फंड का सेक्टर

सेक्टर फंड क्या है और इससे जुड़े रिस्क
सेक्टर फंड्स के रिस्क सेक्टर फंड्स में बड़े रिस्क उठा सकने वाले म्यूचुअल फंड्स के माहिर इक्विटी इन्वेस्टर्स किसी सेक्टर में तेजी की संभावना पर दांव लगाते हैं। ये फंड्स ओपन एंडेड होते हैं और इनको किसी भी वर्किंग डे में सब्सक्राइब किया जा सकता है और रिडीम कराया जा सकता है।
इन फंड्स में किन्हें इनवेस्ट करना चाहिए? क्या सेक्टर फंड्स में ज्यादा रिस्क होता है? फाइनेंशियल प्लानर्स मानते हैं कि सेक्टर फंड्स में डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड्स फंड का सेक्टर से ज्यादा रिस्क होता है। इसलिए ये फंड्स उन इनवेस्टर्स के लिए सही माने जाते हैं, जिन्हें लगता है कि एक खास ग्रुप के शेयरों का परफॉर्मेंस मार्केट इंडेक्स से बेहतर हो सकता है। कई बार ज्यादा रिस्क लेने में इंटरेस्ट रखने वाले रेगुलर इक्विटी इनवेस्टर भी इन पर दांव लगाते हैं। ऐसे फंड का इस्तेमाल कोर पोर्टफोलियो होल्डिंग को सपोर्ट करने में भी होता है। इनमें 3 से 5 साल के लिए इनवेस्टमेंट किया जा सकता है।
सेक्टर फंड्स में पोर्टफोलियो का कितना हिस्सा लगाना चाहिए? सेक्टर फंड्स का ऐक्सपोजर किसी एक सेक्टर या चुनिंदा शेयरों में होता है, इसलिए उनमें डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड फंड का सेक्टर के मुकाबले ज्यादा रिस्क होता है। इनके फंड मैनेजर्स के पास सेक्टर में ऐक्सपोजर बहुत कम करने की ज्यादा गुंजाइश नहीं होती, भले ही उसका परफॉर्मेंस लगातार खराब हो रहा हो। मिसाल के लिए अगर इकनॉमी स्लोडाउन की गिरफ्त में है तो इनवेस्टर्स FMCG, फार्मा और IT जैसे डिफेंसिव सेक्टर्स की तरफ भागते हैं, लेकिन अगर बैंकिंग सेक्टर फंड का एक्सपोजर बैंकिंग सेक्टर में ही होगा, जिससे उनको नुकसान होने का खतरा बनेगा। सेक्टर फंड्स में ज्यादा रिस्क होने के चलते फाइनेंशियल प्लानर्स को लगता है कि इनवेस्टर्स किसी एक सेक्टर फंड में अपने पोर्टफोलियो का 5 से 10 पर्सेंट तक ही इनवेस्ट करने के बारे में सोचना चाहिए।
Sector Fund vs Thematic Funds: सेक्टर फंड्स और थीमैटिक फंड्स में क्या है अंतर? क्या है इनमें निवेश का नफा नुकसान?
सेक्टोरल फंड और थीमैटिक फंड दोनों ही ज्यादा जोखिम वाले निवेश हैं. इनमें पैसे लगाने से पहले इनसे जुड़े फायदे और नुकसान को समझना जरूरी है.
जब एक स्पेसिफिक सेक्टर में निवेश किया जाता है, तो उन्हें सेक्टोरल फंड कहा जाता है.
