
किसान विकास पत्र (KVP) में कौन निवेश कर सकता है
- न्यूनतम 18 वर्ष की आयु वाला कोई भी भारतीय नागरिक ‘किसान विकास पत्र’ खरीद सकता है।
- 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के भारतीय नागरिकों के नाम पर भी ‘किसान विकास पत्र’ खरीदा जा सकता है, परन्तु वह माता-पिता या अभिभावक के द्वारा ही खरीदा जा सकता है।
किसान विकास पत्र कितने प्रकार के होते हैं
भारत में ‘किसान विकास पत्र’ निम्नलिखित प्रकार से खरीदा जा सकता है:
- एकल धारक पत्र: इस प्रकार का KVP सर्टिफिकेट किसी एक व्यक्ति के नाम पर न्यूनतम निवेश राशि ही एकल तौर पर होता है। यह एक व्यस्क व्यक्ति या किसी व्यस्क व्यक्ति के माध्यम से किसी अवयस्क व्यक्ति के नाम पर हो सकता है।
- संयुक्त ‘A’ पत्र (Joint ‘A’ सर्टिफिकेट): इस प्रकार के KVP सर्टिफिकेट संयुक्त रूप से दो व्यस्क व्यक्तियों के नाम से होता है और इसकी निकासी दोनों व्यक्तियों की संयुक्त मौजूदगी और हस्ताक्षर से ही की जा सकती है।
- संयुक्त ‘B’ पत्र (Joint ‘B’ सर्टिफिकेट): इस प्रकार के KVP सर्टिफिकेट संयुक्त रूप से दो व्यस्क व्यक्तियों के नाम से होता है और इसकी निकासी दोनों में से किसी एक व्यक्ति की मौजूदगी या हस्ताक्षर से की जा सकती है।
किसान विकास पत्र की परिपक्वता राशि कितनी होती है
‘किसान विकास पत्र’ की परिपक्वता राशि सदैव निवेश राशि से दोगुनी होती है। उदाहरण के तौर पर यदि आपने ‘किसान विकास पत्र’ खरीदने के लिए 1000/- रूपये निवेश किये हैं तो आपको परिपक्वता अवधि समाप्त होने पर कुल 2000/- रूपये की धनराशि प्राप्त होगी।
वर्तमान ब्याज दर के आधार पर जमा की गयी धनराशि की परिपक्वता अवधि 10 वर्ष और 4 महीने का है।
किसान विकास पत्र की परिपक्वता पर इनकम टैक्स (आयकर)
‘किसान विकास पत्र’ की परिपक्वता धनराशि पर कोई आयकर छूट लागू नहीं होती है और इसकी परिपक्वता धनराशि पर नियमानुसार आयकर (इनकम टैक्स) देय होता है।
KVP से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
KVP अर्थात ‘किसान विकास पत्र’ से जुड़ी कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां निम्नलिखित हैं:
ऋण सुविधा
सुरक्षित ऋण प्राप्त करने न्यूनतम निवेश राशि के लिए आप अपने ‘किसान विकास पत्र’ को सुरक्षा के रूप में उपयोग कर सकते हैं। ऐसे ऋणों के लिए ब्याज दर तुलनात्मक रूप से कम होती है।
नामांकन सुविधा
‘किसान विकास पत्र’ धारक व्यक्ति अपनी निवेशित धनराशि के लिए किसी अन्य व्यक्ति को नामांकित करने के लिए अधिकृति है और वह ‘किसान विकास पत्र’ खरीदते समय या बाद में भी सम्बंधित डाकघर में निवेशित धनराशि के लिए नामंकन करा सकता है।
परिपक्वता अवधि से पहले निकासी
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि ‘किसान विकास पत्र’ की वर्तमान परिपक्वता अवधि 10 वर्ष और 4 महीने (कुल 124 महीने) की है, परन्तु आवश्यकतानुसार निवेश के 30 महीने (ढाई वर्ष) की अवधि के उपरान्त निवेशक अपने ‘किसान विकास पत्र’ को समय से पहले बंद कर सकता है। परन्तु परिपक्वता अवधि से पहले निकासी के मामलों में धनराशि नियमानुसार कम बनती है।
PPF Vs NPS: ज्यादा रिटर्न के लिए कौन-सी स्कीम है फायदेमंद, जान लें किसमें इंवेस्ट करना बेहतर
PPF Vs NPS Comparison: भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए पैसों का इंवेस्टमेंट सही जगह करना जरूरी होता है. इसलिए आपका जानना जरूरी है कि नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF )में कौन सी योजना ज्यादा फायदेमंद कौन-सी है.
PPF Vs NPS
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 04 फरवरी 2022,
- (Updated 04 फरवरी 2022, 4:30 PM IST)
भविष्य को सुरक्षित बनाने पैसों का इंवेस्टमेंट जरूरी
NPS रिटर्न बाजार और PPF मैनेजर पर निर्भर करता है
भारत में कई तरह के इंवेस्टमेंट में नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme)और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund) सबसे आम विकल्प हैं. हालांकि, जब रिटर्न, ब्याज दरों आदि की बात आती है, तो इंवेस्टर अक्सर दो योजनाओं के बीच कंफ्यूज हो जाते हैं. इसलिए दोनों को ही विस्तार से समझना जरूरी है. आज हम आपको समझाएंगे की क्या आपके पास पीपीएफ और एनपीएस दोनों हो सकते हैं, एनपीएस पीपीएफ से कैसे अलग है और भी बहुत कुछ.
एनपीएस और पीपीएफ
सीधे शब्दों में कहें, एनपीएस (NPS) रिटायर्ड लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक बाजार-निर्भर पेंशन बचत योजना है. इसलिए एनपीएस पर रिटर्न बाजार और पेंशन फंड मैनेजर के प्रदर्शन पर निर्भर करता है.
पीपीएफ (PPF) एक सरकार का इक्विपमेंट है जो पेंशन के लिए विशिष्ट (Specific) नहीं है और इसमें निश्चित(Fixed Returns) रिटर्न है.
एनपीएस और पीपीएफ के बीच अंतर (Difference Between NPS and PPF)
इंवेस्टमेंट
एनपीएस (NPS) में निवेश की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है, जबकि अधिकतम आयु 65 वर्ष है. हालांकि, पीपीएफ (PPF) इंवेस्टमेंट में उम्र की कोई पाबंदी नहीं है. अभिभावक के साथ नाबालिग भी इसमें निवेश कर सकते हैं. एनपीएस (NPS)ग्राहकों के लिए निवेश की अवधि उनकी रिटायर्ड या 60 वर्ष की आयु तक है. पीपीएफ (PPF) निवेशकों के लिए 15 वर्ष है. एनपीएस में निवेश करने वालों के लिए 70 वर्ष की आयु तक विस्तार की अनुमति है. इसी तरह, पीपीएफ वालों के लिए, विस्तार की अवधि 5 साल के ब्लॉक के लिए है.
इसके अलावा, पीपीएफ उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम और अधिकतम निवेश राशि क्रमश 500 रुपये प्रति वर्ष और 1.5 रुपये लाख प्रति वर्ष है. दूसरी ओर, एनपीएस ग्राहक के लिए न्यूनतम निवेश राशि 1000 रुपये प्रति वर्ष है, और इस बचत योजना में निवेश करने वाले वेतनभोगी कर्मियों के लिए कोई अधिकतम सीमा नहीं है.
सेफ्टी
एनपीएस रिटर्न (NPS Returns) बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है, इसलिए इसे आमतौर पर एक सुरक्षित विकल्प नहीं माना जाता है. बाजार के उतार-चढ़ाव इस योजना में आपकी वापसी राशि को सीधे प्रभावित करेंगे. इसके अलावा, एनपीएस रिटर्न पेंशन फंड मैनेजर के प्रदर्शन पर भी निर्भर करता है. इसलिए, अगर आप इस प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप प्रबंधकों को स्वैप कर सकते हैं.
पीपीएफ रिटर्न (PPF Returns) की बात करें तो कोई भी चूक के किसी भी जोखिम से इंकार कर सकता है, क्योंकि यह निश्चित रिटर्न के साथ आता है.
टैक्सेशन
इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत, 1.5 लाख रुपये तक के PPF निवेश पर आपको टैक्स कटौती मिलेगी. वार्षिक आयकर रिटर्न में घोषणा करने के बाद पीपीएफ ब्याज करों से मुक्त हैं. पीपीएफ से संबंधित मैच्योरिटी राशि पर भी टैक्स से छूट मिलती है. इसलिए, पीपीएफ निवेशक आराम से टैस्ट ट्रीटमेंट का आनंद ले सकते हैं. इसके अलावा, धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का एनपीएस निवेश कर-कटौती योग्य है.
हालांकि, कंट्रीब्यूशन आपके वेतन के 10 प्रतिशत से कम होना चाहिए. मैच्योरिटी पीरियड तक पहुंचने पर, कोई भी टैक्स का भुगतान किए बिना एनपीएस (NPS) बेलेंस का 40 प्रतिशत वापस ले सकता है. अन्य 40 प्रतिशत का उपयोग एक एन्यूनिटी खरीदने के लिए किया जाना चाहिए जिस पर टैक्स लगेगा. टैक्स का भुगतान करने के बाद, कोई 20 प्रतिशत की शेष राशि निकाल सकता है या इसे एन्यूनिटी खरीदने में उपयोग कर सकता है.
एलिजिब्लिटी
भारतीय नागरिक पीपीएफ (Public Provident Fund) में निवेश कर सकते हैं. एक व्यक्ति के पास केवल एक ही पीपीएफ खाता (PPF Account) हो सकता है, जब न्यूनतम निवेश राशि तक कि अगला खाता नाबालिग के नाम पर न हो.
18 से 65 वर्ष की आयु के बीच का कोई भी भारतीय नागरिक एनपीएस (National Pension Scheme) में निवेश कर सकता है. इसके अलावा एनआरआई (NRI) भी एनपीएस में निवेश कर सकते हैं.
कहां खोल सकते हैं अकाउंट
आप किसी भी बैंक ब्रांच या भारत डाकघर में जाकर पीपीएफ अकांउट (PPF Account) खोल सकते हैं. इसके अलावा, कई बैंक पीपीएफ खाता खोलने और निवेश करने के लिए ऑनलाइन सुविधा की अनुमति देते हैं.
अगर कोई व्यक्ति अपने वेतन के हिस्से के रूप में एनपीएस (NPS) में निवेश कर रहा है, तो वह अपने नियोक्ता के माध्यम से खाता खोल सकता है. हालांकि, इस बचत योजना में कोई भी नया व्यक्ति अपना खाता प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस (POP) या ईएनपीएस (ENPS) के माध्यम से ऑनलाइन खोल सकता है.