Sector Fund vs Thematic Funds: म्युचुअल फंड में जब एक स्पेसिफिक सेक्टर में निवेश किया जाता है, तो उन्हें सेक्टोरल फंड कहा जाता है. इसमें केवल उन बिजनेस में निवेश किया जाता है, जो किसी स्पेसिफिक सेक्टर या इंडस्ट्री में काम फंड का सेक्टर करते हैं. उदाहरण के लिए, सेक्टर फंड के तहत बैंकिंग, फार्मा, कंस्ट्रक्शन या एफएमसीजी समेत कई अन्य सेक्टरों में निवेश किया जाता है. दूसरी ओर, थीमैटिक फंड वे हैं जिसमें किसी पर्टिकुलर थीम के आधार पर शेयरों में निवेश किया जाता है. ऐसे फंडों द्वारा चुनी गई थीम रूरल कंजप्शन, कमोडिटी, डिफेंस जैसे सेक्टरों के इर्द-गिर्द घूम सकती है. उदाहरण के लिए, थीमैटिक फंड में रूरल कंजप्शन पर फोकस किया जा सकता है और इस थीम के तहत सभी सेक्टरों के फंड में निवेश किया जा सकता है. इन दोनों फंडों के बीच बड़ा अंतर यह है कि सेक्टोरल फंड केवल एक सेक्टर में निवेश करते हैं, जबकि थीमैटिक फंड कई सेक्टरों में निवेश करते हैं, जो एक कॉमन थीम पर आधारित होते हैं.
सेक्टोरल फंड क्या होते हैं
सेक्टोरल फंड केवल स्पेसिफिक सेक्टरों जैसे फार्मा, कंस्ट्रक्शन, एफएमसीजी में निवेश करने के लिए जाने जाते हैं. सेबी द्वारा निर्धारित गाइडलाइन्स के अनुसार, सेक्टोरल फंड में संपत्ति का कम से कम 80% हिस्सा स्पेसिफाइड सेक्टरों में निवेश करना जरूरी है. शेष 20% हिस्सा अन्य डेट या हाइब्रिड सिक्योरिटीज में आवंटित किया जा सकता है. सेक्टोरल फंड अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं. यह मार्केट कैपिटलाइजेशन, इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव और सिक्योरिटीज के सेट में अलग-अलग हो सकते हैं.
इस फंड के तहत प्राकृतिक संसाधनों, उपयोगिताओं, रियल एस्टेट, वित्त, हेल्थ केयर, टेक्नोलॉजी, कन्यूनिकेशन जैसे कई सेक्टरों में निवेश किया जा सकता है. कुछ सेक्टर फंड बैंकिंग जैसी सब-कैटेगरी पर भी फोकस करते हैं. सेक्टर फंड आदर्श रूप से एक्टिव और एजुकेटेड निवेशकों के लिए होते हैं जो अक्सर कई सेक्टरों की मैक्रो-इकोनॉमिक सिचुएशन का विश्लेषण करते हैं.
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थीमैटिक फंड क्या हैं
थीमैटिक फंड वे होते हैं जो किसी खास थीम के फंड का सेक्टर फंड का सेक्टर आधार पर शेयरों में निवेश करते हैं. ये फंड उन सेक्टरों में निवेश करते हैं जो एक स्पेसिफिक थीम का पालन करते हैं. सेबी के गाइडलाइन्स के अनुसार, थीमैटिक फंडों को अपनी संपत्ति का 80% किसी पर्टिकुलर थीम के शेयरों में, अलग-अलग सेक्टरों में निवेश करना होता है. स्टॉक और पोर्टफोलियो कंस्ट्रक्शन की संख्या के संदर्भ में, थीमैटिक फंड इक्विटी स्कीम्स के समान ही डायवर्सिफाइड हैं. थीमैटिक फंड अलग-अलग थीम जैसे मल्टी-सेक्टर, इंटरनेशनल एक्सपोजर, एक्सपोर्ट ओरिएंटेड, रूरल इंडिया समेत कई सेक्टरों में निवेश करते हैं. इन फंडों को डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड या लार्ज कैप इक्विटी फंड की तुलना में जोखिम भरा माना जाता है.
थीमैटिक फंड के निवेशकों को स्कीम में एंट्री करने और बाहर निकलने के लिए कम से कम 5 साल का समय लेना चाहिए और फंड को सकारात्मक प्रदर्शन करने देना चाहिए. यह सुझाव दिया जाता है कि केवल मध्यम रूप से उच्च जोखिम लेने की क्षमता वाले निवेशकों को थीमैटिक फंड में निवेश करने पर विचार करना चाहिए.
सेक्टर फंड्स और इनमें निवेश के जोखिम
फाइनैंशल प्लानर्स मानते हैं कि सेक्टर फंड्स में डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से ज्यादा रिस्क होता है। इसलिए ये फंड्स उन इन्वेस्टर्स के लिए सही माने जाते हैं, जिन्हें लगता है कि एक खास ग्रुप के शेयरों का परफॉर्मेंस मार्केट इंडेक्स से बेहतर हो सकता है।
सांकेतिक तस्वीर।
नई दिल्ली
सेक्टर फंड्स में बड़े रिस्क उठा सकने वाले म्यूचुअल फंड्स के माहिर इक्विटी इन्वेस्टर्स किसी सेक्टर में तेजी की संभावना पर दांव लगाते हैं। ये फंड्स ओपन एंडेड होते हैं और इनको किसी भी वर्किंग डे में सब्सक्राइब किया जा सकता है और रिडीम कराया जा सकता है।
सेक्टर फंड क्या होते हैं?
यह एक म्यूचुअल फंड स्कीम है, जो पूरा का पूरा कॉरपस या उसका बड़ा हिस्सा किसी एक सेक्टर में लगाती है। कुछ इन्वेस्टर्स सेक्टर फंड्स तब चुनते हैं, जब उन्हें लगता है कि वह सेक्टर पूरे मार्केट को आउटपरफॉर्म करेगा। दूसरे इन्वेस्टर्स पोर्टफोलियो में शामिल दूसरी होल्डिंग्स की हेजिंग करने के मकसद से सेक्टर फंड्स पर दांव लगाते हैं। मिसाल के लिए अगर आपको लगता है कि आने वाले दिनों में कई रेट कट्स हो सकते हैं, जिससे बैंकों को फायदा हो सकता है, तो फंड का सेक्टर इसका सबसे बड़ा फायदा बैंकिंग सेक्टर फंड्स को होगा। सेक्टर फंड्स मार्केट के मुकाबले ज्यादा रिस्की होते हैं और ज्यादा उथल-पुथल वाले होते हैं क्योंकि इनमें डायवर्सिफिकेशन बहुत कम होता है। हालांकि रिस्क लेवल सेक्टर पर निर्भर करता है।
इंडिया में किस तरह के सेक्टर फंड्स हैं?
यहां कुछ कॉमन सेक्टर फंड्स FMCG, IT, फार्मा, बैंकिंग ऑटो और इन्फ्रा सेगमेंट के हैं। बैंकिंग और इन्फ्रा ETF जैसे कुछ ETF सेक्टर फंड्स भी हैं।
इन फंड्स में किन्हें इन्वेस्ट करना चाहिए? क्या सेक्टर फंड्स में ज्यादा रिस्क होता है?
फाइनैंशल प्लानर्स मानते हैं कि सेक्टर फंड्स में डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से ज्यादा रिस्क होता है। इसलिए ये फंड्स उन इन्वेस्टर्स के लिए सही माने जाते हैं, जिन्हें लगता है कि एक खास ग्रुप के शेयरों का परफॉर्मेंस मार्केट इंडेक्स से बेहतर हो सकता है। कई बार ज्यादा रिस्क लेने में इंट्रेस्ट रखने वाले रेग्युलर इक्विटी इन्वेस्टर भी इन पर दांव लगाते हैं। ऐसे फंड का इस्तेमाल कोर पोर्टफोलियो होल्डिंग को सपॉर्ट फंड का सेक्टर करने में भी होता है। इनमें 3 से 5 साल के लिए इन्वेस्टमेंट किया जा सकता है।
सेक्टर फंड्स फंड का सेक्टर में पोर्टफोलियो का कितना हिस्सा लगाना चाहिए?
सेक्टर फंड्स का एक्सपोजर किसी एक सेक्टर या चुनिंदा शेयरों में होता है, इसलिए उनमें डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड के मुकाबले ज्यादा रिस्क होता है। इनके फंड मैनेजर्स के पास सेक्टर में एक्सपोजर बहुत कम करने की ज्यादा गुंजाइश नहीं होती, भले ही उसका परफॉर्मेंस लगातार खराब हो रहा हो। मिसाल के लिए अगर इकॉनमी स्लोडाउन की गिरफ्त में है तो इन्वेस्टर्स FMCG, फार्मा और IT जैसे डिफेंसिव सेक्टर्स की तरफ भागते हैं, लेकिन अगर बैंकिंग सेक्टर फंड का एक्सपोजर बैंकिंग सेक्टर में ही होगा, जिससे उनको नुकसान होने का खतरा बनेगा। सेक्टर फंड्स में ज्यादा रिस्क होने के चलते फाइनैंशल प्लानर्स को लगता है कि इन्वेस्टर्स किसी एक सेक्टर फंड में अपने पोर्टफोलियो का 5 से 10 पर्सेंट तक ही इनवेस्ट करने के बारे में सोचना चाहिए।
पर्सनल फाइनेंस: सेक्टर फंड्स में निवेश आपको दिला सकता है ज्यादा फायदा, लेकिन इसमें पैसा लगाना हो सकता है थोड़ा रिस्की
अच्छे रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना सही विकल्प हो सकता है। जो ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा रिस्क उठा सकता हैं वे म्यूचुअल फंड की सेक्टर फंड्स में निवेश कर सकते हैं। बड़े रिस्क उठा सकने वाले म्यूचुअल फंड्स में माहिर इक्विटी इन्वेस्टर्स किसी सेक्टर में तेजी की संभावना पर दांव लगाते हैं। ये फंड्स ओपन एंडेड होते हैं और इनको किसी भी वर्किंग डे में सब्सक्राइब किया जा सकता है और रिडीम कराया जा सकता है।
सेक्टर म्यूचुअल फंड क्या हैं
एक सेक्टर फंड एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो अर्थव्यवस्था के विशिष्ट क्षेत्रों, जैसे बैंकिंग, दूरसंचार, एफएमसीजी, फार्मास्युटिकल, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), और बुनियादी ढांचे में निवेश करता है। दूसरे शब्दों में, सेक्टर फंड्स आपके निवेशित धन को केवल विशिष्ट उद्योग या सेक्टर तक सीमित कर देते हैं। इनमें ऊंचा रिटर्न मिलते की उम्मीद रहती है, लेकिन ये बंटे हुए इक्विटी फंड की तुलना में रिस्की होते हैं। लिहाजा निवेशकों को किसी उन सेक्टरों की परफॉमरेंस के बारे में पहले से जानकारी होनी जरूरी है।
उदाहरण के लिए, एक बैंकिंग सेक्टर फंड बैंकों में निवेश कर सकता है और एक फार्मा फंड केवल फार्मा कंपनियों के शेयरों में निवेश कर सकता है। इन फंडों के फंड मैनेजर उन कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाते हैं जो बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। इस तरह के निवेश का उद्देश्य उन क्षेत्रों में निवेश करना है जो भविष्य में ज्यादा रिटर्न दे सकते हैं।
इन फंड्स में किन्हें इनवेस्ट करना चाहिए?
एक्सपर्ट का मानना है कि सेक्टर फंड्स में डायवर्सिफाइड इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से ज्यादा रिस्क होता है। इसलिए ये फंड्स उन इनवेस्टर्स के लिए सही माने जाते हैं, जो ज्यादा रिस्क लेने की क्षमता रखते हैं। इसके अलावा उन्हें म्यूचुअल फंड्स की अच्छी समझ होना भी जरूरी है। इसमें 3 से 5 साल के लिए इनवेस्टमेंट किया जा सकता है।
कितना निवेश करना रहेगा सही?
सेक्टर फंड्स में ज्यादा रिस्क होने के चलते एक्सपर्ट्स का मानना है कि इनवेस्टर्स किसी एक सेक्टर फंड में अपने पोर्टफोलियो का 5 से 10% तक ही इनवेस्ट करने के बारे में सोचना चाहिए। इससे इस कैटेगरी अगर आपको नुकसान होता भी है तो आप इस नुकसान को दूसरी जगह से कवर कर सकते हैं।